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तीन साल में तीन पीढ़ियों का अनुशासन बन गया योगासन

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दुनिया तीसरे अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की तैयारियों में जुटी है। 21 जून, 2015, यही वो दिन था जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर पहली बार विश्व भर के देश योग के माध्यम से आपस में जुड़ गए। इन तीन सालों में योग ने दुनिया भर के लोगों को अपने तन-मन की सहज अनुभूति का अवसर दिया है। जिन लोगों ने सक्रिय रूप से योग को अपनाया है, सृष्टि को देखने का उनका नजरिया बदल गया है। इसका परिणाम ये हुआ है कि भारत की अनमोल संस्कृति के प्रति मानव मात्र का रुझान एवं लगाव और भी गहरा होता जा रहा है।

पहला अंतरराष्ट्रीय योग दिवस
दुनिया भर में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने की शुरुआत 21 जून, 2015 को हुई थी। प्रधानमंत्री मोदी ने दिल्ली में खुद इसकी अगुवाई की। तब किसी ने नहीं सोचा था कि इस दिन राजपथ, योगपथ में परिवर्तित हो जाएगा। पूरा राजपथ योगाभ्यासियों से भरा हुआ था। एक साथ, एक मुद्रा में हजारों की संख्या में लोगों के योग करने से पूरे वातावरण में एक सकारात्मक शांति महसूस हो रही थी। जिन लोगों को भी प्रधानमंत्री मोदी जी के साथ योग करने का मौका मिला वो इतने खुश थे, जैसे कि उनका जीवन सफल हो गया हो। मन, बुद्धि, आत्मा और शरीर के संतुलन के एहसास से लोग गदगद थे। आधे घंटे से अधिक चले इस कार्यक्रम में लोगों ने 21 योग मुद्राओं में आसन किए। इस कार्यक्रम में दुनिया के कई देशों के प्रतिनिधि भी शामिल हुए थे। एक साथ इतने लोगों के योग और लगभग 85 देशों के प्रतिनिधियों के एक साथ एक स्थान पर आसन-प्राणायाम के चलते उस दिन दो गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड भी बने। योग की लगभग ऐसी ही प्रक्रिया विश्व के 193 देशों में मजे हुए योग गुरुओं और योग प्रशिक्षकों के निर्देशन में भी अपनाई गई।

“मैं आज UNO का आभार व्‍यक्‍त करता हूं। दुनिया की 193 countries का आभार व्‍यक्‍त करता हूं, जिन्‍होंने सर्वसम्‍मति से इस प्रकार के प्रस्‍ताव को पारित किया और मैं उन 177 देशों का आभार व्‍यक्‍त करता हूं जिन्होंने co-sponsor बनकर के योग के महत्व को स्‍वीकारा और आज सूरज की पहली किरण जहां से प्रारंभ हुई और चौबीस घंटे के बाद सूरज की आखिरी किरण जहां पहुंचेगी। सूरज की कोई भी किरण ऐसी नहीं होगी, सूरज की कोई यात्रा ऐसी नहीं होगी कि जिन्हें इन योग अभ्यासियों को आशीर्वाद देने का मौका न मिला हो।” नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री, 21 जून, 2015,दिल्ली

दूसरा अंतरराष्ट्रीय योग दिवस
प्रधानमंत्री मोदी ने 21 जून, 2016 को दूसरे अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की अगुवाई चंडीगढ़ में की। इस अवसर पर 30 हजार से अधिक लोगों का एक साथ योग करने से पूरा कैपिटल कॉम्‍प्‍लेक्‍स योगमय हो गया। इस अवसर पर पीएम ने देश में डायबिटीज के मरीजों की बढ़ती संख्या पर चिंता जताई। उन्होंने इस बात पर जोर दिया था कि अगर नियमित योग किया जाय तो डायबिटीज जैसी बीमारियों पर आसानी से नियंत्रण रखा जा सकता है। उन्होंने बताया कि योग एक तरह से जीरो प्रीमियम में हेल्थ इंश्योरेंस है। तब प्रधानमंत्री ने मौजूदा साल से योग पर बेहतर कार्य के लिए दो अवॉर्ड की घोषणा भी की थी। एक अंतरराष्ट्रीय योग अवॉर्ड और दूसरा राष्‍ट्रीय योग अवॉर्ड। चंडीगढ़ के अलावा दुनिया भर में भी लाखों लोग उस दिन योग के कार्यक्रम में शामिल हुए और प्रशिक्षित लोगों की देखरेख में आसन और प्राणायाम किया।

“योग परलोक के लिए नहीं है। मृत्‍यु के बाद क्‍या मिलेगा, इसका रास्‍ता योग नहीं दिखाता है और इसलिए ये धार्मिक कर्मकांड नहीं है। योग इहलोक में तुम्‍हारे मन को शान्‍ति कैसे मिलेगी, शरीर को स्‍वस्‍थता कैसे मिलेगी, समाज में एकसूत्रता कैसे बनी रहेगी, उसकी ताकत देता है। ये परलोक का विज्ञान नहीं है, इसी इहलोक का विज्ञान है। इसी जन्‍म में क्‍या मिलेगा, उसका विज्ञान है।” नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री, 21 जून, 2016,चंडीगढ़

तीसरा अंतरराष्ट्रीय योग दिवस
इस साल भी 21 जून को तीसरे अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने की तैयारियां चल रही हैं। अबकी बार प्रधानमंत्री मोदी लखनऊ में रहेंगे और हजारों लोगों के साथ योग करेंगे। न्यूज पोर्टल जी के अनुसार अंबेडकर मैदान में आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम में 55 हजार से अधिक लोगों के शामिल होने की संभावना है। इस कार्यक्रम के लिए लखनऊ के लोगों में भारी उत्साह है। स्थानीय लोग जाति और धर्म से ऊपर उठकर एक साथ योग करने के लिए उत्सुक नजर आ रहे हैं।

सबसे बड़ी बात है कि प्रधानमंत्री की अपील पर अब मुस्लिम समुदाय के लोग भी भारी संख्या में योग करने को तैयार होने लगे हैं, जो अब तक जानकारी के अभाव में इसके लिए तैयार नहीं थे। इनमें बड़ी संख्या मुस्लिम महिलाओं की भी है जो योग करने के लिए तैयार बैठी हैं। योग को अपना रहे मुस्लिमों का कहना है कि योग नहीं करने की अपील करने वाले लोग समाज को तोड़ना चाहते हैं। वो दावा करते हैं कि मुस्लिम 1450 ई. से योग करते आ रहे हैं। यह धर्म से परे है और स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी भी। योग देश ही नहीं दुनिया को जोड़ रहा है। ऐसे में मुसलमान इससे अलग क्यों रहें? दरअसल विश्व योग दिवस मनाने के लिए ‘मन की बात’ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के लोगों से बढ़-चढ़कर शामिल होने की अपील की है। इसी अपील से प्रेरित होकर यूपी के मुसलमानों ने भी अब योग दिवस पर बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेने का निर्णय लिया है।

तीन साल पर तीन पीढ़ियों के साथ योग
28 मई को अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने लोगों से एक विशेष अपील की है। उन्होंने कहा है कि, हर परिवार की तीन पीढ़ियां एक साथ योग करें। मतलब दादा-दादी या नाना-नानी और नई पीढ़ी के बच्चों के साथ परिवार की तीनों पीढ़ियां एक साथ योग करें। उन्होंने लोगों से कल, आज और कल की ये तस्वीरें Narendra Modi App और MyGov पर भेजने की भी अपील की है। पीएम के अनुसार योग दिवस के माध्यम से भारत बिखराव के शिकार रहे विश्व जगत को एक सूत्र में पिरोने में सफल हो रहा है। उन्होंने कहा कि बहुत कम समय के भीतर विश्व के कोने-कोने में योग फैल चुका है। जीवन शैली और तनाव के बीच योग की भूमिका आज और बढ़ गई है। योग सिर्फ व्यायाम नहीं है, इसमें Wellness और Fitness की गारंटी भी है। पीएम ने देशवासियों से तुरंत योग की प्रैक्सिटस में जुट जाने और इसके विषय को खूब प्रचारित-प्रसारित करने का भी आह्वान किया है।

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