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मोदी सरकार को मिली एक और कामयाबी, 30 महीनों में ही 5.77 करोड़ कनेक्शन के साथ नौ करोड़ से अधिक ग्रामीण घरों तक पहुंचाया नल से जल

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार को एक और कामयाबी मिली है। हर घर में पीने लायक स्वच्छ जल पहुंचाने का काम जो पिछले 70 साल में नहीं हुआ, वो मोदी सरकार में पिछले ढाई साल में हुआ है। मोदी सरकार ने कोरोना महामारी और लॉकडाउन के बाद भी पिछले 30 महीने में जल जीवन मिशन के तहत 5.77 करोड़ से अधिक ग्रामीण घरों तक नल से जल उपलब्ध करा दिया है। इससे आज देश के नौ करोड़ ग्रामीण घरों को नल से साफ पानी की आपूर्ति का लाभ मिल रहा है।

प्रधानमंत्री मोदी ने 15 अगस्त, 2019 को लाल किले के प्राचीर से ‘जल जीवन मिशन’ की घोषणा की थी। इस मिशन के तहत 2024 तक हर घर में पाइप के द्वारा पानी पहुंचाने का लक्ष्य है। इस मिशन की घोषणा होने के वक्त देश भर में 19.27 करोड़ घरों में से केवल 3.23 करोड़ यानी सिर्फ 17 प्रतिशत घरों में ही पानी का कनेक्शन था।

प्रधानमंत्री मोदी की ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास’ की परिकल्पना पर छोटी सी अवधि में ही 98 जिले, 1,129 प्रखंड, 66,067 ग्राम पंचायतें और 1,36,135 गांव ‘हर घर जल’ के दायरे में आ चुके हैं। गोवा, हरियाणा, तेलंगाना, अंडमान व निकोबार द्वीपसमूह, पुदुच्चेरी, दादर एवं नगर हवेली और दमन एवं दीव में हर ग्रामीण घर में नल से जलापूर्ति हो रही है। 99 प्रतिशत के साथ पंजाब, 92.4 प्रतिशत के साथ हिमाचल प्रदेश, 92 प्रतिशत के साथ गुजरात और 90 प्रतिशत के साथ बिहार भी 2022 में हर घर जल के मुहाने पर पहुंच गए हैं।

पांच वर्षों की अवधि में हर ग्रामीण घर तक नल से जल पहुंचाने के इस भगीरथी कार्य को पूरा करने के लिए 3.60 लाख करोड़ रुपये की धनराशि आवंटित की गई है। केंद्रीय बजट 2022-23 में 3.8 करोड़ घरों तक नल से जल पहुंचाने के लिये ‘हर घर जल’ को 60,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। जल जीवन मिशन का मूलमंत्र है ‘कोई पीछे न छूट जाये,’ और इस तरह, वह सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि से ऊपर उठकर हर घर को नल से जल की उपलब्धता सुनिश्चित कर रहा है। सदियों से घरों के लिए पानी ढोकर लाने के कठिन श्रम से माताओं और बहनों को मुक्ति दिलाने तथा उनके स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों में सुधार लाने के लिये जल जीवन मिशन का प्रयास है।

देश के स्कूलों और आंगनवाड़ी केंद्रों में बच्चों के स्वास्थ्य और कुशलता के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने 100 दिवसीय अभियान की घोषणा की थी, जिसे जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने दो अक्टूबर, 2020 को शुरू किया था। अब तक 16 महीने की अवधि में ही देश के 8.46 लाख (82 प्रतिशत) स्कूलों और 8.67 लाख (78 प्रतिशत) आंगनवाड़ी केंद्रों में पीने तथा मध्याह्न भोजन बनाने, हाथ धोने और शौचालयों में इस्तेमाल करने के लिए नल से जल की आपूर्ति की जा रही है।

अंडमान व निकोबार द्वीपसमूह, आंध्रप्रदेश, दादर एवं नगर हवेली तथा दमन एवं दीव, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू एवं कश्मीर, कर्नाटक, केरल, पुदुच्चेरी, सिक्किम, तमिलनाडु, तेलंगाना और उत्तराखंड ने प्रत्येक स्कूल में नल से जल की व्यवस्था कर ली है। केंद्र सरकार ने राज्यों से आग्रह किया है कि वे बाकी बचे स्कूलों और आंगनवाड़ी केंद्रों में जल्द से जल्द साफ पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करें, ताकि बच्चों के लिये बेहतर स्वास्थ्य, स्वच्छता और साफ-सफाई की व्यवस्था बन सके।

जनता और खासतौर से महिलाओं तथा ग्रामीण समुदायों की सक्रिय भागीदारी की बदौलत, जल जीवन मिशन एक जन आंदोलन बन गया है। दीर्घकालीन पेयजल सुरक्षा, स्थानीय समुदाय और ग्राम पंचायतें एक साथ मिलकर यह काम कर रही हैं तथा वे सब मिलकर गांवों में जलापूर्ति प्रणालियों, अपने जल स्रोतों और इस्तेमालशुदा पानी के प्रबंधन की जिम्मेदारी निभा रही हैं। वर्ष 2024 तक हर ग्रामीण घर तक नल से जल पहुंचाने की सरकार की प्रतिबद्धता पूरी करने की दिशा में जल जीवन मिशन अग्रसर है।

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