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जन आंदोलन बन चुका है स्वच्छ भारत अभियान, अक्षय कुमार ने लांच किया विज्ञापन अभियान

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में स्वच्छ भारत अभियान एक जन आंदोलन बन चुका है। स्वच्छ भारत मिशन के तहत अब तक ग्रामीण भारत में 6.8 करोड़ से भी ज्यादा शौचालयों का निर्माण किया गया है। ग्रामीण इलाकों में दोहरे गड्ढों वाली शौचालय प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने के लिए अभिनेता अक्षय कुमार ने रविवार को दिल्ली में स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के लिए एक विज्ञापन अभियान को लांच किया। इस विज्ञापन में अक्षय कुमार के साथ अभिनेत्री भूमि पेडनेकर भी शामिल हैं। दोहरे गड्ढों वाली शौचालय प्रौद्योगिकी का आविष्कार भारत में किया गया था और यह ग्रामीण भारत के लिए सबसे उपयुक्त शौचालय तकनीक है। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2 अक्टूबर 2014 को साफ-सफाई को बढ़ावा देने के लिये स्वच्छ भारत अभियान शुरू करते हुये खुद हाथों में झाड़ू थामी थी तो पूरे देश ने हाथ में झाड़ू थाम लिया था। पीएम मोदी ने सफाई के प्रति देश में लोगों में जागरूकता और सकारात्मक सोच लाने का प्रयास किया, और आज यह अभियान स्वतंत्र भारत का बहुत ही महत्वपूर्ण जन आंदोलन बन चुका है। देश को स्वच्छ करने की जो पहल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की, वैसा पहले कभी किसी ने नहीं सोचा था।

अभियान की शुरुआत करते हुए उस दिन श्री नरेंद्र मोदी ने कहा था, “2019 में महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के अवसर पर भारत उन्हें स्वच्छ भारत के रूप में सर्वश्रेष्ठ श्रद्धांजलि दे सकता है।” स्वच्छ भारत अभियान के शुरू हुए अभी चार साल भी नहीं हुए हैं, लेकिन स्वच्छता के प्रति देश सजग हो गया है, साफ-सफाई के प्रति सोच बदल गई है।

जब पीएम ने स्वयं उठाया झाड़ू
महात्मा गांधी के सपने को साकार करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने दिल्ली के मंदिर मार्ग पुलिस स्टेशन के पास स्वयं झाड़ू उठाकर स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की थी। फिर वो वाल्मिकी बस्ती पहुंचे और वहां भी साफ-सफाई की और कूड़ा उठाया। उन्होंने इस अभियान को जन आंदोलन बनाते हुए देश के लोगों को मंत्र दिया था, ‘ना गंदगी करेंगे, ना करने देंगे’।

9-9 लोगों को आमंत्रण
इस अभियान को गति देने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने समाज के हर वर्ग से 9-9 लोगों और संस्थाओं को आमंत्रित करना शुरू किया, जिसने धीरे-धीरे एक बहुत बड़ी श्रृंखला का रूप धारण कर लिया। देश में एक से बढ़कर एक लोग इस अभियान से जुड़ते चले गए और स्वच्छ भारत अभियान एक राष्ट्रीय आंदोलन बनता चला गया।

पीएम ने स्वयं कुदाल उठाकर की सफाई
पीएम मोदी का सपना साकार होने लगा और स्वच्छ भारत अभियान के चलते लोगों में साफ-सफाई के प्रति एक जिम्मेदारी की भावना आ गई। प्रधानमंत्री इस कार्य को और आगे बढ़ाते रहे, वो अपने निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी पहुंचे और वहां भी खुद आगे बढ़कर सफाई अभियान को गति देने का काम किया। पीएम मोदी ने काशी के अस्सी घाट पर गंगा के किनारे कुदाल से साफ-सफाई की। इस मौके पर भारी संख्या में स्थानीय लोगों ने स्वच्छ भारत अभियान में उनका साथ दिया।

हर वर्ग का मिल रहा है साथ
देश में साफ-सफाई के इस विशाल जन आंदोलन में समाज के हर वर्ग के लोगों और संस्थाओं ने साथ दिया। सरकारी अधिकारियों से लेकर, सीमा की रक्षा में जुटे वीर जवानों तक, बॉलीवुड कलाकारों से लेकर नामचीन खिलाड़ियों तक, बड़े-बड़े उद्योगपतियों से लेकर आध्यात्मिक गुरुओं तक, सभी इस पवित्र कार्य से जुड़ते चले गए। इसमें अमिताभ बच्चन, सचिन तेंदुलकर, सानिया मिर्जा, साइना नेहवाल और मैरी कॉम जैसी हस्तियों के योगदान बेहद सराहनीय हैं।

‘मन की बात’ में सराहना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ‘मन की बात’ में लगातार देश के विभिन्न व्यक्तियों और संगठनों के उन प्रयासों की सराहना की है, जिसने स्वच्छ भारत अभियान को व्यापक रूप से सफल बनाने में मदद की है।

ओडीएफ गांव का हर परिवार बचाता है 50 हजार रुपये
यूनिसेफ ने अनुमान व्यक्त किया है कि स्वच्छता का अभाव हर साल भारत में 1,00,000 से भी अधिक बच्चों की मौत के लिए जिम्मेदार है। यूनिसेफ द्वारा कराए गए एक अन्य अध्ययन में यह अनुमान व्यक्त किया गया है कि भारत के किसी भी ओडीएफ गांव का हर परिवार प्रत्येक साल 50,000 रुपये की बचत करने में सफल हो जाता है क्योंकि वह बीमारी के इलाज में होने वाले खर्चों से बच जाता है और इसके साथ ही ऐसे परिवारों के सदस्यों के बीमार न पड़ने से आजीविका की बचत भी होती है।

खुले में शौच से मुक्ति की ओर देश
साफ है कि प्रधानमंत्री मोदी ने जब स्वच्छ भारत अभियान शुरू किया था, तब देश का एक भी राज्य खुले में शौच की समस्या से मुक्त नहीं था। साल 2014 के बाद से इस स्थिति में जबरदस्त बदलाव आया है, देश के 78.98 प्रतिशत के क्षेत्र पर शौचालयों का विस्तार हुआ। 31 मार्च 2018 तक के आंकड़े बताते हैं कि देश के 266 जिलों के 3 लाख 40 हजार गांवों में, 6.8 करोड़ शौचालयों का निर्माण केन्द्र सरकार के स्वच्छता अभियान के तहत किया जा चुका है। इन शौचालयों के बन जाने से लोगों के व्यवहार में भी परिवर्तन आने लगा और खुले में शौच जाना भी बंद हो गया। 31 मार्च 2018 तक के आंकड़ों से यह तस्वीर उभरती है कि देश में आधे से अधिक शहर यानि 2477 शहरों में खुले में शौच से मुक्ति हो चुकी है। शहरों में चल रहे स्वच्छता आंदोलन से 46 लाख 36 हजार 158 व्यक्तिगत और 3 लाख 6 हजार 64 सामुदायिक व सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण कर दिया गया है। इस सामाजिक बुराई से बाहर निकलना इतना आसान नहीं है, लेकिन इसे सफल बनाने में आम लोगों का मिल रहा योगदान बहुत ही सराहनीय है। इस समस्या के प्रति लोग बहुत अधिक जागरूक हो चुके हैं और उन्हें जिस तरह से सरकार से मदद मिल रही है उससे लगता है कि 2 अक्टूबर 2019 से बहुत पहले ही ये मिशन पूरा हो जाएगा।

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