प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 56 इंची सीने के साथ पहली बार देश चीन की आंख में आखें डालकर बात कर रहा है। पहली बार भारतीय सेना सिर्फ पांच साल में ही तीन बार चीनियों को बैकफुट पर लाई है। डोकलाम और गलवान के बाद पिछले दिनों अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में भारतीय रणबांकुरों ने चीनी सैनिकों के दांत खट्टे कर दिए है। यह वही चीन है, जिसके डर से मनमोहन सरकार के मंत्री बीजिंग में चीनी सरकार के कसीदे पढ़ते थे। और यह वही अरुणाचल प्रदेश है, जिसमें पनबिजली परियोजनाओं को संभालने के लिए तत्कालीन पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश को देश की क्षमता चीन की तुलना में बहुत कम नजर आई थी। चीन की धरती पर भारतीय गौरव का परचम लहराने के बजाए उन्होंने शर्मनाक तरीके से देश की नाक कटाई थी। एक दशक के बाद भी कांग्रेसी सोच नहीं बदली है। अब कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी चीनी सैनियों को भारतीय रणबांकुरों से श्रेष्ठ बताते हैं!!मोदी सरकार की नीतियों से हर क्षेत्र में बार-बार मात खा रहा है चीन
चीन को आर्थिक सेक्टर से लेकर रक्षा क्षेत्र में मोदी सरकार की नीतियों के चलते बार-बार मुंह की खानी पड़ रही है। वोकल फॉर लोकल का मोदी-मंत्र ऐसा कामयाबी के झंडे गाड़ रहा है कि जिन उत्पादों पर भारत चीनी सस्ते माल पर निर्भर हो गया था, अब उससे बेहतर उत्पाद देश में ही बन रहे हैं। पाकिस्तानी आतंकवाद के समर्थन के चलते चीन को विदेश नीति में भी मुंह की खानी पड़ी है। सेना के मोर्चे पर तो तीन-तीन बार उसे करारा जवाब मिला है। भारतीय सेना ने पिछले दिनों जारी बयान में बताया कि 9 दिसंबर को चीनी सैनिकों ने एक बार फिर घुसपैठ की कोशिश की थी। दोनों देशों के सैनिकों के बीच झड़प हुई. चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के सैनिकों ने एलएसी पर तवांग सेक्टर में घुसपैठ की कोशिश की, जिसका भारतीय सैनिकों ने मजबूती से जवाब दिया। इस संघर्ष में दोनों सेनाओं के कुछ जवानों को मामूली चोटें आईं। इससे पहले 2017 में डोकलाम और 2020 में गलवान घाटी में दोनों सेनाएं आमने-सामने आ गई थीं।
When Jairam Ramesh was minister during UPA, Check how he used to do lobbying for Chinese companies in India.
Now Jairam Ramesh leads Congress strategy and communication.
No wonder Congress is still Chinese propaganda that Indian soldiers were beaten at border. pic.twitter.com/l7b8DxUfXs
— Ankur Singh (@iAnkurSingh) January 23, 2023
हाइड्रोलॉजिकल परियोजनाओं में चीनी कंपनियों को भारत से ज्यादा है अनुभव
यह चीन जो अब विभिन्न मोर्चों पर भारत के मात खा रहा है, उसके खिलाफ बोलने से कभी मनमोहन सरकार के मंत्री डरते ही नहीं थे, बल्कि उसकी मुक्त कंठ से प्रशंसा भी करते थे। कांग्रेस सरकार के समय के पर्यावरण एवं वन राज्य मंत्री जयराम रमेश ने 2010 में बीजिंग में कहा था कि भारत को अरुणाचल प्रदेश में अपनी जलविद्युत परियोजनाओं को लागू करने के लिए चीनी विशेषज्ञता पर काम करना चाहिए। उन्होंने विदेश में भारत की क्षमता पर सवाल उठाते हुए कहा कि अरुणाचल प्रदेश में हाइड्रोलॉजिकल परियोजनाओं का एक महत्वाकांक्षी कार्यक्रम तैयार किया गया है, लेकिन भारत के पास उस तरह का अनुभव नहीं है, जैसा कि चीन ने विशाल थ्री गोरजेस बांध के निर्माण में चीनी कंपनियों ने हासिल किया है।चीनी करते हैं बेहतर प्रदर्शन…जयराम के इस दृष्टिकोण की चीनी मीडिया ने की तारीफ
तत्कालीन मंत्री जयराम से पूछा गया था कि अगर चीन वास्तव में नदी पर एक विशाल भंडारण बांध बनाता है तो क्या भारत इसका विरोध करेगा। इस पर जयराम ने स्पष्ट रुख न अपनाते हुए गोलमोल जवाब दिया था। उन्होंने कहा कि जल मोड परियोजना बांग्लादेश में खतरे का कारण बन सकती है, जो एक निचला तटवर्ती राज्य है। उन्होंने कहा कि चीनी भारतीय जितनी बात नहीं करते, लेकिन चीनी बेहतर प्रदर्शन करते हैं, वे और भी बहुत कुछ करते हैं। मैं इस बात के लिए प्रशंसा से भरा हूं कि चीन बस काम करता है, भारत बात करता है। तब सिन्हुआ समेत चीनी मीडिया ने भारतीय मंत्री के दृष्टिकोण की सराहना की थी।
कांग्रेस सरकार के समय की ये ख़बरें पढ़े, जो @Jairam_Ramesh के चाइना प्रेम को दर्शाता है !
2010,पर्यावरण मंत्री के रूप में वे अरुणाचल प्रदेश में बांध परियोजनाओं में चीन की वकालत करते थे, जिसे चीन अपने क्षेत्र के रूप में दावा करता है https://t.co/tImCB1j0LX pic.twitter.com/12OkxqWjOL— Social Tamasha (@SocialTamasha) January 23, 2023
चीन को लेकर ‘मेकिंग सेन्स ऑफ चिन-इंडिया’ किताब लिख चुके हैं जयराम
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने बाद के वर्षों में एक कार्यक्रम में यह भी कहा कि करीब दस साल पहले मैंने एक किताब लिखी थी, जिसका नाम ‘मेकिंग सेन्स ऑफ चिन-इंडिया’था और चिन-इंडिया शब्द भारत और चीन दोनों ही देशों में खासा लोकप्रिय हुआ। इसका चीनी भाषा में भी अनुवाद हो गया। भारत और चीन को एक स्वाभाविक प्रतिस्पर्धी के तौर पर देखा जाता है, उन्हें स्वाभाविक प्रतिस्पर्धी होने की कोई आवश्यकता नहीं है। जयराम ने कहा कि सन् 1962 के अक्टूबर-नवंबर में हमने एक दुभार्ग्यपूर्ण कालखंड जरूर देखा, जिसका हमारे द्विपक्षीय संबंधों पर लंबा साया रहा है, लेकिन उसके बावजूद दिसंबर 1988 में राजीव गांधी और देंग जियाओपेंग के बीच ऐतिहासिक मुलाकात के बाद दोनों देश फिर से नजदीक आ गए।चीन युद्ध की तैयारी में है और अरुणाचल में हमारे सैनिक पिट रहे हैं-राहुल गांधी
इससे साफ जाहिर है कि जयराम रमेश के दिल में चीन और चीनी कंपनियों के लिए साफ्ट कॉर्नर है। वे यूपीए सरकार के दौरान भी भारत में चीनी कंपनियों के लिए लॉबिंग करते थे। अब जयराम रमेश कांग्रेस की रणनीति और संचार का नेतृत्व करते हैं। ऐसे में कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि कांग्रेस अभी भी चीनी प्रचार कर रही है कि भारतीय सैनिकों को सीमा पर चीनी सैनिकों द्वारा पीटा गया। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा था कि ‘अरुणाचल प्रदेश में हमारे सैनिक पिट रहे हैं और चीन युद्ध की तैयारी कर रहा है।’ उनके इस बेतुके बयान के बाद सियासी हलकों में तूफान आना ही था। राजनीतिक दलों के अलावा सोशल मीडिया पर भी इस बयान को लेकर राहुल गांधी की खूब आलोचना की गई।
In his love for China, Rahul Gandhi crosses all boundaries.
Despite video evidence to the contrary, he says that Indian soldiers are beaten by the Chinese.
How can anyone hate India and Indian army so much?
— Himanta Biswa Sarma (@himantabiswa) December 16, 2022
सीएम बोले…कोई भारत और भारतीय सेना से इतनी नफरत कैसे कर सकता है?
बीजेपी के कई नेताओं ने राहुल के इस बयान की निंदा की। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने कहा चीन के प्यार में राहुल गांधी ने सभी बाउंड्री को क्रॉस कर दिया। कोई भारत और भारतीय सेना से इतनी नफरत कैसे कर सकता है? असम से सीएम ने कहा, ‘चीन के प्यार में राहुल गांधी ने सभी सीमाओं को पार कर दिया। वीडियो साक्ष्य होने के बाद भी उनका कहना है कि चीनियों ने भारतीय सैनिकों को पीटा है। सरमा से पहले बीजेपी के आईटी सेल हैड अमित मालवीय, बीजेपी सांसद राज्यवर्धन सिंह राठौर से लेकर कई नेताओं ने राहुल को आड़े हाथों लिया।
Every proud Indian has seen videos of our men in uniform thrashing the Chinese soldiers, except of course Rahul Gandhi, who continues to doubt their valour just because he signed an MoU with the Chinese, his family enjoyed Chinese hospitality and received funds in RG Foundation… pic.twitter.com/ahomvNV3sE
— Amit Malviya (@amitmalviya) December 16, 2022
चीन से MoU के कारण राहुल गांधी भारतीय सैनिकों की वीरता पर संदेह करते हैं
अमित मालवीय ने राहुल गांधी का वीडियो शेयर करते हुए अपने ट्विटर हैंडर पर लिखा, ‘राहुल गांधी को छोड़कर सभी भारतीयों ने वर्दी में हमारे जवानों को चीनी सैनिकों की पिटाई करते हुए वीडियो देखा है। कांग्रेस नेता लगातार हमारे सैनिकों की वीरता पर संदेह करते हैं, क्योंकि उन्होंने चीन के साथ एमओयू साइन किया था। उनका परिवार चीनी मेहमाननवाजी एंजॉय करता है और वह चीन से राजीव गांधी फाउंडेशन में फंड भी हासिल करते हैं।’
गंजे सिर पर कुछ नहीं उगता तो क्या मैं इसे कटवा के चीन को दे दूं…
जवाहरलाल नेहरू के प्रधानमंत्रित्व काल में संसद में सोशलिस्ट पार्टी के जेबी कृपलानी की तरफ से तीखे हमले होते थे। कुछ साल पहले ही तक कृपलानी कांग्रेस के ही अध्यक्ष रह चुके थे। बहुत साफ और खरा-खरा बोलने वाले आदमी थे। इसलिए नेहरू ने उन्हें बहुत जल्द किनारे लगा दिया। वे सोशलिस्ट पार्टी में चले गए। कृपलानी ने 11 अप्रैल 1961 को संसद में सीधे मेनन और नेहरू दोनों पर हमला बोल दिया। कृपलानी ने खुला इल्जाम लगाया- ‘रक्षामंत्री देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। भूख और गरीबी से बेहाल इस देश का पैसा बर्बाद कर रहे हैं।’ इसी दौरान प्रधानमंत्री नेहरू ने संसद में चीनी कब्जे पर सफाई देते हुए कहा- “अक्साई चिन में तिनके के बराबर भी घास तक नहीं उगती, वो बंजर इलाका है।” ये सुनकर मुरादाबाद से सांसद महावीर त्यागी को न रहा गया। नेहरू सरकार में वे खुद मंत्री थे। भरी संसद में महावीर त्यागी ने अपना गंजा सिर नेहरू को दिखाया और बोले- “यहां भी कुछ नहीं उगता तो क्या मैं इसे कटवा के चीन को या फिर किसी और को दे दूं।” नेहरू ने बात संभालने की कोशिश की, -“हम एक इंच जमीन भी चीन को नहीं देंगे।” तो इस पर होशंगाबाद से सांसद और समाजवादी नेता हरि विष्णु कामथ अपने आपको रोक नहीं पाए। वे नेहरूजी से बोले-” आपके नक्शे में एक इंच कितने मील के बराबर है?” इस पर भरे सदन में नेहरू सकपका गए।
(भारतीय राजनीति और संसद : विपक्ष की भूमिका , सुभाष कश्यप पेज 52)