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केजरीवाल सरकार करवा रही थी नेताओं की जासूसी, इस काम के लिए होता था कैश पेमेंट, दो चाबियों से खुलती थी तिजोरी

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अन्ना हजारे के नेतृत्व में भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से पैदा हुई आम आदमी पार्टी अब भ्रष्टाचार के आरोपों से इस कदर घिर चुकी है कि उसका किला ढहने ही वाला है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की सरकार घोटालों और भ्रष्टाचार के दलदल में धंस चुकी है। आम आदमी पार्टी के फाइनेंसर माने जाने वाले केजरीवाल के करीबी कैबिनेट मंत्री सत्येंद्र जैन पहले से ही जेल में थे और अब शराब घोटाले में मनीष सिसोदिया भी जेल पहुंच चुके हैं। केजरीवाल के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी की सरकार भ्रष्टाचार में इस कदर आकंठ डूब चुकी है कि अब उनके खिलाफ जासूसी कांड में जांच का आदेश भी दे दिया गया है।

जासूसी मामले में सिसोदिया के खिलाफ जांच को मंजूरी

दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के खिलाफ मामला दर्ज करने के सीबीआई के अनुरोध को मंजूरी दे दी। उनपर आरोप है कि दिल्ली सरकार ने राजनीतिक खुफिया जानकारी जुटाने के लिए विजिलेंस डिपार्टमेंट के तहत फीडबैक यूनिट का गठन किया था।

राजनीतिक जासूसी के लिए बनाई गई फीडबैक यूनिट

दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार फीडबैक यूनिट का इस्तेमाल राजनीतिक जासूसी के लिए कर रही थी, सीबीआइ ने अपनी रिपोर्ट में इस बार से पर्दा उठाया है।सीबीआइ ने कहा है कि यह यूनिट वैसे तो दिल्ली सरकार के विभागों में कामकाज की निगरानी के लिए बनाई गई थी। लेकिन असल मकसद कुछ और निकला।

सत्ता में आने के बाद AAP ने बनाई थी फीडबैक यूनिट

2015 में सत्ता में आने के बाद आम आदमी पार्टी सरकार ने अपने सतर्कता विभाग को मजबूत करने के लिए फीडबैक यूनिट बनाई थी। आरोप है कि इसके माध्यम से नेताओं की कराई गई जासूसी थी।

जासूसी के लिए तिजोरी में रखा था कैश, दो चाबियों से खुलता था

केजरीवाल सरकार ने विजिलेंस डिपार्टमेंट में बनाए गए ‘फीडबैक यूनिट’ से नेताओं की जासूसी कराई। दिलचस्प बात यह है कि इस सीक्रेट ऑपरेशन में खर्च होने वाले पैसे के भुगतान के लिए ‘सीक्रेट सर्विस फंड’ बनाया गया था। वहीं इस फंड को रखने के लिए एक ऐसी तिजोरी का इस्तेमाल हुआ जोकि दो चाबियों को एक साथ घुमाने पर खुलता था।

सीक्रेट ऑपरेशंस के लिए होता था नकद में पेमेंट

फीडबैक यूनिट (FBU) को 2015 में AAP सरकार द्वारा गठित किया गया था। इस यूनिट के तहत सीक्रेट ऑपरेशंस के लिए नकद में पेमेंट किया जाता था और इसकी डिटेल एक रजिस्टर में रखी जाती थी। इसमें ‘S’ के आगे नंबर लिखा जाता था।

सतर्कता विभाग के अधिकारी ने की जासूसी की शिकायत

फीडबैक यूनिट का गठन 2015 में किया गया था। 2016 में सतर्कता विभाग के एक अधिकारी ने शिकायत दर्ज करायी थी कि इसकी आड़ में जासूसी की जा रही है। 2015 में ही इस यूनिट के खिलाफ आवाज उठी थी और बाद में मामला सीबीआई को सुपुर्द कर दिया गया था।

सीक्रेट सर्विस फंड की तिजोरी पर अधिकारी ने उठाया सवाल

2016 में फीडबैक यूनिट की शिकायत करने वाले विजिलेंस डिपार्टमेंट के एक अधिकारी ने अपने पत्र में यह सब बातें लिखी हैं। जिसे सीबीआई ने सबूत के तौर पर शामिल किया है। इस यूनिट के कथित रूप से गठन होने के सात महीने बाद और इसमें शामिल होने के चार महीने बाद दो में से एक अधिकारी पुलिस उपाधीक्षक शम्स अफरोज ने सीक्रेट सर्विस फंड की तिजोरी की दो चाबियों में से एक को अपने पास रखने का दावा किया। अफरोज ने विजिलेंस विभाग के विशेष सचिव को तीन पेज का पत्र लिखकर इसकी वित्तीय कार्यप्रणाली के संबंध में सवाल खड़े किए। अफरोज को दिल्ली सरकार में उप निदेशक (प्रशासन और वित्त) के रूप में नियुक्त किया गया था। वो 30 मई को कथित रूप से गठित की गई यूनिट में शामिल हुए थे और उन्होंन 22 सितंबर 2016 को पत्र लिखा था।

मामला उठा तो CBI को सौंपा गया जांच का जिम्मा

उपराज्यपाल अनिल बैजल ने परियोजनाओं की फीडबैक लेने और कर्मचारियों के भ्रष्टाचार की जानकारी देने के लिए आप सरकार द्वारा गठित फीडबैक यूनिट के कर्मचारियों को बर्खास्त कर इसके दफ्तर को हमेशा के लिए बंद कर दिया गया था। इससे पूर्व उपराज्यपाल रहे नजीब जंग ने उपराज्यपाल की मंजूरी लिए बिना गोपनीय तरीके से फीडबैक यूनिट बनाने के जांच का मामला सीबीआइ को सौंपा था और उस समय से सीबीआइ इस मामले की जांच कर रही है।

फीडबैक यूनिट को करना था विजिलेंस विभाग के अधीन काम

एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक फीडबैक यूनिट को भले ही परियोजनाओं की फीडबैक लेने और भ्रष्टाचार की जानकारी देने के नाम पर गठित की गई थी लेकिन इसकी गतिविधियां रहस्यमयी थीं। सतर्कता विभाग के सचिव ने सीधे मुख्यमंत्री कार्यालय के अधीन काम करने वाली फीडबैक यूनिट की जानकारी कई बार पत्र लिखकर मांगी थी लेकिन उन्हें कभी जानकारी नहीं दी गई। जबकि फीडबैक यूनिट को विजिलेंस विभाग के अधीन काम करना था। सूत्र बताते हैं कि इसके फंड व खर्च आदि को लेकर भी गोपनीयता बरती गई।

फीडबैक यूनिट के स्टाफ को दी जा रही थी गाड़ी, आफिस, टेलिफोन 

उपराज्यपाल द्वारा फीडबैक यूनिट पर कड़े तेवर दिखाने के बाद दिल्ली सरकार का विजिलेंस विभाग भी सतर्क हो गया।उसने कई कर्मचारियों के काम को एक साल का मियाद पूरी होने के बाद कांट्रैक्ट को आगे नहीं बढ़ाया। वहीं कई कर्मचारियों ने यूनिट को लेकर बढ़ते विवाद को देखते हुए नौकरी छोड़ दी। बाकी बचे कर्मचारियों को बर्खास्त कर यूनिट को हमेशा के लिए बंद करने का आदेश जारी किया गया।एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक यूनिट के स्टाफ को वेतन के अलावा गाड़ी, आफिस व टेलिफोन आदि की सुविधा दी गई थी।

राजनीतिक खुफिया जानकारी जुटाने में लग गई यूनिट

सीबीआई की शुरुआती जांच में सामने आया है कि FBU को जो काम दिया गया था, वह उसके अलावा खुफिया राजनीतिक जानकारियां जुटाने में भी लग गई। वह किसी व्यक्ति की राजनीतिक गतिविधियों, उससे जुड़े संस्थानों और AAP के राजनीतिक फायदे वाले मुद्दों के लिए जानकारी जुटाने लगी।

सीबीआई की जांच में क्या-क्या पाया?

1. सीबीआई की शुरुआती जांच में सामने आया है कि फीडबैक यूनिट (एफबीयू) को जो काम दिया गया था, वह उसके अलावा खुफिया राजनीतिक जानकारियां जुटाने में भी जुटी थी। वह किसी व्यक्ति की राजनीतिक गतिविधियों, उससे जुड़े संस्थानों और आम आदमी पार्टी के राजनीतिक फायदे वाले मुद्दों के लिए जानकारी जुटाने लगी थी।

2. एफबीयू ने कुल 700 केसों की जांच की। इनमें 60% राजनीतिक निकले। जिनका सरकार के कामकाज से कोई लेनादेना नहीं था। सीबीआई के अनुसार, अभी यह साफ नहीं कि एफबीयू अभी भी एक्टिव है या नहीं।

3. सीबीआई ने अपनी रिपोर्ट में सरकारी खजाने में नुकसान का भी जिक्र किया। एजेंसी की मानें तो फीडबैक यूनिट के गठन और काम करने के गैरकानूनी तरीके से सरकारी खजाने को लगभग 36 लाख रुपये का नुकसान हुआ। सीबीआई ने कहा था कि किसी अधिकारी या विभाग के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई।

4. सीबीआई रिपोर्ट के मुताबिक, एफबीयू की स्थापना के लिए कोई प्रारंभिक मंजूरी नहीं ली गई थी, लेकिन अगस्त 2016 में सतर्कता विभाग ने अनुमोदन के लिए फाइल तत्कालीन एलजी नजीब जंग के पास भेजी थी। जंग ने दो बार फाइल को खारिज कर दिया।

फीडबैक यूनिट पर देशविरोधी गतिविधियों में संलिप्तता का आरोप

फीडबैक यूनिट (एफबीयू) मामले में दिल्ली सरकार की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं। एलजी कार्यालय ने पूर्व सांसद संदीप दीक्षित और दो पूर्व मंत्रियों के पत्र को गंभीरता से लेते हुए कार्रवाई के लिए मुख्य सचिव को भेज दिया है। खुफिया जानकारियां इकट्ठा करने के लिए एफबीयू के गठन पर सवाल उठने के बाद पूर्व सांसद सहित दो पूर्व मंत्री मंगत राम सिंघल और किरण वालिया ने एलजी को पत्र लिखकर एनआईए या सीबीआई से जांच करवाने की मांग की थी।

इसे भ्रष्टाचार से अलग मानते हुए देशविरोधी गतिविधियों में संलिप्तता का आरोप लगाते हुए दिल्ली सरकार के मंत्रियों और अधिकारियों के खिलाफ राजद्रोह की कार्रवाई की मांग की गई थी। इस मामले में आम आदमी पार्टी ने भी एलजी, कांग्रेस और भाजपा पर निशाना साधते हुए कई सवाल उठाए हैं।

आइए देखते हैं केजरीवाल सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप-

विधायक सोमनाथ भारती से लेकर मंत्री सत्येंद्र जैन और मनीष सिसोदिया तक जेल जाते रहे

आम आदमी पार्टी भ्रष्टाचार खत्म करने के वादे के साथ अस्तित्व में आई थी, लेकिन अब भ्रष्टाचार ही उसके अस्तित्व के लिए खतरा बन गया है। आम आदमी पार्टी के भ्रष्टाचारियों की सूची लंबी होती जा रही है। अब इस सूची में दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया का नाम भी जुड़ गया है। रविवार (26 फरवरी, 2023) को आबकारी नीति और शराब घोटाला मामले में 8 घंटे तक चली पूछताछ के बाद सीबीआई ने मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार कर लिया। दिल्ली सरकार में मंत्री रहे सत्येंद्र जैन पहले ही तिहाड़ जेल की शोभा बढ़ा रहे हैं।

शराब घोटाले में मनीष सिसोदिया जेल में

आबकारी नीति घोटाला मामले में गिरफ्तार पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की होली जेल में ही मनी। जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए राउज एवेन्यू कोर्ट ने मनीष सिसोदिया को 20 मार्च तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। आबकारी नीति 2021-22 को तैयार करने और इसके क्रियान्वयन में भ्रष्टाचार पर अपनी प्राथमिकी में सीबीआई ने कहा कि इंडोस्पिरिट्स के एमडी समीर महेंद्रू ने नई दिल्ली के राजेंद्र प्लेस में स्थित यूको बैंक की शाखा में राधा इंडस्ट्रीज के खाते में 1 करोड़ रुपये की रकम भेजी थी। राधा इंडस्ट्रीज का प्रबंधन दिनेश अरोड़ा कर रहे हैं, जो दिल्ली के डिप्टी सीएम सिसोदिया के करीबी सहयोगी हैं। इसके अलावा मुख्य सचिव नरेश कुमार की एलजी को सौंपी गोपनीय रिपोर्ट से यह खुलासा हुआ कि दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने कोरोना की आड़ में शराब ठेकेदारों की 144.36 करोड़ रुपये की लाइसेंस फीस ही माफ कर दी।

सिसोदिया के करीबी शराब लाइसेंसधारियों से एकत्रित करते थे अनुचित आर्थिक लाभ

सीबीआई के मुताबिक मनोरंजन और इवेंट मैनेजमेंट कंपनी ‘ओनली मच लाउडर’ के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) विजय नायर, पर्नोड रिकार्ड के पूर्व कर्मचारी मनोज राय, ब्रिंडको स्पिरिट्स के मालिक अमनदीप ढल तथा इंडोस्पिरिट्स के मालिक समीर महेंद्रू सक्रिय रूप से नवंबर 2021 में लाई गई आबकारी नीति का निर्धारण और क्रियान्वयन में अनियमितताओं में शामिल थे। एजेंसी ने आरोप लगाया कि गुरुग्राम में बडी रिटेल प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक अमित अरोड़ा, दिनेश अरोड़ा और अर्जुन पांडे, सिसोदिया के ‘करीबी सहयोगी’ हैं और आरोपी लोक सेवकों के लिए ‘शराब लाइसेंसधारियों से एकत्र किए गए अनुचित आर्थिक लाभ के प्रबंधन और स्थानांतरण करने में सक्रिय रूप से शामिल थे।

सत्येंद्र जैन : मनी लॉन्ड्रिंग केस में जेल में

दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन को पिछले साल 30 मई को प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लॉन्ड्रिंग केस में गिरफ्तार किया था। सत्येंद्र जैन के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले में मुकदमा दर्ज है। आय से अधिक संपत्ति और मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जैन, उनकी पत्नी पूनम और अन्य पर केस दर्ज किया गया है। सत्येंद्र जैन पर आरोप है कि उन्होंने दिल्ली ने कई शेल कंपनियां बनाई और खरीदी थी। कोलकाता के तीन हवाला ऑपरेटर्स से 54 शेल कंपनियों के जरिए 16.39 करोड़ रुपए का काला धन भी ट्रांसफर किया। ईडी जैन की 4.81 करोड़ की संपत्ति जब्त कर चुकी है। कुछ दिन पहले दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद कैबिनेट मंत्री सत्येंद्र जैन ने जेल अधिकारियों को धमकी दी थी कि सबको बाहर निकलकर देख लूंगा। सत्येंद्र ने जेल अधिकारियों को गाली देते हुए उनके खिलाफ कुछ भी करने वालों को गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी दी थी। पिछले दिनों सत्येंद्र जैन के एक के बाद एक कई वीडियो सामने आए थे। इसमें सत्येंद्र जैन कथित तौर पर जेल की बैरक में मसाज लेते हुए दिख रहे हैं।

अवैध भर्तियों और वित्तीय गबन के आरोप में अमानतुल्ला खान गए थे जेल

दिल्ली वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में अवैध भर्तियों और वित्तीय गबन से जुड़े एक मामले में सितंबर 2022 में गिरफ्तार हुए आप विधायक अमानतुल्ला खान फिलहाल जमानत पर बाहर हैं। पिछले साल नवंबर में दिल्ली की एक अदालत ने कहा था कि ओखला विधायक के खिलाफ कार्यवाही करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं। दिल्ली सरकार के राजस्व विभाग के सबडिविजनल मजिस्ट्रेट (SDM) ने नवंबर 2016 में दिल्ली वक्फ बोर्ड में विभिन्न मौजूद और गैर-मौजूद पदों पर खान की ओर से मनमानी और अवैध नियुक्तियों का आरोप लगाते हुए एक शिकायत दर्ज की थी। इसके बाद सीबीआई ने एक मामला दर्ज कर लिया था और जांच की थी, जिसमें पर्याप्त सबूत मिले थे, जिसके बाद जांच एजेंसी ने उपराज्यपाल से अभियोजन की मंजूरी मांगी थी। दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने आम आदमी पार्टी (आप) के विधायक और दिल्ली वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष अमानतुल्लाह खान के विरुद्ध 2016 में दर्ज ‘अवैध’ नियुक्तियों के मामले में सीबीआई को उनके खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति दे दी थी। दिल्ली सरकार की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा ने कई घंटों की लंबी पूछताछ के बाद विधायक अमानतुल्लाह खान को गिरफ्तार कर लिया।

आसिम अहमद खान: बिल्डर से 6 लाख रुपए घूस लेने के मामले में फंसे

साल 2018 में दिल्ली सरकार में मंत्री आसिम अहमद खान का नाम भी भ्रष्टाचार के मामले में सामने आया था। तब मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपने कैबिनेट मंत्री आसिम अहमद खान को हटा दिया था। आसिम पर 6 लाख रुपए की रिश्वत लेने का आरोप लगा था। आसिम अहमद खान दिल्ली सरकार में खाद्य आपूर्ति मंत्री थे, सीएम केजरीवाल ने आसिम के ख‍िलाफ भ्रष्टाचार के आरोप की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश की थी। आसिम पर एक बिल्डर से 6 लाख रुपए घूस लेने का आरोप है। केजरीवाल ने कहा था- ‘शिकायत करने वाले ने आसिम से बातचीत की। ऑडियो रिकॉर्डिंग मेरे पास भेजी। इसके बाद मैंने मंत्री के ख‍िलाफ कार्रवाई की।’ जबकि आसिम खान ने कहा था- मेरे खिलाफ साजिश की गई है।

बलात्कार के आरोप में मंत्री संदीप कुमार गए थे जेल

2015 में दिल्ली की सुल्तानपुर माजरा सीट से विधायक बने संदीप कुमार को दिल्ली सरकार में महिला एवं बाल कल्याण विकास मंत्री और एससी-एसटी कल्याण मंत्री की जिम्मेदारी दी गई थी। दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार में मंत्री रहे संदीप कुमार को बलात्कार और अन्य आरोपों के सिलसिले में सितंबर 2016 में गिरफ्तार किया गया था। एक महिला ने उनके खिलाफ दुष्कर्म की शिकायत की थी और बाद में कुमार ने पुलिस के सामने समर्पण कर दिया था। यह महिला संदीप कुमार की गिरफ्तारी से कुछ दिन पहले सामने आई एक विवादास्पद सीडी में उनके साथ दिखाई दी थी। महिला ने आरोप लगाया था कि वह राशन कार्ड बनवाने के लिए गई थी लेकिन कोल्डड्रिंक में नशीला पदार्थ मिलाकर उनके साथ रेप किया गया। घटना के सामने आने के बाद कुमार को पार्टी से भी निलंबित कर दिया गया था।

बीवी की प्रताड़ना के आरोप में सोमनाथ भारती गए थे जेल

दिल्ली सरकार के मंत्री रहे सोमनाथ भारती लगातार सुर्खियों में रहे हैं। सोमनाथ भारती मालवीय नगर सीट से विधायक रहे हैं। दिल्ली में आम आदमी पार्टी की पहली बार सरकार बनने के बाद सोमनाथ भारती को कानून, पर्यटन और प्रशासनिक सुधार जैसे मंत्रालयों की जिम्मेदारी मिली थी। सोमनाथ भारती की मुश्किलें तब बढ़ गईं जब उनकी पत्नी लिपिका मित्रा ने 2013 में उनके खिलाफ घरेलू हिंसा का मामला दर्ज कराया। लिपिका ने अपनी शिकायत में सोमनाथ भारती के खिलाफ गई गंभीर आरोप लगाए थे। शिकायत में यह भी कहा गया कि सोमनाथ भारती ने उन्हें गर्भपात के लिए मजबूर किया। इसके बाद 2014 में उन्होंने इस्तीफा दे दिया। यूपी दौरे पर एक विवादित बयान के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। 2021 में उन्हें दो साल की सजा सुनाई गई।

फर्जी डिग्री रखने के आरोप में कानून मंत्री जितेंद्र तोमर हुए थे गिरफ्तार

2015 में दिल्ली की त्रिनगर सीट के विधायक बने जितेन्द्र तोमर को केजरीवाल सरकार में कानून मंत्री बनाया गया था। उन्हें दिल्ली के पर्यटन, कला और संस्कृति की भी जिम्मेदारी दी गई थी। उनके ऊपर वकालत की फर्जी डिग्री रखने का आरोप लगा था। इसका खुलासा आईटीआई के जरिए हुआ था। मामला दिल्ली हाईकोर्ट पहुंचा। जहां भागलपुर यूनिवर्सिटी ने उनकी डिग्री को फर्जी बताया। 2016 में जितेन्द्र तोमर को गिरफ्तार कर लिया गया। जनवरी 2020 में दिल्ली हाईकोर्ट ने उनकी विधायकी रद्द कर दी।

जबरन वसूली के आरोप में विधायक गुलाब सिंह हुए थे गिरफ्तार

दिल्ली के मटियाला से विधायक गुलाब सिंह को अक्टूबर 2016 में गुजरात के सूरत से जबरन वसूली के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। तब वह आम आदमी पार्टी के गुजरात के प्रभारी थे। दिल्ली में दर्ज हुए मामले में गुलाब सिंह यादव को गुजरात से गिरफ्तार कर यहां लाया गया था। गुलाब सिंह और उनके सहयोगियों के खिलाफ धमकी और वसूली मामले में गैर-जमानती वॉरंट जारी किया गया था। AAP के विधायक गुलाब सिंह यादव नवंबर 2022 में दिल्ली के श्याम विहार में अपने कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर रहे थे। इस दौरान कार्यकर्ता टिकट बेचने को लेकर अचानक आक्रोशित हो गए और हंगामा शुरू कर दिया। कार्यकर्ता विधायक पर टूट पड़े और उनका कॉलर पकड़कर धक्का-मुक्की करने लगे। कार्यकर्ताओं से बचने के लिए विधायक बाहर निकलकर भागने की कोशिश करने लगे तो कार्यकर्ता उनका पीछा करते हुए उन्हें मुक्के मारते रहे। कार्यालय में मारा इसके बाद पीटते हुए कार्यालय से बाहर लेकर आए। आखिरकार विधायक को अपनी जान बचाकर वहां से भागना पड़ा। इस घटना का वीडियो अब सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ।

केजरीवाल और उनके रिश्तेदार पर घोटाले के आरोप

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के रिश्तेदार विनय बंसल को मई 2018 में तीस हजारी कोर्ट ने 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। एंटी करप्‍शन ब्‍यूरो (एसीबी) ने पीडब्ल्यूडी घोटाले में विनय बंसल को गिरफ्तार किया था। कोर्ट ने बंसल की जमानत याचिका भी खारिज कर दी थी। आरोप है कि सुरेंद्र बंसल ने अनुमानित लागत 4 लाख 90 हजार से 46 फीसदी नीचे पर पीडब्ल्यूडी का टेंडर हासिल किया था। उनके द्वारा कराए गए रोड और सीवर के काम की क्वालिटी भी ठीक नहीं होने की बात कही गई थी। इस जांच में महादेव कंपनी से सीमेंट और लोहा खरीदने का पता लगा, लेकिन इस कंपनी से कोई कारोबार हुआ ही नहीं था। विनय बंसल अपने पिता सुरेंद्र बंसल के साथ 50 फीसदी के पार्टनर थे। इनसे पूछा गया कि महादेव कौन सी कंपनी थी। इसका उसने कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया। इसके बाद एसीबी ने उसे गिरफ्तार कर लिया। इस मामले में सुरेंद्र, विनय बंसल और PWD के कई अधिकारियों के खिलाफ तीन मामले दर्ज किए गए थे।

मुख्यमंत्री के मुख्य सचिव ही भ्रष्टाचार में लिप्त

केजरीवाल के मुख्य सचिव राजेन्द्र कुमार भी भ्रष्टाचार के आरोप लग चुके हैं। केजरीवाल जो भ्रष्टाचार को तनिक भी बर्दाश्त न करने की कसमें खाते हैं, उन्हीं को ट्रांसपरेंसी इंटरनेशनल ने मई 2015 में पत्र लिखकर राजेन्द्र कुमार के भ्रष्टाचार के बारे में बताया था। राजेन्द्र कुमार ने 2007-2015 के बीच अपने रिश्तेदारों की कम्पनी को दिल्ली सरकार में काम करने का ठेका दिया और उसके बदले में धन भी लिया। इस तरह से दिल्ली सरकार को 12 करोड़ का चूना लगाया और खुद अपने लिए तीन करोड़ रुपये भी कमा लिए। ऐसे थे भ्रष्टाचार विरोधी मुख्यमंत्री केजरीवाल के सचिव, जिन्हें 4 जुलाई 2016 को कार्यलय से गिरफ्तार किया गया और 22 दिनों बाद सीबीआई अदालत ने उन्हें जमानत दी।

‘टॉक टू ए के’ घोटाला

सीबीआई उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के खिलाफ ‘टॉक टू ए के’ घोटाला में भी भ्रष्टाचार के मामले दर्ज कर जांच कर रही है। उन्होंने केजरीवाल के टॉक टू एके कार्यक्रम के प्रचार के लिए 1.5 करोड़ रुपये में एक पब्लिक रिलेशन कंपनी को काम सौंप दिया। जबकि मुख्य सचिव ने इसके लिए इजाजत नहीं देने को कहा था लेकिन सरकार ने बात नहीं मानी। लगता है सिसोदिया ने फायदा पहुंचाने के लिए ऐसा किया।

सत्येंद्र जैन का हवाला लिंक

सत्येंद्र जैन के खिलाफ आयकर विभाग की जांच में चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। ईमानदारी का सर्टिफिकेट बांटने वाले केजरीवाल के मजबूत स्तंभ सत्येंद्र जैन पर हवाला के जरिए 16.39 करोड़ रुपए मंगाने का आरोप है। ये वो जानकारी है जिसे आयकर विभाग ने ट्रेस किया है। सूत्र बताते हैं कि सत्येंद्र जैन के करीबी कोड वर्ड के साथ नकद में रुपए ट्रेन के माध्यम से कोलकाता भेजते थे और कोलकाता के हवाला कारोबारी छद्म कंपनियों के नाम से जैन की कंपनी में शेयर खरीदने के बहाने पैसे चेक या आरटीजीएस के माध्यम से लौटाते थे।

स्वास्थ्य मंत्री ने पुत्री को बनाया सरकार में सलाहकार

सीबीआई स्वास्थ्य मंत्री सत्येन्द्र जैन की पुत्री सौम्या जैन को मोहल्ला क्लीनिक परियोजना में सलाहकार बनाये जाने की जांच कर रही है। उपराज्यपाल के आदेश के बाद यह जांच हो रही है। मंत्री सत्येन्द्र जैन का कहना है कि उनकी पुत्री एक रुपया लिए बगैर काम कर रही है।

खाद्य मंत्री असीम खान ने खाया रुपया

केजरीवाल के खाद्य मंत्री असीम अहमद खान ने अपने विधानसभा क्षेत्र मटियामहल में एक बिल्डर से निर्माण कार्य जारी रखने के लिए 6 लाख रुपयों की मांग की थी, जिसकी रिकार्डिंग करके बिल्डर ने सभी जगह भेज दी। इसके दबाव में केजरीवाल को अपने मंत्री को बर्खास्त करना पड़ा।

महिला व बाल विकास मंत्री का भ्रष्टाचार

केजरीवाल के सामाजिक कल्याण, महिला व बाल विकास मंत्री संदीप कुमार ने राशन कार्ड बनवाने के लिए एक महिला के साथ जबरदस्ती संबंध बनाये। इन संबंधों की सीडी सार्वजनिक होने पर केजरीवाल को इन्हें भी मंत्रालय से बर्खास्त करना पड़ा।

पूर्व कानून मंत्री पर फर्जी डिग्री बनाने का मामला

दिल्ली के पूर्व कानून मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर ने दावा किया था कि उन्होंने सत्र 1994-97 के दौरान मुंगेर (बिहार) के विश्वनाथ सिंह लॉ कॉलेज से पढ़ाई की थी। मामला पकड़ में आने के बाद पता चला कि तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के कर्मचारियों की मिलीभगत से फर्जी रजिस्ट्रेशन कराकर तोमर को कानून की डिग्री जारी कर दी गई थी। डिग्री लेते समय माइग्रेशन सर्टिफिकेट और अंकपत्र जमा करने पड़ते हैं। लेकिन तोमर द्वारा जमा किए गए दोनों सर्टिफिकेट अलग-अलग विश्वविद्यालयों के हैं। अवध विश्वविद्यालय, फैजाबाद का अंकपत्र और बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, झांसी का माइग्रेशन सर्टिफिकेट जमा किया गया। दोनों विश्वविद्यालयों ने इन प्रमाणपत्रों की वैधता को खारिज कर दिया है।

बायो डी कंपोजर मामले में प्रचार पर ज्यादा खर्च

दिल्ली में एक RTI से चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। इसके मुताबिक केजरीवाल सरकार ने बायो डी कंपोजर के छिड़काव पर 68 लाख रुपये खर्च किए जबकि उसके प्रचार पर 23 करोड़ रुपये खर्च कर डाले। दिल्ली में इस योजना से अब तक 955 किसानों को फायदा पहुंचा है। RTI से इसका खुलासा हुआ है।

शिक्षा लोन से ज्यादा विज्ञापन पर खर्च

दिल्ली सरकार ने 2015 में “दिल्ली उच्च शिक्षा और कौशल विकास गारंटी योजना” शुरू की थी। इस योजना का मकसद, दिल्ली से 10वीं या 12वीं करने वाले छात्रों को कॉलेज में पढ़ाई करने हेतु 10 लाख रुपए तक के लोन की सुविधा उपलब्ध कराना है। वित्त वर्ष 2021-22 में इस योजना का लाभ पाने के लिए 89 छात्रों ने आवेदन किया, जिसमें से केवल दो छात्रों को ही लोन मिला। योजना के तहत 10 लाख तक लोन मिलता है, ऐसे में अगर मान लिया जाए कि इन छात्रों को अधिकतम 20 लाख तक का लोन मिला होगा, तब भी दिल्ली सरकार के द्वारा किया विज्ञापन का खर्च योजना से कई गुना अधिक है। दिल्ली सरकार ने इस साल इस योजना के विज्ञापन पर 19 करोड़ रुपए खर्च किए हैं। यह जानकारी न्यूज़लॉन्ड्री ने सूचना के अधिकार (आरटीआई) के जरिए हासिल की।

विज्ञापन घोटाला

केजरीवाल पर विज्ञापनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के उल्लंघन का भी आरोप है। इसके लिए उनकी पार्टी से 97 करोड़ रुपये वसूले भी जाने हैं। जांच में पाया गया है कि सरकारी विज्ञापनों के माध्यम से केजरीवाल ने अपनी और अपनी पार्टी का चेहरा चमकाने की कोशिश की है। इनमें से उनकी पार्टी की ओर से दिए गए कई झूठे और बेबुनियाद विज्ञापन भी शामिल हैं। सीएजी की रिपोर्ट के अनुसार भी केजरीवाल सरकार पर दूसरे राज्यों में अपने दल का प्रचार करने के लिए दिल्ली की जनता के खजाने पर डाका डालने का आरोप है। पहले साल के काम-काज पर तैयार रिपोर्ट कहती है कि पहले ही साल में केजरीवाल सरकार ने 29 करोड़ रुपये दूसरे राज्यों में अपने दल के विज्ञापन पर खर्च किए। 2015-16 में केजरीवाल ने जनता के 522 करोड़ रुपये विज्ञापन पर खर्च कर किए थे।

स्ट्रीट लाइट घोटाला

आप नेता राखी बिड़लान पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लगे। आरटीआई के हवाले से दावा करते हुए बीजेपी ने आरोप लगाया कि मंगोलपुरी में 15 हजार की सोलर स्ट्रीट लाइट को एक लाख रुपये और 10 हजार में लगने वाली सीसीटीवी कैमरे पर 6 लाख रुपये खर्च किए गए।

सीएनजी घोटाला

केजरीवाल सरकार में मंत्री रह चुके कपिल मिश्रा ने दिल्ली सरकार के एक और बड़े घोटाले का पर्दाफाश किया। अंग्रेजी समाचार पोर्टल टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार कपिल मिश्रा ने आरोप लगाया कि केजरीवाल सरकार ने दिल्ली में 10,000 कारों में जो सीएनजी किट लगावाए हैं, वो फर्जी कंपनी ने तैयार किए हैं। ये सारे सीएनजी किट 10 महीनों के भीतर कारों में फिट किए गए थे। सबसे बड़ी बात ये है कि फर्जी सीएनजी किट कंपनी को इसका ठेका ऑड-इवन के फौरन बाद दिया गया था। जाहिर है कि इसके समय को लेकर भी दिल्ली सरकार की मंशा संदेहों से परे नहीं है।

बीआरटी कॉरीडोर तोड़ने में घोटाला

केजरीवाल सरकार पर दिल्ली में बीआरटी कॉरीडोर को तोड़ने के लिए दिए गए ठेके में भी धांधली का आरोप लग चुका है। आरोपों के अनुसार इस मामले में दिल्ली सरकार ने ठेकेदार को तय रकम के अलावा कंक्रीट और लोहे का मलबा भी दे दिया, जिसकी कीमत करोड़ों रुपये में थी। इस मामले में 2017 में एसीबी छापेमारी करके कुछ दस्तावेज भी जब्त कर चुकी है।

संसदीय सचिव घोटाला ?

13 मार्च, 2015 को आप सरकार ने 21 विधायकों को संसदीय सचिव बना दिया। ये जानते हुए भी कि यह लाभ का पद है, उन्होंने ये कदम उठाया। दरअसल उनकी मंशा अपने सभी साथियों को प्रसन्न रखना था। उनका इरादा अपने विधायकों को लालबत्ती वाली गाड़ी, ऑफिस और अन्य सरकारी सुविधाओं से लैस करना था, ताकि उनके ये भ्रष्ट साथी ऐश कर सकें। लेकिन कोर्ट में चुनौती मिली तो इनकी हेकड़ी गुम हो गई। हालांकि केजरीवाल सरकार ने ऐसा कानून भी बनाने की कोशिश कि जिससे संसदीय सचिव का पद संवैधानिक हो जाए। लेकिन हाई कोर्ट के आदेश से मजबूर होकर ये फैसला निरस्त करना पड़ा।

चीनी की खरीद में घोटाला

केजरीवाल सरकार पर प्याज के बाद 2015 में चीनी की खरीद में घोटाला करने का आरोप भी लगा। चीनी खरीद में घोटाले की शिकायत एक आरटीआई कार्यकर्ता ने एंटी करप्शन ब्यूरो से की। आरोप लगाया गया कि दिल्ली सरकार ने कुछ कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए बाजार में सस्ती दरों पर चीनी उपलब्ध होने के बाद भी महंगी दरों पर भुगतान किया। इसमें सिर्फ संबंधित विभाग का अधिकारी व मंत्री ही नहीं मुख्यमंत्री कार्यालय भी शामिल रहे। शिकायत में कहा गया है कि दिल्ली सरकार ने आपात स्थिति के लिए एक करोड़ किलो से ज्यादा चीनी 34 रुपए किलो के हिसाब से दो निजी कंपनियों से खरीदी जबकि उस समय आम बाजार में चीनी का थोक रेट 30 रुपए किलो था।

केजरीवाल सरकार में हो चुका है प्याज घोटाला

आरटीआई के माध्यम से हुए खुलासे में पता लगा कि केजरीवाल सरकार ने 2015 में प्याज की बढ़ती कीमतों के चलते जो 40 रुपए किलो प्याज बेचे थे उनकी खरीद कीमत महज 18 रुपए प्रति किलो थी। आरटीआई के माध्यम से यह बात सामने आई कि दिल्ली सरकार ने 2637 टन प्याज 18 रुपये प्रति किलो की कीमत पर नासिक की स्माल फार्मर एग्री-बिजनेस कोन्सोट्रीयम से खरीदा था। सरकार ने 14-20 रुपये की कीमत पर प्याज खरीदा जिसकी औसत कीमत 18 रुपये प्रति किलो होती है। वहीं बाजार में इसे 40 रुपए में 10 रुपये की सब्सिडी के साथ बेचा गया।

दवा घोटाला

केजरीवाल सरकार ने अपनी मोहल्ला क्लीनिक का खूब ढिंढोरा पीटा। वो दावा करते रहे हैं कि गरीब जनता के स्वास्थ्य के ख्याल से उठाया गया ये कदम बहुत फायदेमंद साबित होगा। लेकिन अब पता चल रहा है कि केजरीवाल और उनके गैंग के लोग भले ही इसका फायदा उठा रहे हों, उनकी गंदी नीयत के चलते अब गरीबों की जान पर बन आई है। इसका खुलासा तब हुआ जब 1 जून, 2017 को एसीबी ने दवा प्रोक्योरमेंट एजेंसी के ताहिरपुर, जनकपुरी और रघुवीर नगर स्थित सेंटर के गोदामों पर छापा मारा। एसीबी को यहां से भारी मात्र में एक्सपाइरी मेडिसिन के साथ दवाओं की खरीद-फरोख्त के बिल भी मिले। ये दवा घोटाला करीब 300 करोड़ रुपये का बताया गया। यहां गौर करने वाली बात ये है कि सीएम ने अपने खासम-खास और कई घोटालों के आरोपी स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन के दबाव में दवाई खरीदने का काम मेडिकल सुपरिन्टेंडेन्ट से छीनकर, सेन्ट्रल प्रोक्योरमेंट एजेंसी को दे दिया था। यानी लूट के लिए ऊपर से नीचे तक पूरी तैयारी की गई थी।

आम आदमी पार्टी में दागी विधायकों की संख्या बढ़ी

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की सरकार सिर्फ अराजकता से ही नहीं, बल्कि आपराधियों से भी भरी हुई है। आपको ये जानकर हैरानी होगी कि केजरीवाल समेत आम आदमी पार्टी के 57 विधायकों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। इनमें से आधे से अधिक विधायकों के खिलाफ हत्या, लूट, डकैती, रेप जैसे संगीन अपराधों के तहत केस दर्ज हैं और ये जेल भी जा चुके हैं। पार्टी के कई विधायकों पर संगीन आरोप लग चुके हैं और कई तो जेल की हवा भी खा चुके हैं। समय के साथ केजरीवाल के साथी असीम अहमद, राखी बिड़लान, अमानतुल्ला, दिनेश मोहनिया, अलका लांबा, अखिलेश त्रिपाठी, संजीव झा, शरद चौहान, नरेश यादव, करतार सिंह तंवर, महेन्द्र यादव, सुरिंदर सिंह, जगदीप सिंह, नरेश बल्यान, प्रकाश जरावल, सहीराम पहलवान, फतेह सिंह, ऋतुराज गोविंद, जरनैल सिंह, दुर्गेश पाठक, धर्मेन्द्र कोली और रमन स्वामी जैसे आप विधायक और नेताओं पर आरोपों की लिस्ट लंबी होती गई है। जाने-माने आरटीआई एक्टिविस्ट डॉ. डी सी प्रजापति ने दिल्ली पुलिस से सूचना के अधिकार के तहत आम आदमी पार्टी के विधायकों पर दर्ज आपराधिक मामलों की जानकारी मांगी। उन्हें दिल्ली पुलिस की तरफ से जो जानकारी दी गई है, उससे साफ पता चलता है कि आम आदमी पार्टी सिर्फ अपराधियों की पार्टी बनकर रह गई है।

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