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पीएम मोदी 24 मार्च को आएंगे वाराणसी,1800 करोड़ रुपये की परियोजनाओं की देंगे सौगात, सीवेज संकट और बाढ़ की समस्या से मिलेगी मुक्ति

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी का कायाकल्प कर दिया है। उनके निर्देशन और प्रयास से वाराणसी को स्मार्टसिटी की तर्ज पर विकसित किया जा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी जब भी वाराणसी का दौरा करते हैं, तो अपने साथ योजनाओं की सौगात लेकर आते हैं। करीब चार महीने बाद प्रधानमंत्री मोदी 24 मार्च को फिर वाराणसी आ रहे हैं। इस दौरान वह 1800 करोड़ रुपये के विकास परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास करेंगे। इनमें सीवेज संकट और बाढ़ की समस्या से मुक्ति दिलाने वाले महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट शामिल है। इनके अलावा अर्बन ट्रांसपोर्ट रोपवे की भी सौगात देंगे।

प्रधानमंत्री मोदी अपने वाराणसी दौरे में सबसे पहले कन्वेंशन सेंटर में होने वाले क्षय रोग की अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला में हिस्सा लेंगे। इसके बाद संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय जाएंगे। विश्वविद्यालय परिसर स्थित खेल मैदान में ही 1800 करोड़ रुपये के 29 विकास कार्यों का शिलान्यास व लोकार्पण करेंगे। इनमें नौ परियोजनाओं का शिलान्यास और 20 परियोजनाओं का लोकार्पण शामिल है।इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी वाराणसी में देश के पहले ‘अर्बन ट्रांसपोर्ट रोपवे’ की नींव रखेंगे। इसके साथ ही कैंट रेलवे स्टेशन से गोदौलिया के बीच रोपवे का काम शुरू हो जाएगा। इससे काशी की जनता की वर्षों पुरानी मांग पूरी हो जाएगी।

वाराणसी के लोगों को हर साल सीवेज और बाढ़ की समस्या का सामना करना पड़ता है। प्रधानमंत्री मोदी ने इस समस्या के स्थाई समाधान का मार्ग प्रशस्त कर दिया है। बीएचयू के पास भगवानपुर में 55 एमएलडी शोधन क्षमता वाला सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनेगा। हालांकि, यहां पर पहले से ही STP है, मगर उसकी क्षमता बेहद कम 9.8 एमएलडी है। शहर में बाढ़ की सबसे बड़ी समस्या भगवानपुर में होती है। बाढ़ का पानी शहर में प्रवेश कर जाता है। लेकिन फ्लिपर गेट होने के बाद पानी कॉलोनियों और सड़कों पर आने से रोका जा सकता है। इसके लिए सवा 2 करोड़ की लागत से फ्लिपर गेट बनाया जाएगा। इसकी आधारशिला प्रधानमंत्री मोदी रखेंगे। 

भगवानपुर के इलाकों में सीवेज सिस्टम खराब होने से बरसात में जलजमाव हो जाता है। इलाके के काशी पुरम, मारुति नगर, हरी नगर, मुरारी चौक, गायत्री नगर आदि जगहों का पूरा पानी नाले में मिलता है। वहीं, दूसरी ओर गंगा भी उफान पर होती हैं। ऐसे में नाले का पानी ही गंगा के किनारे तक जाकर वापस मुड़ जाता है और पूरे 10 किलोमीटर के रेंज में बाढ़ की वजह बनता है। यहां जलस्तर सामान्य होने में महीनों लग जाते हैं। वहीं, इसमें सीवेज का दूषित जल मिलने से हर साल हजारों लोग बीमार होते हैं।

सीवेज का पानी सीधे गंगा में न मिले इसके लिए 308 करोड़ रुपये से नमामि गंगे द्वारा प्रस्तावित भगवानपुर एसटीपी बनाया जाएगा। इसके अलावा रामनगर में 40 एमएलडी शोधन क्षमता का और लोहता में 25 एमएलडी का सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट तैयार हो रहा है। इनके निर्माण के बाद शहर में कुल 10 एसटीपी सक्रिय हो जाएंगे। फिलहाल, कुल 7 एसटीपी ही काम कर रहे हैं। 50 एमएलडी का नगवां एसटीपी, भगवानपुर, 80 एमएलडी का दीनापुर सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट, 50 एमएलडी का रमना एसटीपी, 12 एमएलडी का बरेका सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट है। 140 एमएलडी का दीपापुर और 120 एमएलडी गोईठहां एसटीपी है।

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