प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश तरक्की की ओर अग्रसर है। मोदी सरकार जहां प्रत्येक क्षेत्र के विकास के लिए हरसंभव कोशिश कर रही हैं वहीं करप्शन को लेकर जीरो टोलरेंस की नीति पर काम कर रही हैं। इसके बावजूद कुछ मीडिया हाउस लगातार सरकार को बदनाम करने की कोशिश कर रही है। HUFFPOST की सब स्टैंडर्ड और कम कीमत के वेंटीलेटर्स खरीदने की खबर का पीआईबी ने खंडन किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ये वेटिंलेटर्स पीएम केयर्स फंड के तहत खरीदे गए हैं। हालांकि पीआईबी ने इस खबर का खंडन किया है पीआईबी का कहना है कि वेंटीलेटर्स टेक्निकल कमेटी द्वार अप्रूव्ड है और सफल क्लिनिल ट्रायल को भी अंजाम दिया गया है।
Claim: Govt is procuring sub-standard ventilators.#PIBFactcheck: The Ventilators have been approved by the technical committee after following due process. Successful clinical trials have also been carried out. pic.twitter.com/arI4Eweto2
— PIB Fact Check (@PIBFactCheck) June 24, 2020
आपको बता दें कि इससे पहले भी कई मीडिया हाउस और तथाकथित सेक्युलर लोग गलत खबरें फैलाकर लोगों को भ्रमित करने की कोशिश कर चुके हैं। आइए, ऐसे ही कुछ केस के बारे में आपको बताते हैं।
इंडिनय एक्सप्रेस ने छापी झूठी न्यूज
9 अप्रैल को प्रकाशित खबर में इंडियन एक्सप्रेस ने दावा किया कि दिल्ली पुलिस को ऐसा लगता है कि मौलाना साद के वायरल वीडियो छेड़छाड़ किया गया है,जिसमें वो जमातियों को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं करने को कह रहा है।
दिल्ली पुलिस ने इंडियन एक्सप्रेस की खबर का खंडन किया है जिसमें यह दावा किया गया है कि दिल्ली पुलिस को लगता है कि तबलीगी जमात के मुखिया साद के वीडियो के साथ छेड़छाड़ किया गया है।
The Indian Express report dated 9.5.20 with an article captioned: Tablighi FIR: Police probe indicates Saad audio clip was doctored – Written by Mahender Manral, is not only factually incorrect but seems to be based on wholly unverified sources and purely conjectural imagination. https://t.co/pXf6krFQ9L
— #DilKiPolice Delhi Police (@DelhiPolice) May 9, 2020
इंडियन एक्प्रेस की इस झूठी खबर पर सवाल उठाये जा रहे हैं। मौलाना साद का ऑडियो क्लिप किसी अन्य यूट्यब चैनल पर नहीं बल्कि मरकज़ के आधिकारिक यूट्यब चैनल से रिलीज किया गया था। अब ये कैसे हो सकता है कि मौलाना साद के अंतर्गत काम करने वाला व्यक्ति ही उनके सारे वीडियो को उनके ही चैनल पर छेड़छाड़ कर अपलोड करे? सवाल ये भी है कि अगर मोहम्मद साद सही और उन्होंने कोई गलत बयान नहीं दिया है तो फिर वो गिरफ्तारी से बचने के लिए भागते क्यों फिर रहे हैं।
प्लाज्मा थेरेपी को लेकर केजरीवाल ने फैलाया झूठ
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्लाज्मा थेरेपी के जरिए कोरोना मरीज के इलाज का झूठ फैला चुके हैं। उन्होंने दावा किया था कि इस थेरेपी से मरीज ठीक हो रहे हैं, लेकिन केंद्र सरकार ने इसको लेकर सचेत करते हुए कहा है कि इस थेरेपी को अभी इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) की ओर से मंजूर नहीं किया गया है। इसे अभी केवल ट्रायल और रिसर्च के रूप में आजमाया जा सकता है। गाइडलाइंस को ठीक से पालन नहीं किया गया तो यह खतरनाक भी हो सकता है।
Currently, there are no approved, definitive therapies for #COVID19. Convalescent plasma is one of the several emerging therapies. However, there is no robust evidence to support it for routine therapy. @US_FDA has also viewed it as an experimental therapy (IND). 1/4
— ICMR (@ICMRDELHI) April 28, 2020
कोरोना किट की कीमत को लेकर फैलाई गई झूठी खबर
कोरोना किट की कीमत को लेकर फैलाई जा रही झूठ का ICMR ने खंडन किया है। कांग्रेस नेता उदित राज ने अपने सोशल मीडिया पर शेयर किया कि कोरोना किट बनाकर 17 कंपनियां 500 रुपए में देने को तैयार थीं, लेकिन पीएम ने ठेका एक गुजराती कंपनी को दिला लिया जो किट को 4500 रुपए में बेच रही है। इस झूठी खबर का ICMR ने खंडन किया है। ICMR का कहना है कि RT-PCR के लिए 740-1150 और Rapid Test के लिए 528-795 रुपए निर्धारित किए गए हैं। कोई भी टेस्ट किट 4500 रुपए का नहीं खरीदा है। ICMR ने कहा कि अगर कोई कंपनी किट सस्ता में किट उपलब्ध कराना चाहती है कि उसके अधिकारी से संपंर्क करे।
आजतक ने डॉक्टरों के कोरोना संक्रमित होने की झूठी खबर चलाई
आजतक ने एक खबर चलाई कि अलीगढ़ के 5 डॉक्टर कोरोना संक्रमित हो गए हैं। हालांकि इस खबर में कोई सच्चाई नहीं है। अलीगढ़ के जिलाधिकारी ने इस खबर का खंडन किया है। जिलाधिकारी के ट्विटर हैंडल से कहा गया, ”जनपद अलीगढ़ में जेएन मेडिकल कॉलेज की मात्र एक डॉक्टर डॉ शबनूर ही कोरोना संक्रमित हैं। आज तक न्यूज़ चैनल पर 5 डॉक्टरों के कोरोना संक्रमित की खबर गलत प्रसारित की गई है। इसका खंडन किया जाता है।”
#PIBFactcheck
Media @aajtak reported 5 doctors in Jain Medical College, Aligarh Dt contracted Corona Virus.
Truth: DM, Aligarh condemned this & clarified only one Dr Shabnoor was infected.@PMOIndia, @infodeptup, @DDNewslive @airnewsalerts @PibLucknow https://t.co/EodALgozf4— PIB India (@PIB_India) April 24, 2020
SCROLL ने फैलाई झूठी खबर
SCROLL बेवसाइट ने बिहार के जहानाबाद के बारे में झूठी खबर प्रकाशित की जिसमें कहा गया है कि जहानाबाद के बच्चे खाने नहीं मिलने के कारण फ्राग खाने को मजबूर है लेकिन जांच में यह खबर झूठी निकली। दरअसल, मीडिया के कुछ लोगों ने बच्चों को ये लालच देकर उससे ये बातें बोलने के लिए मजूबर किया और विडियो बनाया। जहानाबाद के जिलाधिकारी ने इस खबर का खंडन किया। जिलाधिकारी का कहना है कि खाने की कोई कमी नहीं है। एक वीडियो ने बच्चों ने खुद कबूला कि उन्हें ये बातें बोलने के लिए प्रलोभन दिया गया।
NDTV ने प्रकाशित की गलत खबर
एनडीटीवी ने एक खबर प्रकाशित कर कहा है कि लॉकडाउन के कारण अरुणाचल प्रदेश के लोगों की हालत खराब हो रही है। राज्य में चावल की कमी है और लोग आजकल सांप खाने को मजबूर है लेकिन इस खबर के पीछे की हकीकत कुछ और ही है। केंद्रीय खेल मंत्री किरण रिजिजू ने एनडीटीवी के इस दावे को झूठा करार दिया है। उन्होंने बताया कि न सिर्फ़ वो बल्कि राज्य सरकार भी जानवरों के शिकार और उनकी हत्या को लेकर एकदम सख्त है। उन्होंने जानकारी दी कि राज्य में पर्याप्त मात्रा में अनाज उपलब्ध है, इसीलिए भोजन की कमी के चलते कोबरा को मार कर खाने वाली बात एकदम बेवकूफाना है।साथ ही उन्होंने ये भी बताया कि अरुणाचल प्रदेश में कोई भी व्यक्ति खाने के लिए कोबरा का शिकार नहीं करता।
Dear @ndtv please don't make stories without verification! I'm dead against hunting and killing of animals so is the State Govt. But to say that there's no rice left for the people leading to killing of cobra is rubbish! No one hunts snakes for consumption in Arunachal Pradesh. https://t.co/s07bX1rbEq
— Kiren Rijiju (@KirenRijiju) April 20, 2020
अरुणाचल प्रदेश सरकार ने भी एनडीटीवी के इस खबर का खंडन किया है। सरकार का कहना है कि राज्य में चावल की कोई कमी नहीं है।
https://t.co/MrRL56wpb6
Clarification: There is no shortage of rice in AP. The state has atleast three months stock at all places & is providing free ration to those who lost their livelihood. Around 20000 people have been provided free ration till date. @PemaKhanduBJP @ndtv— ARUNACHAL IPR (@ArunachalDIPR) April 20, 2020
फ्री इंटरनेट देने की झूठी खबर
सोशल मीडिया कर झूठी खबर पोस्ट कर यह दावा किया गया कि भारतीय दूरसंचार विभाग ने सभी मोबाइल यूजर को 3 मई 2020 तक फ्री इंटरनेट देने का ऐलान िया जिसे प्राप्त करने के लिए दिए गए लिंक पर क्लिक करना होगा। PIB Fact heckने इस खबर का खंडन किया है। पीआईबी के अनुसार सोशल मीडिया पर यह दावा बिल्कुल ठूठ है और दिया गया लिंक फर्जी है।
इंडियन एक्सप्रेस ने फैलाई झूठी खबर
15 अप्रैल को इंडियन एक्सप्रेस की एक खबर में कहा गया कि अहमदाबाद सिविल हॉस्पिटल में धर्म के आधार पर मरीजों के लिए अलग-अलग वार्ड बनाए गए हैं। इस फेक न्यूज में कहा गया कि अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट गुणवंत एच राठौड़ ने दावा किया है कि सरकार के फैसले के अनुसार हिंदुओं और मुस्लिमों के लिए अलग-अलग वार्ड तैयार किए गए हैं।
अखबार में खबर आने के बाद मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉक्टर राठौर ने कहा कि मेरे बयान को गलत तरीके से पेश किया जा रहा है कि हमने हिंदू और मुसलमानों के लिए अलग-अलग वार्ड बनवाए। ये रिपोर्ट पूरी तरह झूठी और निराधार है। उन्होंने साफ कहा कि वार्डों को महिला-पुरुष और बच्चों के लिए अलग-अलग किया गया है, वो भी उनकी मेडिकल स्थिति देखकर न कि धार्मिक आधार पर। पीआईबी फैक्ट चेक ने भी इस खबर को गलत पाया।
The Health Deptt.of Govt.of Gujarat has clarified that no segregation is being done in civil hospital on the basis of religion.Corona Patients are being treated based on symptoms, severity etc.and according to treating doctors’ recommendations.
— PIB in Gujarat (@PIBAhmedabad) April 15, 2020
#PIBFactCheck :
Myth : USCIRF says #COVID patients are being segregated on religious lines in a Gujarat hospital, citing a news itemReality: Unfortunate that this claim is based on a news item, already found fake and denied by the State govt. https://t.co/oKj5oMvVtO
— PIB in Chandigarh (@PIBChandigarh) April 16, 2020
द कारवां ने छापी झूठी खबर
इसके पहले द कारवां ने एक झूठी खबर प्रकाशित कर लिखा कि मोदी प्रशासन ने प्रमुख निर्णयों से पहले ICMR द्वारा नियुक्त COVID-19 टास्क फोर्स से परामर्श नहीं किया गया। स्टोरी में बताया गया है कि लॉकडाउन करने के पहले ICMR से राय मशविरा नहीं किया गया।
ICMR ने कारवां की इस झूठी खबर का खंडन किया है। ICMR का कहना है कि एक मीडिया रिपोर्ट में COVID-19 टास्क फोर्स के बारे में झूठे दावे किए गए हैं। सच्चाई ये है कि पिछले महीने में 14 बार टास्क फोर्स की बैठक हुई और सभी फैसलों में टास्क फोर्स के सदस्यों को शामिल किया गया।
There is a media report which makes false claims about the COVID-19 Task Force. The fact is that the task force met 14 times in the last month and all decisions taken involve the members of the task force. Please avoid such conjectures. #COVID2019india #IndiaFightsCorona
— ICMR (@ICMRDELHI) April 15, 2020
एक तरफ देश कोरोना संकट से निकलने की कोशिश कर रहा है वहीं कुछ लोग गलत खबरों के जरिए लोगों को भ्रमित करने की कोशिश कर रहे हैं। आइए, आपको बताते हैं कि कब-कब किन-किन लोगों ने झूठी खबरें फैलाने की कोशिश की।
‘पत्रकार’ विनोद कापड़ी ने फैलाई झूठी खबर
टीवी 9 भारतवर्ष के पूर्व पत्रकार विनोद कापड़ी ने उत्तर प्रदेश के आगरा की एक झूठी खबर फैलाने की कोशिश की। विनोद कापड़ी ने झूठी खबर को फैलाते हुए लिखा कि उत्तरप्रदेश के आगरा के ज़िला अस्पताल के #IsolationWard में पॉलिथीन के सहारे कोरोना से लड़ते डॉक्टर।
उत्तरप्रदेश के आगरा के ज़िला अस्पताल के #IsolationWard में पॉलिथीन के सहारे कोरोना से लड़ते डॉक्टर pic.twitter.com/t9Qbes68tY
— Vinod Kapri (@vinodkapri) April 14, 2020
इसी खबर को दैनिक जागरण ने प्रकाशित किया है, जिसे विनोद कापड़ी ने ट्वीट किया। आगरा के जिलाधिकारी के ट्विटर हैंडल से इस खबर का खंडन किया गया है। आगरा डीम के ट्विटर हैंडल से कहा गया है कि ICMR के निर्देशानुसार ड्यूटी डॉक्टर/स्टाफ को N95 मास्क/दस्ताने पहनना जरूरी है। प्रचारित फोटो में बालरोग के डॉक्टर(आइसोलेशन वार्ड नही देखते) दोनों चीजें पहने हैं। इसके अलावा बचाव हेतु उपयोग वस्तु, वह उनकी अपनी सूझबूझ है। इस वक्त हर कोई अपने को सुरक्षित रखना चाहते है। #TruthPlease
ICMR के निर्देशानुसार ड्यूटी डॉक्टर/स्टाफ को N95 मास्क/दस्ताने पहनना जरूरी है। प्रचारित फोटो में बालरोग के डॉक्टर(आइसोलेशन वार्ड नही देखते) दोनों चीजें पहने हैं। इसके अलावा बचाव हेतु उपयोग वस्तु, वह उनकी अपनी सूझबूझ है। इस वक्त हर कोई अपने को सुरक्षित रखना चाहते है। #TruthPlease pic.twitter.com/REk82GTCHc
— District Magistrate Agra (@OfficeOfDMAgra) April 14, 2020
भदोही की घटना पर फैलाई झूठी खबर
उत्तर प्रदेश के भदोही में एक महिला द्वारा अपने बच्चों को नदी में फेंकने की खबर को तथाकथिक बुद्धजीवियों ने झूठी खबर फैलाने की कोशिश की। एक खबर का सहारा लेकर आजतक के पूर्व पत्रकार पूण्य प्रसून्न वाजयेपी, वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण, वाम नेता कविता कृष्णन और प्रांजय गुहा ठाकुरता ने एक खबर के जरिए ट्वीट किया कि कोरोना से हो रही परेशाानियों से परेशान होकर एक महिला ने अपने बच्चों को नदी में फेंक दिया। लेकिन बाद में उक्त महिला ने इस खबर का खंडन किया और कहा कि वो घरेलु वजहों से परेशान थी और कोरोना संकट से कोई लेना देना नहीं है।
महिला मंजू देवी ने खुद इस फेक न्यूज का खंडन किया।
#PIBFactCheck
मीडिया में आ रही खबर कि लॉकडाउन के दौरान भुखमरी के कारण भदोही में एक महिला ने पांच बच्चों को गंगा नदी में फेंका, गलत है। सम्बन्धित महिला मंजू देवी का बयान।@DG_PIB@PIBFactCheck @DM_Bhadohi @myogiadityanath @PIBHindi pic.twitter.com/SChzUgGhay— PIB in Uttar Pradesh (@PibLucknow) April 13, 2020
‘द वायर’ के प्रमुख सिद्धार्थ वरदराजन ने फैलाई झूठी खबर
‘द वायर’ के प्रमुख सिद्धार्थ वरदराजन ने एक खबर शेयर करते हुए कहा कि पंजाब और हिमाचल की बॉर्डर रेखा के पास मुस्लिम समुदाय के कुछ बच्चे, औरतें, पुरुष नदी ताल पर बिना खाना-पीना के रहने को मजबूर हो गए हैं, क्योंकि उन्हें गाली देकर, मारकर उनके घरों से खदेड़ दिया गया है। जबकि होशियारपुर ने ट्वीट कर इस खबर का खंडन किया है।
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हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा की कमी की झूठी खबर
एक वेबसाइट द्वारा खबर प्रकाशित कर ये कहा गया कि हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा, अमेरिका और अन्य देशों के निर्यात से मुबंई में इस दवा की कमी हो गई है। पीआईबी फैक्ट ने इस खबर का खंडन किया है। इस खबर के विपरीत सच्चाई ये है कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने महाराष्ट्र को को 34 लाख हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा की टैबलेट सप्लाई दी गई है। जो जो डिमांड है उससे ज्यादा महाराष्ट्र के पास स्टॉक है।
#PIBFactCheck
Claim : A prominent newsportal has claimed #HCQ or #Hydroxychloroquine stocks in Mumbai have run out
Fact: MoHFW has allocated 34 lakh tablets of HCQ to Maharashtra upto 9 April. So supply is much more than present requirement. It has also made its own procurement. pic.twitter.com/FnibB7JebK— PIB Fact Check (@PIBFactCheck) April 10, 2020
कोरोना महामारी को लेकर न्यूज एजेंसी IANS के साथ NDTV और बिजनेस इनसाइडर की फेक न्यूज
कोरोना को लेकर न्यूज एजेंसी IANS के साथ NDTV और बिजनेस इनसाइडर ने यह दिखाने की कोशिश की कि भारत में कोरोना वायरस की भयावह स्थिति अगस्त के मध्य तक रह सकती है। अमेरिका की जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी और सेंटर फॉर डिजीज डायनेमिक्स, इकोनॉमिक्स एंड पॉलिसी (CDDEP) की रिपोर्ट का हवाला देकर गया कि करीब 25 करोड़ लोग इस वायरस की चपेट में आकर अस्पताल पहुंच सकते हैं। लेकिन लेकिन जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी ने इस खबर या स्टडी से कोई लेना-देना ना होने की बात कह कर फेक न्यूज फैलाने वालों पोल खोल दी।
अब देखिए, वायर न्यूज ने कब-कब फैलाई झूठी खबरें-
फेक न्यूज मामले में ‘द वायर’ के खिलाफ FIR दर्ज
हाल ही में भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक सिद्धार्थ वरदराजन द्वारा संचालित इस पोर्टल ‘द वायर’ ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लेकर एक झूठी खबर प्रकाशित की, जिसके खिलाफ मामला दर्ज किया गया। योगी सरकार की चेतवानी के बावजूद जब ‘द वायर’ ने फर्जी खबर नहीं हटायी, तो उसके खिलाफ FIR दर्ज की गई। इसके बारे में योगी आदित्यनाथ के मीडिया सलाहकार मृत्युंजय कुमार ने ट्वीट कर जानकारी दी। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा- “हमारी चेतावनी के बावजूद इन्होंने अपने झूठ को ना डिलीट किया ना माफ़ी मांगी। कार्यवाही की बात कही थी, FIR दर्ज हो चुकी है आगे की कार्यवाही की जा रही है। अगर आप भी योगी सरकार के बारे में झूठ फैलाने के की सोच रहे है तो कृपया ऐसे ख़्याल दिमाग़ से निकाल दें।”
हमारी चेतावनी के बावजूद इन्होंने अपने झूठ को ना डिलीट किया ना माफ़ी माँगी।
कार्यवाही की बात कही थी, FIR दर्ज हो चुकी है आगे की कार्यवाही की जा रही है।
अगर आप भी योगी सरकार के बारे में झूठ फैलाने के की सोच रहे है तो कृपया ऐसे ख़्याल दिमाग़ से निकाल दें। pic.twitter.com/1xPWWQVxGx
— Mrityunjay Kumar (@MrityunjayUP) April 1, 2020
इससे पहले योगी सरकार ने ‘दी वायर’ के संस्थापक सिद्धार्थ वरदराजन को चेतावनी देते हुए कहा था कि वह अपनी फर्जी खबर को डिलीट करें वरना इस पर कार्रवाई की जाएगी। यूपी सीएम के मीडिया सलाहकार ने कहा था कि झूठ फैलाने का प्रयास ना करे, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कभी ऐसी कोई बात नहीं कही है। इसे फ़ौरन डिलीट करे अन्यथा इस पर कार्यवाही की जाएगी तथा डिफ़ेमेशन का केस भी लगाया जाएगा। वेबसाईट के साथ-साथ केस लड़ने के लिए भी डोनेशन मांगना पड़ जाएगा।
झूठ फैलाने का प्रयास ना करे, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कभी ऐसी कोई बात नहीं कही है। इसे फ़ौरन डिलीट करे अन्यथा इस पर कार्यवाही की जाएगी तथा डिफ़ेमेशन का केस भी लगाया जाएगा। वेबसाईट के साथ-साथ केस लड़ने के लिए भी डोनेशन माँगना पड़ेगा फिर। https://t.co/2rEJmToLIh
— Mrityunjay Kumar (@MrityunjayUP) April 1, 2020
बता दें कि तबलीगी जमात को बचाने के लिए ‘द वायर’ ने फेक न्यूज़ फैलाते हुए लिखा कि जिस दिन इस इस्लामी संगठन का मजहबी कार्यक्रम हुआ, उसी दिन सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि 25 मार्च से 2 अप्रैल तक अयोध्या में प्रस्तावित विशाल रामनवमी मेला का आयोजन नहीं रुकेगा क्योंकि भगवान राम अपने भक्तों को कोरोना वायरस से बचाएंगे।
दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित मरकज में सैकड़ों मौलवियों की मौजूदगी और उनसे जुड़े कई लोगों की कोरोना से मौत और संक्रमण के मामले सामने आने के बाद पूरे देश में हड़कंप मच गया। इसी बीच मौलाना साद का एक ऑडियो वायरल हुआ, जिसमें वे मुसलमानों से कहते सुने जा सकते हैं कि मुसलमान डॉक्टरों और सरकार की सलाह न मानें क्योंकि मिलने-जुलने और एक-दूसरे के साथ बैठ कर खाने से कोरोना नहीं होगा। ऐसे में कई मौलानाओं के बयानों को ढकने के लिए ‘द वायर’ ने एक लेख प्रकाशित किया और उसके संपादक वरदराजन ने इस लेख को शेयर भी किया। लेकिन, ‘द वायर’ की झूठी खबर पकड़ी गयी।
कश्मीर को लेकर फैलायी झूठी खबर
अगस्त 2019 में ‘द वायर’ ने कश्मीर पर झूठी खबर फैलाने की कोशिश की,जिसकी पोल श्रीनगर के डीसी शाहिद चौधरी ने खोली थी। ‘द वायर’ ने कश्मीर को लेकर ‘कश्मीर रनिंग शॉर्ट ऑफ लाइफ सेविंग ड्रग्स एज क्लैम्पडाउन कांटिन्यूज’ शीर्षक से एक लेख प्रकाशित किया, जिसमें कश्मीर में जीवन रक्षक दवाओं की कमी बताई गई थी। इसमें कहा गया था कि श्रीनगर के दवा की दुकानों में दवाइयों की आपूर्ति कम कर दी गई है,जिससे आम लोगों को परेशानी हो रही है।
श्रीनगर के मजिस्ट्रेट आईएएस अधिकारी शाहिद चौधरी ने इस झूठ का पर्दाफाश कर दिया। उन्होंने लेख के लिंक को शेयर करते हुए ट्वीट कर बताया कि सभी की चिंता का ख्याल रखा जा रहा है। एक दिन के लिए भी दवाइयों की कमी नहीं हुई है। आपूर्ति में कोई व्यावधान नहीं है। यदि कोई व्यक्तिगत मामलों में भी मदद चाहता है, उसके लिए भी प्रशासन तैयार है।
All concerns and worries are deeply appreciated but we were not low on medical stocks even for a single day. No interruption in supplies. Still open to help individual cases, if any.
https://t.co/MZDlX8bDNC— Shahid Choudhary (@listenshahid) August 23, 2019
सिर्फ आईएएस चौधरी ही नहीं, बल्कि जम्मू के आईपीएस प्रणव महाजन ने भी इस पोर्टल को आड़े हाथ लिया। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि इस नाजुक समय में ऐसे पोर्टल्स को परिपक्वता दिखानी चाहिए। उन्होंने सबसे पहले जमीन पर मौजूद शाहिद चौधरी जैसे अधिकारियों से बात करनी चाहिए, फिर कोई रिपोर्ट करनी चाहिए।
कश्मीर विशेषज्ञ पत्रकारों के झूठ का पर्दाफाश
‘द वायर’ अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर झूठी खबरें फैलाना अपना अधिकार समझता है। ‘द वायर’ ने You Tube पर एक वीडियो अपलोड किया। जिसमें कथित वरिष्ठ पत्रकार जयशंकर गुप्ता, उर्मिलेश और प्रेम शंकर झा यह डिस्कशन करते दिख रहे हैं कि 5 अगस्त, 2019 के बाद एक भी कश्मीरी अखबार छप नहीं रहा है। यह ‘आपातकाल’ से भी बुरा दौर है, जिसमें अखबार तक नहीं छप रहे हैं। उनके इस प्रोपैगंडा को दूरदर्शन के पत्रकार अशोक श्रीवास्तव ने अपने डिबेट शो ‘दो टूक’ में एक्सपोज करके रख दिया। उन्होंने इन तथाकथित कश्मीर विशेषज्ञ पत्रकारों के झूठ को बेनकाब करते हुए अपने डिबेट शो में इनके मुंह पर सबूत दे मारे।
देखिये #DoTook में कैसे बेनकाब हुआ @thewire_in का झूठ – @AartiTikoo @ConnectJunaidd @iamkash_kr @rainarajesh @e_postmortem @hussain_imtiyaz #KashmirIssue #Kashmiri #कश्मीर pic.twitter.com/eFd0dxwmf9
— Ashok Shrivastav (@AshokShrivasta6) September 11, 2019
आइए आपको द वायर की कुछ और खबरों के उदाहरण से बताते हैं कि सिद्धार्थ वरदराजन की वैकल्पिक पत्रकारिता आखिर कैसी है-
विष वमन की पत्रकारिता-1- 1 फरवरी को द वायर ने वेबसाइट पर एक वीडियो अपलोड किया, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ विष वमन करने वाली एक क्लिप है। इस वीडियो को दिखाने के पीछे सिद्धार्थ वरदराजन की मंशा यही थी कि मोदी का राजनीतिक विरोध किया जाए। ‘द वायर’ की इस अमर्यादित और तर्कहीन वीडियो क्लिप की रिपोर्ट-