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तुष्टिकरण की सोच इतनी खतरनाक कि आतंकियों को बचाने के लिए अदालत तक पहुंच जाती है- प्रधानमंत्री मोदी

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 31 अक्टूबर को देश के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती पर कहा कि तुष्टिकरण की राजनीति देश की एकता और विकास यात्रा में सबसे बड़ी रुकावट है। गुजरात के केवड़िया में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी पर पुष्पांजलि अर्पित करने के बाद देश को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, ‘देश की एकता और विकास यात्रा में सबसे बड़ी रुकावट है- तुष्टिकरण की राजनीति। भारत के बीते कई दशक साक्षी हैं कि तुष्टिकरण करने वालों को आतंकवाद, उसकी भयानकता, विकरालता कभी दिखाई नहीं देती। तुष्टिकरण करने वालों को मानवता के दुश्मनों के साथ खड़े होने में भी संकोच नहीं हो रहा है। तुष्टिकरण की ये सोच इतनी खतरनाक है कि वो आतंकियों को बचाने के लिए अदालत तक पहुंच जाते हैं। एकता को खतरे में डालने वाली ऐसी सोच से हर पल, हर समय, हर देशवासी को सावधान रहना ही है।’

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘दुनिया भारत की सराहना कर रही है। हमें दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को नई ऊंचाइयों पर ले जाने पर गर्व है। हमें गर्व है कि जब दुनिया युद्ध और अन्य संकटों का सामना कर रही है, तब भी हमारी सीमाएं सुरक्षित हैं। हमें गर्व है कि हम जल्द ही दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति बनने वाले हैं।’

उन्होंने कहा, ‘आज ऐसा कोई लक्ष्य नहीं है, जो भारत पा न सके। ऐसा कोई संकल्प नहीं है, जो हम भारतवासी मिलकर सिद्ध न कर सकें। बीते 9 वर्षों में देश ने देखा है कि जब सबका प्रयास होता है, तो कुछ भी असंभव नहीं रह जाता। किसने सोचा था कि कश्मीर कभी आर्टिकल 370 से मुक्त भी हो सकता है, लेकिन आज कश्मीर और देश के बीच आर्टिकल 370 की वो दिवार गिर चुकी है।’

प्रधानमंत्री ने कहा कि आप सभी युवाओं का जांबाजों का ये उत्साह राष्ट्रीय एकता दिवस की बहुत बड़ी ताकत है। एक तरह से मेरे सामने लघु भारत का स्वरूप दिख रहा है। राज्य अलग है, भाषा अलग है, परंपरा अलग है, लेकिन यहां मौजूद हर व्यक्ति एकता की मजबूत डोर से जुड़ा हुआ है। मनके अनेक है, लेकिन माला एक है। तन अनेक है, लेकिन मन एक है। जैसे 15 अगस्त हमारी स्वतंत्रता के उत्सव का, 26 जनवरी हमारे गणतंत्र के जयघोष का दिवस है, उसी तरह 31 अक्टूबर का ये दिन देश के कोने-कोने में राष्ट्रीयता के संचार का पर्व बन गया है।

देश के युवाओं को संबोधित करते हुए उन्होंने आगे कहा कि 15 अगस्त को दिल्ली के लाल किले पर होने वाला आयोजन, 26 जनवरी को दिल्ली के कर्तव्यपथ पर परेड और 31 अक्टूबर को स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के सानिध्य में मां नर्मदा के तट पर राष्ट्रीय एकता दिवस का ये मुख्य कार्यक्रम, राष्ट्र उत्थान की त्रिशक्ति बन गए हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज पूरा विश्व भारत के संकल्प की दृढ़ता को, भारतवासियों के पौरुष और प्रखरता को, भारतीय जनशक्ति की जिजीविषा को, आदर और विश्वास से देख रहा है, भारत की अविश्वसनीय, अतुलनीय यात्रा हर किसी के लिए प्रेरणा का केंद्र बन चुकी है।

सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आने वाले 25 साल, भारत के लिए इस शताब्दी के सबसे महत्वपूर्ण 25 साल हैं। इन 25 वर्षों में हमें समृद्ध बनना है, विकसित बनना है। आजादी के पहले 25 साल का एक ऐसा कालखंड आया था जिसमें हर देशवासी ने स्वतंत्र भारत के लिए खुद को खपा दिया था। अब समृद्ध भारत के लिए, वैसे ही अगले 25 वर्षों का अमृतकाल आया है। हमें सरदार पटेल की प्रेरणा से हर लक्ष्य को हासिल करना है। उन्होंने कहा कि अभी देश में चुनाव का भी माहौल बना है। राज्यों में चुनाव की प्रक्रिया चल ही रही है और अगले साल लोकसभा के भी चुनाव होने वाले हैं। आपने देखा होगा, कि देश में एक बहुत बड़ा पॉलिटिकल धड़ा ऐसा है जिसे सकारात्मक राजनीति का कोई तरीका नहीं दिख रहा। दुर्भाग्य से ये पॉलिटिकल धड़ा ऐसे-ऐसे हथकंडों को अपना रहा है, जो समाज और देश के खिलाफ है। ये धड़ा अपने स्वार्थ के लिए देश की एकता को तोड़ने में लगा है। इसलिए इन चुनौतियों के बीच आप जनता-जनार्दन की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण हो गई है।

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