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देखिए आज घड़ियाली आंसू बहाने वाला विपक्ष किस तरह राष्ट्रपति और राज्यपाल को अपमानित किया है

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में आजाद भारत गुलामी की मानसिकता और निशानी से मुक्ति पाकर आत्मनिर्भरता और आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ रहा है। इसी क्रम में प्रधानमंत्री मोदी के प्रयास से भारत को एक और गुलामी की निशानी से मुक्ति मिलने वाली है। प्रधानमंत्री मोदी 28 मई को दोपहर 12 बजे से हवन पूजन के साथ नव निर्मित नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे।यह संसद भवन आजाद भारत की संसदीय परंपरा की प्रगति, लोकतंत्र की मजबूती और आत्मनिर्भरता का प्रतीक है। लेकिन विपक्ष को रास नहीं आ रहा है कि एक गरीब और काफी पिछड़े परिवार से उठकर भारत का प्रधानमंत्री और विश्व का सबसे लोकप्रिय नेता बनने वाला व्यक्ति इस नए संसद भवन का उद्घाटन करें।

विपक्ष राष्ट्रपति को ढाल बनाकर प्रधानमंत्री मोदी से वो हक छीनना चाहता है, जिसने इस संसद को मंदिर मानकर एक पुजारी की तरह उसकी सेवा की है और उसकी गरिमा को बढ़ाया है। संसद और भारतीय लोकतंत्र की ताकत का एहसास पूरी दुनिया को कराया है। फिर भी विपक्ष अपने क्षुद्र राजनीतिक स्वार्थ के लिए ऐतिहासिक दिन का स्वागत करने की जगह उसके बहिष्कार का ऐलान किया है। विपक्ष नए संसद भवन के उद्घाटन के ऐतिहासिक समारोह में विघ्न डालने की कोशिश कर रहा है। इस समय कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल राष्ट्रपति का हितैषी बन रहे हैं और घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं। लेकिन असल में उनका ये प्रेम सिर्फ दिखावा है। आइए आपको बताते हैं इन विपक्षी दलों ने कई मौकों पर राष्ट्रपति और राज्यपाल के पद की गरिमा का ख्याल नहीं रखा और उसे अपमानित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

संसद के बजट सत्र के दौरान राष्ट्रपति के अभिभाषण का बहिष्कार 

इस साल 31 जनवरी को संसद के बजट सत्र की शुरुआत हुई। संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संबोधित किया। यह एक बहुत ही ऐतिहासिक अवसर था,क्योंकि भारत की प्रथम आदिवासी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संसद का बजट सत्र शुरू करने के लिए अभिभाषण पढ़ा। लेकिन दुख और हैरान करने वाली बात यह है कि इतने महत्वपूर्ण अवसर पर तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर की पार्टी बीआरएस और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी ने राष्ट्रपति के अभिभाषण का बहिष्कार किया। इस दौरान इन दलों को राष्ट्रपति की याद नहीं आई। इन दलों ने भारत के राष्ट्रपति के साथ-साथ देश की संसदीय परंपरा और मर्यादा का भी अपमान किया।

कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने किया ‘राष्ट्रपत्नी’ शब्द का इस्तेमाल

कांग्रेस के नेता महिला खासकर आदिवासी महिला राष्ट्रपति के प्रति कितना सम्मान रखते हैं, इसकी पोल तो राष्ट्रपति चुनाव के समय ही खुल गई थी। चुनाव के दौरान कांग्रेस के नेताओं ने अपने बयानों से सारी मर्यादाओं को तार-तार कर दिया था। कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने देश की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु का अपमान किया। कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के लिए राष्ट्रपति नहीं, बल्कि ‘राष्ट्रपत्नी’ शब्द इस्तेमाल किया। कांग्रेस के प्रदर्शन के दौरान अधीर रंजन चौधरी ने कहा, “हिन्दुस्तान की राष्ट्रपति जी सबके लिए हैं। राष्ट्रपति जी नहीं राष्ट्रपत्नी जी, हिन्दुस्तान की राष्ट्रपत्नी जी सबके लिए हैं। 

कांग्रेस नेता अजय कुमार ने बुरी विचारधारा का प्रतिनिधित्व करने वाला बताया

राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए उम्मीदवार द्रोपदी मुर्मू को लेकर कांग्रेस नेता अजय कुमार ने विवादित बयान दिया। अजय कुमार ने कहा है कि द्रौपदी मुर्मू देश की एक बुरी विचारधारा का प्रतिनिधित्व करती है। उन्होंने कहा कि वह आदिवासी समुदाय का प्रतिनिधित्व नहीं, बल्कि देश की एक बुरी विचारधारा (इविल फिलॉसफी) का प्रतिनिधित्व करती हैं। हमें द्रौपदी मुर्मू को आदिवासी प्रतीक नहीं बनाना चाहिए। अनुसूचित जाति की स्थिति बदतर हो गई है।

कांग्रेस नेता उदित राज ने राष्ट्रपति को बताया चमचा

राष्ट्रपति चुनाव के लिए एनडीए ने द्रौपदी मुर्मू को अपना उम्मीदवार बनाया। इसको लेकर कांग्रेस नेता उदित राज ने मौजूदा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नाम पर ट्वीट कर उनपर तंज कसने की कोशिश की। उदित राज ने लिखा कि ‘जाति देखकर खुश न होना। कोविंद जी राष्ट्रपति बने तो दलित खुश हुए और भला एक चपरासी का नहीं कर पाए।’ एक दूसरे ट्वीट में उदित राज ने राष्ट्रपति को चमचा तक करार दिया। उन्होंने लिखा, “द्रौपदी मुर्मू जी जैसा राष्ट्रपति किसी देश को न मिले। चमचागिरी की भी हद्द है । कहती हैं 70% लोग गुजरात का नमक खाते हैं । खुद नमक खाकर ज़िंदगी जिएँ तो पता लगेगा।” कांग्रेस सांसद के इस ट्वीट पर सोशल मीडिया यूजर्स भड़क गए। उन्होंने कांग्रेस नेता को फटकार लगानी शुरू कर दी। उदित राज के इस ट्वीट के कारण कांग्रेस की भी किरकिरी हुई थी।

टीएमसी नेता की राष्ट्रपति मुर्मू के रूप-रंग को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी

कांग्रेस के अलावा दूसरे दलों के नेता भी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपमानित करने की होड़ में शामिल रहे हैं। पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार में मंत्री और टीएमसी नेता अखिल गिरि ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के रूप-रंग को लेकर लेकर बेहद आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया। अखिल गिरि नंदीग्राम में एक भीड़ को संबोधित करते हुए कहा कि हम किसी को उसके रूप-रंग से नहीं आंकते, हम राष्ट्रपति (भारत के) के पद का सम्मान करते हैं। लेकिन हमारी राष्ट्रपति कैसी दिखती हैं?’

तेजस्वी यादव ने राष्ट्रपति मुर्मू को बताया मूर्ति

राष्ट्रपति चुनाव से पहले राजद नेता तेजस्वी यादव ने एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू पर तंज कसा था। एक कार्यक्रम में तेजस्वी यादव ने कहा कि राष्ट्रपति भवन में कोई मूर्ति तो नहीं चाहिए। आप समझ रहे हैं। हम लोग राष्ट्रपति का चुनाव कर रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि यशवंत सिन्हा जी को आपने हर जगह सुना होगा। लेकिन सत्ता पक्ष से जो उम्मीदवार है छोटा मुंह, बड़ी बात बोलनी नहीं चाहिए, लेकिन हमने नहीं सुना है। हमको लगता है कि आप लोगों ने भी उनकी आवाज को सुना होगा। लेकिन तेजस्वी याद भूल गए थे कि उनकी मां और एक अशिक्षित गृहिणी राबड़ी देवी को पार्टी में अनेक अनुभवी नेताओं की अनदेखी कर सर्वोच्च पद पर बैठा दिया गया था।

उपराष्ट्रपति धनखड़ को राज्यपाल रहते ममता बनर्जी ने हर मौके पर किया अपमानित

देश के मौजूदा उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रहते काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। राज्यपाल जैसे संवैधानिक पद को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हर मौके पर नीचा दिखाने की कोशिश की। दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के मुताबिक, राज्यपाल के रूप में अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए धनखड़ ने कहा था कि बंगाल की मुख्यमंत्री लगातार उनकी अंदेखी करती है। उन्होंने कहा था कि क्या आपने पूरे देश में कभी भी देखा है कि मौजूदा गवर्नर को सदन में पांचवें नंबर पर बोलने के लिए आमंत्रित किया जाए और पूर्व राज्यपाल, पूर्व लोकसभा अध्यक्ष और पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त को पहले बोलने के लिए कहा जाए। यह प्रोटोकॉल का उल्लंघन है। 

पश्चिम बंगाल विधानसभा गेट के बाहर धरने पर बैठे थे राज्यपाल धनखड़

पश्चिम बंगाल विधानसभा के स्पीकर ने राज्यपाल जगदीप धनखड़ को विधानसभा में लंच पर बुलाया था लेकिन ऐन वक्त पर कार्यक्रम कैंसिल कर दिया गया। इसके साथ ही दो दिन के लिए विधानसभा को बंद कर दिया गया। जब गवर्नर जगदीप धनखड़ विधानसभा पहुंचेे तो मेन गेट बंद होने कारण उन्होंने गेट नंबर दो से सदन में प्रवेश किया और वहीं गेट पर धरने पर बैठ गए। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में ऐसेेे गणतंत्र नहीं चलेगा। यह उनका अपमाान है।

राज्यपाल का अधिकार छीन कर ममता बनर्जी खुद बन गईं विश्वविद्यालयों की चांसलर

राष्ट्रपति के लिए आंसू बहाने वाला विपक्ष किस तरह राज्यपाल को अपमानित करता है, इसका सबसे बड़ा उदाहरण ममता बनर्जी ने पेश किया है। ममता बनर्जी ने राज्यपाल के अधिकार को ही छीन लिया। पश्चिम बंगाल विधानसभा ने राज्यपाल जगदीप धनखड़ की जगह मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को राज्य के विश्वविद्यालयों की चांसलर बनाने के लिए विधेयक पारित किया। इस विधेयक का बीजेपी ने सदन में पूरजोर विरोध किया। इससे पहले विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी और छह अन्य बीजेपी नेताओं, जिन्हें अनुशासनात्मक आधार पर विधानसभा की कार्यवाही में भाग लेने से रोक दिया गया था, ने विधेयक और उन पर प्रतिबंध के खिलाफ सदन के बाहर विरोध प्रदर्शन किया।

तमिलनाडु में स्टालिन सरकार का राज्यपाल के खिलाफ प्रस्ताव

तमिलनाडु की स्टालिन सरकार ने राज्यपाल आरएन रवि पर विधानसभा में अभिभाषण पढ़ते समय एक पैराग्राफ को छोड़ने का आरोप लगाया। इसके बाद स्टालिन सरकार ने राज्यपाल के अभिभाषण के खिलाफ प्रस्ताव पेश किया। इस प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पास किया गया। तय किया गया कि राज्यपाल के भाषण की जगह उन्हें जो अभिभाषण लिखकर दिया गया था, वही सदन की कार्यवाही में शामिल किया जाएगा। डीएमके विधायकों ने ‘बीजेपी, आरएसएस की विचारधारा मत थोपें’ जैसे नारे लगाए। विधानसभा से बाहर भी राज्यपाल के खिलाफ अभियान चलाया गया। पश्चिम चेन्नई में राज्यपाल के खिलाफ पोस्टर्स लगाए गए। इन पोस्टर्स में ‘#Getout Ravi’ लिखा था।

ये एलजी कौन है? जो हमारे सिर पर आकर बैठ गया- केजरीवाल

राष्ट्रपति को ढाल बनाकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपनी सियासी भड़ास निकालने की कोशिश कर रहे हैं। अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली विधानसभा में जिस तरह एलजी के लिए भाषा का इस्तेमाल किया, वो किसी मुख्यमंत्री के लिए शोभा नहीं देती। विधानसभा में मुख्यमंत्री केजरीवाल ने एलजी पर निशाना साधते हुए कहा कि उपराज्यपाल कौन हैं? एलजी कहां से आ गया? कहां का एलजी, किस बात का एलजी। बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना। वह हमारे सिर पर बैठे हैं। सोशल मीडिया में लोग एक संवैधानिक पद के लिए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की इस तरह की भाषा पर सवाल खड़े किए। 

अब आइए आपको दिखाते हैं, कब-कब कांग्रेस और विपक्षी दलों की सरकारों ने राष्ट्रपति और राज्यपालों की अनदेखी की है… 

इंदिरा गांधी ने किया अनेक्सी बिल्डिंग का उद्घाटन

1970 में संसद भवन परिसर में बड़ा निर्माण करवाया गया। उस वक्त राष्ट्रपति वीवी गिरि ने अनेक्सी बिल्डिंग की नींव रखी थी। लेकिन इसका उद्घाटन 24 अक्टूबर, 1975 को इंदिरा गांधी ने किया। वह भी आपातकाल लगाए जाने के चार महीने बाद। उस वक्त बहुत सारे विपक्षी नेता जेल में थे। 

राजीव गांधी ने 1987 में रखी थी संसद की लाइब्रेरी की नींव 

इंदिरा गांधी के बाद उनके उत्तराधिकारी राजीव गांधी ने तत्कालीन राष्ट्रपति की अनदेखी की। राजीव गांधी ने 15 अगस्त, 1987 को संसद की लाइब्रेरी की नींव रखी थी। 

सोनिया गांधी ने मुंबई में किया बांद्रा-वर्ली सी लिंक का उद्घाटन

मुंबई में बांद्रा-वर्ली सी लिंक UPA काल में बनाया गया था। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने 30 जून 2009 को इसका उद्घाटन किया था।

मनमोहन सिंह ने किया तमिलनाडु के नए विधानसभा-सह-सचिवालय परिसर का उद्घाटन

मार्च 2010 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने चेन्नई में तमिलनाडु के नए विधानसभा-सह-सचिवालय परिसर का उद्घाटन किया। इस मौके पर यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी और मुख्यमंत्री एम करुणानिधि भी मौजूद थे।

मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी ने मणिपुर के नए विधानसभा परिसर का किया उद्घाटन

दिसंबर 2011 में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मणिपुर की राजधानी इंफाल में नए विधानसभा परिसर और सिटी कन्वेंशन सेंटर समेत कई भवनों का उद्घाटन किया था।

नीतीश कुमार ने किया था बिहार विधानसभा के नए केंद्रीय कक्ष का उद्घाटन

6 फरवरी 2019 को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार विधानसभा के नए केंद्रीय कक्ष का उद्घाटन किया था।

छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार ने आदिवासी महिला राज्यपाल का किया अपमान

छत्तीसगढ़ में अगस्त 2020 में विधानसभा का शिलान्यास किया गया था। उस समय गवर्नर अनुसुइया उईके थीं। मध्य प्रदेश के छिन्दवाड़ा से आती हैं। राज्यपाल का नाम शिलापट्ट पर नहीं है। लेकिन सांसद होते हुए सोनिया गांधी और राहुल गांधी का नाम शिलापट्ट पर अंकित है।

सीएम केसी राव ने किया तेलंगाना के सचिवालय भवन का उद्घाटन 

30 अप्रैल 2023 को तेलंगाना के सचिवालय भवन का शुभारंभ सीएम केसी राव ने किया, लेकिन राज्यपाल को नहीं बुलाया गया। इस दौरान सीएम केसीआर कहा कि यह मेरे जीवन का सबसे बड़ा सौभाग्य है कि आज मेरे हाथों से एक प्रशासनिक केंद्र के रूप में सचिवालय का उद्घाटन किया जा रहा है। सचिवालय का नाम बीआर अंबेडकर सचिवालय रखा गया है।

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