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CM Gehlot ने सचिन को बताया ‘बड़ा कोरोना’, पायलट का पलटवार- नेता और अधिकारी शामिल नहीं तो बंद तिजोरी से पेपर ‘जादू’ से लीक हो गए? हवा-हवाई हुए वेणुगोपाल के निर्देश

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कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल पता नहीं आजकल राजस्थान कांग्रेस की सुर्खियां देख पा रहे हैं, या फिर उन्होंने अपने निर्देशों की खुलेआम धज्जियां उड़ते देखकर खुद ही आंखें बंद कर ली हैं ? राहुल गांधी के राजस्थान आने पर गहलोत-पायलट में सुलह की जो दिखावटी स्क्रिप्ट लिखी गई थी, वह अब खुलकर नौटंकी के रूप में सामने आ गई है। हालात यह है कि राजस्थान प्रदेश कांग्रेस की अंदरूनी कलह एक बार फिर चरम पर जाती दिख रही है। कुछ दिनों के लिए थमी सियासी बयानबाजी अब बम के गोलों के समान कांग्रेस के दोनों थड़ों पर गिर रही है। पिछले 4 दिनों से सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट एक दूसरे पर लगातार सियासी हमले करते हुए दिखाई दे रहे हैं। गहलोत ने तो पायलट को ‘गद्दार’ बोलने के बाद अब ‘बड़ा कोरोना’ की नई उपाधि दे डाली है।कांग्रेस महासचिव वेणुगोपाल के निर्देशों की धज्जियां, नए प्रभारी रंधावा भी हुए मौन
कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के राजस्थान आने से पहले पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल ने तब परस्पर की जा रही बयानबाजी पर यह कहकर आक्रोश जताया था कि अब बयानबाजी करने वालों को 24 घंटे के अंदर ही पद से हटा दिया जाएगा। लेकिन कद्दावर कांग्रेस नेताओं के एक-दूसरे पर कटाक्ष के बाद 24 तो क्या, कई दिन बीत जाने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। पायलट-गहलोत की लड़ाई की भेंट चढ़ चुके दो प्रदेश प्रभारियों के बाद अब आए सुखजिंदर सिंह रंधावा भी एक-दो मीटिंग लेने के बाद मौन साध गए हैं। पंजाब के पूर्व डिप्टी सीएम रंधावा को भी समझ में नहीं आ रहा है कि सीएम और पूर्व डिप्टी सीएम की अदावत को कैसे सुलझाया जाए। उनके प्रदेश प्रभारी बनने के बाद झगड़ा सुलझने के बजाए जनता के मंचों पर पहुंच गया है।

पहले कोरोना आ गया, फिर एक ‘बड़ा कोरोना’ और आ गया हमारी पार्टी के अंदर-सीएम
राहुल गांधी का इशारा पाकर सचिन पायलट द्वारा किसान सम्मेलन शुरू करने के साथ ही मुख्यमंत्री गहलोत और पायलट के बीच कोल्ड वॉर एक बार फिर से तेज हो गया है। कर्मचारी संगठनों के साथ गहलोत की बजट पूर्व हाल ही में हुई बातचीत का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें पायलट का नाम लिए बिना गहलोत उस पर निशाना साधते नजर आए। बुधवार को बातचीत के दौरान संविदा कर्मचारियों के नेता शमशेर भालू खान ने सीएम के नहीं मिलने की बात कही तो गहलोत ने बात काटते हुए कहा- आप ठीक कह रहे हो, मैं अब मिलने लगा हूं, क्या हुआ कि पहले कोरोना आ गया। फिर मुझे दो बार कोरोना हो गया और इस बीच एक ‘बड़ा कोरोना’ और आ गया हमारी पार्टी के अंदर। कभी उपचुनाव, कभी राज्यसभा चुनाव। राज्यसभा चुनाव में भी वोट कहीं पड़ रहा है हम कहीं हैं। बहुत खराब टाइम था। इसके बावजूद आपके सहयोग, आशीर्वाद, समर्थन और दुआओं से हम काम कर रहे हैं, उस कारण से सब बातें ढंक गई हैं।सचिन का अपनी सरकार पर वार- पेपर लीक के दलालों को नहीं, असली सरगना को पकड़ो
इससे पहले किसान सम्मेलन में नागौर में सचिन पायलट ने भी अपनी ही सरकार पर निशाना साधते हुए सीएम गहलोत को इशारों-इशारों में आड़े हाथों लिया। सरकार जब चार साल के कामकाज की समीक्षा और भविष्य के लिए चिंतन-मंथन करने बैठी तो राहुल गांधी ने सचिन पायलट को अकेले ही राजस्थान में किसानों की रैलियां करने भेज दिया। पायलट को जनता का प्लेटफॉर्म मिला तो वो भी अपनी ही सरकार पर निशाना साधने से नहीं चूके। उन्होंने कहा कि नौजवान जब विपरीत हालात में पढ़ाई करके परीक्षा देता है, ऐसे में लगातार पेपर लीक के मामले सामने आते हैं तो सच में मन बहुत आहत होता है। पेपर लीक मामले में जो छोटी मोटी दलाली करते हैं, उनके बजाए सरकार को इनके सरगना को पकड़ना चाहिए, ताकि पेपर लीक पर विराम लग सके। दूसरी ओर बीजेपी नेताओं ने कहा है कि पेपर लीक के सरगनाओं का कनेक्शन तो गहलोत सरकार से ही है।

पेपर लीक के लिए अफसर-नेता जिम्मेदार नहीं तो क्या वो जादू से ही लीक हो गए
राजस्थान में चुनावी साल में भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बीच सियासी घमासान जारी है। अब तो दिलचस्प यह है कि कांग्रेस हाईकमान भी इनकी सियासी अदावत को खत्म कराने के बजाए जलती आग पर तेल छिड़कता दिखाई दे रहा है। पायलट ने बुधवार को झुंझुनूं के गुढ़ा में पेपर लीक में अफसर-नेताओं को सीएम की क्लीन चिट पर सवाल उठाए थे। पायलट ने कहा था- जब कोई नेता अफसर जिम्मेदार नहीं है तो तिजोरी से पेपर बाहर कैसे आ गया, यह तो जादूगरी हो गई, कोई तो जिम्मेदार होगा? इस बयान के कुछ देर बाद ही सीएम की प्री-बजट बैठक थी। इसमें गहलोत ने कर्मचारियों के सामने पार्टी के कोरोना का जिक्र कर दिया।बड़े अफसरों को तो शाम को रिटायर होते ही अगले दिन मिल रही है राजनीतिक नियुक्ति
पायलट ने अफसरों को बड़े पैमाने पर राजनीतिक नियुक्तियां देने पर भी सवाल उठाए। पायलट ने कहा- बहुत से लोगों को राजनीतिक नियुक्तियां दीं, लेकिन जिन लोगों ने सरकार बनाने के लिए खून-पसीना बहाया। उनका अनुपात सुधारना होगा। पायलट ने कहा- प्रदेश में बहुत से ऊंचे अधिकारी हैं, जो अधिकारी हमारी सरकार में काम करते हैं। उन्हें यह फर्क नहीं पड़ता कि कि राज कांग्रेस का है या बीजेपी का है। अफसर तो राज की नौकरी करते हैं। बड़े अफसरों को भी हमें राज में मौका देना हो तो दीजिए, लेकिन अनुपात बेहतर होना चाहिए। उन्होंने कहा- कांग्रेस का वर्कर चाहे मेरा समर्थक हो या किसी और का हो, उसे कोई राजनीतिक नियुक्तियों में पद दें तो उसका हम सब स्वागत करेंगे। बड़े-बड़े अधिकारी शाम को 5 बजे रिटायर होते हैं और रात को 12 बजे उनकी नियुक्ति हो जाती है। थोड़ा-बहुत तो होता है, लेकिन अधिकारियों की जगह कांग्रेस के कार्यकर्ता को पद मिलते तो अच्छा होता। हमें तो उसको ठीक करना होगा।

बीजेपी की इलेक्शन की तैयारियों के बीच गहलोत-पायलट का सियासी सीजफायर टूटा
विधानसभा चुनाव में मिशन-2023 को लेकर बीजेपी युद्ध स्तर पर तैयारियों में लगी है। हाल ही में पीएम मोदी ने नई दिल्ली में राजस्थान समेत उन राज्यों के नेताओं के साथ मंथन किया, जहां इस साल चुनाव होने हैं। एक ओर बीजेपी चुनाव की रणनीति बनाने में व्यस्त है, दूसरी ओर कांग्रेस में अब पायलट-गहलोत के बीच विवाद और तेज होने के आसार बन गए हैं। सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट खेमों के बीच राहुल गांधी की यात्रा के समय हुआ सीजफायर टूट गया है और अब फिर से सियासी कोल्ड वॉर की शुरुआत हो गई है। सचिन पायलट की सभाओं से इसकी शुरुआत हो गई है। दोनों नेता अब एक-दूसरे पर पलटवार करने लगे हैं। सियासी लड़ाई में अब नए-नए शब्द भी आने लगे हैं। राहुल गांधी की यात्रा से पहले गहलोत ने पायलट को गद्दार बताया था। अब ताजा पलटवार पर पायलट के रिस्पॉन्स का इंतजार है।

 

 

 

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