दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की राजनीति झूठ की बुनियाद पर चल रही है। जनता को गुमराह करने के लिए सीएम केजरीवाल केंद्र की मोदी सरकार पर झूठे और मनगढ़ंत आरोप लगाते रहे हैं। फिलहाल सीएम केजरीवाल और उनकी पार्टी के नेता जनता के सामने महंगाई पर घड़ियाली आंसू बहाते नजर आ रहे हैं। लेकिन विधायकों का वेतन बढ़ाते समय उन्हें महंगाई नजर नहीं आती है। विकास पर खर्च होने वाला जनता का पैसा अब विधायकों की सुख-सुविधा पर खर्च होगा। जनता को सिर्फ हजार रुपये का बिजली और पानी बिल माफ कर केजरीवाल सरकार विधायकों और मंत्रियों पर बेहिसाब खर्च कर रही है।
दिल्ली सरकार के कर्मचारी अपने वेतन में वृद्धि को लेकर हमेशा परेशान रहते हैं। एमसीडी के कर्मचारियों और कॉलेज के शिक्षकों को महीनों-महीनों तक वेतन के लिए संघर्ष करना पड़ता है। ऐसे में केजरीवाल सरकार द्वारा विधायकों के वेतन के लिए सरकारी खजाना खोलना किसी आश्चर्य से कम नहीं है। दिल्ली सरकार ने विधायकों के मासिक वेतन में 66 प्रतिशत की बढ़ोतरी कर दी है। अब विधायकों को हर महीने वेतन के रूप में 90000 रुपये मिलेंगे। अब तक विधायकों को वेत्तन और भत्ते मिलाकर कुल 54 हजार रुपये मिलते थे। वहीं मंत्रियों को अब तक 72 हजार रुपये मिलते थे, जो बढ़कर हर महीने 1.70 लाख रुपये हो गया है।
दिल्ली सरकार के लॉ एंड जस्टिस और विधायी मामलों के विभाग ने 9 मार्च को अधिसूचना जारी की थी। इसके मुताबिक विधायकों का मूल वेतन 12 हजार रुपये मासिक था,जो वृद्धि के बाद अब बढ़कर 30 हजार रुपये और मंत्रियों का 20 हजार रुपये से बढ़ाकर 60 हजार रुपये प्रति माह हो गया है।दैनिक भत्ता भी 1,000 रुपये से बढ़ाकर 1,500 रुपये हो गया है। इसके साथ ही दिल्ली के विधायकों को प्रतिमाह 18,000 रुपये निर्वाचन क्षेत्र भत्ता मिलता था, जो अब बढ़ाकर 25,000 रुपये हो गया है। इसके अलावा वाहन भत्ता 6,000 रुपये से बढ़ाकर 10,000 रुपये कर दिया गया है। वहीं, सचिवीय भत्ता 10,000 रुपये से बढ़ाकर 15,000 रुपये कर दिया गया है।
सबसे ज्यादा 300 प्रतिशत की वृद्धि मुख्यमंत्री, मंत्रियों, अध्यक्ष और उपाध्यक्ष, मुख्य सचेतक और विपक्ष के नेता के वेतन में की गई है। इसे मौजूदा 20,000 रुपये मासिक से बढ़ाकर 60,000 रुपये मासिक कर दिया गया है। इसके अलावा, निर्वाचन क्षेत्र भत्ता मौजूदा 18,000 रुपये से बढ़ाकर 30,000 रुपये, सत्कार भत्ता मौजूदा 4,000 रुपये से बढ़ाकर 10,000 रुपये, सचिवालय सहायता भत्ता 25,000 रुपये और दैनिक भत्ता मौजूदा 1,000 रुपये से बढ़ाकर 1,500 रुपये कर दिया गया है।
गौरतलब है कि सत्ता में आने के बाद केजरीवाल आम से खास बन गए हैं। दिल्ली की सत्ता में आने से पहले वादा किया था कि वो सरकारी बंगला, गाड़ी और लालबत्ती नहीं लेंगे, लेकिन मुख्यमंत्री बनने पर न सिर्फ खुद के लिए बल्कि अपने तमाम मंत्रिमंडलीय सहयोगियों के लिए भी सरकारी बंगला और एश-ओ-आराम हासिल किए। एक आरटीआई से खुलासा हुआ कि केजरीवाल जो कहते हैं वो करते नहीं। आरटीआई से साफ हो गया कि केजरीवाल द्वारा गाड़ियों के ऊपर दिल्ली की जनता की गाढ़ी कमाई को पानी की तरह बहाया गया। मुख्यमंत्री ने एक करोड़ 43 लाख 35 हजार 135 रुपये अपनी गाड़ियों में फूंके डाले। अब केजरीवाल का स्तर ऊंचा हो गया है। अब वे प्राइवेट जेट से राज्यों का दौरा करते हैं।