दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका का आज नशे की गिरफ्त में है। अमेरिका की 33 करोड़ आबादी में करीब 5 करोड़ लोग ड्रग्स लेते हैं। इनमें ज्यादातर युवा हैं। इससे अमेरिकी समाज बिखर रहा है और वहां की बड़ी-बड़ी कंपनियों को दूसरे देशों के लोग चला रहे हैं। लेकिन अमेरिका की इस बर्बादी के पीछे उनके निहित स्वार्थ ही रहे। चूंकि अमेरिकी मीडिया का प्रभाव दुनियाभर के देशों पर होता है तो उन्होंने दुनियाभर के समाज और सभ्यता को नष्ट करने के लिए मीडिया को टूल बनाया। दूसरे देशों पर तो इसका असर आंशिक रूप से हुआ लेकिन अमेरिकी समाज पर इसका व्यापक असर हुआ। इसी के परिणामस्वरूप आज अमेरिकी समाज में विघटन दिखाई दे रहा है। डीप स्टेट ने अपने बाजार को कायम रखने के लिए और अपने हितों को साधने के लिए मीडिया के जरिये अमेरिका सहित अन्य देशों के सामाजिक ढांचे को तोड़ने के लिए 1966 से काम शुरू किया और आज अमेरिकी समाज तहस-नहस हो चुका है और अधिकतर युवा नशे की गिरफ्त में हैं। आज भारतीय समाज को तोड़ने के लिए इसी तरह का एजेंडा मीडिया, बॉलीवुड और ओटीटी प्लेटफार्म के जरिये चलाया जा रहा है जिससे सावधान रहने की जरूरत है।
डीप स्टेट ने किया अमेरिकी समाज को बर्बाद
अमेरिकी परिवार 50 के दशक में खुश, समृद्ध और पारिवारिक मूल्यों से जुड़े हुए थे। वे साथ में खाना खाते थे। हर रविवार को चर्च जाते थे। यह बात 50 के दशक के सबसे मशहूर टीवी सीरियलों से साबित हो सकती है कि वे कितने पारिवारिक थे। उसके बाद डीप स्टेट ने न केवल अमेरिकी समाज बल्कि अन्य देशों के समाज को भी नष्ट करने का अभियान शुरू किया। अमेरिका की प्रमुख पत्रिका TIME को उदाहरण के तौर पर रख कर देखें तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि डीप स्टेट ने 50 के दशक के बाद मीडिया के जरिये लोगों का किस तरह ब्रेनवाश किया। TIME मैगजीन के कुछ प्रमुख अंकों के आवरण देखकर ही यह साफ हो जाता है। महत्वपूर्ण यह भी है कि TIME मैगजीन में प्रबंधन स्तर पर अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA का नियंत्रण है। परिवार को छिन्न-भिन्न करने का खतरा आज भारतीय समाज भी मंडरा रहा है। ऐसे में समाज में जागरूकता बहुत जरूरी है।
🚨This is Philadelphia, USA
The drug issue in America seems to be taking over cities! pic.twitter.com/UrK5QnKQ6U
— Mario Nawfal (@MarioNawfal) January 7, 2024
TIME मैगजीन के कुछ प्रमुख अंकों पर नजर…
पहले लोगों का ध्यान ईश्वर से हटाया- 1966
टाइम पत्रिका के अप्रैल 1966 का अंक देखिए। पहला काम लोगों का विश्वास ईश्वर से हटाना था क्योंकि ईश्वर सभ्यता को जोड़ने वाली शक्ति था।
सभ्यताओं को नष्ट करने के लिए सेक्स का उपयोग – 1968
टाइम मैगजीन 1968 का कवर। अमेरिका में सेक्स: नैतिकता और नैतिकता। ईश्वर से ध्यान हटाने के बाद एक पूरी पीढ़ी को सेक्स का भूखा जानवर बनाने का एजेंडा शुरू हो गया।
सभी बाधाओं को तोड़ सेक्स विस्फोट – 1969
अमेरिका में जुलाई 1969 में सभी बाधाओं को तोड़ो के साथ सेक्स विस्फोट हो गया। यह तो बस शुरुआत ही थी, अमेरिकी लोगों को भी नहीं पता था कि उनके लिए क्या योजना बनाई गई है।
भगवान मरा, शैतान लौट आया- 1972
1966 में लोगों का ध्यान भगवान से हटाने मुहिम शुरू हुई और 1972 आते-आते शैतान उसकी जगह ले लेता है।
वयस्क के बाद किशोरों को सेक्स का भूखा बनाना गया- 1973
वयस्कों को सेक्स का भूखा बनाने के बाद 1973 में उन्होंने ध्यान किशोरों पर केंद्रित कर दिया, जो पहले से ही योजनाबद्ध था।
समलैंगिक मुहिम शुरू की गई- 1975
वर्ष 1975 में समलैंगिक मुहिम शुरू की गई। समाज के हर ताने-बाने को नष्ट करने का था इरादा।
ड्रग्स को स्टेटस सिंबल बनाया गया- 1981
वर्ष 1981 में कोकीन जैसे ड्रग्स को स्टेटस सिंबल बना दिया गया। CIA ने 1948 में अमेरिकी नागरिकों को नशीले पदार्थ खिलाना शुरू किया लेकिन तब यह केवल अश्वेतों तक ही सीमित था लेकिन अब यह गोरों को भी खिलाया जाने लगा। और इसे आकर्षक बनाने के लिए मीडिया का सहारा लिया गया।
सेक्स क्रांति खत्म होने की घोषणा की गई-1984
अप्रैल 1984 में सेक्स क्रांति ख़त्म हो गई। उन्होंने 80 के दशक तक अपना लक्ष्य हासिल कर लिया था और उन्होंने इसे गर्व से प्रकाशित किया था, अब समय आ गया है कि माता-पिता से ध्यान हटाकर किशोरों और बच्चों की ओर किया जाए।
LGBTQ के लिए आजादी की लड़ाई शुरू- 1985
1985 में LGBTQ के लिए आजादी की लड़ाई शुरू की गई। वे इन दिनों भारत में भी बिल्कुल वैसा ही कर रहे हैं।
ड्रग्स को लीगल बनाने की मुहिम- 1988
मई 1988 में मुहिम छेड़ी गई कि क्या ड्रग्स को लीगल बनाया जाना चाहिए?
गर्भपात के अधिकार के लिए लड़ाई शुरू – 1989
मई 1989 में उन्होंने किशोर सेक्स पर ध्यान केंद्रित करना शुरू किया और इसके लिए उन्होंने गर्भपात के अधिकार के लिए लड़ाई शुरू की।
माता-पिता को किशोरों के गर्भपात में हस्तक्षेपका अधिकार नहीं- 1990
जुलाई 1990 में गर्भपात को लेकर नया मुहिम शुरू किया गया। नया एजेंडा था माता-पिता को किशोरों के गर्भपात संबंधी निर्णयों में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है
पारिवारिक सेक्स को बढ़ावा दिया – 1992
पारिवारिक सेक्स के बारे में आप क्या सोचते हैं? यानि अनाचार रिश्ते को बढ़ावा देने की मुहिम शुरू की गई।
वेश्यावृत्ति को ग्लैमराइज किया – 1993
1993 में सेक्स को बिकाऊ बनाने की मुहिम शुरू की गई। यानि वेश्यावृत्ति को ग्लैमराइज किया गया।
गर्भपात की दवा को प्रोत्साहन- 1993
सेक्स और वेश्यावृत्ति को बढ़ावा देने के बाद गर्भपात की दवा को प्रोत्साहित किया गया। गर्भपात की गोली का इस तरह प्रचार किया गया कि किशोर खुलकर सेक्स कर सकें।
चाइल्ड सेक्स को प्रोत्साहन- 1993
मई 1993 में बच्चे, सेक्स और वैल्यू की बात की गई यानि कंडोम का प्रचार शुरू हुआ। यह मुहिम बच्चों को सेक्स के लिए तैयार करने का समय था ताकि संभ्रांत लोग उनका उपभोग कर सकें।
समलैंगिकता को बढ़ावा- 1997
अप्रैल 1997 में टाइम का कवर स्टोरी है – गर्व से कहो, हां मैं समलैंगिक हूं।
बच्चों को सेक्स उकसाया- 1998
टाइम ने जून 1998 में कवर स्टोरी छापी कि आपके बच्चे सेक्स के बारे में पहले से ही जानते हैं। उन्हें ऐसा करने दीजिए।
सेक्स और एशिया- 2001
जून 2001 में टाइम के अंतर्राष्ट्रीय संस्करण की कवर स्टोरी थी – सेक्स और एशिया। पश्चिमी सभ्यता को नष्ट करने के बाद, अब पूर्व की ओर ध्यान आकर्षित करने का समय।
समलैंगिक किशोरों की तादाद बढ़ी-2006
2006 तक आते-आते अमेरिका में समलैंगिक संबंधों की बाढ़ आ गई। समलैंगिक किशोर भी बड़ी संख्या में सामने आने लगे।
मदर्स डे अनैतिक आवरण- 2012
उन्होंने ये पोस्ट मदर्स डे पर किया है। एक विचारोत्तेजक अनाचार आवरण। यह ट्रेंड आप इन दिनों भारतीय इंस्टाग्राम रील्स में देख सकते हैं। इस कवर के लिए TIME की काफी आलोचना हुई थी।
अनैतिक संबंधों पर हास्य संस्करण – 2012
2012 में यह TIME मैगजीन का यह अनैतिक संबंधों पर हास्य संस्करण था। इसमें कवर पर पिता और बेटी के बीच संबंधों को दर्शाया गया।
अब भारतीय समाज को ध्वस्त करने की साजिश
कुल मिलाकर पूरा इकोसिस्टम अमेरिकी सभ्यता को नष्ट करने के लिए काम कर रहा था। TIME मैगजीन तो महज एक एक टूल था और इस तरह के न जाने कितने और टूल इस्तेमाल किए गए होंगे। अब वे भारत में भी बिल्कुल वैसा ही कर रहे हैं। और यहां उन्होंने ये जिम्मेदारी सोशल मीडिया और ओटीटी खासकर नेटफ्लिक्स और प्राइम को दे दी है। भारत को इस पतन से बचाने के लिए लोगों को समय रहते जागरूक होना होगा।
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