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मोदी सरकार के धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने से देवस्थलों पर भक्तों का सैलाब, मां वैष्णो देवी में रिकॉर्ड एक करोड़ यात्री, उज्जैन महाकाल में आया 129 करोड़ दान

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सनातन संस्कृति को संरक्षित करते हुए निरंतर प्राचीन मंदिरों को जीर्णोद्धार कर रहे हैं। देशभर में धार्मिक स्थलों पर आने वाले श्रद्धालु-भक्तों का न सिर्फ सफर सुगम और सुरक्षित हो रहा है, बल्कि उन्हें तमाम सुविधाएं भी मिल रही हैं। इससे देशभर में धार्मिक पर्यटन के नए रिकॉर्ड बन रहे हैं। देशभर के धार्मिक स्थलों पर रिकॉर्ड श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। नवरात्रि के दौरान मां वैष्णो देवी के दर्शन करने रिकॉर्ड 4 लाख श्रद्धालु पहुंचे। जनवरी से अब तक यहां 80 लाख से अधिक श्रद्धालु पहुंच चुके हैं। ऐसे में इस साल तक श्रद्धालुओं का आंकड़ा आसानी से एक करोड़ पार कर जाएगा। बीते साल 91.24 लाख श्रद्धालु पहुंचे थे, जो 9 साल में सर्वाधिक है। दूसरी ओर महाकाल मंदिर में जुलाई में हेड काउंट मशीन लगने के बाद से 2.4 करोड़ श्रद्धालु आ चुके हैं। इस साल 129 करोड़ दान आया है।

आस्थास्थलों के दिव्य-भव्य बनने से तेजी से बढ़ रहा धार्मिक पर्यटन
पीएम मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने खोई हुई सांस्कृतिक विरासत को फिर से हासिल करने और उनके संरक्षण की दिशा में निरंतर उल्लेखनीय काम कर रही है। देश की आर्थिक प्रगति के लिए पर्यटन के महत्व को समझते हुए वे धार्मिक एवं ऐतिहासिक स्थलों के साथ ही विरासत स्थलों के विकास पर खासा जोर दे रहे हैं। धार्मिक स्थलों के विकास से आई तरक्की केदारनाथ धाम, काशी विश्वनाथ कॉरिडोर, महाकाल लोक और चार धाम आदि से समझी जा सकती है, जहां लगातार धार्मिक पर्यटन बढ़ रहा है। पीएम मोदी तीर्थयात्रा पर्यटन के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार पर जोर दे रहे हैं। सालों से यह स्थल बुनियादी सुविधाओं की कमी का सामना कर रहे थे। अब पीएम मोदी के नेतृत्व में सरकार इन स्थलों का पुनरोद्धार कर रही है।

भारत में ही नहीं, दुनिया के कई देशों में मंदिरों को भव्य बनाने पर जोर
धार्मिक स्थलों पर अब जब सुविधाओं का विस्तार किया जा रहा है तो यहां पर्यटन बढ़ने के साथ-साथ रोजगार के अवसर भी बढ़ रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी न सिर्फ भारत में बल्कि दुनिया के दूसरे देशों में भी मंदिरों को भव्य बनाने पर जोर दे रहे हैं। साल 2019 में पीएम मोदी की सरकार ने मनामा और अबू धाबी में भगवान श्रीकृष्ण श्रीनाथजी के पुनर्निर्माण के लिए 4.2 मिलियन डॉलर देने का ऐलान किया था। इसके साथ ही 2018 में उन्होंने अबू धाबी में बनने वाले पहले हिंदू मंदिर की आधारशिला रखी थी। उन्होंने 16 मई, 2022 को नेपाल के लुंबिनी में नेपाल के तत्कालीन प्रधानमंत्री शेर बहादुर देवबा के साथ भारत अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध संस्कृति और विरासत केंद्र का शिलान्यास किया। यही नहीं पीएम मोदी के व्यक्तिगत प्रयासों से ऐसे सैकड़ों प्राचीन वस्तुओं एवं मूर्तियों को विदेशों से वापस लाने में सफलता मिली है, जिन्हें दशकों पहले चोरी और तस्करी के जरिए विदेश भेज दिया गया था।

उज्जैन में 2.4 करोड़ और बाबा विश्वनाथ की नगरी में आए 6 करोड़ भक्त
पीएम के विजन पर चलते हुए काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की तर्ज पर उज्जैन में महाकाल लोक का निर्माण किया गया है। इससे उज्जैन में धार्मिक पर्यटन में और ज्यादा तेजी आई है। महाकाल मंदिर में जुलाई में हेड काउंट मशीन लगने के बाद से 2.4 करोड़ श्रद्धालु आ चुके हैं। इस साल 129 करोड़ दान आया है। उधर बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ रहा है। काशी विश्वनाथ मंदिर में इस साल अब तक 6 करोड़ से अधिक भक्त दर्शनार्थ पहुंच चुके हैं। अकेले सावन के 8 सोमवार पर ही 1.63 करोड़ पहुंचे, जो रिकॉर्ड है। देव दिवाली और नए साल तक यहां एक करोड़ से ज्यादा धार्मिक पर्यटक और पहुंच सकते हैं। धार्मिक पर्यटन के बढ़ने से आस्था स्थलों पर युवाओं को नित-नए रोजगार के अवसर भी मिल रहे हैं।

तिरुपति, वैष्णो देवी और चारधाम यात्रा में भक्तों के बने रहे नए रिकॉर्ड
तिरुपति मंदिर में इस साल दो करोड़ श्रद्धालु पहुंचे। बोर्ड का अनुमान है कि 2023-24 में 4,385.25 करोड़ का राजस्व आएगा। बीते साल 3,096 करोड़ आया था। नवरात्रि के दौरान वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड ने यात्रियों की सुविधा के लिए चार अहम प्रोजेक्ट लॉन्च किए हैं। इसमें स्काई वॉक, पार्वती भवन का पुनर्निर्माण, अटका क्षेत्र का विस्तार और भैरों घाटी में फ्री लंगर की सुविधा शुरू की गई है। वैष्णों देवी मंदिर में इस नवरात्रि ही 3.18 लाख श्रद्धालु पहुंचे। इस साल के अंत तक यहां श्रद्धालुओं का आंकड़ा आसानी से एक करोड़ पार कर जाएगा। उधर उत्तराखंड में चारधाम यात्रा में अब तक 50 लाख लोग पहुंच चुके हैं, जो एक रिकॉर्ड है। बीते साल 44.32 लाख श्रद्धालु आए थे। राजस्थान के सीकर जिले में स्थित खाटूश्यामजी मंदिर में भी 50 लाख से ज्यादा श्रद्धालु आए हैं।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सनातन संस्कृति में अटूट और अगाध श्रद्धा का ही सुफल है कि विश्व प्रसिद्ध अयोध्या में राम लला का भव्य और दिव्य मंदिर तो बन ही रहा है, इसके साथ ही देशभर में प्राचीनतम मंदिरों के जीर्णोंद्धार और मंदिर कॉरिडोर बनाने का काम भी जोरों पर है। बीते दो-तीन साल में सोमनाथ मंदिर, काशी विश्वनाथ, महाकाल मंदिर कॉरिडोर बन चुके हैं। यूपी में मथुरा-वृंदावन, अयोध्या, मप्र के चित्रकूट में वनवासी रामपथ, ओरछा में रामराजा लोक, दतिया में पीतांबरा पीठ कॉरिडोर, इंदौर में अहिल्या नगरीय लोक, महू का जानापाव, असम के गुवाहाटी में कामाख्या मंदिर, बिहार में उच्चैठ भगवती स्थान से महिषी तारास्थान को जोड़ने का काम शुरू हो चुका है। महाराष्ट्र के कोल्हापुर में महालक्ष्मी तो नासिक से त्र्यंबकेश्वर तक कॉरिडोर बन रहा है। अगले साल आम चुनाव से पहले ही 12 हजार करोड़ की लागत से बनने वाले इन मंदिर कॉरिडोर में श्रद्धालुओं के लिए भक्त निवास, कमर्शियल कॉम्प्लेक्स, आकर्षक गार्डन, भव्य गौशाला और परिक्रमा पथ भी बनाए जाएंगे।

देश के दिल मध्य प्रदेश में बनेंगे सबसे ज्यादा धार्मिक कॉरिडोर
देशभर में मंदिरों पर जो कॉरिडोर बनाने का काम युद्धस्तर पर चल रहा है, उसमें सबसे ज्यादा मध्य प्रदेश में हैं। एमपी के चित्रकूट में वनवासी रामपथ, ओरछा में रामराजा लोक, दतिया में पीतांबरा पीठ कॉरिडोर, इंदौर में अहिल्या नगरीय लोक, महू का जानापाव, बिहार में उच्चैठ भगवती स्थान से महिषी तारास्थान को जोड़ने का काम शुरू हो चुका है। छिंदवाड़ा में 314 करोड़ में हनुमान मंदिर लोक, सलकनपुर में श्रीदेवी महालोक, सागर में रविदास धाम, दतिया में पीतांबरा लोक, ओरछा में 176 करोड़ में रामराजा लोक, चित्रकूट में 100 करोड़ में रामपथ गमन लोक, इंदौर में 25 करोड़ में अहिल्यानगरी लोक, 10 करोड़ में जानापाव लोक, ओंकारेश्वर में 2200 करोड़ में ओंकारेश्वर लोक बन रहा है। ग्वालियर में शनि लोक और बड़वानी में नाग लोक की घोषणा हुई है।

आइए जानते हैं उन मंदिरों के बारे में जिनका प्रधानमंत्री मोदी की प्रेरणा और प्रयास से जीर्णोद्धार किया गया है। आज ये अपने नए भव्य और दिव्य स्वरूप में बेहतर सुविधाओं से युक्त हैं…

1. काशी विश्वनाथ कॉरीडोर और मंदिर परिसर का जीर्णोद्धार

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 13 दिसंबर, 2021 को 500 साधु संतों और मंत्रोच्चार के साथ काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का लोकार्पण किया। प्रधानमंत्री बनने के बाद से ही काशी को उसके स्तर के मुताबिक बुनियादी ढांचा देने का ऐलान कर दिया। 8 मार्च 2019 को प्रधानमंत्री मोदी ने काशी विश्वनाथ कॉरीडोर और मंदिर परिसर के जीर्णोद्धार का काम शुरु कर दिया और चार साल के रिकॉर्ड समय में यह कॉरिडोर बनकर तैयार हो गया। वाराणसी से लोकसभा सांसद प्रधानमंत्री मोदी का यह ड्रीम प्रोजेक्ट था, जिसके निर्माण में उन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ी है। इस भव्य कॉरिडोर में छोटी-बड़ी 23 इमारतें और 27 मंदिर हैं। अब काशी विश्वनाथ आने वाले श्रद्धालुओं को गलियों और तंग संकरे रास्तों से नहीं गुजरना पड़ेगा। गंगा घाट से सीधे कॉ‍रिडोर के रास्‍ते बाबा विश्‍वनाथ के दर्शन किए जा सकते हैं।2. महाकाल लोक कॉरिडोर धार्मिक पर्यटन को नया आयाम देगी

पीएम मोदी ने 11 अक्टूबर 2022 को मध्य प्रदेश के उज्जैन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर मंदिर के नवविस्तारित क्षेत्र ‘श्री महाकाल लोक’ का लोकार्पण किया। महाकाल मंदिर के लिए तैयार किए गए मास्टर प्लान का उद्देश्य महाकाल मंदिर को पुरानी पहचान वापस दिलाना है। महाकाल लोक कॉरिडोर काफी भव्य है और अब ये मंदिर के क्षेत्र को 10 गुना तक बढ़ा देगा। कॉरिडोर में भगवान शिव से जुड़ी कई मूर्तियां लगाई गई हैं, जो अलग अलग कहानी बताती है और भक्तों को भगवान शिव से जोड़ती हैं। काशी विश्वनाथ कॉरिडोर 300 मीटर में बना है, जबकि इसकी लंबाई 900 मीटर है। इसे काशी विश्वनाथ कॉरिडोर से भव्य माना जा रहा है। इस पर 856 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। जितना भव्य यह कॉरिडोर बना है उससे पता चलता है कि आने वाले दिनों में यह धार्मिक पर्यटन को नया आयाम देगी। इसमें त्रिशूल के डिजाइन के 108 स्तंभ हैं। साथ ही शिव पुराण की कहानियों को दर्शाने वाले 50 भित्ति चित्र बनाए गए हैं। उज्जैन में बना कॉरिडोर काशी विश्वनाथ मंदिर से आकार में करीब 4 गुना बड़ा है। अभी महाकाल कॉरिडोर के पहले फेज का उद्घाटन किया गया है, जिसकी लागत 350 करोड़ रुपये है। दूसरे फेज की लागत 450 करोड़ रुपये होगी। 3. सोमनाथ मंदिर परिसर का विकास

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 20 अगस्त 2021 को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से गुजरात स्थित सोमनाथ मंदिर के पुननिर्माण के लिए विभिन्न परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। इन परियोजनाओं में सोमनाथ समुद्र दर्शन पथ, सोमनाथ प्रदर्शनी केंद्र और पुराने (जूना) सोमनाथ का पुनर्निर्मित मंदिर परिसर शामिल हैं। इससे यहां का पर्यटन बढ़ा है और लोगों में समृद्धि आई है। कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पार्वती मंदिर की आधारशिला भी रखी। इसका निर्माण कुल 30 करोड़ रुपये के परिव्यय से किया जाना प्रस्तावित है। इसमें सोमपुरा सलात शैली में मंदिर निर्माण, गर्भ गृह और नृत्य मंडप का विकास शामिल है। इन परियोजनाओं के अंतर्गत मंदिर के पीछे समुद्र तट पर 49 करोड़ रुपये की लागत से बना एक किलोमीटर लम्‍बा समुद्र दर्शन मार्ग, पुरानी कलाकृतियों से युक्‍त नवनिर्मित सभागार और मुख्‍य मंदिर के सामने बने नवीनीकृत अहिल्‍याबाई होल्‍कर मंदिर यानी पुराना सोमनाथ मंदिर को भी शामिल किया गया है।

4. अयोध्या में राम मंदिर में अगले साल प्राण-प्रतिष्ठा करेंगे पीएम मोदी 

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 5 अगस्त 2020 को विधि-विधान के साथ अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर की नींव रखी थी। अब अगले साल 22 जनवरी को मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह में भाग लेंगे।  पीएम मोदी के विजन से आज राम मंदिर के रूप में भारत के गौरव का प्रतिबिंब खड़ा हुआ है। यह केवल भौगोलिक एवं वैचारिक निर्माण नहीं है। यह हमारे अतीत से जोड़ने का प्रकल्प है। हमने अतीत के खंडहरों पर आधुनिक गौरव का निर्माण किया है।अयोध्या में भव्य राम मंदिर के साथ विकास की योजनाएं परवान चढ़ रही है। अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, अंतरराष्ट्रीय स्तर का बस स्टॉप, अयोध्या धाम रेलवे स्टेशन, राम की पैड़ी, भजन संध्या स्थल जैसी विकास की योजनाएं लगातार चल रही है। अयोध्या में चौमुखी विकास की गंगा बह रही है। जिसको लेकर आम जनमानस उत्साहित है। धर्म नगरी आने वाले श्रद्धालुओं के लिए भी कई विशेष सौगात है जैसे कि चौड़े मार्ग यात्री सुविधा युक्त यात्रियों की मूलभूत सुविधाएं, राम नगरी की अपनी अमिट पहचान इन सब को विकसित और सुरक्षित करने का कार्य सरकार कर रही है।5. पावागढ़ के कालिका मंदिर में 500 साल बाद शिखर पर फहराया ध्वज

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हिन्दू स्वाभिमान के प्रतीक है। उनका शासनकाल हिन्दू धर्म के पुनर्जागरण का काल है। 18 जून, 2022 को हर हिन्दू गर्वान्वित महसूस किया, जब 500 साल बाद प्रधानमंत्री मोदी ने गुजरात के पावागढ़ पहाड़ी पर स्थित महाकाली मंदिर में पूजा-अर्चना के बाद उसके शिखर पर पताका फहराया। प्रधानमंत्री मोदी के प्रयास से ही 11वीं सदी में बने इस मंदिर का पुनर्विकास योजना के तहत कायाकल्प किया गया। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि महाकाली मंदिर के ऊपर पांच सदियों तक, यहां तक कि आजादी के 75 वर्षों के दौरान भी पताका नहीं फहराई गई थी। लाखों भक्तों का सपना आज उस समय पूरा हो गया जब मंदिर प्राचीन काल की तरह अपने पूरे वैभव के साथ खड़ा है। करीब 125 करोड़ रुपये की लागत से महाकाली मंदिर का पुनर्विकास किया गया है, जिसमें पहाड़ी पर स्थित मंदिर की सीढ़ियों का चौड़ीकरण और आसपास के इलाके का सौंदर्यीकरण शामिल है। नया मंदिर परिसर तीन स्तरों में बना है और 30,000 वर्ग फुट दायरे में फैला है। 6. मोदी सरकार ने कश्मीर में किया मंदिरों का पुनरोद्दार

कश्मीर में 05 अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 हटने के बाद मोदी सरकार ने श्रीनगर में कई पुराने मंदिरों का पुनर्निर्माण शुरु किया। मंदिरविहीन हो चुकी घाटी में गुलमर्ग का शिव मंदिर ऐसा पहला मंदिर है, जिसे 1 जून, 2021 को जीर्णोद्धार के बाद जनता के लिए खोल दिया गया। इस दौरान सेना की गुलमर्ग बटालियन द्वारा एक भव्य उद्घाटन समारोह का आयोजन किया गया था। भारतीय सेना ने स्थानीय लोगों की मदद से गुलमर्ग के इस शिव मंदिर का जीर्णोद्धार कार्य किया है। सेना के जवानों ने मंदिर की ओर जाने वाले रास्तों को भी नया रूप दिया है। शिव मंदिर को व्यापक जीर्णोद्धार की आवश्यकता थी, क्योंकि लंबे समय से इस मंदिर में कोई जीर्णोद्धार कार्य नहीं हुआ था। गुलमर्ग में आने वाले स्थानीय लोगों और पर्यटकों की एक बड़ी संख्या ने मंदिर को उसकी मूल स्थिति में देखने की इच्छा व्यक्त की थी।

7. पीएम मोदी की पहल से चार धाम परियोजना का विकास

मोदी सरकार ने देवभूमि उत्तराखंड के लिए चार धाम परियोजना शुरू की है। केदारनाथ बद्रीनाथ की यमुनोत्री और गंगोत्री के चारधाम परियोजना- रणनीतिक रूप से बेहद अहम माने जाने वाली 900 किलोमीटर लंबी इस सड़क परियोजना का उद्देश्य उत्तराखंड के चारों धामों के लिए हर मौसम में सुलभ और सुविधाजनक रास्ता देना है। चारधाम परियोजना एक तरह से ऑल वेदर रोड परियोजना है, जो उत्तराखंड में केवल चार धामों को जोड़ने की परियोजना भर नहीं है, बल्कि यह राष्ट्रीय महत्व की परियोजना है। इसके जरिए उत्तराखंड के गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बदरीनाथ को जोड़कर पर्यटन को बढ़ावा तो मिलेगा ही, साथ ही पड़ोसी चालबाज देश चीन को चुनौती देने के लिहाज से भी यह महत्वपूर्ण है। इसके अलावा ऋषिकेश को रेल मार्ग से कर्णप्रयाग से जोड़ने का काम चल रहा है। ये रेलवे लाइन 2025 से शुरू हो जाएगी।

केदारनाथ और बद्रीनाथ को दिव्य-भव्य बनाने के लिए 3400 करोड़ दिए

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 21 अक्टूबर 2022 को केदारनाथ धाम और बद्रीनाथ धाम में पूजा-अर्चना की और विकास कार्यों का जायजा लिया। केदारनाथ में पीएम मोदी ने आदिगुरु शंकराचार्य समाधि स्थल के दर्शन किए। उन्होंने केदारनाथ, बद्रीनाथ व माणा में 3400 करोड़ की योजनाओं का शिलान्यास किया। इनमें केदारनाथ व हेमकुंड साहिब रोपवे और चीन सीमा से लगे माणा क्षेत्र में दो राजमार्गों से संबंधित योजनाएं शामिल हैं। बाबा केदार के भक्त प्रधानमंत्री ने सबसे पहले केदारनाथ पहुंचकर लगभग 946 करोड़ की लागत से बनने वाले अपने ड्रीम प्रोजेक्ट 13 किमी लंबे सोनप्रयाग-केदारनाथ रोपवे का शिलान्यास किया। साथ ही पुनर्निर्माण के तहत हो रहे कार्यों का जायजा लिया।7. हिंदू संत रामानुजाचार्य के सम्मान में स्टैच्यू ऑफ इक्वेलिटी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 फरवरी 2022 को हैदराबाद में 11वीं सदी के हिंदू संत रामानुजाचार्य के सम्मान में बनी 216 फीट ऊंची स्टैच्यू ऑफ इक्वेलिटी का उद्घाटन किया था। इस प्रतिमा में 120 किलो सोने का इस्तेमाल किया गया है। जिसकी लागत करीब 400 करोड़ रूपए है। यह 45 एकड़ जमीन पर बना है। मंदिर परिसर में करीब 25 करोड़ की लागत से म्यूजिकल फाउंटेन का निर्माण कराया गया है।

8. संत तुकाराम शिला मंदिर का उद्घाटन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 14 जून 2022 को संत तुकाराम शिला मंदिर का उद्घाटन किया। पीएम मोदी ने विकास योजनाओं की जानकारी देते हुए कहा, ‘संत ज्ञानेश्वर पालखी मार्ग का निर्माण 5 चरणों में होगा और संत तुकाराम पालखी मार्ग का निर्माण 3 चरणों में होगा। 350 किलोमीटर से ज्यादा बड़े हाइवे बनेंगे, इसमें 11000 करोड़ का खर्च होगा। संत तुकाराम एक वारकरी संत और कवि थे। उन्हें अभंग भक्ति कविता और कीर्तन के माध्यम से समुदाय-उन्मुख पूजा के लिए जाना जाता है। यह मंदिर 36 चोटियों के साथ पत्थर की चिनाई से बनाया गया है। इसमें संत तुकाराम की एक मूर्ति भी स्थापित की गई है।

9. सरकार ने प्रसाद योजना का किया विस्तार, 12 और धार्मिक स्थल शामिल

सरकार ने धार्मिक स्थलों का विकास करने के शुरू की गई प्रसाद योजना का विस्तार किया है। फिलहाल इस योजना से 12 धार्मिक स्थलों को जोड़ा गया है। इनमें कामाख्या (असम), अमरावती (आंध्र प्रदेश), द्वारका (गुजरात), गया (बिहार), अमृतसर (पंजाब), अजमेर (राजस्थान), पुरी (ओडिशा), केदारनाथ (उत्तराखंड), कांचीपुरम (तमिलनाडु), वेलनकन्नी (तमिलनाडु), वाराणसी (उत्तर प्रदेश), मथुरा (उत्तर प्रदेश) शामिल हैं। इन 12 स्थलों के अलावा प्रसाद योजना का दायरा और बढ़ा दिया गया है.योजना के तहत स्थलों की संख्या बढ़कर लगभग 41 हो गयी है। बौद्ध तीर्थ यात्रा के लिए कुशीनगर के अलावा झारखंड स्थित देवघर समेत कई तीर्थ स्थलों का प्रसाद योजना के तहत बुनियादी सुविधाओं का निर्माण कराया जा रहा है। दूसरी तरफ रामायण सर्किट और बुद्ध सर्किट को भी जोड़ने का काम चल रहा है। देश में कोरोना की रफ्तार में कमी होने के बाद घरेलू पर्यटन में बढोतरी हुई है। पर्यटन मंत्रालय की माने तो दुर्गम इलाकों में कनेक्टिविटी में सुधार तथा पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कई विकास कार्य तेज कर दिया गया है, जिससे आने वाले यात्रियों को असुविधा न हो। बेहतर सुविधाएं मिलने से जहां पर्यटकों को सहुलियत होगी, वहीं रोजगार के भी अवसर बढ़ेंगे। स्थानीय सरकार को इससे कमाई भी बढ़ेगी।

 

10. गुरु पर्व पर पीएम मोदी का सिख समुदाय को तोहफा, करतारपुर साहिब कॉरिडोर खोला

मोदी सरकार ने कोरोना महामारी के कारण मार्च 2020 से बंद करतारपुर साहिब कॉरिडोर को बुधवार (17 नवंबर, 2021) से फिर से खोलने की घोषणा की। यह फैसला श्री गुरु नानक देव जी और सिख समुदाय के प्रति मोदी सरकार की अपार श्रद्धा को दर्शाता है। इससे बड़ी संख्या में सिख श्रद्धालुओं को फायदा होगा। इस फैसले से जहां सिख श्रद्धालु काफी खुश है, वहीं पंजाब के मुख्यमंत्री चन्नी के अलावा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू, पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह, बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुग और अकाली दल प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने मोदी सरकार के इस फैसले की सराहना और स्वागत किया।

 

 

 

 

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