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पूर्वोत्तर में शांति के एक नए युग की शुरुआत, मणिपुर के उग्रवादी संगठन ने डाले हथियार, सीएम बीरेन सिंह ने पीएम मोदी और अमित शाह को दिया श्रेय

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और मणिपुर सरकार के लगातार प्रयास से पूर्वोत्तर में शांति का मार्ग प्रशस्त हो गया है। प्रधानमंत्री मोदी के अथक कोशिशों से मणिपुर में 60 साल पुराना विषय खत्म हो चुका है। मणिपुर का सबसे बड़ा और सबसे पुराना उग्रवादी संगठन यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (यूएनएलएफ) ने हथियार डाल दिया है। यूएनएलएफ ने केंद्र सरकार के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद हिंसा छोड़ने और मुख्यधारा में शामिल होने पर सहमति व्यक्त की। इससे मणिपुर के साथ ही पूरे देश के लोगों ने राहत की सांस ली है। वहीं मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने इस समझौते के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के प्रति आभार जताया है। 

प्रधानमंत्री और गृहमंत्री के अथक प्रयास से हुआ शांति समझौता- एन बीरेन सिंह

शुक्रवार (01 दिसंबर, 2023) को पत्रकारों को संबोधित करते हुए बीरेन सिंह ने कहा कि मैं मणिपुर और पूरे पूर्वोत्तर में शांति बहाल करने की पहल के लिए प्रधानमंत्री मोदी को धन्यवाद देना चाहता हूं। इसके साथ ही बीरेन सिंह ने गृहमंत्री अमित शाह के “अथक प्रयासों” के लिए आभार व्यक्त किया और बताया कि उनकी पहल से शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। मणिपुर के सीएम ने कहा कि शांति वार्ता के प्रयास कई सालों से किए जा रहे थे, लेकिन सफलता नहीं मिल रही थी। शांति समझौते पर हस्ताक्षर प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में हुआ। यह बीजेपी द्वारा पूर्वोत्तर में बनाए गए विश्वास का नतीजा है। 

पूर्वोत्तर में शांति के अथक प्रयासों में एक नया अध्याय जुड़ गया है- अमित शाह

केंद्र सरकार और यूएनएलएफ के बीच बुधवार को दिल्ली में समझौता हुआ। इसके बाद केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल हुई। पूर्वोत्तर में स्थायी शांति स्थापित करने के मोदी सरकार के अथक प्रयासों में एक नया अध्याय जुड़ गया है क्योंकि यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (यूएनएलएफ) ने आज नई दिल्ली में एक शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए। मणिपुर का सबसे पुराना घाटी स्थित सशस्त्र समूह यूएनएलएफ हिंसा छोड़कर मुख्यधारा में शामिल होने पर सहमत हो गया है। मैं लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में उनका स्वागत करता हूं और शांति और प्रगति के पथ पर उनकी यात्रा के लिए शुभकामनाएं देता हूं।”

अमित शाह ने मुख्यमंत्रियों के साथ कई बार मीटिंग के बाद बनाई थी रणनीति

राज्य में तीन मई 2023 को जातीय हिंसा भड़कने के बाद यह पहली बार है कि किसी बड़े उग्रवादी समूह ने शांति के समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने समझौते से दो दिन पहले ही मणिपुर में शांति स्थापित करने के संकेत दे दिए थे। समझौते के लिए उन इलाकों की पहचान की गई थी जहां यह संगठन सक्रिय था। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने गृह मंत्रालय के अधिकारियों और पूर्वोत्तर के राज्यों से आने वाले मुख्यमंत्रियों के साथ कई बार मीटिंग की। पिछले कुछ सालों में एक खास रणनीति के तहत गृहमंत्रालय ने इस ग्रुप के साथ समझौते की योजना बनाई। इस ग्रुप के गठन और इसको बढ़ावा देने में चीन परोक्ष रूप से मदद देता रहा है। यह संगठन मणिपुर में पुलिस और नागरिकों पर हमलों के साथ-साथ भारत की संप्रभुता और अखंडता के खिलाफ गतिविधियों में शामिल था। वर्ष 1990 में इस संगठन ने भारत से मणिपुर की ‘मुक्ति’के लिए एक सशस्त्र संघर्ष शुरू किया था।

मोदी सरकार के प्रयास से पूर्वोत्तर में कई उग्रवादी संगठनों ने डाला हथियार

प्रधानमंत्री मोदी ने 2014 में केंद्र की सत्ता में आने के बाद पूर्वोत्तर में शांति स्थापित करने और देश की एकता-अखंडता को बनाए रखने के लिए प्रयास शुरू कर दिया। उनकी दूरदर्शी नीतियों और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की सजगता और तत्परात की वजह से पिछले कई सालों में पूर्वोत्तर राज्यों के बहुत सारे उग्रवादी संगठन मुख्यधारा से जुड़े हैं। एक के बाद एक उग्रवादी गुटों ने हथियार डालकर शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इसमें असम में सक्रिय उग्रवादी समूह दिमासा नेशनल लिबरेशन आर्मी (डीएनएलए) शामिल है। 2021 में नगालैंड में सक्रिय उग्रवादी संगठन एनएससीएन (के) निकी ग्रुप ने हिंसा का रास्ता छोड़कर संघर्ष विराम समझौते पर हस्ताक्षर किया। इसके अलावा जनवरी 2020 में बोडो एग्रीमेंट, असम में कार्बी समूह के काडर्स का सरेंडर और अगस्त 2019 में त्रिपुरा के उग्रवादी संगठन एनएलएफटी (एसडी) का सरेंडर हुआ था। 

मणिपुर में सुनियोजित तरीके से भड़काई गई थी आग

गौरतलब है कि मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में हिंसा भड़क उठी थी। पहाड़ी जिलों में तीन मई,2023 को आयोजित ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के बाद भड़की हिंसा में अब तक सौ से अधिक लोग मारे जा चुके हैं। मणिपुर में हिंसा भड़कने के बाद उस पर काबू पा लिया गया था लेकिन जो लोग इसे मुद्दा बनाए रखना चाहते हैं उन्होंने आग में घी डालते हुए एक वीडियो वायरल कर दिया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अमेरिका दौरे से पहले इस हिंसा को भड़काया गया और संसद सत्र शुरू होने से पहले एक वीडियो वायरल किया गया जिसमें दो महिलाओं को नग्न करके घुमाया गया था। कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी दलों ने प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार को बदनाम करने के लिए सुनियोजित तरीके से हिंसा को बढ़ावा दिया। कूकी और मेइती के बीच संघर्ष को अंतरराष्ट्रीय रूप देने की साजिश रची। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी अपने शांति के रास्ते से विचलित नहीं हुए। उन्होंने पूर्वोत्तर में शांति स्थापित करने के प्रयास से विपक्ष की लगाई आग को बुझा दिया।  

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