प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कार्यकाल के आठ साल पूरे हो चुके हैं। उन्होंने इस दौरान कई बड़े और साहसिक फैसले लिए हैं, जो सीधे आम जनता के हित से जुड़े हैं। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कृषि सुधार के मामले में पूर्ववर्ती सरकारों की तुलना में ऐतिहासिक काम किया है। उनके सामने तमाम चुनौतियां आईं, लेकिन वे टकराव की जगह किसान कल्याण को प्राथमिकता देकर आगे बढ़ते रहे। उन्होंने कृषि क्षेत्र में ‘रिफॉर्म, ट्रांसफॉर्म एंड परफॉर्म’ का जो मंत्र अपनाया है, उस पर अडिग रहते हुए वे लगातार आगे बढ़ रहे हैं। इसका नतीजा है कि आज बीज से बाजार तक कृषि क्षेत्र का विकास हो रहा है। किसानों की आय में बढ़ोतरी हो रही है। आइए देखते हैं पिछले आठ सालों में मोदी सरकार ने किस तरह किसानों के हित में काम किया है…
गरीब किसानों के लिए वरदान बनी ‘किसान सम्मान निधि’
मोदी सरकार ने गरीब किसानों को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने और दूसरों पर निर्भरता खत्म करने के लिए ‘किसान सम्मान निधि’ योजना की शुरुआत की। इसका आर्थिक लाभ सीधे आम किसानों को मिलता है। अब तक इस योजना के तहत दस किस्ते जारी की जा चुकी है। किसान सम्मान निधि के तहत दस किस्तों में कुल 1.80 लाख करोड़ रुपये 11.90 करोड़ से अधिक किसान लाभार्थियों के बैंक खाते में भेजे गए। 31 मई, 2022 को 11वीं किस्त जारी की जाएगी, इसके तहत 11 करोड़ किसानों को 22 हजार करोड़ रुपये ट्रांसफर किए जाएंगे। खुद प्रधानमंत्री मोदी इस रकम को किसानों के बैंक खाते में भेजेंगे। गौरतलब है कि दिसंबर 2018 में शुरू हुई ‘पीएम किसान सम्मान निधि योजना’ के तहत किसानों को प्रति वर्ष 6,000 रुपये का भत्ता मिलता है, जो चार महीने के अंतराल में साल में तीन बार वितरित किया जाता है।
किसानों की आय में बढ़ोतरी
प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार की पहल से किसानों की आय में बढ़ोतरी हो रही है। किसान परिवारों की आय 2013 में 6426 रुपये थी, जो 2019 में 59 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ 10,218 रुपये हो गई। वर्ष 2013 में कृषि से कमाई करने वाले परिवारों की संख्या 54 प्रतिशत थी, जो 2019 में बढ़कर 58 प्रतिशत हो गई। फसल उत्पादन से आय में 2013 से 2019 के बीच 15 प्रतिशत तक वृद्धि दर्ज की गई। पशुपालन से आय में 34 प्रतिशत तक वृद्धि हुई। फसल बीमा योजना से 11.43 करोड़ किसान जुड़े हैं। 2016 से अब तक किसानों को 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक क्लेम मिल चुका है। 12 सितंबर, 2019 को पीएम किसान मानधन योजना शुरू की गई। किसानों को प्रति माह 3,000 रुपये पेंशन की सुविधा है।
किसानों की आय बढ़ाने की पहल
- कृषि उत्पादकता बढ़ाने, उत्पादन लागत कम करने, बाजार तक पहुंच बढ़ाने और उचित मूल्य दिलाने के लिए कई कदम उठाए गए हैं।
- कृषि लागत को कम करने के लिए बीजों, खादों, कृषि उपकरणों, सिंचाई एवं सोलर पंपों पर सब्सिडी दी जा रही है।
- खेती की लागत को कम करने के लिए लगातार जीरो बजटिंग और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है।
- स्वायल हेल्थ कार्ड योजना से जरूरत के हिसाब से खाद इस्तेमाल करने से खाद पर होने वाले खर्च में कमी आयी है।
- कृषि उपजों के निर्यात में वृद्धि कर किसानों की आय में बढ़ोतरी के प्रयास किए जा रहे हैं।
किसानों के साथ ही ग्रामीण अर्थव्यवस्था का विकास
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 19 अप्रैल, 2022 को बनासकांठा जिले के दियोदर में एक नया डेयरी कॉम्प्लेक्स और आलू प्रसंस्करण संयंत्र राष्ट्र को समर्पित किया, जिसे 600 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से तैयार किया गया है। नया डेयरी कॉम्प्लेक्स एक ग्रीनफील्ड प्रोजेक्ट है। यह प्रतिदिन लगभग 30 लाख लीटर दूध के प्रसंस्करण, लगभग 80 टन मक्खन, एक लाख लीटर आइसक्रीम, 20 टन संघनित दूध (खोया) और 6 टन चॉकलेट का उत्पादन करने में सक्षम होगा। आलू प्रसंस्करण संयंत्र विभिन्न प्रकार के प्रसंस्कृत आलू उत्पादों जैसे फ्रेंच फ्राइज, आलू चिप्स, आलू टिक्की, पैटी आदि का उत्पादन करेगा, जिनमें से कई उत्पाद अन्य देशों में निर्यात किए जाएंगे। ये संयंत्र स्थानीय किसानों को सशक्त बनाएंगे और क्षेत्र में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देंगे।
बनास सामुदायिक रेडियो स्टेशन राष्ट्र को समर्पित
प्रधानमंत्री मोदी ने 19 अप्रैल, 2022 को गुजरात के बनासकांठा जिले में बनास सामुदायिक रेडियो स्टेशन राष्ट्र को समर्पित किया। यह सामुदायिक रेडियो स्टेशन किसानों को कृषि और पशुपालन से संबंधित प्रमुख वैज्ञानिक जानकारी प्रदान करने के लिए स्थापित किया गया है। उम्मीद है कि रेडियो स्टेशन लगभग 1700 गांवों के 5 लाख से अधिक किसानों से जुड़ेगा। प्रधानमंत्री ने पालनपुर में बनास डेयरी संयंत्र में पनीर उत्पादों और मट्ठा पाउडर के उत्पादन के लिए विस्तारित सुविधाओं को राष्ट्र को समर्पित किया। साथ ही, प्रधानमंत्री ने गुजरात के दामा में स्थापित जैविक खाद और बायोगैस संयंत्र को राष्ट्र को समर्पित किया। प्रधानमंत्री ने खिमना, रतनपुरा-भीलडी, राधनपुर और थावर में स्थापित होने वाले 100 टन क्षमता के चार गोबर गैस संयंत्रों की आधारशिला भी रखी।
आम बजट में किसानों और कृषि क्षेत्र का पूरा ख्याल
मोदी सरकार ने आम बजट में किसानों का पूरा ध्यान रखा है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी, 2022 को लोकसभा में वित्तीय वर्ष 2022-23 का आम बजट पेश किया। इस बजट से जहां पूरे देश के लोगों को कुछ ना कुछ मिला है, वहीं इस बजट में किसानों और कृषि क्षेत्र के लिए कई घोषणाएं की गई, जिनसे खासकर उत्तर प्रदेश, पंजाब और उत्तराखंड के किसानों को ज्यादा लाभ मिलेगा। वहीं मणिपुर जैसे पूर्वोतर राज्य में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के साथ ही पीएम पूर्वोत्तर विकास पहल नामक एक नयी योजना की भी घोषणा की गई।
यूपी,उत्तराखंड, पंजाब और मणिपुर के किसानों के लिए बड़ी पहल
- साल 2023 को मोटा अनाज वर्ष घोषित किया गया।
- 1208 मीट्रिक टन गेहूं और धान खरीदा जाएगा।
- 2.37 लाख करोड़ रुपये डीबीटी के जरिए दिए जाएंगे।
- तिलहन और दलहन की खेती को बढ़ावा दिया जाएगा।
- प्राकृतिक खेती के लिए व्यापक पैकेज दिया जाएगा।
- गंगा किनारे ऑर्गेनिक खेती के लिए कोरिडोर्स बनेंगे।
- केन-बेतवा लिंक परियोजना को शुरू करने का ऐलान।
- 9 लाख हेक्टेयर से अधिक कृषि भूमि की सिंचाई होगी।
- देश में कृषि यूनिवर्सिटी का विस्तार किया जाएगा।
- कृषि सेक्टर में ड्रोन के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जाएगा।
- रेलवे छोटे किसानों के लिए बेहतर लॉजिस्टिक मुहैया करायेगा।
- तीन वर्षों में 100 गति शक्ति कार्गो टर्मिनल विकसित होंगे।
- एक उत्पाद, एक रेलवे स्टेशन को लोकप्रिय बनाया जाएगा।
- मणिपुर सहित पूर्वोतर में वैज्ञानिक जैविक कृषि को बढ़ावा
कृषि क्षेत्र को आधुनिक और स्मार्ट बनाने पर जोर
बजट 2022-23 में कृषि क्षेत्र को आधुनिक और स्मार्ट बनाने के लिए मुख्य रूप से सात रास्ते सुझाए गए। ‘पहला- गंगा के दोनों किनारों पर 5 किलोमीटर के दायरे में नेचुरल फार्मिंग को मिशन मोड पर कराने का लक्ष्य है। उसमें हर्बल मेडिसिन पर भी बल दिया जा रहा है। दूसरा- एग्रीकल्चर और हॉर्टीकल्चर में आधुनिक टेक्नॉलॉजी किसानों को उपलब्ध कराई जाएगी। तीसरा- खाद्य तेल के इंपोर्ट को कम करने के लिए मिशन ऑयल पाम के साथ-साथ तिलहन को सशक्त करने का प्रयास किया जा रहा है। चौथा लक्ष्य है कि खेती से जुड़े उत्पादों के ट्रांसपोर्टेशन के लिए पीएम गति-शक्ति प्लान द्वारा लॉजिस्टिक्स की नई व्यवस्थाएं बनाई जाएंगी। बजट में पांचवां समाधान दिया गया है कि एग्री-वेस्ट मेनेजमेंट को अधिक ऑर्गेनाइज किया जाएगा। छठा सॉल्यूशन है कि देश के डेढ़ लाख से भी ज्यादा पोस्ट ऑफिस में रेगुलर बैंकों जैसी सुविधाएं मिलेंगी। और सातवां ये कि – एग्री रिसर्च और एजुकेशन से जुड़े सिलेबस में स्किल डेवलपमेंट, ह्यूमन रिसोर्स डेवलपमेंट में आज के आधुनिक समय के अनुसार बदलाव किया जाएगा।
आठ साल में कृषि बजट में 1.02 लाख करोड़ की वृद्धि
- मनमोहन सरकार में 2004-05 में कृषि मंत्रालय का बजट अनुमान 4192 करोड़ रुपये था। दस साल बाद वर्ष 2013-14 में कृषि मंत्रालय के लिए 21,933.50 करोड़ रुपये का बजट आवंटन किया। यानि दस साल में मात्र 17741 करोड़ की बढ़ोतरी हुई।
- मनमोहन सरकार की तुलना में मोदी सरकार ने वित्तीय वर्ष 2022-23 में 123960.75 करोड़ रुपये का कृषि बजट दिया। यानि किसानों की हितैषी मोदी सरकार ने आठ साल में ही कृषि बजट 1.2 लाख करोड़ रुपये बढ़ा दिया। मनमोहन सरकार के दस साल में बढ़ोतरी की तुलना में यह करीब छह गुना ज्यादा है।
देश में खाद्यान्न का रिकॉर्ड उत्पादन
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा वर्ष 2021-22 के लिए प्रमुख कृषि फसलों के उत्पादन का तीसरा अग्रिम अनुमान जारी किया गया है। देश में खाद्यान्न का उत्पादन रिकॉर्ड 31.451 करोड़ टन होने का अनुमान है जो 2020-21 की अवधि के खाद्यान्न उत्पादन की तुलना में 37.7 लाख टन अधिक है। 2021-22 के दौरान उत्पादन पिछले पांच वर्षों (2016-17 से 2020-21) के औसत खाद्यान्न उत्पादन की तुलना में 2.38 करोड़ टन अधिक है। चावल, मक्का, दालें, तिलहन, चना, रेपसीड एवं सरसों और गन्ने का रिकॉर्ड उत्पादन अनुमानित है। कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा है कि इतनी सारी फसलों का यह रिकार्ड उत्पादन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कुशल नेतृत्व में केन्द्र सरकार की किसान हितैषी नीतियों के साथ ही किसानों के अथक परिश्रम और वैज्ञानिकों की लगन का परिणाम है।
यूपीए सरकार से अधिक एमएसपी में वृद्धि
- मनमोहन सरकार के दौरान 2004-08 के बीच चार साल में विभिन्न फसलों पर 85 से लेकर 110 रुपये तक MSP बढ़ाई थी।
- मोदी सरकार के पहले चार साल (2014-18) में 115 रुपये से लेकर 350 रुपये तक बढ़ाई गई।
फसल | मनमोहन सरकार | मोदी सरकार |
2004-05 | 2007-08 | अंतर | 2014 | 2017-18 | अंतर | |
धान | 560 | 645 | 85 | 1360 | 1550 | 190 |
धान ए ग्रेड | 590 | 675 | 85 | 1400 | 1590 | 190 |
जौ | 540 | 650 | 110 | 1100 | 1325 | 225 |
ज्वार | 515 | 600 | 85 | 1530 | 1700 | 170 |
बाजरा | 515 | 600 | 85 | 1250 | 1425 | 175 |
मक्का | 525 | 620 | 95 | 1310 | 1425 | 115 |
रागी | 515 | 600 | 85 | 1550 | 1900 | 350 |
मोदी सरकार में कई गुना अधिक एमएसपी का भुगतान
स्रोत : कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय
एमएसपी यानि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूं और धान की खरीद में 2021 में मोदी सरकार ने नया रिकॉर्ड बनाया। 1.77 करोड़ से ज्यादा किसानों से गेहूं और धान खरीदे गए।
2022-23 की रबी फसलों की एमएसपी में बढ़ोतरी
फसल | 2021-22
(रुपये/क्विंटल) |
2022-23
(रुपये/क्विंटल) |
उत्पादन की लागत 2022-23
(रुपये/क्विंटल) |
एमएसपी में वृद्धि
(रुपये/क्विंटल) |
लागत के ऊपर मुनाफा
(प्रतिशत में) |
गेहूं | 1975 | 2015 | 1008 | 40 | 100% |
जौं | 1600 | 1635 | 1019 | 35 | 60% |
चना | 5100 | 5230 | 3004 | 130 | 74% |
मसूर | 5100 | 5500 | 3079 | 400 | 79% |
सरसो | 4650 | 5050 | 2523 | 400 | 10% |
कुसुंभ | 5327 | 5441 | 3627 | 114 | 50% |
स्रोत : कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय
यूपीए और एनडीए सरकार की तुलना
मोदी सरकार में रबी फसल की एमएसपी में वृद्धि
फसल | 2013-14 (रुपये/क्विंटल) | 2022-23 (रुपये/क्विंटल) | प्रतिशत (%) वृद्धि |
गेहूं | 1400 | 2015 | 43% |
जौं | 1100 | 1635 | 48.6% |
चना | 3100 | 5230 | 68.7% |
मसूर | 2950 | 5500 | 86.4% |
सरसो | 3050 | 5050 | 65.5% |
कुसुंभ | 3000 | 5441 | 81.3% |
स्रोत : कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय
मोदी सरकार में खरीफ फसल की एमएसपी में वृद्धि
फसल | 2020-21 (रुपये/क्विंटल) | 2021-22 (रुपये/क्विंटल) | प्रतिशत (%) वृद्धि |
धान | 1868 | 1940 | 50% |
ज्वार | 2620 | 2738 | 50% |
बाजरा | 2150 | 2250 | 85% |
मक्का | 1850 | 1870 | 50% |
अरहर | 6000 | 6300 | 62% |
मूंग | 7196 | 7275 | 50% |
उड़द | 6000 | 6300 | 65% |
कपास | 5515 | 5726 | 50% |
स्रोत : कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय
प्रभावी और पारदर्शी होगी एमएसपी
- मोदी सरकार ने एमएसपी को और अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाने के लिए एक कमेटी गठित करने का फैसला किया है।
- कमेटी में केंद्र सरकार, राज्य सरकारों, किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के अलावा कृषि वैज्ञानिक और कृषि अर्थशास्त्री शामिल होंगे।
- मोदी सरकार ने स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट लागू कर उत्पादन लागत पर एमएसपी को बढ़ाकर 1.5 गुना किया।
- मोदी सरकार ने एमएसपी पर उपज खरीद के पैसे को सीधे किसानों के बैंक खातों में भेजना शुरू किया।
- चीनी सीजन 2021-22 के लिए गन्ने का अब तक के उच्चतम एफआरपी बढ़कर 290 रु/क्विंटल हुआ। इससे 5 करोड़ गन्ना किसानों को लाभ हुआ।
मजबूत हो रहा बुनियादी ढांचा
- कृषि सेक्टर के बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने के लिए 1 लाख करोड़ रुपये के एग्री-इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड की घोषणा की गई।
- एग्री-इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड से कृषि मंडियों को भी जोड़ा गया है। इससे कृषि मंडियां सशक्त होंगी।
- फंड के लिए पात्रता का विस्तार राज्य एजेंसियों/एपीएमसी, सहकारी समितियों, एफपीओ और एसएचजी के परिसंघों तक किया गया है।
- वित्तीय सुविधा की अवधि 4 वर्ष से बढ़ाकर 6 वर्ष (2025-26 तक) और योजना की कुल अवधि 10 से बढ़ाकर 13 वर्ष (2033) कर दी गई है।
- प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को अब स्वैच्छिक बना दिया गया है। इसका लाभ सभी फसलों और सभी किसानों को मिल रहा है।
- योजना के तहत 33 प्रतिशत और उससे अधिक फसल के नुकसान की स्थिति में किसानों को मदद मिल रही है।
‘पर ड्रॉप मोर क्रॉप’
- हर खेत को पानी उपलब्ध कराने के लिए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना की शुरुआत 2015 में की गई।
- प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के जरिए करीब 60 लाख हेक्टेयर जमीन को माइक्रो-इरिगेशन से टपक सिंचाई से जोड़ा गया है।
- कुसुम योजना के तहत साल 2022 तक देश में तीन करोड़ सिंचाई पंपों को सौर ऊर्जा से चलाने का लक्ष्य रखा गया है।
- मोदी सरकार ने अगले 5 वर्षों में सूक्ष्म सिंचाई के अंतर्गत 100 लाख हेक्टेयर भूमि कवर करने का लक्ष्य रखा है।
- ‘हर खेत को पानी’ पहुंचाने और ‘पर ड्रॉप मोर क्रॉप’ के तहत 2.75 लाख से अधिक ट्यूबवेल लगाए गए हैं।
- छिड़काव करने वाले 1.27 लाख मशीन और 7.64 करोड़ मीटर वाटर पाइप किसानों को बांटे गए हैं।
एफपीओ बने छोटे किसानों की ताकत
- छोटे किसानों के बढ़ते हुए सामर्थ्य को संगठित रूप देने में किसान उत्पाद संगठनों- FPO’s की बड़ी भूमिका है।
- पीएम मोदी ने 351 एफपीओ को 14 करोड़ रुपये से अधिक का अनुदान जारी किया। इससे 1.24 लाख से अधिक किसानों को लाभ होगा।
- एफ़पीओ योजना के तहत किसान समूहों को 15 लाख रुपये की आर्थिक मदद मिल रही है। किसानों को उद्यमी बनने के अवसर मिल रहे हैं।
- ऋण गारंटी कोष के जरिये प्रति एफपीओ 2 करोड़ रुपये तक कोलैटरल फ्री गारंटी सुविधा दी जा रही है।
- देश में 10 हजार नए एफपीओ बनाने का काम जारी है। अब तक 1500 से अधिक एफपीओ पंजीकृत हो चुके हैं।
- 201 महिला केन्द्रित एफपीओ पंजीकृत किए गए हैं। आदिवासी जिलों में 481 एफपीओ पंजीकृत किए गए हैं।
- ‘एक जिला-एक उत्पाद’ योजना के तहत 15% एफपीओ बनाने और बागवानी उत्पादों के लिए क्लस्टर आधारित रणनीति अपनायी गई है।
- कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में इनोवेशन व तकनीक के उपयोग के लिए स्टार्ट-अप्स और कृषि-उद्यमिता पर जोर दिया जा रहा है।
- कृषि में जेंडर मेनस्ट्रीमिंग को बढ़ावा देने के साथ महिला एसएचजी और महिला एफपीओ के गठन और उनके क्षमता विकास के उपाय हो रहे हैं।
श्वेत क्रांति को मिला विस्तार
- 23 दिसंबर, 2021 को पीएम मोदी ने वाराणसी के करखियांव में बनास डेयरी संयंत्र (अमूल प्लांट) का शिलान्यास किया।
- बनास काशी संकुल के माध्यम से पिंडरा ही नहीं, बल्कि पूर्वांचल के करीब 6 जिलों को लाभ होगा।
- पीएम मोदी ने बनास डेरी से जुड़े 1.7 लाख से अधिक दुग्ध उत्पादकों को करीब 35 करोड़ रुपये का बोनस उनके बैंक खातों में अंतरित किया।
- दुग्ध उत्पादकों के लिए ‘कनफॉरमेटी एसेसमेंट स्कीम’ से संबंधित एक पोर्टल को लॉन्च करने के साथ उसका लोगो भी जारी किया गया।
- पशुपालकों और डेयरी सेक्टर के विकास के लिए 15 हजार करोड़ रुपये का एक विशेष इंफ्रास्ट्रक्चर फंड बनाया गया है।
- डेयरी किसानों के लिए किसान क्रेडिट कार्ड्स (केसीसी) अभियान की शुरुआत की गई है।
- पीएम मोदी ने पशुधन के लिए ई-मार्केटप्लस उपलब्ध कराने के लिए ई-गोपाला मोबाइल एप लॉन्च किया।
- 50 करोड़ से ज्यादा पशुधन को खुरपका और मुंहपका बीमारियों से मुक्ति के लिए मुफ्त टीकाकरण अभियान शुरू किया गया।
- देसी नस्ल की गायों के विकास के लिए मिशन गोकुल शुरू किया गया और गोधन के संवर्धन के लिए कामधेनु आयोग की स्थापना की गई।
- 2019 में कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम की शुरूआत की गई। इस योजना ने 2 चरण पूरे कर लिए हैं। 1 अगस्त, 2021 को तीसरा चरण शुरू हुआ।
- भारत का दुग्ध उत्पादन 6 वर्षों (2014-20) में प्रति वर्ष 6.3% की औसत वार्षिक दर से बढ़ा है, जो विश्व की दर से चार गुना अधिक है।
- भारत का दुग्ध उत्पादन 2013-14 में 137 मिलियन टन से बढ़कर 2019-20 में 198.4 मिलियन टन हो गया।
मीठी क्रांति
- ‘मीठी क्रांति’ को बढ़ावा देने के लिए मोदी सरकार ने वर्ष 2020 में राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और शहद मिशन (एनबीएचएम) शुरू किया।
- मोदी सरकार ने एनबीएचएम के लिए तीन वर्षों (2020-21 से 2022-23) के लिए 500 करोड़ रुपये का आवंटन किया।
- अमेरिका के अलावा यूरोपीय संघ, दक्षिण पूर्व एशिया और अन्य देशों में शहद निर्यात को बढ़ावा दिया जा रहा है।
- शहद उत्पादन में लगभग 60 प्रतिशत और निर्यात में दोगुने से अधिक बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
- शहद और अन्य मधुमक्खी उत्पादों आदि का पता लगाने की क्षमता वृद्धि के लिए जनवरी 2022 में मधुक्रांति पोर्टल लॉन्च किया गया।
- एनबीएचएम का उद्देश्य देश के सभी हिस्सों में शहद परीक्षण प्रयोगशालाओं का एक नेटवर्क बनाना है।
- शहद परीक्षण प्रयोगशालाओं के लिए मधुमक्खी पालकों के 100 एफपीओ केंद्र के रूप में काम करेंगे।
- ट्राईफेड ने 2020-21 के दौरान विभिन्न देशों को 115 लाख रुपये के शहद का निर्यात भी किया।
नीली क्रांति
- 10 सितंबर, 2020 को पीएम मोदी ने 20,050 करोड़ रुपये की प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (PMMSY) का शुभारंभ किया।
- इसका उद्देश्य मत्स्य उत्पादन को 220 एलएमटी तक बढ़ाने और इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार के माध्यम से किसानों की आय बढ़ाना है।
- भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मत्स्य उत्पादक देश है। पिछले 6 वर्षों में समुद्री उत्पादों का निर्यात 50 प्रतिशत से अधिक बढ़ा है।
- मछुआरों को किसान क्रेडिट कार्ड दिया जा रहा है। 2 लाख रुपये तक की रकम सिर्फ 4 प्रतिशत के मामूली ब्याज पर मिलती है।
- मोदी सरकार ने मछुआरों की आय और मछली का उत्पादन दोगुना करने के लिए मत्स्यपालन विभाग बनाया।
उत्तर पूर्वी भारत में जैविक खेती को बढ़ावा
- उत्तर पूर्व को जैविक खेती के हब के रूप में विकसित करने के साथ ही बागवानी और औषधीय फसलों को बढ़ावा दिया जा रहा है।
- पाम ऑयल मिशन शुरू किया गया है। इसके तहत 11 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का निवेश किया जाएगा।
- फिलहाल 3 लाख हेक्टेयर जमीन पर पाम की खेती हो रही है। 2029-30 तक करीब 10 लाख हेक्टेयर भूमि पर पाम की खेती का लक्ष्य है।
- औषधीय जड़ी बूटी की खेती को प्रोत्साहन के लिए 4,000 करोड़ रुपये के राष्ट्रीय औषधीय पौध कोष की घोषणा की गयी।
किसानों की बढ़ती डिजिटल पहुंच
- लॉकडाउन के दौरान 17 अप्रैल, 2020 को सब्जियों और फसलों की खरीद-बिक्री के लिए किसान रथ मोबाइल एप लॉन्च किया गया।
- इस एप के द्वारा किसानों और व्यापारियों को ट्रक या अन्य सामान ढोने वाले वाहन के आने का समय और स्थान के बारे में जानकारी मिलती है।
- बाजारों-खरीदारों तक किसानों की डिजिटल पहुंच बढ़ाने के लिए e-NAM पोर्टल की शुरुआत की गई। इससे 1.72 करोड़ किसान जुड़े हैं।
- किसानों के लिए बेहतर मूल्य सुनिश्चित करने के लिए 1000 कृषि मंडियों को सीधे राष्ट्रीय कृषि बाजार (e-NAM पोर्टल) से जोड़ा गया है।
- खाद्यान्न, तिलहन, रेशे, सब्जियों और फलों सहित 150 से अधिक वस्तुओं का व्यापार e-NAM के माध्यम से किया जा रहा है।
किसान रेल और कृषि उड़ान
- अगस्त 2020 में देवलाली से दानापुर तक पहली किसान रेल और सितंबर 2020 में द. भारत की पहली किसान रेल अनंतपुर से दिल्ली रवाना हुई।
- पीएम मोदी ने 28 दिसंबर,2020 को देश की 100वीं किसान रेल को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।
- रेलवे ने 19 नवंबर, 2021 तक 1,586 किसान रेल सेवाओं का संचालन किया, जिससे करीब 5.2 लाख टन माल की ढुलाई हुई।
- ख़राब होने वाली खाद्य सामग्री को जल्द बाजार में पहुंचाने के लिए सितंबर 2020 में कृषि उड़ान योजना शुरू हुई थी।
- अक्टूबर 2021 में कृषि उड़ान 2.0 लॉन्च हुआ। इससे पहाड़ी राज्यों और आदिवासी बहुल इलाकों के किसानों को मदद मिल रही है।
- इस योजना के लिए देश के 53 हवाई अड्डों का चयन किया गया है जिसका संचालन AAI करता है।
मृदा स्वास्थ्य में सुधार
- 19 फरवरी, 2015 को मृदा स्वास्थ्य कार्ड जैसा भारत का अनोखा कार्यक्रम शुरू किया गया था।
- 03 मई, 2022 तक 22.91 करोड़ से अधिक किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी किए गए।
- मृदा स्वास्थ्य की रिपोर्ट के आधार पर खाद और खाद की मात्रा का निर्धारण किया जा रहा है।
- मोदी सरकार ने फास्पेटिक और पोटाशिक फर्टिलाइजर के लिए एडिशनल 28,655 करोड़ सब्सिडी की घोषणा की।
- मोदी सरकार ने DAP खाद के लिए सब्सिडी 140 प्रतिशत बढ़ाने के अलावा गैर-यूरिया खादों की भी सब्सिडी बढ़ाई।
- मोदी सरकार ने कालाबाजारी रोकने के लिए पूरी तरह नीम कोटिंग यूरिया के इस्तेमाल की मंजूरी दी।
- मोदी सरकार में सिंद्री, गोरखपुर और बरौनी के उर्वरक कारखानों को फिर से खोला गया।
- 6 साल पहले जहां देश में सिर्फ एक केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय था, वहीं मोदी सरकार में इसकी संख्या बढ़कर तीन हो गई है।
कृषि उत्पादों के निर्यात में वृद्धि
मोदी सरकार के प्रोत्साहन से गेंहू, मक्का और अन्य कृषि उत्पादों के निर्यात में जबरदस्त वृद्धि हुई है। वित्तीय वर्ष 2021-22 के दस महीने में भारत के कृषि निर्यात में 23 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई। एपीडा के तहत निर्यात 15.59 बिलियन डॉलर से बढ़कर 19.71 बिलियन डॉलर हुआ। चावल निर्यात में 13 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई,जिससे 7,696 मिलियन अमेरिकी डॉलर की कमाई हुई। पिछले साल की तुलना में विदेशी बाजारों में भारतीय गेंहू की मांग में जबरदस्त उछाल आया है। अप्रैल-जनवरी 2021-22 के दौरान गेहूं के निर्यात में 1,742 मिलियन डॉलर की भारी वृद्धि दर्ज की गई, जो 2020-21 की इसी अवधि में 387 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जब यह 340.17 मिलियन डॉलर तक पहुंच गया। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के एक बयान में कहा गया है कि 2019-20 में गेहूं का निर्यात 61.84 मिलियन डॉलर था, जो 2020-21 में बढ़कर 549.67 मिलियन डॉलर हो गया।
कृषि उत्पादों के निर्यात में वृद्धि के लिए पहल
• विभिन्न देशों में बी2बी प्रदर्शनियों का आयोजन
• भारतीय दूतावासों की सक्रिय भागीदारी में वृद्धि
• वर्चुअल तरीके से क्रेता-विक्रेता बैठकों का आयोजन
• 220 प्रयोगशालाओं को मान्यता और उन्नयन
• अवसंरचना विकास और गुणवत्ता सुधार पर जोर
• ऑर्गेनिक वर्ल्ड कांग्रेस, बायोफैक इंडिया कार्यक्रम
• ट्रैसियबिलिटी सिस्टमों का विकास और कार्यान्वयन
• अंतरराष्ट्रीय व्यापार सूचना का संकलन व विश्लेषण
• ‘एक जिला, एक विशेष उत्पाद’ के लिए सूची बनाना
डिजिटल कृषि और व्यापार के लिए पोर्टल लॉन्च
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने 18 अप्रैल, 202 को दो पोर्टलों की शुरुआत की। पहला पोर्टल कीटनाशक के कम्प्यूटरीकृत पंजीकरण (सीआरओपी) के लिए और दूसरा पोर्टल पादप संगरोध सूचना प्रणाली (पीक्यूआईएस) के लिए है। इस अवसर पर कृषि मंत्री ने कहा कि कृषि क्षेत्र के लिए प्रधानमंत्री मोदी की परिकल्पना को ध्यान में रखते हुए इन दो पोर्टल का शुभारंभ किया गया है। ये पोर्टल डिजिटल कृषि और व्यापार करने में सुगमता को बढ़ावा देने में मदद करेंगे। नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि कृषि जिंसों के निर्यात/आयात और कीटनाशकों के पंजीकरण से संबंधित आवेदनों के त्वरित निपटान की आवश्यकता को महसूस करते हुए, बाहरी प्रणालियों और हितधारकों के साथ अधिक समन्वित एकीकरण और मौजूदा ऑनलाइन प्रणाली में अधिक पारदर्शिता लाने के लिए डीएएफडब्ल्यू ने ये पोर्टल लॉन्च किए।
नई पहल, बेहतर भविष्य
- मोदी सरकार कृषि उत्पादन लागत कम करने और किसानों की आय बढ़ाने के लिए आधुनिक तकनीकों के उपयोग पर जोर दे रही है।
- कृषि में कीटनाशक और पोषक तत्व के इस्तेमाल में ड्रोन के प्रभावी एवं सुरक्षित संचालन के लिए मानक संचालन प्रक्रिया तैयार की गई है।
- यह तकनीक लागत को कम करने के अलावा फसल प्रबंधन की निरंतरता और दक्षता को बढ़ाने के साथ स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है।
- जैव प्रौद्योगिकी, रिमोट सेंसिंग, जीआईएस, डाटा एनालिसिस, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और रोबोट तकनीक के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जा रहा है।
- मेगा फूड पार्क की योजना पर बल दिया जा रहा है। खाद्य प्रसंस्करण, मूल्यवर्धन में निवेश के लिए अनुकूल माहौल बनाया जा रहा है।
- 41 मेगा फूड पार्कों को मंजूरी दी गई थी। इनमें से 22 मेगा फूड पार्क परियोजनाओं को परिचालनगत बनाया जा चुका है।
- आज देश में 61,669 स्टार्टअप्स हैं, जिनमें से करीब 1700 से अधिक स्टार्टअप्स कृषि क्षेत्र में काम कर रहे हैं।
• राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के पहले चरण में 112 स्टार्टअप को 1186 लाख रुपये की रकम देने का एलान किया गया था। - ‘ऑपरेशन ग्रीन्स स्कीम’ के दायरे को टमाटर, प्याज एवं आलू (टीओपी) से बढ़ाकर 22 शीघ्र नष्ट होने वाली वस्तुओं तक किया गया है।
किसानों को विशिष्ट पहचान पत्र
- मोदी सरकार किसानों की आय दोगुनी करने और योजनाओं का समुचित लाभ दिलाने के लिए किसानों को विशिष्ट पहचान पत्र जारी करेगी।
- 12 अंकों के इस विशिष्ट पहचान पत्र को बनाने की प्रक्रिया देशभर में चल रही है।
- डाटाबेस तैयार करने के लिए पायलट प्रोजेक्ट चल रहा है। 6 करोड़ से अधिक किसानों का डाटाबेस तैयार कर लिया गया है।
- इस पहचान पत्र से किसान केंद्र व राज्य सरकारों की विभिन्न योजनाओं का लाभ आसानी से प्राप्त कर सकेंगे। बिचौलिए खत्म हो जाएंगे।
- योजनाओं का लाभ प्राप्त करने के लिए विभिन्न विभागों और दफ्तरों में बार-बार भौतिक दस्तावेज जमा करने की जरूरत नहीं पड़ेगी।