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पश्चिम बंगाल में टूटने के कगार पर इंडी गठबंधन, टीएमसी और कांग्रेस में ठनी, ममता ने कांग्रेस कमेटी से मिलने से किया इनकार

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इंडी गठबंधन में सीट शेयरिंग को लेकर लगातार बैठकें हो रही हैं। इस दौरान रूठने, मनाने, अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने, शह और मात का खेल खूब खेला जा रहा है। जिस तरह से सीट शेयरिंग में दांव-पेंच लगाए जा रहे हैं, उससे इस गठबंधन के भविष्य पर सवाल खड़े हो रहे हैं। पश्चिम बंगाल में पेंच फंस गया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कांग्रेस को उसकी औकात बताते हुए दो से ज्यादा सीट देने के लिए तैयार नहीं है, वहीं कांग्रेस इससे ज्यादा सीटों पर दावा कर रही है। ममता बनर्जी ने कांग्रेस गठबंधन समिति से मिलने से इनकार कर बंगाल में इंडी गठबंधन को तोड़ने का संकेत दे दिया है। ममता के सख्त रूख को देखते हुए अटकलें लगाई जा रही हैं कि या तो कांग्रेस को अपमान का घूंट पीकर दो सीटों पर समझौता करना पड़ेगा या गठबंधन तोड़ना पड़ेगा।

टीएमसी का कांग्रेस गठबंधन समिति से मिलने से इनकार

दरअसल पश्चिम बंगाल में सीट शेयरिंग पर चर्चा के लिए ममता बनर्जी ने दिल्ली में कांग्रेस गठबंधन समिति के सदस्यों से मिलने और अपना प्रतिनिधि भेजने से इनकार कर दिया है। टीएमसी सूत्रों के मुताबिक ममता बनर्जी ने पहले ही सीट शेरिंग को लेकर अपना रूख स्पष्ट कर दिया है। वह राज्य की 42 लोकसभा सीटों में से कांग्रेस को वे दो सीटें देना चाहती हैं, जिस पर कांग्रेस ने 2019 में जीत हासिल की थी। बताया जा रहा है कि कांग्रेस बंगाल में 8 सीटों की मांग कर रही है। 

ममता की दो टूक, कांग्रेस को दो से अधिक सीटें नहीं 

टीएमसी नेताओं ने कहा कि कांग्रेस नेतृत्व को बंगाल में जमीनी हकीकत को स्वीकार करना चाहिए कि कांग्रेस बंगाल में कमजोर है। कांग्रेस को दो सीटें देने के पीछे टीएससी लोकसभा और राज्य विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस के प्रदर्शन को आधार बना रही है। बंगाल की 42 लोकसभा सीटों में से कम से कम 39 सीटों पर कांग्रेस को अतीत में पांच प्रतिशत से भी कम वोट मिले थे। बंगाल में कांग्रेस को 2021 के विधानसभा चुनाव में 2.93 प्रतिशत, 2016 के विधानसभा चुनाव में 12.25 प्रतिशत और 2019 के लोकसभा चुनाव में 5.67 प्रतिशत वोट हासिल हुए थे।

दो सीटों के बदले दूसरे राज्यों में समझौते का दबाव

टीएमसी ने दो सीटों पर समझौते के बदले दूसरे राज्यों में सीट देने के लिए कांग्रेस पर दबाव बढ़ा दिया है। टीएमसी ने मेघालय में एक सीट और असम में कम से कम दो सीटों पर दावा किया है। टीएमसी की गोवा इकाई एक सीट पर चुनाव लड़ने का मन बना रही हैं, जहां उसने 2022 के विधानसभा चुनाव में करीब पांच प्रतिशत मत हासिल हुए थे। ऐसे में टीएमसी के इस दवाब का कांग्रेस पर कितना असर होगा,अब आने वाला वक्त ही बताएंगा। लेकिन इससे कांग्रेस के सामने मुश्किलें खड़ी हो गई हैं।

हमें भीख नहीं चाहिए, अकेले लड़ेंगे चुनाव – अधीर

उधर बंगाल कांग्रेस के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी टीएससी और ममता पर लगातार हमलावर है। उन्होंने टीएमसी और बीजेपी में सांठगांठ का आरोप लगाया है। अधीर रंजन चौधरी बंगाल में माकपा की अगुवाई वाले वाममोर्चा के साथ या जरूरत पड़ने पर अकेले चुनाव लड़ने पर जोर दे रहे हैं। वह कई बार कह चुके हैं कि ममता की पार्टी के साथ समझौते का सवाल ही नहीं उठता है। अधीर रंजन ने दो टूक कहा था कि हम टीएमसी से भीख नहीं मांग रहे हैं। हमने पिछली बार अपने दम पर दो सीटें जीती थीं और इन्हें जीतने के लिए हमें टीएमसी की कृपा की जरूरत नहीं है।

प.बंगाल में टीएमसी के साथ गठबंधन नहीं होगा- वाममोर्चा

इंडी गठबंधन की बेंगलुरु बैठक में वाममोर्चा के नेताओं ने स्पष्ट कर दिया था कि पश्चिम बंगाल में टीएमसी के साथ गठबंधन नहीं होगा। सीपीआई (एम) नेता सीताराम येचुरी ने टीएमसी के साथ किसी भी गठबंधन से इनकार कर दिया था और कहा था कि वाममोर्चा और कांग्रेस धर्मनिरपेक्ष दलों से गठबंधन करेंगे और राज्य में बीजेपी के साथ-साथ टीएमसी से मुकाबला करेंगे। ममता बनर्जी, अधीर रंजन चौधरी और वाममोर्चा के नेताओं के अड़ियल रूख से पश्चिम बंगाल में इंडी गठबंधन अब टूटने के कगार पर पहुंच चुका है।

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