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कथनी-करनी में फर्क साफ है…AAP का सरकारी बंगला न लेने वादा और अब बड़े बंगले के लिए हाई कोर्ट पहुंचे आप सांसद राघव चड्डा, सुर्खियों में रहा है केजरीवाल का भी सरकारी बंगला

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देश में यदि कोई पार्टी सबसे ज्यादा दोगले चरित्र वाली है तो वह आम आदमी पार्टी है। यदि किसी पार्टी की कथनी और करनी में सबसे ज्यादा अंतर है तो वह आम आदमी पार्टी है। झूठ के शीशमहल खड़ी करने में माहिर आम आदमी पार्टी की कलई एक बार फिर खुल गई है। कभी जो पार्टी जनता की अदालत में यह वादा करके सत्ता में आई थी कि उनके विधायक, सांसद सरकारी बंगला नहीं लेंगे और वीआईपी कल्चर को खत्म करेंगे। अब उसी पार्टी के राज्यसभा सांसद राघव चड्डा बड़े सरकारी बंगले के लिए इतने बेताब हो गए हैं, उसके लिए उन्होंने हाईकोर्ट का ही रुख कर लिया है। ट्रायल कोर्ट ने साफ कहा कि उन्हें सरकारी टाइप-7 बंगले पर कब्जा जारी रखने का कोई अधिकार नहीं है। राघव ऐसा इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि उनकी पार्टी के कन्वीनर और दिल्ली के मुख्यमंत्री खुद सरकारी बंगले पर करोड़ों रुपये खर्च कर सुर्खियों में रह चुके हैं। क्योंकि इसमें 45 करोड़ रूपये का खर्च बगैर टेंडर के ही कर दिया गया।चार दिन की दिखावटी सादगी, अब लेने लगे लग्जरी बंगला-गाड़ी!
करीब दस साल पहले की बात करें तो सत्ता में आने की खातिर अरविंद केजरीवाल और उनकी आम आदमी पार्टी चुनाव से पहले और प्रचार के दौरान यह दावा करते रहे कि वे नई राजनीति की शुरुआत कर रहे हैं और वीआईपी संस्कृति को सत्ता में दाखिल नहीं होने देंगे। जनता के चुने हुए उनके विधायक सरकारी बंगला-गाड़ी कुछ नहीं लेंगे। लाल बत्ती कल्चर को भी खत्म करेंगे। ऐसे ही झूठे वादों और सपनों से दिल्ली की सत्ता हासिल करने के बाद अरविंद केजरीवाल के ‘लग्जरी’ फ्लैट और ‘आम आदमी’ के मंत्रियों के सरकारी गाड़ियों के इस्तेमाल को लेकर ऐसा हल्ला मचा कि जवाब देना भारी हो गया। दरअसल, आप ने वादे किए थे, इसलिए उस पर सादगी छोड़कर लग्जरी चोला ओढ़ने का जायज इल्जाम लग रहा है?आप सांसद राघव चड्डा सरकारी टाइप-7 बंगले पर कब्जा जारी रखने पर अड़े
पहले बात आप के सांसद राघव चड्ढा की। उन्होंने आप की कथनी-करनी के अंतर को पूरी तरह उजागर कर दिया। सरकारी बंगला न लेने की बात छोड़िए, वो तो बड़ा सरकारी बंगला, जिसके लिए वो पात्र भी नहीं है, उसे ही लेने पर अड़े हुए हैं। पटियाला हाउस कोर्ट ने साफ कहा कि उनके पास पंडारा रोड में सरकारी टाइप-7 बंगले पर कब्जा जारी रखने का कोई अधिकार नहीं है। यह बंगला लुटियंस दिल्ली में आता है। इस तरह के बंगले उन सांसदों को आवंटित किए जाते हैं जिन्होंने मंत्री, मुख्यमंत्री या राज्यपाल के रूप में कार्य किया है। कोर्ट ने कहा था, ‘वादी (राघव चड्ढा) यह दावा नहीं कर सकता कि उसे राज्यसभा के सदस्य के रूप में अपने पूरे कार्यकाल के दौरान आवास पर कब्जा जारी रखने का पूरा अधिकार है। सरकारी आवास का आवंटन केवल वादी को दिया गया विशेषाधिकार है, और आवंटन रद्द होने के बाद भी उसे उस पर कब्जा जारी रखने का कोई अधिकार नहीं है।’आप सांसद को सरकारी बंगले पर कब्जा कायम रखने का अधिकार नहीं
आम आदमी पार्टी के नेता और राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने सरकरी बंगला बचाने के लिए हाईकोर्ट का रुख किया है। चड्ढा के वकील ने मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति संजीव नरूला की खंडपीठ को बताया कि उनके मुवक्किल को ट्रायल कोर्ट के आदेश के बाद बेदखली नोटिस जारी किया गया है। पीठ ने सुनवाई के लिए अनुमति दे दी। निचली अदालत ने पांच अक्टूबर को आदेश दिया था कि ‘आप’ नेता राघव चड्ढा यह दावा नहीं कर सकते कि आवंटन रद्द होने के बाद भी उन्हें राज्यसभा सदस्य के रूप में अपने पूरे कार्यकाल के दौरान सरकारी बंगले पर कब्जा कायम रखने का पूर्ण अधिकार है। अदालत ने 18 अप्रैल को पारित उस अंतरिम आदेश को रद्द करते हुए यह टिप्पणी की जिसमें राज्यसभा सचिवालय को चड्ढा को सरकारी बंगले से बेदखल नहीं करने का निर्देश दिया गया था। निचली अदालत ने कहा कि चड्ढा को अंतरिम राहत दी गई थी कि उन्हें कानूनी प्रक्रिया के बिना आवास से बेदखल नहीं किया जाएगा।सांसदों के फर्जी दस्तखत का आरोप, राज्यसभा से निलंबित हुए
इतना ही नहीं सरकारी बंगले के मोह के अलावा आप सांसद पर सांसदों के फर्जी दस्तखत कराने के भी आरोप हैं। संसद के मानसून सत्र के आखिरी दिन 11 अगस्त को राघव चड्ढा राज्यसभा से निलंबित हुए थे। दरअसल, राघव चड्ढा ने दिल्ली सर्विस (अमेंडमेंट) बिल को सिलेक्ट कमेटी के पास भेजे जाने के प्रस्ताव पर सांसदों के फर्जी दस्तखत कराए। भाजपा की शिकायत के बाद यह मामला संसद की विशेषाधिकार समिति के पास जांच के लिए भेज दिया गया। राज्यसभा में 7 अगस्त को रात 10 बजे दिल्ली सर्विसेज (अमेंडमेंट) बिल पास किया गया था। इससे पहले चड्ढा ने बिल को सिलेक्ट कमेटी के पास भेजने का प्रस्ताव पेश किया था। इस पर गृह मंत्री अमित शाह ने कहा- मोशन पर चड्ढा ने 5 सांसदों के फर्जी दस्तखत लगाए हैं। दो मेंबर्स कह रहे हैं कि हस्ताक्षर उन्होंने नहीं किए। मामले की जांच हो। डिप्टी स्पीकर हरिवंश ने कहा कि मुझसे 4 मेंबर्स शिकायत कर चुके हैं।

केजरीवाल ने भी सरकारी बंगले पर बिना टेंडर 45 करोड़ का खर्च किया
हकीकत यह है कि सरकारी बंगले के मामले में आप नेता दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल के नक्शेकदम पर ही चल रहे हैं। आपको याद होगा कि केजरीवाल के सरकारी आवास निर्माण का घोटाला कितना सुर्खियों में रहा था। सीएम के सरकारी आवास पर 45 करोड़ रुपये खर्च का मामला सामने आने के बाद से दिल्ली में मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी ने कहा कि आप की असलियत अब सामने आ गई है। सीएम केजरीवाल का सादगी का दावा तो दिखावा भर है। दिल्ली बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने सीएम आवास विवाद पर कहा है कि बिना टेंडर के आवास पर 45 करोड़ का खर्च करना बड़ा भ्रष्टाचार है। सचदेवा का आरोप यह भी एक घोटाला है। उन्होंने सीएम केजरीवाल को निशाने पर लेते हुए कहा कि उन्होंने न केवल अपने आलीशान बंगले के नवीनीकरण और सौंदर्यीकरण पर करोड़ों रुपये खर्च किए हैं, बल्कि इसमें एक बड़ा घोटाला भी किया है। पीडब्ल्यूडी मैनुअल में कानूनी खामियों का दुरुपयोग कर अरविंद केजरीवाल के बंगले के सौंदर्यीकरण का मामला स्पष्ट रूप से भ्रष्टाचार का मामला है।

 

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