प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार किसानों के कल्याण के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। प्रधानमंत्री मोदी के ‘सहकार से समृद्धि’ के विजन को साकार करने के लिए सहकारी क्षेत्र में 1,100 नए किसान उत्पादक संगठन (FPO) बनाने का फैसला किया गया है। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अनुसार इन 1,100 एफपीओ को एफपीओ योजना के तहत राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (NCDC) को आवंटित किया गया है। एफपीओ योजना के तहत प्रत्येक एफपीओ को 33 लाख रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। इसके अलावा, क्लस्टर आधारित व्यावसायिक संगठनों (CBBO) को प्रति एफपीओ 25 लाख रुपये की वित्तीय सहायता दी जाती है।
यह पहल सहकारी समितियों को आवश्यक बाजार लिंकेज प्रदान कर किसानों की उपज का उचित मूल्य दिलाने में भी सहायक होगी। यानी इससे किसानों की कमाई में इजाफा होगा। इससे पैक्स की व्यावसायिक गतिविधियों में भी विविधता आएगी साथ ही आय के नए और स्थायी स्रोत भी उत्पन्न होंगे। साफ है कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार किसानों की आय दोगुना करने के लिए कई अहम कदम उठा रही है। इस क्रम में कृषि को आत्मनिर्भर कृषि में बदलने के लिए एफपीओ का गठन का किया गया है। इससे उत्पादकता में वृद्धि हो होगी और किसानों को उनकी फसल के लिए ज्यादा लाभ कमाने का मौका मिलेगा।
देशभर में प्राथमिक कृषि ऋण सोसायटी (PACS) से लगभग 13 करोड़ किसान जुड़े हैं। आमतौर पर अल्पकालिक ऋण और बीज, उर्वरक आदि के वितरण का कार्य करने वाली पैक्स अब इस फैसले के बाद अन्य कृषि सम्बंधित आर्थिक कार्यकलाप करने में भी सक्षम होंगी। FPO योजना में PACS के एकीकरण से उन्हें कृषि उत्पादन इनपुट, कृषि उपकरण जैसे कल्टीवेटर, टिलर, हारवेस्टर, आदि की आपूर्ति और प्रसंस्करण जैसे कि अनाज की सफाई, परख, छंटाई, ग्रेडिंग, पैकिंग, भंडारण, परिवहन आदि गतिविधियों में अपने कार्यक्षेत्र का विस्तार करने में सहायता मिलेगी। इसके अतिरिक्त, पैक्स मधुमक्खी पालन, मशरूम की खेती, आदि जैसे उच्च आय अर्जित करने वाले उद्यम करने में भी सक्षम होंगी।
मई 2014 में देश की बागड़ोर संभालने के बाद प्रधानमंत्री मोदी किसानों की आय दोगुनी करने के लिए लगातार नए-नए कदम उठाते रहे। आइए पिछले नौ साल की उपलब्धियों पर एक नजर डालते हैं –
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना: किसानों का हमसफर
मोदी सरकार ने इस योजना को 13 जनवरी, 2016 को लागू किया था। देश के किसानों को हर साल बाढ़, आंधी, तेज बारिश के चलते काफी नुकसान उठाना पड़ता है। फसल बीमा योजना के तहत किसानों को किसी भी प्राकृतिक आपदा के कारण फसल में हुई हानि पर बीमा कवर देने का प्रावधान किया गया है, यानि किसानों की फसल को प्राकृतिक आपदाओं के कारण खराब होने पर प्रीमियम का भुगतान देकर एक सीमा तक हुई हानि कम कराएगी। प्रीमियम राशि को प्रत्येक किसान की आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए काफी कम रखा गया है। खरीफ पर 5 प्रतिशत और रबी पर मात्र 1.5 प्रतिशत प्रीमियम राशि है। फसल बीमा योजना किसानों के लिए सुरक्षा कवच के समान है। किसान के हिस्से के अतिरिक्त प्रीमियम का खर्च राज्य और केंद्र सरकार द्वारा समान रूप से सहायता के रूप में दिया जाता है। पूर्वोत्तर राज्यों में केंद्र सरकार ने 90 प्रतिशत प्रीमियम राशि प्रदान करती है।
इस योजना में अभी तक देश भर में 17 करोड़ से भी अधिक किसानों ने बीमा कराया है। अब तक, योजना के तहत 1.3 लाख करोड़ रुपये के दावों का भुगतान किया जा चुका है। आधार सीडिंग ने किसान के खातों में सीधे दावा निपटान में तेजी लाने में मदद की है। यानी यह सब बिना किसी भ्रष्टाचार या कमीशन के सीधा किसानों के खाते में पहुंचा है।
इस योजना में किसानों के लिए शुरू से अंत तक बुवाई के पहले से कटाई के बाद तक फसल के पूरे चक्र के जोखिम को शामिल किया गया है। जिसमें रोकी गई बुवाई और फसल के बीच में प्रतिकूल परिस्थितियों से होने वाला नुकसान भी शामिल है। बाढ़, बादल फटने और प्राकृतिक आग जैसे खतरों के कारण होने वाली स्थानीय आपदाओं और कटाई के बाद होने वाले व्यक्तिगत खेती के स्तर पर नुकसान को शामिल किया गया है।
योजना की कुछ प्रमुख विशेषताओं में किसानों का आसानी से नाम लिखने के लिए पीएमएफबीवाई पोर्टल, फसल बीमा मोबाइल ऐप को भूमि रिकॉर्ड से जोड़ना, फसल नुकसान का आकलन करने के लिए सैटेलाइट इमेजरी, रिमोट सेंसिंग टेक्नोलॉजी, ड्रोन, आर्टिफिशल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग जैसी टेक्नॉलोजी का इस्तेमाल शामिल है। यह योजना फसल बीमा ऐप, सीएससी केंद्र या निकटतम कृषि अधिकारी के माध्यम से किसी भी घटना के होने के 72 घंटों के भीतर किसान के लिए फसल नुकसान की रिपोर्ट करना आसान बनाती है।
प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना
प्रधानमंत्री मोदी ने 12 सितंबर, 2019 को प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना की शुरुआत की। इस योजना के तहत 60 वर्ष की आयु प्राप्त करने पर पात्र लघु और सीमांत किसानों को प्रति माह न्यूनतम 3,000 रुपये का भुगतान करने का प्रावधान है। यह स्वैच्छिक और अंशदायी पेंशन योजना है, जिसमें प्रवेश की आयु 18 से 40 वर्ष है। इसके लिए किसान की ओर से मासिक योगदान 55 से 200 रुपये के बीच रखा गया है।
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना
प्रधानमंत्री मोदी ने 24 फरवरी, 2019 को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की शुरुआत की थी। इस योजना के तहत प्रतिवर्ष 6,000 रुपये तीन बराबर किस्तों में लाभार्थी किसानों के खाते में सीधे डाले जाने की व्यवस्था है। योजना की शुरुआत में इसका लाभ केवल छोटे और सीमांत किसान परिवारों जिनके पास 2 हेक्टेयर तक की भूमि थी, देने की व्यवस्था की गई थी। सरकार ने बाद में इसमें बदलाव किया और 1 अप्रैल 2019 से यह व्यवस्था की कि इस योजना का लाभ सभी किसानों को दिया जाएगा, चाहे उनकी जमीन कितनी भी हो।
स्वामीनाथन आयोग के 200 सुझावों को स्वीकारा
दिसंबर 2019 में मोदी सरकार ने स्वामीनाथन आयोग के 201 सुझावों में से 200 सुझावों को स्वीकार किया। किसानों की लागत का डेढ़ गुना एमएसपी देने का फैसला लिया गया। सरकार का यह निर्णय ऐतिहासिक था, चूंकि इससे पहली बार सभी अनिवार्य फसलों के लिए उत्पादन लागत की तुलना में किसानों को 50 प्रतिशत मूल्य प्रदान करने की प्रतिबद्धता पूरी होती है।
किसान पोर्टल के जरिए सम्मान निधि शुरूआत
किसानों की आर्थिक हालत सुधारने के लिए मोदी सरकार ने पीएम-किसान सम्मान निधि देने की शुरुआत की। कई राज्यों में किसानों को सम्मान निधि की रकम पाने के लिए परेशानी होती है। लेकिन अब केंद्र सरकार ने ऐसी सुविधा दी है कि कोई भी किसान सीधे पोर्टल के जरिए अपनी रकम के बारे में पता कर सकता है। कृषि मंत्रालय के अनुसार पीएम किसान पोर्टल पर जाकर कोई भी किसान अपना आधार, मोबाइल और बैंक खाता नंबर दर्ज करके इसके स्टेटस की जानकारी ले सकता है।
तीन लाख तक कर्ज लेने पर कोई शुल्क नहीं
मोदी सरकार ने किसानों को 3 लाख रुपये तक के कर्ज लेने की प्रक्रिया में कोई शुल्क नहीं लेने का फैसला किया। अब किसानों को प्रोसेसिंग, इंस्पेक्शन फीस या सर्विस चार्ज नहीं देना पड़ता है। किसानों को कृषि ऋण और किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) पर कर्ज लेने के दौरान किसी भी तरह का शुल्क नहीं देना पड़ता। पहले ऋण मुहैया कराने से पहले प्रक्रिया या अन्य के नाम पर कुछ प्रतिशत तक किसानों से वसूला जाता था। आईबीए ने सभी बैंकों को निर्देश दिया है कि कोई भी शुल्क किसानों से तीन लाख रुपये तक कर्ज लेने में नहीं लिया जाएगा।
गायों के लिए राष्ट्रीय गोकुल योजना
सरकार ने पशुपालन और गो-संरक्षण के लिए बड़ी पहल की। गांवों की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान निभाने वाली गायों के लिए राष्ट्रीय गोकुल योजना की शुरुआत की।
बंजर भूमि को कृषि योग्य बनाएगी मोदी सरकार
सरकार का लक्ष्य 2022 तक देश के किसानों की इनकम को दोगुना करना है और इस लक्ष्य को पाने के लिए हर संभव कोशिश की जा रही है। अब मोदी सरकार बंजर भूमि को कृषि कार्य योग्य बनाना रही है। बंजर जमीन पर खेती ना के बराबर होती है। बंजर भूमि वाले इलाके में रोजगार के अवसर भी कम होते हैं। ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी ने 2030 तक 2.6 करोड़ हेक्टेयर बंजर भूमि को कृषि उपयोग लायक बनाने का लक्ष्य रखा है। इससे करीब 75 लाख लोगों को रोजगार भी मिलेगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने तय किया लक्ष्य
भारत ने पहले 2.1 करोड़ हेक्टेयर बंजर जमीन को उपयोग में लाये जा सकने योग्य बनाने का लक्ष्य तय किया था, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने ग्रेटर नोएडा में आयोजित सम्मेलन (कॉप-14) की उच्चस्तरीय बैठक के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि भारत अब 2030 तक 2.6 करोड़ हेक्टेयर बंजर जमीन को दुरुस्त करने की महत्वाकांक्षा रखता है। इसके अंतर्गत जमीन की उत्पादकता और जैव प्रणाली को बहाल करने पर ध्यान दिया जाएगा। इसमें बंजर हो चुकी खेती की जमीन के अलावा वन क्षेत्र और अन्य परती जमीनों को केंद्र में रखा जाएगा।
अब मोबाइल एप से किराए पर मंगा सकेंगे आधुनिक कृषि मशीनरी
मोदी सराकर किसानों को हर वो सुविधा दे रही है, जिससे उनकी कृषि लागत कम हो और इनकम बढ़े। छोटे किसानों की सबसे बड़ी दिक्कत होती है कि वे खेती-बाड़ी में काम आने वाले अत्याधुनिक कृषि यंत्रों को खरीद नहीं सकते हैं। इसलिए मोदी सरकार ने अब छोटे किसानों के एक मोबाइल एप लॉन्च किया। ‘सीएचसी फार्म मशीनरी’ मोबाइल एप के जरिए किसान अपने खेत के 50 किलोमीटर दायरे में उपलब्ध खेती के उपकरण को मंगा सकेंगे। इस एप को बहुभाषी बनाया गया है। यह एप हिंदी और अंग्रेजी समेत 12 भाषाओं में उपलब्ध है।
अब किसानों को आसानी से मिलती है खाद
कांग्रेस की सरकारों के दौरान किसानों को खेती के लिए उर्वरक लाने में जान के लाले पड़ जाते थे। सरकारी खाद की दुकानों पर किसानों का अधिक समय लाइन लगाने और खाद लाने में बीत जाता था। इन लाइनों में खाद न मिलने के कारण कई राज्यों में अनेकों बार हिंसक घटनाएं हुईं। लेकिन अब देश में यह बीते दिनों की बातें हो चुकी हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने नीम कोटिंग का ऐतिहासिक फैसला लेकर कालाबजारी को पूरी तरह से बंद कर दिया, अब रासायनिक उर्वरकों का उपयोग केवल खेतों में ही हो सकता है, पहले की तरह उद्योगों में इसका उपयोग होना बंद हो गया है। प्रधानमंत्री मोदी ने ऐतिहासिक कदम यह उठाया कि सभी बंद पड़े उर्वरक संयंत्रों को उत्पादन के लायक बनाकर, देश में उर्वरक उत्पादन को बढ़ा दिया। कांग्रेस की सरकारों के समय से बंद पड़े कई उर्वरक संयंत्रों को पुर्नजीवित किया जा रहा है।
हर खेत तक 24 घंटे बिजली पहुंचाने की योजना
हर घर तक बिजली पहुंचाने के बाद मोदी सरकार अब हर खेत तक 24 घंटे बिजली पहुंचाने की योजना पर काम कर रही है। सरकार ने कृषि क्षेत्र के लिए पूरी तरह से अलग फीडर तय किया है, जिससे उन्हें 24 घंटे बिजली मिल सके। इसके साथ ही सरकार की योजना किसानों की लगात कम करने की भी है। सब्सिडी के साथ बिजली मिलने से भी उनकी आय बढ़ेगी।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक से इनकम बढ़ाने की तैयारी
किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य को पूरा करने के लिए मोदी सरकार हर संभव प्रयास कर रही है। इसी को देखते हुए अब खेती में आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल पर जोर दिया जा रहा है। मोदी सरकार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक से देश के किसानों की तकदीर बदलने की तैयारी कर रही है। यह तकनीक किसानों के लिए मुनाफे की खेती साबित हो सकती है। इससे फसल की लागत घटेगी और किसानों की आय बढ़ेगी।
KUSUM योजना को मंजूरी
मोदी सरकार ने किसान ऊर्जा सुरक्षा और उत्थान महाभियान यानि KUSUM योजना को लागू करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी। इस योजना के तहत किसानों को खेतों में सिंचाई के लिए सोलर पंप मुहैया कराया जा रहा है। मोदी सरकार ने KUSUM योजना बिजली संकट से जूझ रहे इलाकों को ध्यान में रख शुरू की। मोदी सरकार की कुसुम योजना के जरिए किसान अपनी जमीन पर सौर ऊर्जा उपकरण और पंप लगाकर अपने खेतों की सिंचाई कर सकते हैं। कुसुम योजना की मदद से किसान अपनी भूमि पर सोलर पैनल लगाकर इससे बनने वाली बिजली का उपयोग खेती के लिए कर सकते हैं। किसान की जमीन पर बनने वाली बिजली से देश के गांव में बिजली की निर्बाध आपूर्ति शुरू की जा सकती है।
‘बीज से बाजार’ तक की महत्वपूर्ण पहल
किसानों को सशक्त करने के लिए ‘बीज से बाजार तक’ मोदी सरकार की एक अनुपम पहल है। जैसा कि नाम से भी स्पष्ट है, इस पहल के अंतर्गत पूरे फसल चक्र में किसानों के लिए कृषि कार्य को आसान बनाने की व्यवस्था है। यानि किसानों के लिए बीज हासिल करने से लेकर उपज को बाजार में बेचने तक का प्रावधान है। इस व्यवस्था में सबसे पहले बुआई से पहले किसानों की जरूरतों को ध्यान में रखा गया है जिसमें कृषि ऋण की उपलब्धता महत्वपूर्ण है।
दशकों पुरानी समस्याएं खत्म करने के लिए उठाए कदम
प्रधानमंत्री मोदी ने किसानों की समस्याओं के समाधान को निश्चित समय में लागू करने के लिए कई ऐतिहासिक निर्णय लिए। कांग्रेस की सरकारों में किसानों के लिए पानी, बिजली, खाद आदि से जुड़ी समस्याओं के समाधान के लिए योजनाएं तो बनीं, लेकिन उनके क्रियान्वयन की समयसीमा को निश्चित नहीं किया गया, इसका परिणाम यह हुआ कि समस्या हमेशा बनी ही रही। प्रधानमंत्री मोदी ने इसके विपरीत किसानों की पानी, बिजली, बीज, खाद, कृषि से जुड़े अन्य धंधों, बाजार, बीमा आदि से जुड़ी योजनाओं को निश्चित समय में लागू करने निर्णय लिया। किसानों की समस्याओं का समाधान करते हुए, आय दोगुनी करने का संकल्प मोदी सरकार से पहले इस देश में किसी सरकार ने नहीं लिया।
किसानों की आय बढ़ाने की पहल
- कृषि उत्पादकता बढ़ाने, उत्पादन लागत कम करने, बाजार तक पहुंच बढ़ाने और उचित मूल्य दिलाने के लिए कई कदम उठाए गए हैं।
- कृषि लागत को कम करने के लिए बीजों, खादों, कृषि उपकरणों, सिंचाई एवं सोलर पंपों पर सब्सिडी दी जा रही है।
- खेती की लागत को कम करने के लिए लगातार जीरो बजटिंग और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है।
- स्वायल हेल्थ कार्ड योजना से जरूरत के हिसाब से खाद इस्तेमाल करने से खाद पर होने वाले खर्च में कमी आयी है।
- कृषि उपजों के निर्यात में वृद्धि कर किसानों की आय में बढ़ोतरी के प्रयास किए जा रहे हैं।