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Alt News की एजेंडा पत्रकारिता का खुलासा, विपक्ष की शह पर वैक्सीनेशन पर फैक्ट चेक रिपोर्ट में सच्चाई छिपाई

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कोरोना वैक्सीनेशन का पूरा कार्य केंद्र सरकार द्वारा अपने हाथ में लेने के बाद देश में आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला शुरू हो गया है। 7 जून को प्रधानमंत्री मोदी ने जब इसकी घोषणा की थी, तब उन्होंने इस फैसले की वजह भी बताई थी। उन्होंने स्पष्ट कहा था कि राज्य सरकारों के कहने पर उन्होंने 19 अप्रैल को वैक्सीनेशन में राज्यों की भूमिका सुनिश्चित करते हुए उन्हें सीधे वैक्सीन खरीदने का अधिकार दिया था। लेकिन पीएम मोदी ने जब इस सच्चाई से देशवासियों को रूबरू कराया तो विपक्षी नेताओं के पेट में दर्द हो गया। विपक्षी नेताओं की शह पर उनके पिछलग्गू मीडिया वालों भी परेशान हो गए और अपने आकाओं की छवि बचाने में जुट गए।

अल्ट न्यूज नाम की वेबसाइट ने भी इसी खास एजेंडे के तहत कोरोना वैक्सीन के मुद्दे पर फैक्ट चेक रिपोर्ट प्रकाशित की है। लेकिन इस रिपोर्ट में जानबूझ कर सच्चाई को छिपाया गया है। इस रिपोर्ट में सिर्फ उन्हीं बातों को शामिल किया गया है, जिनसे यह साबित होता हो कि राज्यों ने वैक्सीनेशन की प्रक्रिया का विकेंद्रीकरण करने की मांग नहीं की थी। इस वेबसाइट ने अपनी रिपोर्ट में यह साबित करने की कोशिश की है कि केंद्र की मोदी सरकार ने मनमाने तरीके से वैक्सीनेशन का काम राज्यों पर थोपा था। यह भी साबित करने की कोशिश की गई है कि वैक्सीनेशन को लेकर जब कोर्ट ने सवाल उठाए तो पीएम मोदी ने सारा ठीकरा राज्य सरकारों पर फोड़ते हुए, दोबारा वैक्सीनेशन की पूरी प्रक्रिया अपने हाथों में ली है।

ममता बनर्जी के 18 अप्रैल के पत्र के बारे में नहीं बताया
अल्ट न्यूज की इस रिपोर्ट में जो बताया गया है वो सच्चाई से कोसों दूर है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि सीएम ममता बनर्जी ने 24 फरवरी को एक पत्र प्रधानमंत्री मोदी को लिखा था, जिसमें उन्होंने वैक्सीनेशन के डिसेंट्रलाइजेशन की मांग नहीं की थी, सिर्फ चुनाव से पहले लोगों का वैक्सीनेशन करने के लिए वैक्सीन खरीदने की अनुमति मांगी थी। लेकिन इस वेबसाइट ने ममता बनर्जी के 18 अप्रैल के उस पत्र का जिक्र नहीं किया, जिसमें उन्होंने केंद्र सरकार को अपने पुराने पत्र का हवाला देते हुए राज्य सरकार को वैक्सीन खरीदने और अपने राज्य में लोगों को वैक्सीनेट करने की अनुमति मांगी थी। 

राहुल गांधी ने कहा था कि राज्यों को वैक्सीन खरीदने की अनुमति मिले
अल्ट न्यूज वेबसाइट ने अपनी इस रिपोर्ट में राहुल गांधी के पत्र से जुड़े तथ्यों को झुठलाने की कोशिश की। इससे यह लगता है कि राहुल ने कभी राज्यों को वैक्सीन खरीदने का अधिकार देने की मांग नहीं की थी। जबकि सच्चाई यह है कि 8 अप्रैल को लिखे गए इस पत्र में राहुल गांधी ने स्पष्ट लिखा है कि हेल्थ राज्य का विषय है और राज्यों को वैक्सीन की खरीद और रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया में बाईपास कर दिया गया है। वैक्सीनेशन की पूरी प्रक्रिया केंद्र के हाथों में होने की वजह से परेशानी उठानी पड़ रही है। इससे साफ जाहिर होता है कि वेबसाइट ने अपने हिसाब से तथ्तों को रखा है, ताकि यह साबित हो सके कि मोदी सरकार ने मनमर्जी चलाते हुए राज्यों को वैक्सीनेशन की जिम्मेदारी दी थी।

विपक्षी नेताओं द्वारा वैक्सीन खरीदने की मांग नहीं करने का झूठा दावा
इस फैक्ट चेक रिपोर्ट में अल्ट न्यूज ने यह भी कहा है कि विपक्ष के किसी भी नेता ने, या कहें कि किसी भी गैर भाजपा शासित राज्य के नेता ने 19 अप्रैल के पहले सीधे वैक्सीन खरीदने की मांग नहीं की थी। हमारी पड़ताल में इस वेबसाइट का यह दावा भी पूरी तरह से असत्य साबित हुआ है। तमिलनाडु में डीएमके के नेता एमके स्टालिन ने 18 अप्रैल को प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर कर आग्रह किया था कि वैक्सीन की खरीद को लेकर राज्यों पर लगे प्रतिबंध को हटाया जाए, ताकि राज्य अपने हिसाब से वैक्सीन खरीद सकें और जल्द से जल्द लोगों को वैक्सीनेट कर सकें। इसी पत्र में उन्होंने राज्य सरकारों को कोरोना महामारी से अपने मुताबिक लड़ने की छूट देने की भी मांग की थी। उस समय दि हिंदू समेत कई अखबारों में एमके स्टालिन का यह बयान प्रमुखता से छपा था। बाद में चुनाव परिणाम आने पर एमके स्टालिन तमिलनाडु के मुख्यमंत्री बन गए। लेकिन इस वेबसाइट ने स्टालिन के पत्र वाले महत्वूर्ण तथ्य को अपने खास एजेंडे के तहत फैक्ट चेक रिपोर्ट में शामिल नहीं किया।

एमके स्टालिन ही नहीं, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने भी 16 अप्रैल को केंद्र सराकर से राज्यों को वैक्सीन की खरीद प्रक्रिया में तत्काल प्रभाव से शामिल करने की मांग की थी। उन्होंने कहा था, “भारत एक फेडरल कंट्री है और हेल्थ राज्य का विषय है। चाहे महामारी की स्थिति ही क्यों न हो, लेकिन केंद्र हेल्थ केयर को पूरी तरह से अपने नियंत्रण में नहीं रख सकता है।”

मोदी सरकार को कठघरे में खड़ा करना मकसद
हमारी इस पूरी पड़ताल से यह साफ है कि मोदी जी ने वैक्सीनेशन की प्रक्रिया के विकेंद्रीकरण की घोषणा 19 अप्रैल को की थी, लेकिन अल्ट न्यूज ने अपनी फैक्ट चेक रिपोर्ट में 18 अप्रैल को बंगाल की सीएम ममता बनर्जी और डीएमके नेता एमके स्टालिन द्वारा वैक्सीन खरीदने की अनुमति मांगने वाले पत्रों को शामिल नहीं किया। बल्कि उसने तो यहां तक कह दिया कि 19 अप्रैल से पहले किसी भी विपक्षी नेता ने वैक्सीन खरीदने का अधिकार राज्यों को देने की मांग ही नहीं की थी। ये उन तथ्यों की बात है, जो सार्वजनिक हैं, सबके सामने हैं। इसके अलावा भी पिछले कुछ महीनों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ कोरोना के हालात की समीक्षा को लेकर कई बैठकें हुईं। जाहिर है कि इन बैठकों में मुख्यमंत्रियों ने क्या डिमांड की होगी, यह सिर्फ प्रधानमंत्री मोदी ही जानते हैं। अब सवाल यह उठता है कि तथ्यों की अनदेखी कर अल्ट न्यूज ने एक ऐसी फैक्ट चेक रिपोर्ट क्यों तैयार की? कहीं इसके पीछे इसका मकसद विपक्ष को पाक-साफ और मोदी सरकार को कठघरे में खड़ा करना तो नहीं है?

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