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अंतरिम बजट में समावेशी विकास और दूरदर्शी नेतृत्व की झलक दिखाई दी, अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए उठाए कदमों से इन सेक्टर्स को मिलेगा फायदा

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एनडीए सरकार के दूसरे कार्यकाल के इस अंतिम बजट में पीएम मोदी के विजन पर चलते हुए सरकार ने रेवड़ियां नहीं बांटीं, बल्कि रेस्पॉन्सिबिल बजट पेश करके अर्थ व्यवस्था को और मजबूती देने के लिए कदम उठाए हैं। चुनाव से ठीक पहले मोदी सरकार की यह दृढ़ता वाकई काबिले तारीफ है। मोदी सरकार की हैट्रिक के लिए पूरी तरह विश्वस्त वित्त मंत्री ने इसलिए कहा कि अभी इकोनॉमी को मजबूती देनी है। इसके बाद किसको क्या देना है, वह हम जुलाई में तय करेंगे। यही वजह है कि इस बजट में चुनावी घोषणाएं नहीं हुई, बल्कि इन्फ्रास्ट्रक्चर और आर्थिक गतिविधियों के इकोसिस्टम को बढ़ावा देने की राह सशक्त हुई है। जाहिर है कि इससे देश को अलग-अलग सेक्टर की कंपनियों को कारोबार करने में आसानी होगी, जिससे निवेश का माहौल मजबूत होगा। इससे आने वाले महीनों में शेयर बाजार और इकोनॉमी को मजबूती मिलेगी। कैपिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर का सबसे ज्यादा फायदा मुख्यतः इन्फ्रास्ट्रक्चर, एनर्जी और टेक्नोलॉजी सेक्टर की कंपनियों को होगा।

जेंडर बजट पर सरकार अब तक का सबसे अधिक खर्च करेगी
पीएम मोदी का विजन युवाशक्ति और महिलाओं के निरंतर सशक्तिकरण का है। इसे देखते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के अंतरिम बजट में जेंडर बजट पर सरकार का खर्च अब तक का सबसे अधिक होगा। इस अंतरिम बजट में महिलाओं से जुड़ी योजनाओं और प्रोग्राम के लिए 3.1 लाख करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। पिछले वित्तीय वर्ष में यह राशि 2.2 लाख करोड़ रुपए थी। आवंटन में इस बढ़ोतरी के साथ जेंडर बजट अब केंद्र के कुल खर्च का 6.5% है, जो अब तक का सर्वाधिक आवंटन है। दो दशकों में यह औसतन 4.8% रहा है। 2023-24 के संशोधित अनुमान के अनुसार, सरकार जेंडर बजट को 116.5% से अधिक बढ़ाकर 2.6 लाख करोड़ से अधिक खर्च कर सकती है।

इन्फ्रा खर्च से बाजार, इकोनॉमी और शेयर मार्केट को मिलेगी मजबूती
बजट घाटा जो अभी जीडीपी का 5.8 फीसदी है, उसे घटाकर 4.5 फीसदी तक लाने का लक्ष्य रखा गया है। यह कोरोना के समय में 9.2% तक था। जाहिर है कि इस कदम से सरकार के पास खर्च करने के लिए ज्यादा पैसा होगा। इससे क्रेडिट रेटिंग में सुधार होगा। एक तरफ निवेश बढ़ने के आसार हैं और दूसरी तरफ कंपनियों पर लगने वाला कॉरपोरेट टैक्स भी नहीं बढ़ा है, जोकि कोराना काल में घटाया गया था। इससे कंपनियों को विस्तार करने या शुद्ध मुनाफा कमाने में पहले के मुकाबले आसानी हो सकती है। इससे अलावा रिसर्च एंड डेवलपमेंट के लिए घोषित किए गए 1 लाख करोड़ रु. के फंड का फायदा भी कॉपोरेंट सेक्टर को ही मिलेगा। इससे बेनड्रेन में काफी हद तक कमी आ सकती है। दूसरी ओर पावर, रोड्स, पोर्ट, एयरपोर्ट और टेलीकॉम कंपनियों के लिए इस बजट में काफी कुछ है।

पीएम मोदी ने अपने दूरदर्शी विजन से आबादी की चुनौती को अभी से समझा
आबादी के मामले में हम पिछले साल ही दुनिया में नंबर वन बन गए हैं। आबादी की रफ्तार युवा वर्क फोर्स देने के साथ-साथ कई चुनौतियां भी लाती है। जनसंख्या नियंत्रण तथा जनसंख्या संबंधी समस्याएं भारतीय अर्थव्यवस्था की एक प्रमुख समस्या बन सकती है। पीएम मोदी ने अपने दूरदर्शी विजन से इसे अभी से समझा है। इसीलिए बढ़ती आबादी के मद्देनजर एक समिति बनाने का निर्णय लिया है। यह इस बजट की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। इसके दूरगामी परिणाम निकलेंगे। इंफ्रास्ट्रक्चर पर 11 फीसदी ज्यादा खर्च किया जाएगा, जिससे रोजगार को भी बढ़ावा मिलेगा। सोलर ऊर्जा तथा ब्लू इकोनॉमी के विकास पर जोर दिया गया है।

विकास और आर्थिक स्थिरता में सामंजस्य रखने वाले लीडर की बनी इमेज
सबसे खास बात यह है कि अंतरिम बजट में सामाजिक न्याय के साथ-साथ राजकोषीय अनुशासन पर भी फोकस है। दीर्घकालिक विकास के लिए आर्थिक स्थिरता जरूरी शर्त है। सरकार इस वर्ष राजकोषीय घाटे को 5.9% पर लाने के लिए प्रतिबद्ध है क्योंकि यह मध्यम अवधि में 4.5% की ओर बढ़ रहा है। इसने घरेलू और विदेशी, दोनों निवेशकों का विश्वास मजबूत किया है। माना जा रहा था कि चुनावी वर्ष में सरकार लोक-लुभावन घोषणाएं करेगी। लेकिन प्रधानमंत्री ने एक बार फिर ‘सरप्राइज’ देते हुए राजकोषीय सेहत का ध्यान वाले और व्यापक आर्थिक स्थिरता में विश्वास रखने वाले लीडर के रूप में अपनी प्रतिष्ठा बढ़ाई है।पूंजीगत व्यय में राज्यों को भागीदार बनाने से हो रहा चौतरफा विकास
किसी भी देश के लिए विकास और आर्थिक स्थिरता में सामंजस्य बिठाना वाकई आसान नहीं होता। लेकिन पीएम मोदी ने ऐसा कर दिखाया है। इसके अलावा अंतरिम बजट में जलवायु परिवर्तन और उसके प्रभावों से निपटने के कई उपायों के जरिए किसानों, युवाओं और महिलाओं पर जोर दिया गया है। अंतरिम बजट का यह अहम पहलू है। पूंजीगत व्यय में 11% की बढ़ोतरी से विकास में तेजी आएगी। बढ़े हुए पूंजीगत व्यय में राज्यों को भागीदार बनाना सराहनीय है। पिछले साल राज्यों को इसके लिए ब्याज मुक्त ऋण के रूप में 1 लाख करोड़ रुपए से अधिक के आवंटन का 90% उपयोग किया गया। इससे जाहिर है कि राज्य सरकारें भी विकास से लाभान्वित हो रही है।

सोलर पैनल लगाने से गांवों को भी पर्याप्त बिजली मिलेगी
मोदी सरकार के इस दूसरे टर्म की एक और बड़ी उपलब्धि यह भी है कि कोई बड़ा कर बदलाव किए बिना कर संग्रह बढ़ा है। इस वर्ष इसके जीडीपी का 18% तक होने की संभावना है। जब पूर्ण बजट आएगा तो करों और दरों को तर्कसंगत बनाने की और भी गुंजाइश होगा। राजस्व में इस बढ़ोतरी से राज्यों और केंद्र सरकार दोनों को लाभ होगा। एक करोड़ छतों पर सोलर पैनल लगाने से गांवों को भी पर्याप्त बिजली मिलेगी और इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी। इतना ही नहीं तीन सौ यूनिट बिजली उत्पादित होने के चलते लोग सौर ऊर्जा की बिजली को बेचकर कमाई भी कर सकेंगे।

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