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बंगाल में अब प्रधानमंत्री आवास योजना में घोटाला, पक्का मकान वाले भी योजना का उठा रहे फायदा, टीएमसी नेता व रिश्तेदार भी लाभार्थी सूची में

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पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी सरकार में भ्रष्टाचार का इस कदर बोलबाला हो गया है कि एक के बाद एक घोटाले सामने आ रहे हैं। शिक्षक भर्ती घोटाला, कोयला व मवेशी तस्करी कांड के बाद अब बंगाल में प्रधानमंत्री आवास योजना में फर्जीवाड़ा सामने आया है। पीएम आवास योजना ग्रामीण (PMAY-G) गरीबों के लिए है, लेकिन पश्चिम बंगाल में ऐसे घरों के मालिक भी इस सूची में हैं जिनके पास आलीशान मकान हैं। फर्जीवाड़ा का आलम यह है कि पक्का मकान और कार होने के बावजूद लोगों के नाम प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभार्थियों की सूची में शामिल पाए गए हैं। मामले की गंभीरता इस बात से समझी जा सकती है कि तृणमूल के कार्यकर्ता और उनके रिश्तेदारों के पास पक्का घर होने के बावजूद वे इस योजना के लाभार्थी हैं। जबकि प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (PMAY-G) का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्र में गरीबों को पक्का घर उपलब्ध कराना है। जिनके पास पहले से ही पक्के मकान हैं वे इस योजना के पात्र नहीं हैं। अब इसे लेकर अधिकारी जहां अपना पल्ला झाड़ते दिखे, वहीं कुछ ने पंचायत सर्वेक्षण को दोष दिया। मजे की बात यह है कि इस संदर्भ में पीएम आवास के मालिकों ने कहा कि जब उन्होंने आवेदन किया था तब वह गरीब थे।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जब पहली बार देश की बागडोर संभाली तो उस समय करीब पांच करोड़ परिवार ऐसे थे जिनके पास अपना घर नहीं था। प्रधानमंत्री मोदी ने शहरों के इन दो करोड़ और ग्रामीण आबादी के करीब तीन करोड़ परिवारों की पीड़ा को समझा और उन्होंने देश के हर परिवार को घर देने का वादा किया। इसी के तहत प्रधानमंत्री मोदी ने 25 जून, 2015 में प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) की शुरूआत की और 20 नवंबर, 2016 को प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) का शुभारंभ किया। इस योजना ने अब तक करोड़ों परिवारों को ना सिर्फ एक छत प्रदान की है, बल्कि जीवन और सुरक्षा की गरिमा भी सुनिश्चित की है।

प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभार्थियों की सूची से हटाए गए 5.5 लाख नाम

पश्चिम बंगाल में प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभार्थियों की सूची से अब तक 5.5 लाख से अधिक लोगों के नाम हटाए जा चुके हैं। जानकारी के मुताबिक 10 दिसंबर 2022 तक लाभार्थियों की सूची में 45.92 लाख नाम थे, जो समीक्षा के बाद 40.27 लाख हो गए हैं। बंगाल में प्रधानमंत्री आवास योजना में भारी अनियमितताएं सामने आई हैं। केंद्र के निर्देश पर राज्य सरकार की ओर से प्रत्येक जिले में लाभार्थियों की सूची की समीक्षा की जा रही है और अपात्र लोगों के नाम हटाए जा रहे हैं। समीक्षा करते वक्त जॉब कार्ड की गहनता से जांच की जा रही है, जो 100 दिनी काम के लिए दिए गए हैं। बहुत से मामलों में पाया गया है कि एक ही परिवार के बहुत से सदस्यों के पास जॉब कार्ड हैं और सभी के नाम लाभार्थियों की सूची में हैं। केंद्र की ओर से स्पष्ट रूप से कहा गया है कि वैसे परिवारों के किसी एक ही सदस्य को घर आवंटित किया जाएगा।

पश्चिम बंगाल में अमीरों को मिला प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (PMAY-G) का लाभ

पश्चिम बंगाल में उत्तर परगना के ग्रामीण इलाकों में कोई मकान तीन मंजिला है तो किसी में सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं। किसी मकान में ग्राउंड फ्लोर पर गैराज बना हुआ है तो कहीं एयर-कंडीशनर वाला दो मंजिला पक्का मकान बन रहा है और कहीं भूतल पर लोहे के गेट वाले गैराज के साथ एक चार-मंज़िला घर निर्माणाधीन है। इन सभी मकान के मालिक प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (PMAY-G) के लाभार्थी हैं। ऐसे लोगों की लिस्ट काफी लंबी है, जो प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (PMAY-G) के लिए पात्रता मानदंड से कोसों दूर हैं फिर भी इसका लाभ ले रहे हैं।

तृणमूल नेताओं को मकान देने के विरोध में प्रदर्शन

पश्चिम बंगाल के कई जिलों में प्रधानमंत्री आवास योजना के घोटाले के प्रमाण सामाने अब इसकी जांच की जा रही है। पूर्व मिदनापुर, बर्दवान, पुरुलिया सहित कई जिलों में यह आरोप लगे थे कि जिनके पास पक्के मकान हैं उन तृणमूल नेताओं को भी आवास योजना का लाभार्थी बनाया गया है। इसे लेकर कई जिलों में लोगों ने प्रदर्शन किए हैं। यहां तक कि मकान उन लोगों को भी दिए गए जिनके पास पहले से मकान है। उसके इन आरोपों के सामने आने के बाद केंद्र की एक टीम जांच के लिए बंगाल पहुंची है।

केंद्रीय टीम से गांववालों ने कहा- पूरे गांव का मुआयना करें, तब पता चलेगा कितने लोगों को वंचित किया गया

आवास योजना की समीक्षा करने पश्चिम मेदिनीपुर जिले के केशपुर गई केंद्रीय टीम को गांववालों के रोष का सामना करना पड़ा। गांववालों का कहना था कि सिर्फ आवास योजना के लाभार्थियों की सूची में शामिल लोगों के नहीं, बल्कि गांव के सारे घरों का मुआयना करना होगा ताकि पता चल सके कि कितने लोगों को वंचित किया गया है।

पक्का मकान और कार के मालिक को भी मिल गया पीएम आवास

पक्का मकान और कार होने के बावजूद नदिया जिले के एक बाशिंदे का प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभार्थियों की सूची में नाम पाया गया है। केंद्रीय टीम की समीक्षा में यह तथ्य सामने आया है। लिटन दास नामक वह शख्स नदिया जिले के तेहट्ट 1 ब्लाक के बेताई 2 ग्राम पंचायत का रहने वाला है और बेताई पालिटेक्निक कालेज में सुरक्षाकर्मी के पद पर है। इस बारे में लिटन से पूछने पर उसने बताया कि उसका नाम 2017 में प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभार्थियों की सूची में आया था लेकिन उसने इस बाबत आवेदन नहीं किया था। उस समय उसका अपना पक्का मकान नहीं था। वह काम के सिलसिले में दूसरे राज्य में गया था और वहां जो कमाई की, उसी से पक्का मकान बनवाया।

तृणमूल कार्यकर्ताओं के पास पीएम आवास होने की लिस्ट लंबी

इस योजना के मापदंड करें तो इसके तहत पक्के मकान वाले लोग आवेदन नहीं कर सकते हैं। लेकिन जब पश्चिम बंगाल में इनमें से अधिकांश लोगों के सत्तारूढ़ दल तृणमूल कांग्रेस से जुड़े होने की बात सामने आई तो पता चला कि यह लिस्ट काफी लंबी है। मामले की गंभीरता इस बात से समझी जा सकती है कि पुरबा बर्धमान में तृणमूल के एक कार्यकर्ता और उसके 7 रिश्तेदारों के पास पक्का घर होने के बावजूद सभी इस योजना के लाभार्थी हैं। जबकि प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (PMAY-G) का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्र में गरीबों को पक्का घर उपलब्ध कराना है। जिनके पास पहले से ही पक्के मकान हैं वे पात्र नहीं हैं।

बांकुड़ा में आवास योजना में फर्जीवाड़े का पर्दाफाश, सर्वे करने वाली आशा वर्करों को जान से मारने की धमकी

बंगाल के बांकुड़ा जिले में पीएम आवास योजना में फर्जीवाड़ा का पर्दाफाश हुआ। जानकारी के मुताबिक सामाजिक-आर्थिक सर्वे के लिए बांकुड़ा की जिलाधिकारी राधिका अय्यर ने प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभार्थियों के सर्वे का काम आशा की वर्करों को दिया था। हाल ही में जिलाधिकारी खुद वर्करों के साथ फील्ड विजिट पर गई थीं। वहां जांच में पता चला कि सही आवेदकों को आवास योजना का लाभ नहीं मिला है। आशा कर्मियों ने कहा है कि अब वे ये सर्वे नहीं कर सकतीं, क्योंकि उन्हें जान से मारने की धमकी मिल रही है। प्रधानमंत्री आवास योजना की आवेदन सूची में बांकुड़ा जिले के 2,500 लाभार्थियों के नाम हैं। बांकुड़ा के जयपुर के सलदा गांव में आशा और आइसीडीएस कर्मी घर-घर जाकर सर्वे कर रहे हैं।

गलत लोगों को मिला पीएम आवास योजना का लाभ

सूची की जांच करते समय पता चला है कि इसमें उनका भी नाम है, जिनके पास पहले से पक्का मकान हैं। बंगाल के विभिन्न जिलों में चल रहे इस सर्वे में कई लोगों के नाम कट सकते हैं। आशा कर्मियों की आशंका है कि अगर वे किसी के नाम को सूची से हटाती हैं या सर्वे के बाद किसी का नाम हटता है तो उनके लिए परेशानी हो सकती है। उन्हें उसी इलाके में काम करना है। कुछ का कहना है कि यह काम उनका नहीं है। उन्हें खतरे में डाला जा रहा है।

वर्ष 2011 में ममता बनर्जी के बंगाल की मुख्यमंत्री बनने के बाद से कई घोटाले सामने आ चुके हैं और उन पर भी कई आरोप लग चुके हैं। इन पर एक नजर-

ममता बनर्जी के मुख्यमंत्री बनने के बाद पश्चिम बंगाल में स्कैम की बाढ़ आई

वर्ष 2011 से ममता बनर्जी बंगाल की मुख्यमंत्री हैं। इस दौरान शारदा स्कैम, रोज वैली स्कैम, नारदा स्कैम, पोंजी स्कैम और रिक्रूटमेंट स्कैम हुए। एक भी रिक्रूटमेंट प्रोसेस भ्रष्टाचार के बिना पूरी नहीं हुआ। इन घोटालों में तृणमूल कांग्रेस के कई नेता अरेस्ट भी हुए। पॉलिटिकल लीडर्स और मीडिया ने ममता बनर्जी के फैमिली मेंबर्स की बेहिसाब संपत्ति पर खुलासे किए। गनाशक्ति नाम के बांग्ला अखबार ने दावा किया कि कोलकाता की हरीश चटर्जी स्ट्रीट पर ज्यादातर प्रॉपर्टी बनर्जी परिवार की हैं।

तृणमूल कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद से बनर्जी परिवार की संपत्ति में बेशुमार इजाफा

कोलकाता हाईकोर्ट में लगी एक नई पिटीशन में अब सीएम ममद बनर्जी का परिवार ही निशाने पर है। पिटीशन में ममता के भाइयों पर आरोप है कि तृणमूल कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद से बनर्जी परिवार की संपत्ति में बेशुमार इजाफा होकर यह कई गुना बढ़ी है। पिटीशन में कहा गया है कि कोलकाता की हरीश चटर्जी स्ट्रीट पर ज्यादातर प्रॉपर्टी बनर्जी परिवार की हैं। ममता की भाभी कजरी बनर्जी पर कई प्रॉपर्टी मार्केट रेट से कम कीमत में खरीदने का आरोप है। भतीजे अभिषेक बनर्जी कई कंपनियों में डायरेक्टर हैं।

एजेंसियां पता लगा रहीं कि सीएम ममता बनर्जी ने किन-किन पर अपनी ‘ममता’ लुटाई

सीएम ममता के करीबी मंत्री के बाद अब सीएम के भाइयों पर करोड़ों कमाने और आय से अधिक संपत्ति के आरोप लगे हैं। कोलकाता हाईकोर्ट में लगी पिटीशन में साफ-साफ कहा गया है कि तृणमूल कांग्रेस के 2011 में सत्ता में आने के बाद से बनर्जी परिवार की संपत्ति बेहिसाब बढ़ी। सीएम ममता बनर्जी के पांच भाइयों और एक भाभी पर आय से ज्यादा संपत्ति जमा करने के आरोप लगे हैं। हाईकोर्ट ने सभी आरोपियों को 11 नवंबर तक एफिडेविट जमा करने के आदेश दिए हैं।

शिक्षक भर्ती घोटाला में मंत्री पार्थ चटर्जी व TMC विधायक मणिक भट्टाचार्य गिरफ्तार

शिक्षक भर्ती घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के मंत्री पार्थ चटर्जी के बाद टीएमसी विधायक माणिक भट्टाचार्य को गिरफ्तार किया। मणिक भट्टाचार्य तृणमूल शिक्षक भर्ती घोटाले के मामले में गिरफ्तार होने वाले ममता बनर्जी की पार्टी के दूसरे नेता हैं। ईडी ने 23 जुलाई 2022 को ममता सरकार में मंत्री और तृणमूल कांग्रेस महासचिव पार्थ चटर्जी को गिरफ्तार किया था। उस समय पार्थ चटर्जी की करीबी अर्पिता मुखर्जी के दो घरों से करीब 50 करोड़ रपये कैश बरामद किए गए थे। छापे में उस समय इसके साथ ही 5 किलो से ज्यादा सोना और दस्तावेज भी मिले थे। इतनी बड़ी धनराशि कहां से आई, इसके सोर्स के बारे में पार्थ और अर्पिता कुछ भी नहीं बता पाए। पार्थ चटर्जी पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग भर्ती घोटाले के मुख्य आरोपी हैं। जब यह कथित घोटाला हुआ था, तब चटर्जी राज्य के शिक्षा मंत्री थे। गिरफ्तार किए जाने के समय पार्थ चटर्जी उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री का कार्यभार संभाल रहे थे।

ममता के मंत्री पार्थ समेत 7 मंत्रियों के खिलाफ भी पहले से करप्शन का केस

ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस सरकार के कुछ मंत्रियों पर भी करप्शन के केस पहले ही लग चुके हैं। पार्थ के अलावा ममता बनर्जी की पार्टी के 19 नेताओं के खिलाफ कोलकाता के वकील इम्तियाज अहमद ने आय से ज्यादा संपत्ति का केस 2017 में ही लगा दिया था। इनमें 6 मंत्री और असेंबली स्पीकर का नाम भी शामिल है। कोलकाता हाईकोर्ट ने 2022 में इस पर सुनवाई करते हुए सभी आरोपियों की संपत्ति की जांच कराने के आदेश दिए थे।

शारदा चिटफंड स्कैम में तृणमूल सांसद अरेस्ट, बनर्जी परिवार पर भी सवालिया निशान

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक साल 2011 के बाद लीप्स एंड बाउंड्स इंफ्रा कंसल्टेंट प्राइवेट लिमिटेड, लीप्स एंड बाउंड प्राइवेट लिमिटेड, लीप्स एंड बाउंड मैनेजमेंट सर्विसेज LLP (लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप) बनीं। तीनों ही कंपनियां सीएम ममता बनर्जी के पारिवारिक सदस्य ही चलाते हैं। इसके बाद नवंबर 2013 में तृणमूल कांग्रेस के पूर्व सांसद और मौजूदा जनरल सेक्रेटरी कुणाल घोष शारदा स्कैम में अरेस्ट हुए थे। तब उन्होंने कहा था कि शारदा चिटफंड का पैसा ममता बनर्जी के पास है। कोर्ट ने 28 नवंबर को कुणाल घोष को भी आने के लिए नोटिस जारी किया है।

WBHB से 63.78 लाख रुपये की मार्केट वैल्यू की प्रॉपर्टी सिर्फ 19 लाख में खरीदी

हाईकोर्ट में दायर पिटीशन में कहा गया है कि त्रिनेत्र कंसल्टेंट प्राइवेट लिमिटेड नाम की एक कंपनी 2019 के पहले बनी और गायब भी हो गई। कंपनी ने बैलेंस शीट फाइल नहीं की। कथित तौर पर इसके जरिए टीएमसी को 3 करोड़ रुपए का डोनेशन अलग-अलग समय में दिया गया। आरोप है कि ममता के भाई समीर बनर्जी की पत्नी कजरी बनर्जी ने 14 मई 2019 को सीएम के दबाव में वेस्ट बंगाल हाउसिंग बोर्ड (WBHB) से एक प्रॉपर्टी 19 लाख रुपए में खरीदी, लेकिन उसकी मार्केट वैल्यू 63.78 लाख रुपए थी।

सीएम की भाभी कजरी बनर्जी ने चुनाव के एफिडेविट में भी कई जानकारियां छिपाईं

इतना ही नहीं सीएम बनर्जी की भाभी कजरी बनर्जी ने 2021 में वार्ड नंबर 73 से चुनाव लड़ा। उन्होंने एफिडेविट में खुद को सोशल वर्कर बताया। पति और खुद की प्रॉपर्टी 5 करोड़ रुपए बताई। सोशल वर्क करके 5 करोड़ कैसे कमाए जा सकते हैं। पिटीशन में आरोप है कि कजरी ने एफिडेविट में कई जानकारियां छिपाईं। बेटे को डिपेंडेंट बताते हुए उसके पैन नंबर का जिक्र नहीं किया, जबकि वे केए क्रिएटिव LLP की मालकिन हैं। केए क्रिएटिव के जरिए हरीश मुखर्जी रोड पर 1.30 करोड़ रुपए की प्रॉपर्टी खरीदी गई। इसकी सही कीमत 5.19 करोड़ रुपए थी।

पश्चिम बंगाल में 1352 करोड़ रुपये का कोयला घोटाला

पश्चिम बंगाल में कोयला घोटाला मामले में सीबीआई ने सितंबर 2022 में बंगाल के कानून और श्रम मंत्री मलय घटक के घर पर छापेमारी की थी। आसनसोल में मंत्री के आवास पर ये छापेमारी की गई। इस मामले में ईडी पहले से जांच कर रही है। कोयला घोटाले में ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी समेत कई लोगों के खिलाफ मामला दर्ज है। इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत मामला दर्ज किया था। 27 नवंबर 2020 को सीबीआई (CBI) की तरफ से दर्ज की गई एफआईआर के आधार पर जांच शुरू की गई थी। जांच के दौरान प्रवर्तन निदेशालय को गुरुपदा माझी और जॉयदेब मंडल के करोड़ों की हेरफेर का पता चला था। दोनों पर आरोप है कि ग्रुप अदा माझी में कोलकाता की 6 शेल कंपनियों के जरिए अपराध की 104 करोड़ रुपए की रकम को इधर से उधर किया। साथ ही यह भी आरोप है कि इस रकम से इन लोगों ने चल अचल संपत्तियां बनाई।

इस मामले में ईडी ने आरोपियों की करोड़ों रुपये की संपत्ति को भी जब्त किया था। करीब 181 करोड़ रुपये की चल अचल संपत्तियों को जब्त किया गया। इस मामले में ईडी पहले ही कई आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है। ममता के भतीजे और टीएमसी नेता अभिषेक बनर्जी से ईडी कोयला घोटाला मामले में कई बार पूछताछ कर चुकी है। उनके खिलाफ आरोप है कि अवैध कारोबार से मिले पैसे उन तक पहुंचाए गए थे। 

घोटाले का पूरा कारोबार बंगाल के आसनसोल से लेकर पुरुलिया और बाकुंडा तक और झारखंड में धनबाद में लेकर रामगढ़ तक फैला है। इन क्षेत्रों में कई ऐसी खदाने हैं जो बंद हैं। लेकिन वहां माफिया अब भी खनन कर रहे हैं। नवंबर 2020 में सीबीआई ने इसी मामले को लेकर ईसीएल और सीआईएसएफ के अध‍िकारियों पर मामला भी दर्ज किया। सीबीआई के अनुसार अनूप मांझी इस पूरे घोटाले का सरगना है। इसके अलावा ईसीएल के महाप्रबंधक अमित धर और जयेश चंद्र राय सह‍ित कोई लोगों पर मामला दर्ज किया गया है। कुल घोटाला 1,352 करोड़ रुपये का बताया जा रहा।

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