प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत लगातार विकास के पथ पर अग्रसर है और देश की बढ़ती अर्थव्यवस्था इसकी गवाही दे रहा है। पीएम मोदी के विजन से ही भारत आज दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना है। भारतीय अर्थव्यवस्था को गति देने और मजबूत करने में स्टार्टअप सेक्टर महत्वपूर्ण भूमिका रही है। 2014 से पहले देश में जहां 400 से भी कम स्टार्टअप थे वहीं मोदी राज में अब यह बढ़कर 92 हजार से अधिक हो गई है। पीएम मोदी ने 2016 में जब स्टार्टअप इंडिया योजना की पहल की थी, तब किसी ने सोचा भी नहीं था कि भारत इतनी जल्दी इस बुलंदी पर पहुंच जाएगा। मोदी सरकार के लगातार प्रोत्साहन मिलने के कारण भारत के नित-नए यूनिकॉर्न स्टार्टअप दुनिया में निरंतर नया मुकाम हासिल करते जा रहे हैं। आज देश में 108 यूनिकॉर्न बन चुके हैं।
400 स्टार्टअप्स से 92 हजार पहुंची संख्या
वर्ष 2014 में भारत में केवल 300 से 400 स्टार्टअप्स थे, वहीं आज उनकी संख्या 92 हजार से अधिक हो गई है। युवाओं के अपने कारोबार को लेकर बढ़ते रुझान और मोदी सरकार के द्वारा नए कारोबारियों को प्रोत्साहित करने की वजह से देश का स्टार्टअप इकॉसिस्टम मजबूत हुआ है। देश में 648 ऐसे जिले हैं जिसमें कम से कम एक मान्यता प्राप्त स्टार्टअप है। देश में 47 प्रतिशत ऐसे मान्यता प्राप्त स्टार्टअप हैं जिनमें कम से कम एक महिला डायरेक्टर है।
युवाओं को मिला रोजगार एवं स्वरोजगार का व्यापक अवसर
भारत के स्टार्टअप ने जिस तरह अपनी संस्कृति से जुड़ते व्यवसाय को आगे बढ़ाया है उससे निवेशकों का भरोसा बढ़ रहा है। स्टार्टअप्स के लिए सरकार की ओर से ऐसी कई पहल की गई जिसने भारत में स्टार्टअप संस्कृति को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, और उद्यमियों को अपना व्यवसाय शुरू करने और विकसित करने के लिए अधिक अनुकूल वातावरण बनाने में मदद की। इससे युवा प्रतिभाओं को रोजगार एवं स्वरोजगार अपनाने व्यापक अवसर मिला है। आज वे लोगों की समस्याओं का समाधान भी कर रहे हैं और व्यवसाय भी बढ़ा रहे हैं।
स्टार्टअप के लिए ऋण गारंटी योजना के साथ ही कई योजनाएं
सरकार ने देश में नवप्रयोग स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिये सुव्यवस्थित माहौल बनाने तथा इसमें निजी निवेश को प्रोत्साहित करने के लिये जनवरी 2016 को स्टार्टअप इंडिया पहल की शुरूआत की थी। इसे प्रोत्साहन देने की कार्य योजना में 19 मदों को शामिल किया गया है जो सरलीकरण और सहायता, निधि संबंधी सहायता एवं प्रोत्साहन तथा उद्योग शिक्षा जगत की भागीदारी जैसे क्षेत्रों से संबंधित हैं। स्टार्टअप के लिए निधियों, स्टार्टअप इंडिया सीड फंड योजना और स्टार्टअप के लिये ऋण गारंटी योजना के माध्यम से विभिन्न चरणों में सहायता प्रदान की जाती है।
छोटे शहरों से भी अच्छे स्टार्टअप बेहतर काम कर रहे
ऐसी धारणा है कि स्टार्टअप दिल्ली, मुम्बई, बेंगलूर और चेन्नई जैसे बड़े शहरों में ही शुरू किये जा सकते हैं लेकिन इसके विपरीत छोटे स्थानों से भी अच्छे स्टार्टअप सामने आए हैं। आज गुजरात के पाटन के स्टार्टअप, उत्तर प्रदेश के वाराणसी, केरल एवं अन्य प्रदेशों में छोटे-छोटे स्थानों पर युवाओं द्वारा स्टार्टअप शुरू किए जा रहे हैं। टीयर-2 और टीयर-3 शहरों में भी स्टार्टअप की काफी संभावनाएं हैं। उद्यमिता और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए यह सरकार का प्रमुख कार्यक्रम है। इसमें स्टार्टअप्स के लिए टैक्स छूट, फंडिंग और मेंटरशिप जैसे कई उपाय शामिल हैं।
स्टार्टअप-20 एंगेजमेंट ग्रुप की शुरुआत
2023 में भारत की जी-20 प्रेसीडेंसी के तहत स्टार्टअप-20 एंगेजमेंट ग्रुप की शुरुआत की गई है। इस समूह का उद्देश्य है – स्टार्टअप्स का समर्थन करने और स्टार्टअप्स, कॉरपोरेट्स, निवेशकों, इनोवेशन एजेंसियों और इकोसिस्टम के अन्य प्रमुख हितधारकों के बीच तालमेल को सक्षम करने के लिए एक ग्लोबल नैरेटिव निर्मित करना। इस इंगेजमेंट ग्रुप में तीन टास्कफोर्स शामिल हैं – फाउंडेशन एवं गठबंधन, वित्त, और समावेशन एवं स्थिरता, जहां जी-20 देशों में स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए कुशल नीतिगत ढांचे पर चर्चा करने के लिए तमाम प्रतिनिधि एक साथ आएंगे।
पीएम मोदी ने पहचाना भारत में उद्यमशीलता की भावना, स्टार्टअप को मिली रफ्तार
कांग्रेस जहां 60 सालों के शासनकाल में स्टार्टअप संस्कृति विकसित नहीं कर पाई। वहीं पीएम मोदी ने भारत में उद्यमशीलता की भावना को पहचाना और स्टार्टअप इंडिया की शुरूआत की। अमेरिका एवं अन्य बड़े देशों में स्टार्टअप की प्रणाली काफी पहले शुरू हो गई थी लेकिन हमारे देशों में पूर्व की सरकार ने इस बारे में विचार ही नहीं किया। पीएम मोदी के सत्ता में आने के बाद ही इसे शुरू किया गया। भारत में स्टार्टअप को प्रोत्साहन देने के लिये जितनी योजनाएं शुरू हुई हैं, उतनी अमेरिका, चीन जैसे देशों में भी नहीं हुई हैं। यही वजह है भारत में यूनिकॉर्न की लहर नई ऊंचाइयों पर पहुंच गई है। देश में यूनिकॉर्न की संख्या 108 हो गई है।
36 राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के 647 जिलों में स्टार्टअप का प्रसार
आज वैश्विक स्तर पर हर 10 में से 1 यूनिकॉर्न का उदय भारत में हो रहा है। भारत में 5 मई 2022 तक 100 यूनिकॉर्न थे जिनका कुल मूल्यांकन 332.7 अरब डॉलर था। भारत में उद्यमशीलता की भावना देश के कोने-कोने में मौजूद है। सभी 36 राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के 647 जिलों में स्टार्टअप के प्रसार से यह बिल्कुल स्पष्ट है। घरेलू स्टार्टअप परिवेश आत्मनिर्भरता के मिशन की दिशा में प्रभावी ढंग से काम कर रहा है। आत्मनिर्भर भारत का दृष्टिकोण स्टार्टअप परिवेश में गहराई से निहित है और वह आगामी वर्षों में भी जारी रहेगी। विशेषज्ञों का कहना है कि वर्ष 2023 में ऑटो, फिनटेक, क्लीनटेक, एग्री-टेक, लाइफस्टाइल डीप टेक, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और क्लाइमेट टेक जैसे क्षेत्रों में स्टार्टअप नई बुलंदी हासिल करेंगे।
प्रतिदिन देश में बन रहे 80 से अधिक स्टार्टअप
यह भी दिलचस्प बात है कि जहां 10 हजार स्टार्टअप्स को 808 दिनों में मान्यता मिली, वहीं अब 10 हजार स्टार्टअप्स की मान्यता 156 दिनों में ही कर दी गई। इस हिसाब से प्रतिदिन 80 से अधिक स्टार्टअप्स को मान्यता दी जा रही है, यह दर विश्व में सर्वाधिक है। इससे पता चलता है कि स्टार्टअप संस्कृति का भविष्य संभावनाओं से भरपूर और उत्साहवर्धक है।
विकास का पर्याय बना स्टार्टअप इंडिया कार्यक्रम
स्टार्टअप इंडिया कार्यक्रम, जिसे प्रमुख रूप से स्टार्टअप के लिये सकारात्मक माहौल उपलब्ध कराने के लिये शुरू किया गया था, वह आज स्टार्टअप्स के लिये लॉन्च-पैड के रूप में तैयार हो गया है। फंडिंग से लेकर आकर्षक टैक्सेशन तक, IPR को समर्थन से लेकर सरल सावर्जनिक खरीद तक, सुगमता के लिये नियमों में सुधार करने से लेकर अंतर्राष्ट्रीय उत्सवों और कार्यक्रमों तक, स्टार्टअप इंडिया कार्यक्रम सतत आर्थिक विकास का पर्याय बन गया है।
स्टार्टअप्स देश में 8 लाख 40 हजार लोगों को दे रहे रोजगार
कुल मान्यता-प्राप्त स्टार्टअप्स में से लगभग 12 प्रतिशत आईटी सेवाओं की, नौ प्रतिशत स्वास्थ्य-सुविधा और जीव विज्ञान की, सात प्रतिशत शिक्षा की, पांच प्रतिशत व्यावसायिक और वाणिज्यिक सेवाओं की और पांच प्रतिशत कृषि की जरूरतों से सम्बंधित हैं। भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम ने देश में आठ लाख 40 हजार से ज्यादा नौकरियां सृजित की हैं और इसमें गत 6 वर्षों में सालाना 110 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। वास्तव में, हमारे कुल स्टार्टअप्स में से 49 प्रतिशत टीयर-2 और टीयर-3 शहरों से हैं, जो हमारे देश के युवाओं की जबरदस्त क्षमता का परिचायक है।
बीजिंग, सिंगापुर, हांगकांग की जगह अब बेंगलुरु, मुंबई और दिल्ली
स्टार्टअप जेनोम की तरफ से जारी एक अन्य ‘वैश्विक स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र’ रिपोर्ट में कहा गया कि एशिया के दृष्टिकोण से प्रौद्योगिकी क्षेत्र में एक समय बीजिंग, सिंगापुर, हांगकांग और द. कोरिया जैसे शहरों का बोलबाला था। अब बेंगलुरु, मुंबई और दिल्ली जैसे भारतीय शहरों ने यह स्थान हासिल कर लिया है। रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र के सूचकांक में बाजार और वित्त पहुंच में बड़े सुधारों के साथ बेंगलुरु 22वें स्थान पर है। वहीं, दिल्ली 11 स्थान की छलांग लगाकर 26वें और मुंबई 36वें स्थान पर पहुंच गया है।
स्टार्टअप में निवेशकों की संख्या नौ गुना बढ़ी
वर्ष 2015 से 2022 के बीच भारत ने स्टार्टअप की दुनिया में लंबी छलांग लगाई है। इन सात वर्षों के दौरान निवेशकों की संख्या के लिहाज से इसमें नौ गुना वृद्धि दर्ज की गई है, स्टार्टअप में फंडिंग के लिहाज से इसमें सात गुना वृद्धि और इनक्यूबेटर की संख्या के हिसाब से इसमें सात गुना वृद्धि दर्ज की गई है।
‘जॉब सीकर’ की जगह ‘जॉब क्रिएटर’
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने जनवरी, 2016 में उद्यमिता को बढ़ावा देने, एक मजबूत स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करने तथा भारत को ‘जॉब सीकर’ की जगह पर ‘जॉब क्रिएटर’ वाला देश बनाने के उद्देश्य से ‘स्टार्टअप इंडिया इनिशिएटिव’ शुरू किया। इसके लिए सरकार ने अनेक सुधार किए। इन सुधारों के बाद कारोबार के आकांक्षी युवाओं को हौसला मिला और उन्होंने भारत को स्टार्टअप हब में बदलते हुए दुनिया में देश को तीसरे नंबर पर पहुंचा दिया। इससे पूर्व की प्रणाली जटिल और अव्यवस्थित थी, जिससे छोटे और मध्यम उद्यमियों को स्टार्टअप शुरू करने के लिए हतोत्साहित होना पड़ता था।
स्टार्टअप के विकास के लिए सात क्षेत्रों में सुधार पर जोर
स्टार्टअप के क्षेत्र में विकास के लिए सात क्षेत्रों में सुधार पर जोर दिया गया गया है। संस्थागत समर्थन, नवाचार एवं एंटरप्रेन्योरशिप का समर्थन, बाजार तक पहुंच, इनक्यूबेशन सपोर्ट, फंडिंग सपोर्ट, मेंटोरशिप सपोर्ट एवं क्षमता निर्माण। राज्यों के स्टार्टअप रैंकिंग का मूल्यांकन सात क्षेत्रों में किए गए सुधार के आधार पर किया गया है। इन क्षेत्रों में संस्थागत समर्थन, नवाचार को बढ़ावा देना, बाजार तक पहुंच मुहैया कराना और पूंजी उपलब्ध कराने जैसे 26 कार्य बिंदु शामिल हैं।
भारत की स्टार्टअप क्रांति बनेगी महत्वपूर्ण पहचान
भारत की यह स्टार्टअप क्रांति आजादी के अमृत काल की महत्वपूर्ण पहचान बनेगी। आज देश में प्रो-एक्टिव स्टार्टअप नीति एवं पर्याप्त स्टार्टअप नेतृत्व है। सबसे खास बात, देश की युवा शक्ति इसमें अहम भूमिका अदा कर रही है। पूरी दुनिया में भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम की प्रशंसा हो रही है। भारत में स्टार्टअप्स सामान्य भारतीय युवाओं के सपने पूरा करने के सशक्त माध्यम बन रहे हैं।
लाखों युवाओं को रोजगार
आज देश के हर राज्य में 600 से अधिक जिलों में कम से कम एक स्टार्टअप है। आज करीब आधे स्टार्टअप्स टीयर-2 और टीयर-3 सिटीज में हैं। ये सामान्य, गरीब परिवारों के युवाओं के आइडिया को बिजनेस में बदल रहे हैं। इन स्टार्टअप्स में आज लाखों युवाओं को रोजगार मिल रहा है।
भारत में अब यूनिकॉर्न की संख्या 108
पीएम मोदी ने 2016 में जब स्टार्टअप इंडिया योजना की पहल की थी, तब किसी ने सोचा भी नहीं था कि भारत इतनी जल्दी इस बुलंदी पर पहुंच जाएगा। मोदी सरकार के लगातार प्रोत्साहन मिलने के कारण भारत के नित-नए यूनिकॉर्न स्टार्टअप दुनिया में निरंतर नया मुकाम हासिल करते जा रहे हैं। भारत में अब यूनिकॉर्न कंपनियों की संख्या बढ़कर 108 हो गई है। खास बात यह है कि इन 108 यूनिकॉर्न में से 60 से अधिक पिछले दो सालों में ही बने हैं। पीएम मोदी की प्रेरणा से भारत के उद्यमशील युवा अब तेजी से जॉंब सीकर की बजाय जॉब क्रिएटर बन रहे हैं।
दुनिया में बनने वाले 10 में से 1 यूनिकॉर्न भारत में
आज वैश्विक स्तर पर हर 10 में से 1 यूनिकॉर्न का उदय भारत में हो रहा है। भारत में 5 मई 2022 तक 100 यूनिकॉर्न थे जिनका कुल मूल्यांकन 332.7 अरब डॉलर था। भारत में उद्यमशीलता की भावना देश के कोने-कोने में मौजूद है। सभी 36 राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के 647 जिलों में स्टार्टअप के प्रसार से यह बिल्कुल स्पष्ट है। घरेलू स्टार्टअप परिवेश आत्मनिर्भरता के मिशन की दिशा में प्रभावी ढंग से काम कर रहा है। आत्मनिर्भर भारत का दृष्टिकोण स्टार्टअप परिवेश में गहराई से निहित है और वह आगामी वर्षों में भी जारी रहेगी।
तेजी से बढ़ी यूनिकॉर्न की संख्या
प्रत्येक स्टार्टअप के लिए यूनिकॉर्न बनने की अपनी अनूठी यात्रा होती है, लेकिन भारत में स्टार्टअप को यूनिकॉर्न बनने के लिए मिनिमम समय 6 महीने और अधिकतम 26 साल है। वित्त वर्ष 2016-17 तक हर साल लगभग एक यूनिकॉर्न तैयार होता था वहीं पिछले चार वर्षों में (वित्त वर्ष 2017-18 के बाद से) यह संख्या तेजी से बढ़ रही है और हर साल अतिरिक्त यूनिकॉर्न की संख्या में सालाना 66 प्रशित की वृद्धि हो रही है।
2021 में स्टार्टअप ने 42 अरब डॉलर की पूंजी जुटाई
2021 का साल भारत के तकनीकी इकोसिस्टम के लिए सच में मील का पत्थर साबित हुआ है। इस एक साल के दौरान भारत की स्टार्ट-अप कंपनियों ने 1583 सौदों के ज़रिए 42 अरब डॉलर की पूंजी जुटाई। ये साल बाज़ार से बाहर जाने, विलय और ख़रीद और IPO का भी साल रहा है। इस साल तकनीक के कारोबार की दुनिया से बाहर जाने वालों के लिहाज़ से भी रिकॉर्ड बना और 17.4 अरब डॉलर की रक़म वापस की गई, जो 2020 में लौटाई गई रक़म (84.3 करोड़ डॉलर) से 20 गुना अधिक थी।
आत्मनिर्भर भारत की ओर कदम
अगर कारोबार की भाषा में कहें तो जैसे-जैसे स्टार्टअप की संख्या बढ़ रही है भारत आत्मनिर्भरता की ओर तेजी से कदम बढ़ा रहा है। आने वाले वर्षों में यह हो सकता है कि जिन चीजों के लिए हम दूसरे देशों पर निर्भर रहते थे वह भारत में बन रहा हो और हमें आयात करने की जरूरत ही न पड़े। इस तरह कह सकते हैं कि स्टार्टअप की सफलता में भारत के आत्मनिर्भर होने का सपना भी निहित है।