प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज, 6 फरवरी को राष्ट्रपति के अभिभाषण पर राज्यसभा में चर्चा का जवाब दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ये सदन इस बात के लिए गर्व कर सकता है कि एक प्रकार से पिछला सत्र बहुत प्रोडक्टिव रहा है। इसके लिए सभी सदस्य अभिनंदन के पात्र है। ये अनुभवी और वरिष्ठजनों का सदन है इसलिए देश को बहुत आकांक्षाएं थी। लेकिन नए दशक के नए कलेवर की मेरी अपेक्षा में मुझे निराशा मिली। ऐसा लगता है कि आप जहां ठहर गए हैं, वहां से आगे बढ़ने का नाम नहीं लेते। कभी-कभी तो पीछे चले जाते हैं। अच्छा होता है कि हताशा का माहौल बनाए बिना नए विचार, नई उर्जा मिलती। मगर आपने ठहराव को ही किस्मत बना लिया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने विपक्ष पर तंज कसते हुए काका हाथरसी की एक कविता पढ़ी-
प्रकृति बदलती क्षण-क्षण देखो,
बदल रहे अणु, कण-कण देखो।
तुम निष्क्रिय से पड़े हुए हो,
भाग्य वाद पर अड़े हुए हो।
छोड़ो मित्र! पुरानी डफली,
जीवन में परिवर्तन लाओ।
परंपरा से ऊंचे उठ कर,
कुछ तो स्टैंडर्ड बनाओ
देखिए वीडियो-