प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देश के ऐसे एकलौते प्रधानमंत्री हैं, जो लुप्तप्राय: हो चुके रेडियो के माध्यम से सामाजिक परिवर्तन की क्रांति के पुरोधा बने हैं। क्योंकि उनका ‘मन की बात’ महज एक मासिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि करोड़ों लोगों को कुछ नया करने को प्रेरित करने वाला उत्प्रेरक बन गया है। वैश्विक परिदृश्य में देखें तो यह एक ऐसा कार्यक्रम है, जिस पर रेडियो के माध्यम से किसी भी राष्ट्र का प्रधानमंत्री इतने लंबी अवधि से जनता से सीधे जुड़ा है। आजादी के अमृतकाल में गत 30 अप्रैल को ‘मन की बात’ के 100वां एपिसोड के साथ ही इस अभूतपूर्व यात्रा का शतकीय पड़ाव आया। करीब-करीब नौ साल के इस अद्भुत सफर के दौरान न केवल लोक-महत्व के कई मुद्दे बड़े अभियान और जनांदोलन बने, बल्कि युवाओं से लेकर देश के दूरस्थ इलाकों में रहने वालों को भी कुछ न कुछ सकारात्मक करने की प्रेरणा मिली। हर बार मन की बात मार्गदर्शी और मर्मस्पर्शी संवाद साबित हुआ है। क्योंकि यह कोई एकपक्षीय कार्यक्रम नहीं, बल्कि प्रधानमंत्री की संवाद-शक्ति ने इसे द्विपक्षीय बनाकर सामाजिक बदलाव का सशक्त मार्ग प्रशस्त किया है।प्रधानमंत्री ने हजारों आम लोगों के अच्छे कामों की मुक्त कंठ से प्रशंसा की
देश में ऐसा कभी नहीं हुआ कि खुद किसी प्रधानमंत्री ने हजारों आम लोगों के अच्छे कामों को इतने गर्व के साथ स्वीकार किया हो। अलवर के पवन आचार्य, एप गुरु मोहम्मद इमरान खान, कानपुर की नूरजहां, गुरुग्राम की स्नेहलता, सीहोर के दिलीप सिंह मालवीय, जम्मू-कश्मीर के जावेद अहमद, मुंबई के अर्णव मेहता, जालंधर के लखविंदर सिंह, नासिक के चंद्रकिशोर पाटील, उड़ीसा में पुरी के राहुल महाराणा जैसे हजारों नामों की लंबी फेहरिस्त है, जिनकी मन की बात कार्यक्रमों में प्रधानमंत्री ने मुक्त कंठ से प्रशंसा की है। उनके कार्यों, उनकी कहानियों को प्रेरणादायी बताया है।रेडियो के माध्यम से देशवासियों की उपलब्धियों को तराशने की शानदार मुहिम
प्रधानमंत्री से प्रेरित होकर युवाओं और महिलाओं ने ऐसे-ऐसे नवाचार किए, जो न सिर्फ औरों के लिए मिसाल बने, बल्कि इनको लाखों लोगों का भरपूर प्यार भी मिला। इसकी वजह भी है। दरअसल, मन की बात कोई दर्शन, विचार या प्रवचन मात्र नहीं है, बल्कि रेडियो के जरिए देशवासियों की छोटी-बड़ी उपलब्धियों को तराशने का माध्यम है। यह लोगों की उन खुशियों को संजोने का जरिया है, जिन्हें आधुनिक जीवनशैली और आपाधापी के हम चलते भूलते जा रहे हैं। यह युवा पीढ़ी को हमारी महान विरासत, पुरातन अध्यात्म, ज्ञान-विज्ञान और अनुसंधान से जोड़ने का जरिया भी है।स्वच्छ भारत अभियान का इम्पैक्ट- सच्ची कहानी पर ‘टॉयलेट: एक प्रेम कथा’ बनी
इस कार्यक्रम का श्रीगणेश विजयदशमी पर 3 अक्तूबर 2014 को हुआ। पीएम मोदी ने पहले-पहल मन की बात में कहा, “आओ विजयदशमी के पावन पर्व पर हम सब गंदगी से मुक्ति का संकल्प करें। मुझे विश्वास है कि कल 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी की जन्म-जयंती पर शुरू हुए ‘स्वच्छ भारत अभियान’ को आप सब आगे बढ़ाएंगे।” इसके साथ ही स्वच्छ भारत की शहरों से लेकर गांवों तक अलख जगी। सामाजिक बदलाव ऐसा कि मध्य प्रदेश के बैतूल जिले की अनीता नारे ने घर में शौचालय न होने के चलते शादी के तुरंत बाद ही ससुराल छोड़ दिया। नई दुल्हन अगले ही दिन गांव की सुर्खियों में आ गई और ग्राम पंचायत को भी इसका अहसास हुआ। आज अनीता के गांव के हर घर में शौचालय है। इतना ही नहीं अनीता की सच्ची कहानी पर 2017 में टॉयलेट: एक प्रेम कथा फिल्म भी बनी। इसे पीएम मोदी के साथ लाखों भारतीयों ने भी सराहा।कई सामाजिक बदलावों, अभियानों की भारत के शहरों से लेकर गांवों तक अलख जगी
मन की बात के अनवरत सफर पर नजर डालें तो प्रधानमंत्री मोदी ने स्वच्छ भारत मिशन, शौचालय निर्माण, खादी की युवाओं में स्वीकार्यता, नशे की समस्या, खुले में शौच से मुक्ति के लिए शौचालय निर्माण, पानी बचाओ, सरोवर बनाओ अभियान, महापुरुषों की प्रतिमाओं की साफ-सफाई, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान, जन-धन योजना, दिव्यांगों की समस्याओं का निदान, अंगदान और सड़क सुरक्षा पर जागरूकता, खेलों के प्रति सकारात्मक सोच, सुरक्षित मातृत्व अभियान, आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई, सोलर से लेकर स्पेस सेक्टर तक युवाओं की उड़ान, स्टार्टअप और यूनिकॉर्न से देश का मान बढ़ाने वाले कई ज्वलंत मुद्दों को उठाकर न सिर्फ उनकी सार्थकता सिद्ध की है, बल्कि लगातार अभियानों से इनमें आमूलचूल परिवर्तन भी आया है।
मन की बात ने खादी के सामाजिक परिवर्तन को एक क्रांतिकारी दिशा दी
‘मन की बात’ ने सामाजिक परिवर्तन को एक क्रांतिकारी दिशा दी है। यदि बात खादी की करें तो आम तौर पर इसे राजनेताओं का परिधान माना जाता रहा है। 31 जनवरी 2016 को मन की बात में खादी के उपयोग को बढ़ावा देने का आह्वान करके इसे जनता के करीब ला दिया। पीएम मोदी के शब्दों में, हिन्दुस्तान की सभ्यता खादी में है। देश में जिसे हम परम धर्म मानते हैं, वह अहिंसा खादी में ही है। इस अपील का कमाल यह हुआ कि वर्ष 2004-14 में खादी के उत्पादन में वृद्धि दर क्रमशः 6.48 फीसदी और 6.82 फीसदी थी। यह वृद्धि दर 2015-2019 के बीच क्रमशः 25.52 प्रतिशत और 34.86 प्रतिशत हो गई। खादी ने 2021-22 में एक लाख करोड़ रुपये का कारोबार किया। सामाजिक बदलाव की बात करें तो फैशन इंडस्ट्री भी खादी को नए लुक, डिजाइन और बेहतर स्टैंडर्ड के साथ बाजार में उतार रही है।पीएम ने नूरजहां का जिक्र किया तो सौर ऊर्जा से रौशन होने लगे गांव-गांव
प्रधानमंत्री मोदी ने 29 नवंबर 2015 को मन की बात में सौर ऊर्जा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण काम करने वाली कानपुर की महिला नूरजहां का जिक्र किया। पीएम ने कहा, ”नूरजहां का तो मतलब ही है- संसार को रोशन करना। इस काम के द्वारा वह रोशनी फैला रही हैं।” नूरजहां तब सौर ऊर्जा का इस्तेमाल कर करीब 50 घरों को रोशन कर रही थीं। सौर ऊर्जा से कैसे देश के मध्यम वर्ग के जीवन में बदलाव आ रहा है, वो भी अध्ययन का विषय है। पीएम ने जिक्र किया कि राजस्थान के भरतपुर में ‘पी.एम. कुसुम योजना’ के लाभार्थी किसान कमल मीणा ने खेत में सोलर पंप लगाया, जिससे उनकी लागत कम हुई और आमदनी बढ़ गई।देश ने सौर उर्जा उत्पादन से 1.94 करोड़ टन कोयले की बचत की
सात साल बाद 30 अक्टूबर 2022 को इसी कार्यक्रम में देश के पहले सूर्य ग्राम-गुजरात के मोढेरा के बारे में बताया कि अब यहां के कई घरों में बिजली का बिल नहीं, बल्कि सौर ऊर्जा की कमाई के चेक आ रहे हैं। सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के ऐसे प्रयास कितना बड़ा सामाजिक बदलाव ला रहे हैं, यह अंतर्राष्ट्रीय अक्षय ऊर्जा एजेंसी (IRENA) का सर्वेक्षण भी बताता है। इसके मुताबिक चीन को पीछे छोड़कर भारत सबसे सस्ती सौर ऊर्जा का उत्पादन करने वाला देश बन गया है। साल 2022 की छमाही में भारत ने सौर उर्जा उत्पादन के कारण 1.94 करोड़ टन कोयले की बचत की है।जल संरक्षण के लिए पीएम की अपील ने गांवों की जिंदगी ही बदल दी
दूसरी बार पीएम बनने के बाद 30 जून 2019 को मन की बात में पीएम ने आह्वान किया, “जैसे देशवासियों ने स्वच्छता को जन-आंदोलन बनाया, वैसे ही जल संरक्षण के लिए एक अभिनव शुरुआत करें।” प्रधानमंत्री की अपील के बाद कुछ बदलाव नजर आने लगा है। तेलंगाना के थिमाईपल्ली में टैंकों के निर्माण से गांवों के लोगों की जिंदगी बदल रही है। राजस्थान के कबीरधाम में, खेतों में बनाए गए छोटे तालाबों से एक बड़ा बदलाव आया है। तमिलनाडु के वेल्लोर में एक सामूहिक प्रयास के चलते नाग नदी को पुनर्जीवित करने के लिए 20 हजार महिलाएं एक साथ आगे आईं। गढ़वाल की महिलाएं आपस में मिलकर रेनवाटर हार्वेस्टिंग पर अच्छा काम कर रही हैं।मन की बात ने युवा वर्ग की सोच को बदलकर उसे सबसे ज्यादा प्रेरित किया
इस कार्यक्रम ने युवा वर्ग की सोच को बदलकर सबसे ज्यादा प्रेरित किया है। युवाओं के सपनों को असीमित पंख मिले हैं। उनमें अपने नवाचारों से दुनिया-जहान को जीत लेने का जज्बा और आत्मविश्वास बढ़ा है। यही वजह है कि जो बच्चे कभी हाथ से कागज का हवाई जहाज बनाकर उड़ाया करते थे, उन्हें अब स्पेस सेक्टर में हवाई जहाज बनाने का मौका मिल रहा है। स्पेस को निजी क्षेत्र के लिए खोले जाने के बाद, युवाओं के सपने साकार हो रहे हैं और रॉकेट बना रहे ये युवा मानो कह रहे हों-Sky is not the limit. पीएम मोदी ने मन की बात में कहा, “स्टूडेंट पावर भारत को पावरफुल बनाने का आधार है। आज जो युवा हैं, वही तो भारत को 2047 तक लेकर जाएंगे।
मन की बात ने जगाया देशप्रम का जज्बा, स्वदेश-विदेश हुआ तिरंगामय
सामाजिक बदलाव के अग्रदूत बने इस कार्यक्रम ने देशप्रेम के जज्बे को भी और प्रगाढ़ किया है। 31 जुलाई 2022 को पीएम मोदी ने कहा, “आजादी के अमृत महोत्सव के तहत 13 से 15 अगस्त के बीच हर घर तिरंगा महाअभियान का रूप ले। स्वतंत्रता दिवस पर कश्मीर से कन्याकुमारी तक पूरा देश तिरंगामय हो गया। पीएम मोदी ने 28 अगस्त को मन की बात में कहा, “इस महीने में आप सभी के पत्रों, संदेशों और कार्ड ने मेरे कार्यालय को तिरंगामय कर दिया है। मुझे ऐसा शायद ही कोई पत्र मिला हो, जिस पर तिरंगा न हो, या तिरंगे और आज़ादी से जुड़ी बात न हो।“ अमृत महोत्सव के ये रंग केवल भारत में ही नहीं, बल्कि दुनिया के दूसरे देशों में भी देखने को मिले।मन की बात में खेलों को बढ़ावा देने पर जोर दिया तो बरसने लगे मेडल
खेलों को लेकर युवाओं ही नहीं, बल्कि परिजनों की सोच भी बदली है। पीएम मोदी ने इस कार्यक्रम में कहा कि उन्हें विश्वास है कि सवा-सौ करोड़ देशवासी, 65 प्रतिशत युवा जनसंख्या वाला देश, खेल की दुनिया में बेहतरीन स्थान हासिल करेगा। इसी संकल्प के साथ आगे बढ़ना है। इस विजन के अनुरूप खेलो इंडिया स्कूल गेम्स की शुरुआत हुई। बाद में इसका नाम बदलकर खेलो इंडिया यूथ गेम्स कर दिया गया। पीएम ने खेल दिवस पर मन की बात में कहा, “मेजर ध्यानचंद जी की आत्मा जहां भी होगी, आज बहुत प्रसन्नता का अनुभव करती होगी। चार दशक बाद भारत के नौजवानों ने टोक्यो ओलंपिक में देश को हॉकी में पदक दिलाया है। यही उनको सबसे बड़ी श्रद्धांजलि है।” हॉकी ही नहीं भारत ने अन्य खेलों में भी ऐतिहासिक प्रदर्शन किया। यह जानकर आप रोमांचित होंगे कि वर्ष 1900 से लेकर 2021 तक ओलंपिक खेलों में भारत ने कुल 35 मेडल जीते हैं। इनमें से एक गोल्ड मेडल समेत सर्वाधिक सात पदक तो 2021 के टोक्यो ओलंपिक में ही भारतीय खिलाड़ी जीतने में सफल रहे।धाराप्रवाह शैली में संवाद से देशवासियों से पीएम का बना अद्वितीय और बेमिसाल रिश्ता
पीएम मोदी इसी महीने 28 मई को मन की बात के 101वें एपिसोड में देश-दुनिया की बात करेंगे। यह भी सौ प्रतिशत सही है कि जो विचार दिल से, मन से निकलते हैं, वो दूसरों में दिल तक बहुत सहजता से पहुंचते हैं और उन्हीं को समाज आत्मसात भी करता है। पीएम मोदी का मन की बात कार्यक्रम इसकी जीवंत मिसाल है। वो अपनी धाराप्रवाह शैली के साथ श्रोताओं से संवाद का अद्वितीय और बेमिसाल रिश्ता कायम कर लेते हैं। यही वजह है कि मन की बात के लिए देशभर से हर माह लाखों पत्र, ई-मेल, मैसेज, सुझाव और बधाइयां लोग देते हैं। संक्षेप में कहें तो यह भारत, भारतीयता और देशप्रेम को अमृतकाल तक आगे बढ़ाते जाने का जोशीला जज्बा है। हालांकि कई बार विपक्षी दल इसे प्रोपेगंडा भी करार देते हैं, लेकिन विरोधियों के रुदाली-रुदन के बावजूद यह कार्यक्रम लोकप्रियता की नई ऊंचाइयां छू रहा है।
मन की बात में पीएम नरेन्द्र मोदी ने सैकड़ों ऐसे सच्चे किस्सों और अनूठी कहानियों का जिक्र किया है, जो बरबस ही दिल को छू लेते हैं और दूसरों को भी कुछ नया करने के लिए प्रेरित करते हैं। यहां मन की बात की दस प्रेरक और रोचक कहानियां का जिक्र…
1. मन की बात में 105 वर्षीय भागीरथी अम्मा की कहानी शेयर की
पीएम मोदी ने 23 फरवरी 2020 में आयोजित मन की बात में भी केरल के कोल्लम की 105 वर्षीय भागीरथी अम्मा की प्रेरणादायक कहानी शेयर की। पीएम मे बताया कि भागीरथी अम्मा ने कम उम्र में अपनी मां को खो दिया था और 10 साल की उम्र में स्कूल छोड़ दिया, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने 105 साल की उम्र में अपनी शिक्षा फिर से शुरू की। भगीरथी अम्मा के भगीरथ प्रयास न जाने कितनों को प्रेरित कर गए.
2. सेंट मैरी स्कूल की छात्राओं के अंगदान अभियान का जिक्र किया
पीएम मोदी ने 25 अक्टूबर 2015 में केरल के चित्तूर में सेंट मैरी अपर प्राइमरी स्कूल की छात्राओं के एक समूह के बारे में बात की, जिन्होंने उन्हें एक विशेष पत्र भेजा था। लड़कियों ने कपड़े के एक बड़े टुकड़े पर अपने अंगूठे के निशान से भारत माता की छवि बनाई थी। उनका लेटर को पढ़ने के बाद प्रधानमंत्री ने महसूस किया कि लड़कियां सार्वजनिक अभियानों और नाटकों का आयोजन करके अंगदान के बारे में लोगों में जागरूकता पैदा करने की कोशिश कर रही हैं। आज के दौर में अंगदान कितना अहम है, ये हम सभी जानते हैं।
3. आंध्र प्रदेश के श्रीनिवास और ‘वेदरमैन’ साईं प्रणीथ के अद्भुत काम
पीएम मोदी कला और रचनात्मक के क्षेत्र में आंध्र प्रदेश के श्रीनिवास पदकंदला और साईं प्रणीथ का भी जिक्र कर चुके हैं। श्रीनिवास कबाड़ की गाड़ियों से निकले धातुओं का इस्तेमाल कर मूर्तियां बनाते हैं। इसी तरह से पीएम मोदी ने साईं प्रणीथ का भी जिक्र किया था जो कि मौसम संबंधी डेटा का विश्लेषण करने और स्थानीय किसानों को उनकी मूल भाषा में अहम जानकारी दिलाने का काम करते हैं। साई प्रणीथ को आंध्र प्रदेश में ‘वेदरमैन’ के नाम से भी जाना जाता है।
4. आदिवासी गांव के लिए शौचालय बनाने वाले इंजीनियरिंग छात्र
पीएम मोदी ने 30 अक्टूबर 2016 को केरल के उन लोगों की सराहना की थी, जिन्होंने इदमालाकुडी नामक एक दूरस्थ आदिवासी गांव को खुले में शौच से मुक्त होने में मदद की थी। उन्होंने बताया कि कैसे हरी क्षेत्र के इंजीनियरिंग छात्रों ने गांव के लोगों के लिए शोचालाय का निर्माण किया। पीएम ने कहा कि छात्रों नेशौचालय बनाने के लिए जिस भवन निर्माण सामग्री की जरूरत थी चाहे वह ईंट हो या सीमेंट, पूरी निर्माण सामग्री युवकों ने अपने कंधों पर उठा ली और पूरा दिन उन जंगलों में टहलते रहे। और उन्होंने खुद उस गांव में शौचालय बनाने के लिए कड़ी मेहनत की, इस प्रकार दूर-दराज के जंगलों में एक सुदूर गांव को खुले में शौच मुक्त बनाने का लक्ष्य हासिल किया।
5. केन्या के पूर्व पीएम की बेटी की दास्तान से आंखें खुशी से भर आईं
इसी तरह 27 फरवरी 2022 को प्रसारित कार्यक्रम में पीएम मोदी ने केन्या के पूर्व प्रधानमंत्री रेला ओडिंगा के साथ अपनी मुलाकात के बारे में बात की, जहां ओडिंगा ने उन्हें अपनी बेटी रोजमेरी के बारे में बताया, जिसकी ब्रेन ट्यूमर की सर्जरी के बाद आंखों की रौशनी चली गई थी। दुनिया भर के अस्पतालों में इलाज कराने के बावजूद सफलता नहीं मिली। तब उन्हें किसी ने सुझाव दिया कि वे भारत में आयुर्वेद उपचार आजमाएं। वे भारत आए और रोज़मेरी ने केरल के एक आयुर्वेदिक अस्पताल में इलाज करवाया। आयुर्वेदिक इलाज सफल रहा और रोजमेरी की आंखों की रोशनी काफी हद तक लौट आई।
6.मन की बात में दिव्यांग एनएस राजप्पन साहब के बारे में बताया
इसी तरह पीएम मोदी ने 31 जनवरी 2021 में मन की बात कार्यक्रम में एनएस राजप्पन साहब की जिक्र किया,जो बुजुर्ग दिव्यांग हैं और लकवाग्रस्त भी हैं। वह ठीक से चल भी नहीं पाते हैं। पीएम ने स्वच्छता के प्रति उनकी दृढ़ प्रतिबद्धता के बारे में पूरे देश को बताया कि वह कैसे पिछले कई सालों से वे वेम्बनाड झील में फेंकी गई प्लास्टिक की बोतलों को बाहर निकाल रहे हैं। स्वच्छता अभियान और से नो टू प्लास्टिक का यह अलख भी पीएम मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में भी जगाया था।
7. अक्षरा लाइब्रेरी से आदिवासी बच्चों का भविष्य हो रहा उज्ज्वल
मन की बात में प्रधानमंत्री मोदी ने केरल स्थित अक्षरा लाइब्रेरी के बारे में बात की। यह लाइब्रेरी इडुक्की के घने जंगलों के भीतर एक गांव में स्थित है। पुस्तकालय की स्थापना एक प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक पी.के. मुरलीधरन और एक छोटी सी चाय की दुकान के मालिक पी.वी. चिन्नाथम्पी ने की। उन्होंने अथक परिश्रम करके पुस्तकालय बनाया। वह किताबों का बोरा अपनी पीठ पर लादकर लाते थे और लाइब्रेरी में रख देते थे। इस लाइब्रेरी में आदिवासी बच्चे आकर पढ़ते हैं। यह कार्यक्रम 20 अप्रैल 2018 को प्रसारित हुआ था।
8. वेंकट आत्मनिर्भर भारत और गजपति राजू जगा रहे शिक्षा की अलख
मन की बात के जरिए पीएम मोदी ने उदाहरण के तौर पर अशोक गजपति राजू का जिक्र किया। वह आंध्र प्रदेश के विजयनगरम जिले में एडल्ट शिक्षा को बढ़ावा देने का काम करते हैं। वहीं, विशाखापत्तनम के वेंकट लोगों को मेक इन इंडिया प्रोडक्ट को बढ़ावा देने के साथ-साथ आत्मनिर्भर भारत को प्रोत्साहित करने का काम करते हैं। पीएम मोदी को वेंकट ने आत्मनिर्भर भारत के लिए बकायदा चार्ट तैयार करके भी भेजा है। वह पूरी तरह से भारत में निर्मित चीजों को ही इस्तेमाल करते हैं। पीएम इनकी कहानियों के बारे में लोगों को बताया कि आखिर कैसे वो लोगों की भलाई और देश के विकास के लिए काम कर रहे हैं।
9. केरल में सात हजार श्रमिकों ने कुट्टमपरूर नदी पुनर्जीवित किया
मन की बात के 29 अप्रैल 2018 को प्रसारित हुए कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने एक बार फिर केरल की कहानी के माध्यम से देश-दुनिया को जल संरक्षण और नदियों को पुनर्जीवित करने का संदेश दिया। इस दौरान पीएम मोदी ने केरल में एक परियोजना का उल्लेख किया, जहां मनरेगा के तहत सात हजार श्रमिकों ने सात दिनों तक कड़ी मेहनत कर कुट्टमपरूर नदी को पुनर्जीवित किया, जो सूख गई थी।
10. मन की बात में आदिवासी महिला लक्ष्मीकुट्टी की हर्बल दवाएं
पीएम मोदी ने 28 जनवरी 2018 को मन की बात में आदिवासी महिला लक्ष्मीकुट्टी के बारे में बात की, जो एक शिक्षिका हैं और हर्बल दवाओं के संश्लेषण में विशेषज्ञता रखती हैं। पीएम ने बताया कि लक्ष्मीकुट्टी ने 500 हर्बल औषधियां बनाई हैं। साथ ही उन्हें सांप के काटने के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाओं को सिंथेसाइज करने में महारत हासिल है।