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कांग्रेस और टेलीग्राफ का प्रोपेगेंडा : जयपुर-मुंबई ट्रेन फायरिंग में मुस्लिमों के मारे जाने को दिया मजहबी और सियासी रंग

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कांग्रेस झूठी और मनगढ़ंत खबरों की फैक्ट्री है। इस फैक्ट्री में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी सरकार को बदनाम करने के लिए तरह-तरह के फर्जी खबर तैयार किए जाते हैं। इसको प्रचारित और प्रसारित करने में कांग्रेस का पूरा इकोसिस्टम एक समय पर एकसाथ सक्रिय हो जाता है। इस इकोसिस्टम में कांग्रेस का आईटी सेल, नेता, कार्यकर्ता, दरबारी पत्रकार, मोदी विरोधी मीडिया और ट्रोलर शामिल है। इनके जरिए कांग्रेस फैक्टी से निकली फर्जी खबर देखते ही देखते वायरल हो जाती है। इसी तरह जयपुर-मुंबई ट्रेन में फायरिंग की घटना को मजहबी और सियासी रंग देकर फैलाया जा रहा है। आरपीएफ के एएसआई और कॉन्सटेबल के आपसी झगड़े की वजह से हुई फायरिंग में मुस्लिम यात्रियों की मौत हो गई। लेकिन कांग्रेस और ‘द टेलीग्राफ’ का गठजोड़ प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ प्रोपेगेंडा में लगा हुआ है। 

कांग्रेस और ‘द टेलीग्राफ’ का गठजोड़ कर रहा लोगों को गुमराह

जयपुर-मुंबई पैसेंजर ट्रेन फायरिंग में गोली लगने से चार लोगों की मौत हो गई, जिनमें दो मुस्लिम शामिल है। मुस्लिमों के मारे जाने से सियासत भी शुरू हो गई है। कांग्रेस के मुखपत्र के रूप में बदनाम ‘द टेलीग्राफ’ ने इस घटना को सियासत से जोड़ते हुए ‘Modi on lips’, hate kills’ शीर्षक से एक खबर प्रकाशित की है। इस खबर में कॉन्स्टेबल चेतन का हवाला देते हुए  ‘द टेलीग्राफ’ ने लिखा, “अगर आप वोट देना चाहते हैं, अगर आप हिन्दुस्तान में रहना चाहते हैं, तो आपको मोदी और योगी कहना होगा।” अब कांग्रेस के नेता इस खबर का स्क्रिनशॉट लेकर सोशल मीडिया में शेयर कर रहे हैं। जिस घटना से प्रधानमंत्री मोदी और उनकी राजनीति का कोई लेनादेना नहीं है, उससे जोड़कर कांग्रेस राजनीतिक रोटियां सेंक रही हैं। मुस्लिम तुष्टिकरण में अंधी कांग्रेस की नेता रागिनी नायक ‘द टेलीग्राफ’ की खबर को शेयर करते हुए तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश कर रही है और नफ़रत पर ज्ञान देती नजर आ रही है।

मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए प्रोपेगेंडा का सहारा

कांग्रेस की प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत भी इस घटना को लेकर आग उगलने से पीछे नहीं है। जिस तरह वह टीवी चैनल पर बहस के दौरान अपने कुतर्कों और अपनी बदजुबानी से प्रोपेगेंडा करने की कोशिश करती है, उसी तरह इस घटना को सियासी रंग देने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। सोशल मीडिया में एक वीडियो शेयर करते हुए सुप्रीया श्रीनेत ने प्रधानमंत्री मोदी और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर जमकर अपनी भड़ास निकाली। हालांकि इस घटना में मारे गए चार लोगों में से दो मुस्लिम है, फिर भी मुस्लिम तुष्टिकरण की वजह से वो जनता को गुमराह करने की कोशिश कर रही है। प्रधानमंत्री मोदी और सीएम योगी के खिलाफ बेबुनियाद आरोप लग रही है। यह कांग्रेस की नफरत को दर्शाता है।

एएसआई और कॉन्स्टेबल के बीच कहासुनी बनी घटना की वजह

गौरतलब है कि जयपुर-मुंबई पैसेंजर ट्रेन (ट्रेन नंबर 12956) 31 जुलाई, 2023 को गुजरात से मुंबई आ रही थी। पालघर स्टेशन पार करने के बाद ट्रेन जब वापी से बोरीवली – मीरा रोड स्टेशन के बीच पहुंची तो कोच नंबर बी 5 में सुबह 5.23 बजे किसी बात को लेकर आरपीएफ के एएसआई टीकाराम और कॉन्स्टेबल चेतन के बीच कहासुनी हो गई। गुस्से में आकर कॉन्स्टेबल चेतन ने अपनी सर्विस गन से पहले एएसआई टीकाराम को गोली मारी और फिर अन्य तीन यात्रियों पर फायरिंग कर दी। इस फायरिंग में गोली लगने से चार लोगों की मौत हो गई। फायरिंग के बाद कॉन्स्टेबल चेतन ट्रेन में ही मौजूद रहा, जिसे मीरा रोड बोरीवली के बीच जीआरपी मुम्बई के जवानों ने गिरफ्तार कर लिया और उसके बाद आरोपी को बोरीवली पुलिस स्टेशन में लाया गया। आरोपी कांस्टेबल एस्कोर्ट ड्यूटी पर तैनात था। 

एडीजी (आरपीएफ) की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय जांच समिति गठित

ट्रेन में अचानक हुई इस गोलीबारी से यात्रियों में हड़कंप मच गया था। इस फायरिंग की फिलहाल जांच चल रही है। घटना की व्यापक जांच करने के लिए एडीजी (आरपीएफ) की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति गठित की गई है। यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि कॉन्स्टेबल चेतन ने इतनी बड़ी घटना को क्यों अंजाम दिया। रेलवे ने मृतकों के परिजनों को मुआवजे देने का एलान किया है। पश्चिमी रेलवे ने कहा है कि दिवंगत एएसआई के परिजनों को 15 लाख रुपए रेलवे सुरक्षा कल्याण निधि, 15 लाख रुपए मृत्यु या रिटायरमेंट निधि से दिए जाएंगे। इनके अलावा मृतक के परिजनों को 20 हजार रुपए अंतिम संस्कार के लिए और 65 हजार रुपए इंश्योरेंस योजना के तहत दिए जाएंगे। 

आइए देखते हैं इससे पहले कांग्रेस और ‘द टेलीग्राफ’ का गठजोड़ प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार को बदनाम करने के लिए किस तरह प्रोपेगेंडा में शामिल रहा है….

मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना जाता है। भारतीय संविधान द्वारा भारतीय मीडिया को दी गई स्वतंत्रता की प्रशंसा पूरी दुनिया में होती है, लेकिन कुछ मीडिया हाउस खुले तौर पर येलो जर्नलिजम कर देश और सरकार की साख को बट्टा लगा रही है। परफॉर्म इंडिया सबूतों के साथ आपको बता रहा है कि कैसे अंग्रेजी अखबार ‘द टेलीग्राफ’ खबरों को गलत तरीके से पेश कर मोदी सरकार और भारत की छवि को देश-दुनिया में नुकसान पहुंचा रहा है। 

सबूत नंबर-1 

भारत और चीन के बीच जारी टकराव के दौरान कांग्रेस और वामपंथी मीडिया ‘द टेलीग्राफ’ चीनी एजेंडे के तहत मोदी सरकार को बदनाम करने में लगे थे। इसके लिए वे झूठी खबरों को आधार बनाकर सरकार पर निशाना साध रहे थे। ‘द टेलीग्राफ’ में ‘China loan horse without a mouth‘ शीर्षक से एक रिपोर्ट प्रकाशित की गई थी, जिसमें कहा गया था कि भारत ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (PMGKY) के तहत किए गए उपायों का समर्थन करने के लिए $750 मिलियन के लिए एशियन इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक के साथ एक ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किए।

रिपोर्ट में कहा गया कि PLA पर जारी गतिरोध के बीच भारत ने बैंक से 1,350 मिलियन डॉलर के दो ऋण लिए, जिसमें बीजिंग बहुसंख्यक शेयरधारक है। द टेलीग्राफ ने अपने लेख में लिखा, “गलवान नरसंहार (जिसमें चीन को भी काफी हताहतों का सामना करना पड़ा) के चार दिन बाद 19 जून को, भारत ने AIIB के साथ कोरोना वायरस के संकट के लिए 750 मिलियन डॉलर के ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किए। यह वह दिन भी था जब प्रधानमंत्री मोदी ने “no-intrusion” का दावा किया था।”

लेख में आगे कहा गया, “8 मई को, ऐसे समय में जब पूर्वी लद्दाख में कई बिंदुओं पर चीनी घुसपैठ की पहली रिपोर्ट आनी शुरू हो गई थी, भारत सरकार द्वारा काफी हद तक इसे नजरअंदाज कर दिया गया था। भारत सरकार ने महामारी से लड़ने के लिए AIIB से 500 मिलियन डॉलर का अन्य ऋण लिया गया था।” हैरानी की बात है कि राहुल गांधी और द टेलीग्राफ ने एशियन इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक को चीनी बैंक करार दिया। साथ ही झूठ फैलाने और लोगों को गुमराह करने के लिए तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश किया। उन्होंने ये नहीं बताया कि यह बैंक (AIIB) चीन से बाहर है और एक बहुपक्षीय संस्था हैं, जिसमें 100 से अधिक सदस्य हैं।

सबूत नंबर-2 

11 फरवरी,2020 को दिल्ली विधानसभा के नतीजे सामने आने के बाद टेलीग्राफ ने CURRENTJRIWAL शीर्षक से मुख्य पृष्ठ पर खबर लगाई। इस खबर में पीएम नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को करंट लगते हुए कार्टून छाप कर कहा गया कि नफरत की राजनीति का अंत। खबर को अमित शाह के चुनाव के दौराान दिए बयान को प्रमुखता से स्थान दिया गया लेकिन दिल्ली चुनाव के दौरान दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया द्वारा शाहीन बाग और टुकड़े टुकड़े वाले बयान को नजरअंदाज कर दिया गया। 

सबूत नंबर-3

11 दिसंबर,2019 को राज्यसभा से नागरिकता संशोधन कानून बिल पास होने के बाद टेलीग्राफ अखबार ने निगेटिव खबर छापकर मुख्य पृष्ठ पर OUR TRYST WITH THE DARK AGES शीर्षक दिया। इस खबर में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ पूर्वोतर राज्यों में हिंसा और भाजपा के सहयोगी दलों में बेचैनी के बारे में लिखा गया।  

सबूत नंबर-4 

अयोध्या श्रीराम जन्मभूमि पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद टेलीग्राफ ने 10 नवंबर को हेडलाइन IN THE NAME OF RAM, THE SITE IS NOW HINDU STHAN लगाई। कोर्ट के फैसले के बाद अखबार ने रिपोर्ट में शनिवार को फैसला सुनाने को लेकर कमेंट किया, क्योंकि शनिवार को छुट्टी होती है। इस रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि यह पहली बार है कि किसी फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश ने किसी राज्य के चीफ सेक्रेटरी और पुलिस डायरेक्टर जनरल से मुलाकात की। इसके साथ फैसले के बाद पांच जजों के एक फाइव स्टार होटल में डिनर करने की भी बात लिखी गई। 

सबूत नंबर-5

जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35 A हटाने के बाद मोदी सरकार के फैैसले का देशभर में स्वागत हुआ, लेकिन कोलकाता से छपने वाला अखबार टेलीग्राफ ने मुख्य पृष्ठ पर PARTITION नाम से खबर लगाई। इस खबर में रामचंद्र गुहा जैसे लोगों के जरिए केंद्र सरकार के फैसले की गलत ठहराने की कोशिश की गई। हेडलाइन का शीर्षक PARTITION of minds and state, this time by the largest democracy on the planet, without asking J&K से लगाया गया।  

सबूत नबंर-6 

झारखंड चुनाव के बाद टेलीग्राफ अखबार ने Hemant unseats BJP शीर्षक से खबर लगाई। बेंगलुरू में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ विरोध मार्च के साथ इस खबर की हेडलाइन The day thousands resolved not to submit documents and Jharkhand denied Modi-Shah a chance to divert attention बनाई गई। जिसका ये मतबल निकलता है कि झारखंड के लोगों ने सीएए कानून के खिलाफ वोटिंग कर बीजेपी को सत्ता से बेदखल कर दिया। 

सबूत नबंर-7  

टेलीग्राफ के येलो जर्नलिज्म का एक और उदाहरण यह है कि हरियाणा और महाराष्ट्र चुनाव के नतीजे पर अखबार ने हेडलाइन ABROGATTED ARROGANCE 370 से हेडलाइन लगाई। अखबार ने लिखा है कि आर्थिक राजधानी यानि मुंबई में भाजपा पूरी तरह विखर गई, हालांकि महाराष्ट्र चुनाव में भाजपा और शिवसेना का गठबंधन को पूर्ण बहुमत मिला लेकिन इसके बावजदू अखबार ने इस तरह खबर लगाई। 

सबूत नंबर-8

31 जुलाई 2019 को राज्यसभा से तीन तलाक बिल पास हुआ लेकिन टेलीग्राफ अखबार ने इस खबर को कोई महत्व नहीं दिया। इसके बदले Cafe Coffee Day founder missing खबर लगाई गई और तीन तलाक पर एक छोटी खबर बनाकर अखबार ने अपने काम का इतिश्री कर लिया। 

 

 

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