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सोचिए, कोरोना महामारी 2014 में आई होती तो क्या सोशल डिस्टेंसिंग और लॉकडाउन संभव होता !

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कोरोना महामारी से आज पूरा विश्व जूझ रहा है। इस महामारी से अब तक पूरे विश्व में एक लाख 45 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि कोरोना के 2,182,197 मरीज सामने आ चुके हैं। भारत की आबादी 130 करोड़ होने के बावजूद कोरोना के खिलाफ लड़ाई में विश्व के तमाम दूसरों देशों से भारत की स्थिति अच्छी है और यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रयासों के कारण ही संभव हो सका है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रयासों और साहसिक फैसलों के कारण आज पूरी दुनिया में भारत की प्रशंसा हो रही है। लेकिन इन सबके बीच एक बड़ा सवाल यह है कि अगर कोरोना महामारी 2014 में आती तो क्या भारत इस तरह के प्रभावी कदम उठाने में सफल होता। 2014 में सत्ता में आने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अनेक जन कल्याणकारी कदम उठाए और यही कारण है कि आज भारत के खिलाफ लड़ाई मजबूती से लड़ रहा है। आइए, जानते हैं कैसे?

देश में बने 10 करोड़ शौचालय   

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सत्ता में आते ही स्वच्छता को लेकर गंभीर प्रयास किए और उनके अथक प्रयासों से देशभर में अब तक 10 करोड़ से ज्यादा शौचालय बनाए जा चुके हैं। हर घर में शौचालय होने के कारण आज भारत कोरोना संकट में निपटने में ज्यादा सक्षम है। घरों में शौचालय होने के कारण लोग घरों से बाहर शौचालय जाने के लिए मजबूर नहीं है और सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों को फॉलो करने में ज्यादा सक्षम हैं।

8 करोड़ महिलाओं को फ्री गैस कनेक्शन 

प्रधानमत्री नरेन्द्र मोदी के प्रयासों से देशभर में अब तक उज्ज्वला योजना के तहत 8 करोड़ महिलाओं को मुफ्त गैस कनेक्शन दिए जा चुके हैं। इससे फायदा यह हुआ है कि चूल्हा जलाने के लिए लोगों को लड़की चुनने या फिर अन्य संसाधनों को जुटाने के लिए घर से बाहर नहीं निकलना पड़ा रहा है और भारत कोरोना से निपटने में ज्यादा सक्षम है।  

2 करोड़ लोगों को पक्का मकान  

प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत देशभर में अब तक 2 करोड़ लोगों को पक्के मकान की चाभी दी जा चुकी है और अपने परिवार के साथ आराम से रह रहे हैं। अगर ये मकान नहीं बनते तो क्या भारत में सोशल डिस्टेंसिंग और लॉकडाउन संभव होता, क्योंकि 2 करोड़ परिवारों के पास रहने को अपना घर तक नहीं था। 

18,000 गांव व 3 करोड़ घरों में बिजली

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सत्ता में आने के बाद देशभर के सभी गांवों में बिजली पहुंचाई जा चुकी है। आजादी के करीब 65 सालों तक देश के 18 हजार गांवों में बिजली ही नहीं पहुंची थी तो क्या ऐसे में सोशल डिस्टेंसिंग और लॉकडाउन कितना संभव हो पाता। मोदी सरकार के प्रयास से 3 करोड़ से अधिक घरों में बिजली पहुंच चुकी है और कही न कही इसका फायदा आज कोरोना संकट से निपटने में भी हो रहा है।

36 करोड़ लोगों के खुले बैंक अकाउंट 

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रयासों से देशभर में 36 लाख लोगों के बैंक अकाउंट खुल चुके हैं। इसका फायदा ये हो रहा है कि लोगों को जनकल्याणकारी योजनाओं के पैसे सीधे खाते में पहुंच रहे हैं। अगर बैंक अकाउंट नहीं होता है कि सरकार कोरोना के इस संकट में उन्हें कैसे मदद पहुंचा पाती। यह बड़ा सवाल है। 

सोचिए, कोरोना महामारी भारत में कितनी तबाही मचाती,अगर पीएम मोदी ने बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराने के लिए 2014 से निरंतर इतना कठिन परिश्रम न किया होता।  अगर कोरोना महामारी से निपटने के लिए आगे कोई रणनीति और ठोस उपायों की जरूरत की बात करे, तो उन्हें 2014 की हकीकत जरूर बताएं।  

प्रधानमंत्री मोदी ने ऐसी कई योजनाएं शुरू की हैं जो देश की तस्वीर बदलने वाली साबित हो रही है। आइए, एक नजर डालते हैं मोदी सरकार की ऐसी की कुछ योजनाओं पर… 

आयुष्मान भारत योजना
आयुष्मान भारत योजना अफॉर्डेबल हेल्थकेयर के क्षेत्र में सबसे क्रांतिकारी कदम है। दुनिया में मोदी केयर के नाम से विख्यात इस योजना के तहत देश के 10 करोड़ गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों यानी 50 करोड़ लोगों को प्रतिवर्ष 5 लाख रुपये के सालाना चिकित्सा बीमा की सुविधा मिल रही है। अगर उनके परिवार में कोई बीमार पड़ा तो एक साल में 5 लाख रुपये का खर्च भारत सरकार और इंश्योरेंस कंपनी मिलकर देती है। इस योजना के अंतर्गत अब तक 96 लाख से अधिक मरीज लाभान्वित हो चुके हैं।

जीवन ज्योति बीमा योजना और सुरक्षा बीमा योजना
यह सरकार के सहयोग से चलने वाली जीवन बीमा योजना है। इसमें 18 साल से 50 साल तक के भारतीय नागरिक को 2 लाख रुपये का बीमा कवर सिर्फ 330 रुपये के सलाना प्रीमियम पर उपलब्‍ध है। 

सुकन्या समृद्धि योजना
बेटियों की पढ़ाई और उसकी शादी को लेकर पैसे से जुड़े अभिभावक के तनाव को दूर करने के लिए मोदी सरकार ने सुकन्या समृद्धि योजना शुरू की। इस योजना के अंतर्गत आपको बैंक या पोस्ट ऑफिस में बेटी के नाम से खाते खुलवाने होते हैं। इस खाते की मैच्‍योरिटी खाता खोलने की तिथि से 21 वर्ष या फिर बेटी की शादी की तारीख जो भी पहले आ जाए वह होती है। खाते में शुरुआती जमा राशि महज 250 रुपये है जबकि एक वित्त वर्ष में 1.5 लाख रुपये तक जमा किये जा सकते हैं। 

मुद्रा योजना
इस योजना ने छोटे और मझोले कारोबारियों की दुनिया रोशन कर दी है। देश में रोजगार के मायने बदलने वाली मुद्रा योजना के लगभग 70 प्रतिशत लाभार्थी दलित-पिछड़े और आदिवासी हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई मुद्रा योजना के कारण युवा जॉब सीकर की जगह जॉब क्रिएटर बन रहे हैं। इस योजना के लाभार्थियों में 70 प्रतिशत से अधिक महिलाएं हैं, यानि महिलाओं की आर्थिक उन्नति में भी यह योजना क्रांतिकारी साबित हुई है। 

स्टैंड अप इंडिया
मौजूदा सरकार का जोर देश के दूर-दराज के इलाकों में रहने वाले दलित-पिछड़े तबके के लोगों को स्वरोजगार के लिए भी प्रोत्साहित करने पर है। स्टैंड अप इंडिया कार्यक्रम इसी मकसद से शुरू किया जिसमें ये तय किया गया कि इस योजना के माध्यम से हर बैंक ब्रांच कम से कम एक अनुसूचित जाति या जनजाति के व्यक्ति को कर्ज जरूर देगी। इस योजना के तहत 10 लाख रुपये से एक करोड़ रुपये तक के लोन मुहैया कराये जाते हैं।   

स्टार्ट अप इंडिया
प्रधानमंत्री मोदी के प्रयास से भारत स्टार्टअप के मामले में अमेरिका और ब्रिटेन के बाद दुनिया में तीसरे नंबर पर पहुंच चुका है। स्टार्टअप पर नई नीति लागू होने के बाद देश में हजारों करोड़ रुपये का निवेश हुआ है। बड़ी बात यह है कि इसमें महिलाओं की भी जबरदस्त भागीदारी है। इससे 2020 तक लाखों रोजगार मिलने का अनुमान है। क्योंकि अब नौकरी का मतलब आत्मनिर्भर होना है। 10 हजार करोड़ रुपये के कोष से खड़ा हुआ स्टार्टअप अब लोगों को आत्मनिर्भर बना रहा है।

मिशन इंद्रधनुष
मिशन इंद्रधनुष के तहत सरकार देश के उन इलाकों तक टीकाकरण अभियान को पहुंचा रही है, जहां पहले से चले आ रहे टीकाकरण अभियानों की पहुंच नहीं थी। इस वजह से लाखों बच्चे और गर्भवती महिलाएं टीकाकरण से छूट जाते थे।  पहले सरकार का लक्ष्य 2020 तक देश में पूर्ण टीकाकरण कवरेज को हासिल करना था अब इसे 2018 तक हासिल करने के लिए मिशन इंद्रधनुष के साथ ही ‘इंटेन्सिफाइड मिशन इंद्रधनुष’ की शुरुआत की गई है। 

‘प्रधानमंत्री जन-औषधि योजना’
राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति (2017) के तहत खोले गए प्रधानमंत्री जन-औषधि केंद्र के माध्यम से मामूली कीमतों पर जेनेरिक दवाइयां उपलब्ध हो रही हैं। गरीबों को सस्ती और सुलभ दवाएं सुनिश्चित करना इस सरकार की प्राथमिकता में रही है। जन औषधि स्टोर से गरीबों के लिए सस्ती दवाओं के साथ उन्हें मुफ्त जांच करवाने की सुविधा भी दी जा रही है। गौर करने वाली बात है कि ह्रदय रोग के मरीजों की सहायता के लिए स्टेंट की कीमतों में 85% तक की कटौती भी की जा चुकी है।

दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 15 अगस्त 2015 को लालकिले से देश के उन 18 हजार गांवों तक बिजली पहुंचाने का एलान किया था जहां स्वतंत्रता के इतने वर्षों बाद भी बिजली नहीं पहुंची थी। समय से पहले ही इस लक्ष्य को पूरा कर लिया गया है

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना
इस योजना ने खेती को लेकर देश के किसानों की राय बदल दी। साल 2022 तक देश के किसानों की आय दोगुनी करने के मोदी सरकार के संकल्प में यह योजना मददगार साबित होगी।इस योजना के तहत किसान अपनी फसल का बीमा करवा सकते हैं। यदि मौसम के प्रकोप से या किसी अन्‍य कारण से फसल को नुकसान पहुंचता है तो यह योजना किसानों की मदद करती है।

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना
इस योजना के तहत हर खेत में पानी पहुंचाने का प्रयास चल रहा है। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना जुलाई 2015 में लॉन्च की गई थी और लक्ष्य रखा गया था कि बरसों से अटकी हुई देश की 99 सिंचाई परियोजनाओं को 2019 तक पूरा कर लिया। इस योजना की प्रगति भी तय लक्ष्य के दायरे में है।

सॉयल हेल्थ कार्ड योजना
इस योजना से देश के किसानों की तरक्की के लिए मोदी सरकार की प्रतिबद्धता जाहिर होती है। देश की कृषि को नई शक्ति दी है Soil Health Card ने। फरवरी 2015 में शुरू की गई। इस योजना में 22.39 करोड़ से ज्यादा किसानों को यह कार्ड दिए जा चुके हैं।  

E-NAM योजना
किसानों को उनकी फसल की उचित कीमत मिले, उन्हें फसल बेचने में आसानी हो, इसे ध्यान में रखते हुए E-नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट योजना (E-NAM योजना) अप्रैल 2016 में शुरू की गई थी। इस योजना के तहत सरकार ने देश की 580 से ज्यादा मंडियों को ऑनलाइन जोड़ने का काम किया जा रहा है।  

 

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