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राजस्थान की कांग्रेस सरकार में हिन्दू असुरक्षित, टोंक जिला के मुस्लिम बहुल इलाकों में उत्पीड़न से हिन्दू पलायन को मजबूर, पीएम मोदी को पत्र लिखकर लगाई बचाने की गुहार

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राजस्थान में धर्मनिरपेक्षता का झंडाबरदार कांग्रेस की सरकार है। लेकिन राज्य के टोंक जिला का मालपुरा कस्बा मिनी पाकिस्तान बन चुका है। यहां के अल्पसंख्यक बहुल इलाकों में रह रहे हिंदू परिवार अपने मकान और दुकान बेचकर पलायन कर रहे हैं। कुछ परिवारों की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है, वे मजबूरी में अल्पसंख्यक बहुल इलाकों में रह रहे हैं। यहां वार्ड 12 और 21 के हिन्दू परिवारों ने सोमवार और मंगलवार को अचानक अपने अपने घरों के बाहर पोस्टर टांग कर अपने आपको मुस्लिमों से खुद का जीवन खतरे में बताया। साथ ही मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री से बचाने की गुहार लगाई।

पीड़ित परिवारों का कहना है कि मजबूरी में उन्हे पलायन करना पड़ रहा है। मंगलवार को इन परिवारों के करीब 100 लोगों ने कस्बे में रैली निकालकर उपखंड अधिकारी को ज्ञापन दिया। ज्ञापन में अल्पसंख्यक बहुल इलाकों में हिंदुओं के साथ मारपीट और महिलाओं के साथ बदसलूकी किए जाने का आरोप लगाया गया। इस रैली के बाद उपखंड प्रशासन भी हरकत में नजर आया और उसने पीड़ित परिवारों को सुरक्षा देने की जगह उन्हें शहर का सांप्रदायिक सौहार्द्र बिगाड़ने का आरोप लगा दिया। प्रशासन ने हिन्दू परिवारों से अपने अपने घरों से पोस्टर हटाने की चेतावनी दी।  

पिछले दो दिनों में हिंदुओं के घरों के बाहर लगे पोस्टरों को हटाने के लिए पुलिसकर्मी कई बार पहुंचे,लेकिन लोगों के विरोध को देखते हुए उन्हे बैरंग ही लौटना पड़ा। स्थानीय लोगों के मुताबिक जैन और हिंदू के करीब 200 परिवार काफी समय से प्रशासन और पुलिस से सुरक्षा की मांग कर रहे हैं। हिंदू समाज के लोगों का आरोप है कि मुस्लिम युवक बाइकों से पूरे इलाके में घूम कर डर का माहौल बना रहे है। लड़के बेवजह सड़कों पर बैठे रहते हैं। अश्लील बातें करते है। इसकी वजह से महिलाओं और बच्चियों का बाहर निकलना मुश्किल हो गया है। इस मुद्दे को लेकर बृहस्पतिवार से शुरू होने वाले विधानसभा सत्र में भाजपा अशोक गहलोत सरकार को घेरने की रणनीति बना रही है। 

गौरतलब है कि आजादी के बाद से लेकर अब तक मालपुरा में 8 बार साम्प्रदायिक तनाव की स्थिति पैदा हुई है। करीब 50 लोगों की जान जा चुकी है। सबसे बड़ा साम्प्रदायिक झगड़ा 1992 में हुआ था। उस समय दोनों समुदायों के 25 लोगों की मौत हुई थी। उसके बाद 2000 में 13 लोगों की मौत हुई थी। यहां 2016 में आईएसआईएस और पाकिस्तान के समर्थन नारेबाजी हुई। 36 लोगों के खिलाफ नामजद मामला दर्ज किया गया। इसमें मामले में 21 लोगों की गिरफ्तारियां हुई और 15 लोग आज भी पुलिस की पकड़ से बाहर हैं। वर्ष 2018 में कावड़ियों की यात्रा पर घात लगाकर हमला किया गया। दो दर्जन से ज्यादा कावड़िये गंभीर रूप से घायल हुए। इस मामले में पुलिस हमलावरों की ठीक से पहचान तक नहीं कर पाई। राजनैतिक दबाव के चलते कोई सख्त कार्रवाई नहीं हुई। वर्ष 2019 में दहशरा की यात्रा पर पथराव किया गया।

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