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देश को 60 साल तक लूटने वाली कांग्रेस ने सर्वोच्च पुरस्कार पद्म अवार्ड भी बेच डाले! प्रियंका गांधी से राणा कपूर ने खरीदी थी 2 करोड़ की पेंटिंग

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देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के समय 1957 में मूंदड़ा घोटाला हो, इंदिरा गांधी के समय 1973 में मारूति घोटाला या फिर राजीव गांधी के समय में बोफोर्स घोटाला हो देश में भ्रष्टाचार की जननी कांग्रेस पार्टी ही रही है। डॉ. मनमोहन सिंह के नाम पर प्रकारांतर से सरकार चलाने वाली सोनिया गांधी के समय तो बस घोटाला ही घोटाला होता रहा। राजीव गांधी ने तो स्वीकार भी किया था कि केंद्र से चले एक रुपये में से 15 पैसे ही लोगों तक पहुंचते हैं और 85 पैसे गायब हो जाते हैं। यह जानते हुए भी राजीव गांधी ने भ्रष्टाचार के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाया और मौन समर्थन ही दिया। अब फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की रिपोर्ट में कांग्रेस को लेकर जो खुलासा हुआ है उससे देशवासियों का सिर शर्म से झुक जाएगा कि हमने किसे चुनकर सरकार चलाने के लिए बिठाया था। इस रिपोर्ट के अनुसार, गांधी परिवार ने देश के सर्वोच्च पुरस्कार पद्म अवार्ड भी बेच डाले!

कांग्रेस ने देश को बेचने का कोई मौका नहीं छोड़ा

कांग्रेस के संस्थागत भ्रष्टाचार का इसे बड़ा सबूत और क्या हो सकता है कि एक बैंकर को 2 करोड़ रुपये में एक पेंटिंग खरीदने के लिए मजबूर किया जाता है और उसे पद्म अवार्ड का अश्वासन दिया जाता है। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब गांधी परिवार के पूरे जीवनकाल को भ्रष्टाचार में लिप्त बताते हैं तो देश को इससे हुए नुकसान की गंभीरता को समझा जा सकता है। कांग्रेस और गांधी परिवार ने ऐसे ना जाने कितने और अवॉर्ड और पेंटिंग बेची गई हैं और पैसे जुटाए गए हैं? इससे पता चलता है कि देश को बेचने का कोई मौका कांग्रेस ने नहीं छोड़ा।

राणा कपूर से कहा गया- गांधी परिवार से संबंध बनाने में बाधा उत्पन्न होगी

अप्रैल 2022 में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा धनशोधन के मामले में विशेष अदालत में दाखिल आरोप पत्र के मुताबिक यस बैंक के सह संस्थापक राणा कपूर ने केंद्रीय एजेंसी को बताया कि उन्हें कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी से एमएफ हुसैन की पेंटिंग खरीदने के लिए ‘विवश’ किया गया। कपूर ने ईडी को बताया कि तत्कालीन पेट्रोलियम मंत्री मुरली देवड़ा ने कहा था कि यदि राणा कपूर ने एम एफ हुसैन की पेंटिंग को खरीदने से मना किया तो न केवल इससे गांधी परिवार से संबंधों को बनाने में बाधा उत्पन्न होगी बल्कि उससे ‘पद्म’ सम्मान प्राप्त करने में कठिनाई होगी। अब सोचिए गांधी परिवार से संबंध बिगड़ने का भी डर दिखाया गया गोया कि वे इस देश के राजा हों।

मुरली देवड़ा ने राणा कपूर पर बनाया था पेंटिंग खरीदने का दबाव

ईडी के बाद एफएटीएफ की रिपोर्ट में भी खुलासा हुआ है कि राणा कपूर ने ईडी के सामने इस पेंटिंग को लेकर बड़ा दावा किया था। उन्होंने बताया था कि उन्हें इस पेंटिंग को खरीदने के लिए मजबूर किया गया था। रिपोर्ट्स के मुताबिक राणा ने उस मंत्री का नाम भी बताया था जिन्होंने उन्हें मजबूर किया। उन्होंने कहा था कि तत्कालीन पेट्रोलियम मंत्री मुरली देवड़ा ने उनसे कहा था कि अगर वो पेंटिंग नहीं खरीदेंगे तो गांधी परिवार के साथ संबंध बनाने में दिक्कत होगी।

मिलिंद देवड़ा ने राणा कपूर को लिखा था लेटर

इसके बाद मुरली देवड़ा के बेटे मिलिंद देवड़ा 1 मई, 2010 को राणा कपूर को एक लेटर लिखते हैं। इस पत्र में वह राणा कपूर को अंकल कह कर सम्बोधित करते हैं और लिखते हैं कि आश्वासन दिलाते हुए लिखते हैं कि उनका इस पेंटिंग को खरीदना जायज है।

अहमद पटेल ने दिया था पद्म भूषण देने का आश्वासन

राणा कपूर को बार-बार प्रियंका गांधी से पेंटिंग खरीदने के लिए बाध्य किया गया। राणा ने ईडी को ये भी बताया कि अहमद पटेल ने उनसे रहा था कि अगर वो गांधी परिवार की मदद करते हैं तो वो उन्हें पद्म भूषण देने पर विचार कर सकते हैं।

गांधी परिवार FATF की रिपोर्ट पर चुप क्यों है?

एफएटीएफ की रिपोर्ट आने के बाद केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा है कि यस बैंक के कोफाउंडर राणा कपूर को प्रियंका गांधी की एक पेंटिंग खरीदने के लिए मजबूर किया गया था। ठाकुर ने कहा है कि कांग्रेस का भ्रष्टाचार का मॉडल बाहर आ गया है। उन्होंने पूछा कि गांधी परिवार FATF की रिपोर्ट पर चुप क्यों है? अनुराग ठाकुर ने प्रियंका गांधी से सवाल किया कि पेंटिंग को बेचने की क्या जरूर पड़ गई थी और उससे जो 2 करोड़ आए उसका कहां इस्तेमाल किया गया। इस ख़रीद फ़रोख़्त में R कौन है। क्या पेंटिंग पद्म भूषण अवॉर्ड के लिए थी। ऐसे कितने और अवॉर्ड और पेंटिंग बेची गई हैं और पैसे जुटाए गए हैं? उन्होंने कहा, देश को बेचने का कोई मौका कांग्रेस ने नहीं छोड़ा।

राणा कपूर ने प्रियंका गांधी से 2 करोड़ रुपए में खरीदी थी पेंटिंग

कांग्रेस द्वारा जिस पेंटिंग को बेचने के लिए इस कदर दबाव बनाया गया वो एमएफ हुसैन ने बनाई थी। कैनवास पर बनी राजीव गांधी की छवि वाली इस पेंटिंग को यस बैंक के को फाउंडर राणा कपूर ने प्रियंका गांधी से 2 करोड़ रुपए में खरीदा था।

देश के आजाद होने के बाद कांग्रेस और गांधी परिवार ने 60 सालों तक देश को जमकर लूटा है। कांग्रेस की सरकारों के तहत हुए घोटालों की सूची इतनी लंबी है कि कभी खत्म ही नहीं होती। प्रमुख घोटालों पर एक नजर-

2 जी स्पेक्ट्रम घोटाला (2008)

भारत में सबसे बड़ा घोटाला 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाला था, जिसमें दूरसंचार मंत्री ए. राजा पर निजी दूरसंचार कंपनियों को 2008 में बहुत सस्ते दरों पर 2 जी लाइसेंस जारी करने का आरोप लगाया गया था। नियमों का पालन नहीं किया गया था, लाइसेंस जारी करते समय केवल पक्षपात किया गया था। इसमें 1.96 लाख करोड़ रुपये का घोटाला हुआ था। दरअसल सरकार ने 2001 में स्पेक्ट्रम लाइसेंस के लिए प्रवेश शुल्क रखा था। इसमें दूरसंचार के बारे अनुभवहीन कंपनियों को लाइसेंस जारी किया गया था। भारत में 2001 में मोबाइल उपभोक्ता 4 मिलियन थे जो 2008 में बढ़ोतरी करके 350 मिलियन तक पहुंच गये।

सत्यम घोटाला (2009)

सत्यम कंप्यूटर सर्विसेजस के घोटाले से भारतीय निवेशक और शेयरधारक बुरी तरह प्रभावित हुए। यह घोटाला कॉरपोरेट जगत के सबसे बड़े घोटालों में से एक है, इसमें 14,000 करोड़ रुपये का घोटाला किया गया था। पूर्व चेयरमैन रामलिंगा राजू इस घोटाले में शामिल थे, जिन्होंने सब कुछ संभाला हुआ था। बाद में उन्होंने 1.47 अरब अमेरिकी डॉलर के खाते को किसी प्रकार के संदेह के कारण खारिज कर दिया। उस साल के अंत में, सत्यम का 46% हिस्सा टेक महिंद्रा ने खरीदा था, जिसने कंपनी को अवशोषित और पुनर्जीवित किया।

कॉमनवेल्थ गेम घोटाला (2010)

राष्ट्रमंडल खेलों की तैयारी और संचालन के लिए लिये लिया गया धन भारी मात्रा में घोटाले में चला गया। इसमें लगभग 70,000 करोड़ रुपये का घोटाला किया गया है। इस घोटाले में कई भारतीय राजनेता नौकरशाह और कंपनियों के बड़े लोग शामिल थे। इस घोटाले के प्रमुख पुणे के निर्वाचन क्षेत्र से 15 वीं लोकसभा के लिए कांग्रेस पार्टी के प्रतिनिधि सुरेश कलमाड़ी थे। उस समय, कलमाड़ी दिल्ली राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजन समिति के अध्यक्ष थे। इसमें शामिल अन्य बड़े लोगों में दिल्ली की तत्कालीन मुख्यमंत्री- शीला दीक्षित और रॉबर्ट वाड्रा हैं। इसका गैर-अस्तित्व वाली पार्टियों के लिए भुगतान किया गया, उपकरण की खरीद करते समय कीमतों में तेजी आई और निष्पादन में देरी हुई थी।

कोयला घोटाला (2012)

कोयला घोटाले के कारण भारत सरकार को 1.86 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था। सीएजी ने एक रिपोर्ट पेश की और कहा कि 194 कोयला ब्लॉकों की नीलामी में अनियमितताऐं शामिल हैं। सरकार ने 2004 और 2011 के बीच कोयला खदानों की नीलमी नहीं करने का फैसला किया था। कोयला ब्लॉक अलग-अलग पार्टियों और निजी कंपनियों को बेच दिये गये थे। इस निर्णय से राजस्व में भारी नुकसान हुआ था।

टाट्रा ट्रक घोटाला (2012)

वेक्ट्रा के अध्यक्ष रवि ऋषिफॉर्मर और सेना प्रमुख जनरल वी.के. सिंह के खिलाफ मनी लॉन्डरिंग प्रतिबंध अधिनियम (पीएमएलए) के तहत मामला पंजीकृत किया था। इसमें सेना के लिए 1,676 टाटा ट्रकों की खरीद के लिए 14 करोड़ रुपये की रिश्वत दी गई थी।

आदर्श घोटाला (2012)

इस घोटाले में मुंबई की कोलाबा सोसायटी में 31 मंजिल इमारत में स्थित फ्लैटों को बाजार की कीमतों से कम कीमत पर बेचा गया था। इस सोसायटी को सैनिकों की विधवाओं और भारत के रक्षा मंत्रालय के कर्मियों के लिए बनाया गया था। समय की अवधि में, फ्लैटों के आवंटन के लिए नियम और विनियमन संशोधित किए गए थे। इसमें महाराष्ट्र के तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों- सुशील कुमार शिंदे, विलासराव देशमुख और अशोक चव्हाण के खिलाफ आरोप लगाये गये थे। यह जमीन रक्षा विभाग की थी और सोसायटी के लिये दी गई थी।

नेशनल हेराल्ड स्कैंडल

गांधी परिवार पर अवैध रूप से नेशनल हेराल्ड की मूल कंपनी एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) की संपत्ति हड़पने का आरोप है। वर्ष 1938 में कांग्रेस ने एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड नाम की कंपनी बनाई थी। यह कंपनी नेशनल हेराल्ड, नवजीवन और कौमी आवाज नाम से तीन अखबार प्रकाशित करती थी। एक अप्रैल, 2008 को ये अखबार बंद हो गए। मार्च 2011 में सोनिया और राहुल गांधी ने ‘यंग इंडिया लिमिटेड’ नाम की कंपनी खोली और एजेएल को 90 करोड़ का ब्याज-मुक्त लोन दिया। एजेएल यंग इंडिया कंपनी को लोन नहीं चुका पाई। इस सौदे की वजह से सोनिया और राहुल गांधी की कंपनी यंग इंडिया को एजेएल की संपत्ति का मालिकाना हक मिल गया। इस कंपनी में मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडीज के 12-12 प्रतिशत शेयर हैं, जबकि सोनिया गांधी और राहुल गांधी के 76 प्रतिशत शेयर हैं। गांधी परिवार पर अवैध रूप से इस संपत्ति का अधिग्रहण करने के लिए पार्टी फंड का इस्तेमाल करने का आरोप लगा। गांधी खानदान के मौजूदा दोनों नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी नेशनल हेराल्ड केस में कोर्ट से जमानत पर हैं। इन दोनों ने अपनी सरकारों के जरिए देश के विभिन्न शहरों में नेशनल हेराल्ड समाचार पत्र के नाम पर कई एकड़ जमीन आवंटित करा ली। इसकी प्रॉपर्टी की कीमत करीब 5 हजार करोड़ है।

अगस्ता वेस्टलैंड घोटाला

वर्ष 2013 में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उनके राजनीतिक सचिव अहमद पटेल पर इटली की चॉपर कंपनी ‘अगस्ता वेस्टलैंड’ से कमीशन लेने के आरोप लगे। दरअसल अगस्ता वेस्टलैंड से भारत को 36 अरब रुपये के सौदे के तहत 12 हेलिकॉप्टर ख़रीदने थे, जिसमें 360 करोड़ रुपए की रिश्वतखोरी की बात सामने आई। इतालवी कोर्ट ने माना कि इस मामले में भारतीय अफसरों और राजनेताओं को 15 मिलियन डॉलर रिश्वत दी गई। इतालवी कोर्ट ने एक नोट में इशारा किया था कि सोनिया गांधी सौदे में पीछे से अहम भूमिका निभा रही थीं। कोर्ट ने 225 पेज के फैसले में चार बार सोनिया का जिक्र किया।

बोफोर्स घोटाला

बोफोर्स कंपनी ने 1437 करोड़ रुपये के होवित्जर तोप का सौदा हासिल करने के लिए भारत के बड़े राजनेताओं और सेना के अधिकारियों को 1.42 करोड़ डॉलर की रिश्वत दी थी। आरोप है कि इसमें दिवंगत प्रधानमंत्री राजीव गांधी के साथ सोनिया गांधी और कांग्रेस के अन्य नेताओं को को स्वीडन की तोप बनाने वाली कंपनी बोफ़ोर्स ने कमीशन के बतौर 64 करोड़ रुपये दिये थे। इस सौदे में गांधी परिवार के करीबी और इतालवी कारोबारी ओतावियो क्वात्रोकी के अर्जेंटीना चले जाने पर सोनिया गांधी पर भी आरोप लगे।

वाड्रा-डीएलएफ घोटाला

वर्ष 2012 में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की पत्नी सोनिया गांधी और उनके दामाद रॉबर्ट वाड्रा पर डीएलएफ घोटाले का आरोप लगा। उनपर शिकोहपुर गांव में कम दाम पर जमीन खरीदकर भारी मुनाफे में रियल एस्टेट कंपनी डीएलएफ को बेचने का आरोप लगा। रॉबर्ट वाड्रा पर डीएलएफ से 65 करोड़ का ब्याज-मुक्त लोन लेने का आरोप लगा। बिना ब्याज पैसे की अदायगी के पीछे कंपनी को राजनीतिक लाभ पहुंचाना मूल उद्देश्य था। यह तथ्य भी सामने आया है कि केंद्र में कांग्रेस सरकार के रहते रॉबर्ट वाड्रा ने देश के कई और हिस्सों में भी बेहद कम कीमतों पर जमीनें खरीदीं। इस मामले में हाल ही में हरियाणा सरकार ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के जीजा रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है।

बीकानेर में जमीन घोटाले का मामला

राजस्थान के बीकानेर में हुए जमीन घोटालों में रॉबर्ट वाड्रा की कंपनियों के जमीन सौदे भी शामिल हैं। अंग्रेजी न्यूज पोर्टल इकोनॉमिक्स टाइम्स के अनुसार गलत जमीन सौदों के सिलसिले में 18 एफआईआर दर्ज हैं, जिनमें से 4 वाड्रा की कंपनियों से जुड़े हैं। ये सारी एफआईआर 1400 बीघा जमीन जाली नामों से खरीदे जाने से जुड़ी हैं, जिनमें से 275 बीघा जमीन वाड्रा की कंपनियों के लिए जाली नामों से खरीदे जाने के आरोप हैं।

मारुति घोटाला

पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और उनके बेटे संजय गांधी को यात्री कार बनाने का लाइसेंस मिला था। वर्ष 1973 में सोनिया गांधी को मारुति टेक्निकल सर्विसेज प्राइवेट लि. का एमडी बनाया गया, हालांकि सोनिया के पास इसके लिए जरूरी तकनीकी योग्यता नहीं थी। बताया जा रहा है कि कंपनी को सरकार की ओर से टैक्स, फंड और कई छूटें मिलीं थी।

मूंदड़ा स्कैंडल

कलकत्ता के उद्योगपति हरिदास मूंदड़ा को स्वतंत्र भारत के पहले ऐसे घोटाले के तौर पर याद किया जाता है। इसके छींटें प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू पर भी पड़े। दरअसल 1957 में मूंदड़ा ने एलआईसी के माध्यम से अपनी छह कंपनियों में 12 करोड़ 40 लाख रुपये का निवेश कराया था। यह निवेश सरकारी दबाव में एलआईसी की इंवेस्टमेंट कमेटी की अनदेखी करके किया गया। तब तक एलआईसी को पता चला उसे कई करोड़ का नुक़सान हो चुका था। इस केस को फिरोज गांधी ने उजागर किया, जिसे नेहरू ख़ामोशी से निपटाना चाहते थे। उन्होंने तत्कालीन वित्तमंत्री टीटी कृष्णामाचारी को बचाने की कोशिश भी की, लेकिन उन्हें अंतत: पद छोड़ना पड़ा।

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