प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले नौ साल में जम्मू-कश्मीर की तकदीर और तस्वीर बदल दी है। केंद्र की सत्ता में आने के बाद जहां वित्तीय पैकेज के माध्यम से विकास को गति दी, वहीं अनुच्छेद-370 हटाने का साहिसक और ऐतिहासिक फैसला किया। इस फैसले पर अब सुप्रीम कोर्ट ने भी अपनी मुहर लगा दी है। इससे जम्मू-कश्मीर में शांति स्थापित करने के मोदी सरकार के प्रयास को सुप्रीम समर्थन मिल गया है। अब जम्मू-कश्मीर विकास के रास्ते पर तेजी से आगे बढ़ सकेगा। राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर से संबंधित दो संशोधन विधेयक पारित किए गए। इस दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आंकड़ों के जरिए दावा किया कि पिछले नौ सालों में पत्थरबाजी, आतंकी घटनाओं और टेरर फंडिंग में काफी कमी आई है। उन्होंने कहा कि जो युवा पत्थर लेकर घूमते थे, प्रधानमंत्री मोदी ने उनके हाथों में लैपटॉप थमाने का काम किया है। कश्मीर में यह बदलाव हुआ है कि जनता अब लोकतंत्र और विकास की बात करती है।
जम्मू-कश्मीर में आतंकी घटनाओं में 70 प्रतिशत की कमी
दरअसल सोमवार (11 दिसंबर, 2023) को जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक और जम्मू-कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक पर चर्चा के दौरान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि अनुच्छेद 370 ने अलगाववाद को बढ़ावा दिया और आतंकवाद को जन्म दिया। अनुच्छेद 370 खत्म होने के बाद कश्मीर में अलगाववाद की भावना समाप्त हो जाएगी और जब अलगाववाद की भावना समाप्त होगी तो धीरे धीरे आतंकवाद भी खत्म हो जाएगा। उन्होंने जम्मू-कश्मीर में आतंकी घटनों के आकंड़े पेश करते हुए दावा किया कि केंद्र शासित प्रदेश में आतंकी घटनाओं में 70 प्रतिशत की कमी आई है, जबकि अनुच्छेद 370 हटाने को अभी चार साल ही बीते हैं।
शहीद होने वाले सुरक्षा कर्मियों की संख्या में 50 प्रतिशत की कमी
कांग्रेस के शासन और बीजेपी के शासन में आतंकी घटनाओं की तुलना करते हुए केंद्रीय गृहमंत्री ने बताया कि 2004 से 2014 के बीच आतंकवाद की 7,217 घटनाएं हुईं,जबकि मोदी सरकार के बीते 9 साल में 2197 आतंकी घटनाएं हुईं। उन्होंने कहा कि वर्ष 2004 से 2014 तक कश्मीर में कुल 2829 सुरक्षा कर्मी और नागरिक मारे गए, जबकि 2014 से 2023 तक 891 सुरक्षा कर्मी और नागरिक मारे गए जो पहले की तुलना में 70 प्रतिशत कम है। अमित शाह ने कहा कि शहीद होने वाले सुरक्षा कर्मियों की संख्या में भी 50 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है।
2023 में पत्थरबाजी की एक भी घटना नहीं हुई
केंद्रीय गृहमंत्री ने पत्थरबाजी की घटनाओं की तुलना करते हुए कहा कि 2010 में पत्थरबाजी की 2656 घटनाएं सामने आई थीं, जबकि अनुच्छेद 370 हटने के सिर्फ चार साल बाद 2023 में पत्थरबाजी की एक भी घटना नहीं हुईं। 2010 में पथराव से 112 लोगों की मौत हुई थी, जबकि 2023 में पत्थरबाजी की एक भी घटना नहीं हुई, इसलिए किसी की मृत्यु का सवाल ही नहीं है। गृहमंत्री ने बताया कि वर्ष 2010 में पत्थरबाजी के कारण घाटी के 6235 नागरिक जख्मी हुए थे, लेकिन 2023 में यह आंकड़ा शून्य है। उन्होंने कहा कि पत्थरबाजी की घटनाएं भी बंद हुई क्योंकि सरकार ने तय किया है कि अगर किसी अभ्यर्थी के परिवार में पथरबाजी का केस है तो उसे सरकारी नौकरी नहीं दी जाएगी।
घाटी छोड़कर भागे आतंकवादियों की संख्या में कमी
अमित शाह ने कहा कि 2010 में सीजफायर उल्लंघन की घटनाएं 70 थीं जो 2023 में सिर्फ 6 हैं। 2010 में घुसपैठ के प्रयास 489 बार हुए जबकि इस साल अब तक सिर्फ 48 हुए हैं। उन्होंने कहा कि वर्ष 2010 में घाटी छोड़कर भागे आतंकवादियों की संख्या 281 थी, जबकि 2023 में यह संख्या 18 है। हमारी सरकार के समय में भी आतंकवादी हमले हुए, उरी और पुलवामा में आतंकवादी घटनाएं हुईं, लेकिन हमने घर में घुसकर जवाब देने का काम किया। आतंकवादियों के लिए हमारे मन में कोई संवेदना नहीं है। आतंकवादी अगर हथियार डाल दें और मुख्यधारा में शामिल हो जाएं तो उनका स्वागत है।
आतंकवाद को फंडिंग करने वालों पर भी कसा शिकंजा
गृह मंत्री ने कहा कि हमने सिर्फ आतंकवाद के खिलाफ आवाज नहीं उठाई है, बल्कि आतंकवाद के पूरे इकोसिस्टम को खत्म करने का काम किया है। साथ ही आतंकवाद को फंडिंग करने वालों पर भी कार्रवाई की गई है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की सरकार में एनआईए ने टेरर फाइनांस के 32 केस दर्ज किए, जबकि 2014 से पहले एक भी केस दर्ज नहीं किया गया था। स्टेट इनवेस्टिगेशन एजेंसी ने टेरर फाइनांस के 51 केस दर्ज किए जबकि पहले स्टेट इनवेस्टिगेशन एजेंसी की जरूरत ही महसूस नहीं की गई। उन्होंने कहा कि टेरर फाइनांस के मामलों में अब तक 229 गिरफ़्तारी हुई, 150 करोड़ रुपए से अधिक की संपत्ति जब्त की गई, 57 प्रॉपर्टी सीज की गईं है। इसके अलावा एनआईए ने 134 बैंक खातों में लगभग 100 करोड़ रुपए से अधिक की रकम को फ्रीज करने का काम किया है।
आतंकियों के जनाजों से स्थानीय लोगों ने बनाई दूरी
गृहमंत्री ने दावा किया कि आतंकवाद और आतंकियों के प्रति लोगों के नजरिए में भी बदलाव आया है। 2014 से पहले कश्मीर में आतंकवादियों के जनाजों में 25-25 हजार लोगों की भीड़ जमा होती थी लेकिन अनुच्छेद 370 खत्म होने के बाद ऐसे दृश्य दिखना बंद हो गए। उन्होंने कहा कि यह इसलिए संभव हुआ है क्योंकि हमने निर्णय किया कि किसी भी आतंकवादी के मारे जाने के बाद संपूर्ण धार्मिक रीति-रिवाज के साथ घटनास्थल पर ही उसे दफना दिया जाएगा। सरकार ने तय किया है कि अगर किसी के परिवार का कोई सदस्य पाकिस्तान में बैठकर भारत में आतंकवाद को प्रोत्साहन देता है तो उसे सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी। गृह मंत्री ने यह भी कहा कि टेलीफोन रिकॉर्ड के आधार पर अगर साबित होता है कि किसी के परिवार का कोई व्यक्ति आतंकवाद को बढ़ावा देने में लिप्त है तो उसे नौकरी से बर्खास्त करने के सर्विस रूल्स बनाए गए हैं।
105 करोड़ रुपए की लागत से आतंकवादियों के लिए बन रही है जेल
गृह मंत्री ने कहा कि जीरो टेरर प्लान और कंप्लीट एरिया डॉमिनेशन के माध्यम से पूरे आतंकवाद प्रभावित क्षेत्र को सुरक्षित करने का काम किया गया है। उन्होंने कहा कि जेल पहले अड्डे थे, लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की सरकार ने जेलों में जैमर लगाकर सख्ती करने का काम किया है। उन्होंने कहा कि कश्मीर में 105 करोड़ रुपए की लागत से आतंकवादियों के लिए एक जेल बनाई जा रही है, जिसकी सुरक्षा कोई भेद नहीं पाएगा। उन्होंने कहा कि आतंकवाद के प्रति सहानुभूति रखने वाले बार काउंसिल के लोगों को भी संदेश दे दिया गया है और रोजगार, पासपोर्ट एवं सरकारी ठेकों के लिए हमने ढेर सारे कदम उठाए हैं।