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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नक्शेकदम पर चल रहे हैं मध्य प्रदेश के सीएम डॉ. मोहन यादव, योगी के समान तोड़ रहे मिथक और ले रहे शानदार फैसले, उज्जैन में बिताई रात

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मध्यप्रदेश के नए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नक्शेकदम पर चलते हुए इन दिनों एक्शन मोड में दिखाई दे रहे हैं। उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्धनगर (नोएडा) के बारे में यह मिथक था कि कोई भी पदासीन मुख्यमंत्री इस शहर में जाता है तो वह दोबारा मुख्यमंत्री नहीं बनता है। इस मिथक को योगी आदित्यनाथ ने तोड़ा। इसी तरह उज्जैन के बारे में भी मिथक था कि इस शहर में महाकाल के अलावा कोई राजा (राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री) रात में नहीं रुकता। यदि वह ऐसा करता है तो राजसत्ता से बाहर हो जाता है। लेकिन मध्य प्रदेश के नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री ने न सिर्फ उज्जैन में रात गुजारी, बल्कि कैबिनेट की अगली बैठक भी उज्जैन में ही करने की बात कही है।

उज्जैन के बाद मोरारजी और येदुरप्पा की कुर्सी चली गई थी
ऐसी किंवदंती है कि महाकाल की नगरी उज्जैन के राजा स्वयं महाकाल ही हैं। यदि कोई राजा (राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री) यहां रुकता है तो इसके बाद उसके सामने ऐसे हालात बन जाते हैं कि वो सत्ता से बाहर हो जाता है। यह मान्यता दो बार सच भी साबित हुई है। प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई एक बार रात्रि में महाकाल की नगरी में रुके थे। दूसरे ही दिन उनकी सरकार गिर गई थी। इसी प्रकार कर्नाटक के सीएम येदुरप्पा भी एक बार महाकाल की नगरी में रात्रि विश्राम कर चुके हैं। उज्जैन में रहने के 20 दिन बाद ही उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था।

नोएडा के मिथक को योगी ने तोड़ा, मायावती हार गईं थीं
कुछ ऐसा ही मिथक उत्तर प्रदेश में भी है। ऐसा कहा जाता है कि उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्धनगर (नोएडा) के बारे में भी यह मिथक था कि कोई भी पदासीन मुख्यमंत्री इस शहर में जाता है तो वह दोबारा मुख्यमंत्री नहीं बनता है। इस मिथक को योगी आदित्यनाथ ने तोड़ा। वह कई बार नोएडा गए और 2022 में फिर से सत्ता में लौटे और मुख्यमंत्री बने। हालांकि, मायावती मुख्यमंत्री रहते नोएडा गई थी, इसके बाद चुनाव हार गईं थी। इसी मिथक के चलते या कहें कि डर से अखिलेश यादव इतने साल तक मुख्यमंत्री रहते हुए कभी भी नोएडा नहीं गए थे। योगी आदित्यनाथ की तरह अब मध्य प्रदेश के सीएम मोहन यादव ने मिथक को तोड़ा है।

मैं उज्जैन का बेटा और महाकाल का मुख्य सेवक हूं
मध्य प्रदेश की सीएम बनने के बाद डॉ मोहन यादव पहली बार उज्जैन पहुंचे। उनका शानदार स्वागत किया गया। इसके बाद सीएम ने उज्जैन में ही रात्रि विश्राम किया। उज्जैन के मिथक के बारे में उन्होंने मीडिया से कहा कि मैं तो उज्जैन का बेटा हूं। बाबा महाकाल मेरे पिता हैं। मैं महाकाल के मुख्य सेवक के रूप में काम कर रहा हूं, न कि सीएम के रूप में। शहर के पंडितों और ज्योतिषियों का कहना है कि डॉ. मोहन यादव उज्जैन में ही जन्मे हैं। इसलिए इन पर यह मिथक लागू नहीं होता।

लाउडस्पीकर और खुले में मांस बिक्री पर लगाई रोक
इस दौरान डॉ यादव ने विकसित भारत संकल्प यात्रा के समापन पर आम सभा को भी संबोधित किया। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश शासन की कैबिनेट की पहली बैठक उज्जैन में होगी। बैठक संभवत: 14 जनवरी को होगी। इससे पहले शपथ ग्रहण के बाद डॉ. मोहन यादव ने सबसे पहले खुले में मांस विक्रय पर रोक लगाई और उसके बाद लाउडस्पीकर की आवाज कम कराने का फैसला लिया था। इन दो फैसलों के बाद वे लगातार एक्शन मोड में नजर आ रहे हैं। सीएम योगी भी उत्तर प्रदेश में ऐसा कर चुके हैं।

योगी सरकार ने लगाई थी तेज आवाज में लाउडस्पीकर बजाने पर रोक

लाउडस्पीकर को लेकर देश भर में चल रहे विवाद के बीच ही इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी इस मसले पर अहम फैसला सुनाया है। हाई कोर्ट ने कहा कि मस्जिदों में अजान के लिए लाउडस्पीकर का इस्तेमाल मौलिक अधिकार नहीं है। इसके साथ ही कोर्ट ने लाउडस्पीकर का इस्तेमाल की जाने की इजाजत दिए जाने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बदायूं की नूरी मस्जिद के मुतवल्ली इरफान की याचिका सुनवाई के बाद खारिज कर दी है। इसके साथ ही, हाईकोर्ट ने अजान के लिए लाउडस्पीकर की इजाजत दिए जाने से इंकार कर दिया है। कोर्ट का यह फैसला एक तरह से उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के लाउडस्पीकर के बारे में किए गए निर्णय पर मुहर है।

यूपी में योगी सरकार के फैसले के बाद 11 हजार लाउडस्पीकर उतरवाए
बीजेपी शासित राज्यों में शांति-सद्भाव बढ़ाने की लगातार कोशिशें हो रही हैं। सरकारें इस तरह के कदम उठा रही हैं कि लोगों में साम्प्रदायिक सौहार्द्र बना रहे और माहौल खराब न हो। इसी दिशा में उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की सरकारों ने दो बड़े फैसले लिए हैं। यूपी की योगी सरकार ने बिना अनुमति के धार्मिक जुलूस या शोभा यात्रा के साथ ही लाउडस्पीकर की आवाज को परिसर तक ही रखने का आदेश दिए। इसके तहत 11 हजार से ज्यादा लाउडस्पीकर यूपी से उतरवाए गए और हजारों माइक की आवाज कम कराई गई। जिससे अन्य लोगों को कोई असुविधा नहीं हो। यही नहीं योगी सरकार ने कहा कि नए स्थलों पर लाउडस्पीकर लगाने की अनुमति न दें। योगी सरकार फैसले के चलते ईद या अन्य शोभायात्राओं के मौके पर शांति रही।

नूरी मस्जिद के मुतवल्ली इरफान ने लगाई थी याचिका
योगी सरकार के इसी फैसले के विरोध में बदायूं के बिसौली तहसील के धोरनपुर गांव की नूरी मस्जिद के मुतवल्ली इरफान की तरफ से याचिका दाखिल की गई थी। याचिका में एसडीएम समेत तीन लोगों को पक्षकार बनाया गया था। एसडीएम द्वारा लाउडस्पीकर के इस्तेमाल की इजाजत वाली अर्जी को खारिज किए जाने को चुनौती दी गई थी। अदालत ने इस मामले में दखल देने से इंकार कर दिया है। कोर्ट ने याचिका में की गई मांग को गलत बताया और अर्जी को खारिज कर दिया।

लाउडस्पीकर की इजाजत के लिए ठोस आधार पेश नहीं 
याचिका में हाईकोर्ट से कहा गया था कि मौलिक अधिकार के तहत लाउडस्पीकर बजाने की इजाजत मिलनी चाहिए। जस्टिस विवेक कुमार बिड़ला और जस्टिस विकास बुधवार की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई। अदालत ने याचिका को खारिज कर दिया और कहा कि मस्जिद में अजान के लिए लाउडस्पीकर का इस्तेमाल करना मौलिक अधिकार की श्रेणी में कतई नहीं आता है। लाउडस्पीकर की इजाजत के लिए कोई अन्य ठोस आधार नहीं दिए गए हैं। अदालत ने इस मामले में दखल देने से इनकार कर दिया। इसके साथ ही, अदालत ने याचिका में की गई मांग को गलत बताया और अर्जी को खारिज कर दिया है।

लाउडस्पीकर से पहले मस्जिदों से आवाज से देते थे अजान
गौरतलब है कि 2020 में भी एक फैसले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने माना था कि लाउडस्पीकर से अजान पर प्रतिबंध वैध है, क्योंकि यह इस्लाम का हिस्सा नहीं है। हाईकोर्ट ने कहा था कि अजान इस्लाम का हिस्सा है, लेकिन लाउडस्पीकर से अजान देना इस्लाम का हिस्सा नहीं हो सकता। इसके लिए कोर्ट ने तर्क दिया था कि लाउडस्पीकर के आने से पहले मस्जिदों से मानव आवाज में अजान दी जाती थी। मानव आवाज में मस्जिदों से अजान दी जा सकती है। तब गाजीपुर से सांसद अफजाल अंसारी ने इस संबंध में याचिका डाली थी।

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