Home झूठ का पर्दाफाश सीबीआई निदेशक पर कांग्रेस नेता खड़गे का दोहरा चरित्र उजागर

सीबीआई निदेशक पर कांग्रेस नेता खड़गे का दोहरा चरित्र उजागर

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सीबीआई के छुट्टी पर भेजे गए डायरेक्टर आलोक वर्मा को लेकर कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे का दोहरा चरित्र खुल कर सामने आ गया है। खड़गे ने आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजे जाने के केंद्र सरकार के फैसले को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को चिट्ठी लिखी है और सवाल उठाया है कि आखिर उन्हें इस तरह से अचानक क्यों छुट्टी पर भेजा गया। जबकि राज्यसभा में अपनी पार्टी के नेता के तौर पर साल 2017 में खड़गे ने आलोक वर्मा को सीबीआई चीफ बनाए जाने का कड़ा विरोध किया था। सवाल ये है कि जिस आलोक वर्मा को खड़गे सीबीआई चीफ बनते ही नहीं देखना चाहते थे उन्हें छुट्टी पर भेजे जाने से उन्हें ऐसी कौन सी परेशानी हो गई है।

खड़गे और कांग्रेस को दोहरा चरित्र उजागर
आपको ये जानकर हैरानी होगी कि पिछले साल यानी 2017 में प्रधानमंत्री, चीफ जस्टिस और नेता प्रतिपक्ष की तीन सदस्यीय चयन समिति ने सीबीआई प्रमुख के तौर पर आलोक वर्मा के नाम पर मुहर लगाई थी। लेकिन खड़गे इस फैसले से कतई खुश नहीं थे। उन्होंने चयन समिति के इस फैसले के खिलाफ प्रधानमंत्री मोदी को तीन पन्ने का पत्र लिखा था जिसमें भ्रष्टाचार के मामलों की जांच में वर्मा की अनुभवहीनता का जिक्र किया था साथ ही ये भी लिखा था कि निगरानी में भी उनका कार्यकाल महज 18 महीने का ही रहा। तब उन्होंने सीबीआई चीफ के तौर पर आरके दत्ता का समर्थन किया था और दोनों की तुलना करते हुए दत्ता को बेहतर बताया था। वर्मा को सीबीआई डायरेक्टर बनाने के फैसले पर खड़गे तब इतने खफा थे कि ये तक कह दिया था कि “इससे पता चलता है कि सीबीआई डायरेक्टर के चयन की प्रक्रिया संदिग्ध हो चुकी है और चयन समिति में फाइल पहुंचने से पहले ही नाम पर मुहर लग चुकी होती है।”

वर्मा का 2017 में विरोध, 2018 में समर्थन
खड़गे के दोहरे चरित्र की बानगी देखिए, 2017 में आलोक वर्मा के खिलाफ पीएम को तीन पन्ने का पत्र लिख चुके कांग्रेस के इस नेता ने अब उनके समर्थन में 4 पन्ने का पत्र पीएम को लिखा है। इस पत्र में उन्होंने साल 2017 के अपने पत्र से पूरी तरह यू-टर्न ले लिया है। खड़गे ने पीएम को लिखा है कि “वर्मा के खिलाफ न तो कोई एफआईआर दर्ज की गई है, ना ही कोई मुकदमा उनके खिलाफ चल रहा है और ना ही उस चयन समिति के किसी सदस्य ने कोई आपत्ति की है जिसने 2017 में उनका चयन किया था।”

कुल मिलाकर जिस आलोक वर्मा का खड़गे ने ये कहकर विरोध किया था कि सीबीआई डायरेक्टर पद के लिए उनके पास अनुभव नहीं है, इस पद की योग्यता नहीं है उनके पास, उन्हीं आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजने के सरकार के फैसले को वो पलटना चाहते हैं, वर्मा की तत्काल बहाली चाहते हैं।

क्या है कांग्रेस का गेम प्लान?
दरअसल आलोक वर्मा को लेकर अपनाया गया दोहरा रवैया खड़गे की सोची समझी साजिश का हिस्सा है। इस साजिश में पूरी कांग्रेस पार्टी जुटी हुई है। अपने इस खेल में कांग्रेस देशहित को भी ताक पर रखने से परहेज नहीं कर रही। राहुल गांधी ने तो सारी सीमाएं तोड़ दी हैं। सीबीआई के प्रकरण को लेकर वो लगातार ट्वीट कर रहे हैं और आलोक वर्मा को बलि का बकरा बता रहे हैं। हद तो ये है कि वो सीबीआई संकट को बिना किसी सिर पैर के राफेल डील से जोड़ रहे हैं। देश के लोकतांत्रिक मूल्यों के साथ इससे भला खिलवाड़ भला और क्या हो सकता है कि सीबीआई के निदेशक को छुट्टी पर भेजे जाने के सरकार के फैसले के खिलाफ कांग्रेस ने देश भर में विरोध मार्च निकाला। और तो और इस मार्च में स्वयं राहुल गांधी भी शामिल हो गए। सूत्र बता रहे हैं कि जैसे-जैसे विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चौकसी जैसे भगोड़ों को भारत लाने का प्रयास केंद्र सरकार तेज करती जा रही है राहुल गांधी की पेशानियों पर पड़े चिंता के बल गहराते जा रहे हैं। राहुल गांधी को डर है कि सरकार अगर माल्या, चौकसी और नीरव मोदी भारत वापस लाने में सफल हो गई को गांधी परिवार और कांग्रेस की पोल-पट्टी खुल जाएगी। क्योंकि इन भगोड़ों ने बैंकों का पैसा कांग्रेस के शासनकाल में ही लूटा जिसमें तत्कालीन यूपीए सरकार की मिलीभगत थी।

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