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विश्वनाथ धाम का नया परिसर एक भव्य भवन भर नहीं है, ये प्रतीक है हमारे भारत की सनातन संस्कृति का, आध्यात्मिक आत्मा का, प्राचीनता और परंपरा का : PM Modi

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में सोमवार को काशी में अपना ड्रीम प्रोजेक्ट श्री काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर का लोकार्पण किया। इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा कि बाबा अपने भक्तों की सदियों की सेवा से प्रसन्न हुए हैं, इसलिए उन्होंने आज के दिन का हमें आशीर्वाद दिया है। विश्वनाथ धाम का ये पूरा नया परिसर एक भव्य भवन भर नहीं है। ये प्रतीक है, हमारे भारत की सनातन संस्कृति का! ये प्रतीक है, हमारी आध्यात्मिक आत्मा का! ये प्रतीक है, भारत की प्राचीनता का, परम्पराओं का! भारत की ऊर्जा का, गतिशीलता का! आप यहाँ जब आएंगे तो केवल आस्था के दर्शन नहीं करेंगे। आपको यहाँ अपने अतीत के गौरव का अहसास भी होगा।काशी में प्राचीनता और नवीनता एक साथ सजीव हो रही हैं
पीएम मोदी ने कहा कि कैसे प्राचीनता और नवीनता एक साथ सजीव हो रही हैं। कैसे पुरातन की प्रेरणाएं भविष्य को दिशा दे रही हैं, इसके साक्षात दर्शन विश्वनाथ धाम परिसर में हम कर रहे हैं। जो माँ गंगा, उत्तरवाहिनी होकर बाबा के पाँव पखारने काशी आती हैं, वो भी आज बहुत प्रसन्न होंगी। यहाँ हर कोई आना चाहता है, लेकिन रास्तों और जगह की कमी हो गई थी। बुजुर्गों के लिए, दिव्यांगों के लिए यहाँ आने में बहुत कठिनाई होती थी। लेकिन अब, ‘विश्वनाथ धाम परियोजना के पूरा होने से यहाँ हर किसी के लिए पहुँचना सुगम हो गया है। हमारे दिव्यांग भाई-बहन, बुजुर्ग माता-पिता सीधे बोट से जेटी तक आएंगे।

उन्होंने भावुक होते हुए कहा कि काशी के बारे में, मैं जितना बोलता हूँ, उतना डूबता जाता हूँ, उतना ही भावुक होता जाता हूँ। काशी शब्दों का विषय नहीं है, संवेदनाओं की सृष्टि है। काशी वो है- जहां जागृति ही जीवन है। काशी वो है- जहां मृत्यु भी मंगल है। काशी वो है- जहां सत्य ही संस्कार है और काशी वो है- जहां प्रेम ही परंपरा है। इसलिए, हम अपनी काशी को जीवित मानते हैं, और इसी भाव से हमें अपने देश के कण-कण में मातृभाव का बोध होता है।

पीएम मोदी ने कहा कि बनारस वो नगर है जहां से जगद्गुरू शंकराचार्य को श्रीडोम राजा की पवित्रता से प्रेरणा मिली, उन्होंने देश को एकता के सूत्र में बांधने का संकल्प लिया। ये वो जगह है जहां भगवान शंकर की प्रेरणा से गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस जैसी अलौकिक रचना की। यहीं की धरती सारनाथ में भगवान बुद्ध का बोध संसार के लिए प्रकट हुआ। समाजसुधार के लिए कबीरदास जैसे मनीषी यहाँ प्रकट हुये। समाज को जोड़ने की जरूरत थी तो संत रैदास जी की भक्ति की शक्ति का केंद्र भी ये काशी बनी। ये काशी अहिंसा और तप की प्रतिमूर्ति चार जैन तीर्थंकरों की धरती है। भारतेन्दु हरिश्चंद्र, जयशंकर प्रसाद, मुंशी प्रेमचंद, पंडित रविशंकर, और बिस्मिल्लाह खान जैसी प्रतिभाएं की खान काशी ही है।

काशी में एक ही सरकार है, जिनके हाथों में डमरू है
पीएम मोदी ने कहा कि आज हिसाब-किताब का समय नहीं है लेकिन मुझे याद है, तब कुछ ऐसे लोग भी थे जो बनारस के लोगों पर संदेह करते थे। मुझे आश्चर्य होता था कि बनारस के लिए ऐसी धारणाएँ बना ली गई थीं! थोड़ी बहुत राजनीति थी, थोड़ा बहुत कुछ लोगों का निजी स्वार्थ, इसलिए बनारस पर आरोप लगाए जा रहे थे। लेकिन काशी तो काशी है! काशी तो अविनाशी है। काशी में एक ही सरकार है, जिनके हाथों में डमरू है, उनकी सरकार है। जहां गंगा अपनी धारा बदलकर बहती हों, उस काशी को भला कौन रोक सकता है?

कितनी ही सल्तनतें उठीं और मिट्टी में मिल गईं, बनारस बना हुआ है
उन्होंने कहा कि हमारी इस वाराणसी ने युगों को जिया है, इतिहास को बनते बिगड़ते देखा है। कितनी ही सल्तनतें उठीं और मिट्टी में मिल गईं, फिर भी, बनारस बना हुआ है, बनारस अपना रस बिखेर रहा है। हमारे पुराणों में प्राकृतिक आभा से घिरी काशी के ऐसे ही दिव्य स्वरूप का वर्णन किया गया है। लेकिन समय कभी एक जैसा नहीं रहता। आतातायियों ने इस नगरी पर आक्रमण किए, इसे ध्वस्त करने के प्रयास किए! औरंगजेब के अत्याचार, उसके आतंक का इतिहास साक्षी है। जिसने संस्कृति को कट्टरता से कुचलने की कोशिश की।स्वच्छता, सृजन और आत्मनिर्भर भारत के लिए निरंतर प्रयास करें
पीएम मोदी ने याद दिलाया कि जब भी हम भगवान के दर्शन करते हैं, मंदिर आते हैं, कई बार ईश्वर से कुछ मांगते हैं, कुछ संकल्प लेकर भी जाते हैं। मेरे लिए जनता जनार्दन ईश्वर का ही रूप है, हर भारतवासी ईश्वर का ही अंश है, इसलिए मैं कुछ मांगना चाहता हूं। मैं आपसे अपने लिए नहीं, हमारे देश के लिए तीन संकल्प चाहता हूं- स्वच्छता, सृजन और आत्मनिर्भर भारत के लिए निरंतर प्रयास। स्वच्छता, जीवनशैली होती है, अनुशासन होती है। भारत चाहे जितना ही विकास करे, स्वच्छ नहीं रहेगा, तो हमारे लिए आगे बढ़ पाना मुश्किल होगा। नमामि गंगे अभियान की सफलता बनी रहे, इसके लिए हमें सजग होकर काम करते रहना होगा।

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