रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन चीफ अर्नब गोस्वामी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। देश की सर्वोच्च अदालत ने बुधवार को अर्नब को अंतरिम जमानत दे दी। इंटीरियर डिजाइनर अन्वय नाइक आत्महत्या मामले में कोर्ट ने 50 हजार के निजी मुचलके पर अर्नब गोस्वामी को रिहा करने का आदेश दिया। इस दौरान कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार पर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर राज्य सरकारें किसी को टारगेट करती हैं, तो यह न्याय का उल्लंघन होगा। इतना ही नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के रवैये को अनुचित माना। सुप्रीम कोर्ट के इस रुख से महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार और मुंबई पुलिस को तगड़ा झटका लगा है।
[BREAKING] Supreme Court orders release of #ArnabGoswami and other co-accused on interim bail.#ArnabGoswami #SupremeCourt #SupremeCourtofIndia
— Live Law (@LiveLawIndia) November 11, 2020
इसके पहले, अर्नब की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने बेहद सख्त टिप्पणी की। बॉम्बे हाईकोर्ट के रवैये पर चिंता जाहिर करते सर्वोच्च अदालत ने कहा कि अगर व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा हम नहीं करेंगे तो कौन करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हम एक के बाद एक ऐसे मामले देख रहे हैं, जहां हाईकोर्ट ने बेल नहीं दिया और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा करने में विफल रहा। सुप्रीम अदालत ने बेहद सख्त लहजे में कहा कि अगर संवैधानिक अदालत हस्तक्षेप नहीं करती है तो हम निश्चित तौर पर विनाश की ओर यात्रा में आगे बढ़ रहे हैं।
अर्नब गोस्वामी की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की है। सुनवाई के दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, ‘यदि हम एक संवैधानिक न्यायालय के रूप में व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा नहीं करेंगे, तो कौन करेगा? अगर कोई राज्य किसी व्यक्ति को जानबूझकर टारगेट करता है, तो एक मजबूत संदेश देने की आवश्यकता है। हमारा लोकतंत्र असाधारण रूप से लचीला है।’ इस दौरान कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर राज्य सरकारें व्यक्तियों को टारगेट करती हैं, तो उन्हें पता होना चाहिए कि नागरिकों की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए शीर्ष अदालत है।
अर्नब ने बॉम्बे हाई कोर्ट द्वारा जमानत से इनकार किए जाने को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। बॉम्बे हाई कोर्ट ने इंटीरियर डिजाइनर अन्वय नाईक को आत्महत्या के लिए कथित रूप से उकसाने के मामले में अर्नब और दो अन्य लोगों को अंतरिम जमानत देने से इनकार करते हुए उन्हें राहत के लिए स्थानीय अदालत जाने को कहा था। अर्नब की जमानत याचिका पर बहस के दौरान हरीश साल्वे ने कहा कि द्वेष और तथ्यों को अनदेखा करते हुए राज्य की शक्तियों का दुरुपयोग किया जा रहा है। इस मामले में मई 2018 में एफआइआर दर्ज की गई थी। दोबारा जांच करने के लिए शक्तियों का गलत इस्तेमाल किया जा रहा है।