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Vendetta Politics: मोदी सरकार की योजना है…इसीलिए गरीबों के लिए आवास बनाने में यूपी-एमपी से बहुत पिछड़े राजस्थान और छत्तीसगढ़, जल जीवन मिशन के लिए भी चेता चुके हैं पीएम मोदी

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पीएम मोदी की सरकार एक ओर गरीब कल्याण के लिए पिछले नौ वर्षों से समर्पित होकर काम कर रही है। उनके खाने से लेकर इलाज, दवाई और आवास तक की सुविधा मुहैया करा रही है। दूसरी ओर कांग्रेस शासित सरकारें सिर्फ दलगत राजनीति के चलते गरीबों का अहित करने पर उतारू हैं। वे हर चंद कोशिशों में लगीं हैं कि कैसे केंद्र की योजनाओं का लाभ उनके राज्य के गरीबों तक न पहुंचे। हाल ही में राजस्थान की एक जनसभा में पीएम मोदी ने नल से जल के मिशन में राजस्थान की घोर लापरवाही को उजागर किया था। शहरी क्षेत्रों में सबके लिए आवास मिशन के तहत प्रधानमंत्री आवास योजना का भी राजस्थान और छत्तीसगढ़ में यही हाल है। पीएम आवास योजना का सही मंशा से क्रियान्वयन न होने के कारण ये राज्य पिछड़ गए हैं। इससे गरीबों के लिए खुद का घर होना सपना साकार होने में खुद राज्य सरकार ही अवरोध बन रही हैं।डबल इंजन की सरकारों वाले राज्यों में ही पूरा हो रहा गरीब का अपने घर का सपना
बीजेपी की डबल इंजन की सरकारों वाले राज्यों में गरीबों के अपने घर के सपने को साकार करने का काम जैट स्पीड से चल रहा है। पीएम आवास योजना के लोकसभा में पेश आंकड़े बताते हैं कि टॉप टेन राज्यों में से पांच गोवा, गुजरात, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश चार तो बीजेपी शासित ही हैं। इसके अलावा हिमाचल में पहले बीजेपी की सरकार होने के चलते ही पीएम आवास योजना का बेहतर काम हुआ। गरीबों के कल्याण पर फोकस ने करने का ही दुष्परिणाम है कि यूपी-एमपी की तुलना में छत्तीसगढ़ और राजस्थान काफी पिछड़ा गए हैं। मध्य प्रदेश में 72 फीसदी, छत्तीसगढ़ में 63 फीसदी और राजस्थान में 60 फीसदी आवास बने हैं। मध्यप्रदेश भाजपा, जबकि छत्तीसगढ़ और राजस्थान कांग्रेस शासित राज्य हैं।

राजस्थान: पीएम आवास के लिए जिम्मेदार महकमा नींद में, कई जिले बुरी तरह पिछड़े
लोकसभा में पेश आंकड़ों के मुताबिक ज्यादातर गैर बीजेपी शासित राज्यों में पीएम आवास निर्माण की गति काफी धीमी है। राजस्थान में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास निर्माण की रफ्तार बेहद कमजोर है। प्रदेश के 12 जिले तो ऐसे हैं, जो इस योजना में बुरी तरह पिछड़ गए हैं और इन 3 जिलों दौसा, झुंझुनूं, राजसमंद में नाममात्र का ही काम हुआ है। वहीं, सीकर, धौलपुर, जयपुर, बूंदी, पाली, चूरू, नागौर, डूंगरपुर, बारां में आवासों का काम पूरा नहीं हुआ है। योजना में लापरवाही सामने आने के बाद ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग नींद से जागा और अधिकारियों को काम शीघ्र पूरा करने के निर्देश दिए। लेकिन पीएम आवास योजना में शत-प्रतिशत लक्ष्य की प्राप्ति के प्रयास होते नजर नहीं आ रहे हैं।पीएम आवास योजना लापरवाही के चलते इन जिलों के लोगों में भारी आक्रोश
केंद्र सरकार का कहना है कि ये आवास जल्दी बनने चाहिए, ताकि गरीबों को आवास मिल सकें। राज्य सरकार की लापरवाही से कई परिवार बिना आवास के रहने को मजबूत हैं। पीएम आवास न बनने के कारण दौसा, झुंझुनूं, राजसमंद, सीकर, धौलपुर, जयपुर, बूंदी, पाली, चूरू, नागौर, डूंगरपुर, बारां में लापरवाही को लेकर जनता में भी आक्रोश दिखाई दे रहा है। बूंदी के नैनवा निवासी पीएम आवास योजना के परिवार जनों ने बताया कि आवास में नाम आने के बाद भी अभी तक आवास नहीं बन सके हैं। अधिकारियों और पंचायत में लगातार चक्कर काट रहे हैं, लेकिन अधिकारी गोल-गोल जवाब दे देते हैं, जिसका खामियाजा में गरीबों को भुगतना पड़ रहा है।छत्तीसगढ़: राजनीति के केंद्र में आवास, लेकिन निर्माण की गति काफी धीमी रही
पीएम आवास का मामला छत्तीसगढ़ की राजनीति का केंद्र बिंदु रहा है। इसे लेकर सत्ता और विपक्ष अपने-अपने दावे करते रहे है। गरीबों के लिए आवास की अनदेखी के चलते यहां भाजपा ने बड़ा आंदोलन भी किया। छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार इसके बावजूद भी नहीं जागी और आवास निर्माण के क्रियान्यन की गति काफी धीमी रही। हालात यहां तक पहुंच गए कि ग्रामीण क्षेत्र में लक्ष्य के मुताबिक काम नहीं करने के कारण एक बार केंद्र सरकार को अनुदान वापस तक लेना पड़ा था।

बिहार: नीतीश-तेजस्वी का गरीबों पर नहीं फोकस, घर बनाने में सिर्फ 34 प्रतिशत की उपलब्धि
यदि केंद्र शासित राज्यों और पूर्वोत्तर के आठ राज्यों को छोड़ दिया जाए, तो शेष 20 राज्यों में सबसे कम 34% आवास बिहार में बने है। राजस्थान पीएम आवास की धनराशि खर्च करने में भी काफी पीछे है। केंद्र सरकार के मुताबिक मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की तुलना में राजस्थान केंद्रीय सहायता राशि को खर्च करने में लापरवाही बरत रहा है। पिछले तीन साल में मध्य प्रदेश को 5730.25 करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता राशि जारी की गई। राजस्थान को 3475.72 करोड़ रुपये की राशि जारी हुई। इसमें से अब तक सिर्फ 2600.12 करोड़ रुपये ही खर्च हुए हैं।

उत्तर प्रदेश: योगी सरकार ने सबसे अधिक 12,87,307 घर बनवाए
शहरी गरीबों को आवास उपलब्ध कराने के केंद्र के प्रमुख कार्यक्रम, प्रधान मंत्री आवास योजना (पीएमएवाई-यू) के तहत अब तक कुल 75.51 लाख घर पूरे हो चुके हैं, जिनमें से 71.39 लाख पर कब्जा हो चुका है। आवास और शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने बताया कि उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक संख्या में 12,87,307 घर पूरे हो गए हैं। गुजरात और आंध्र प्रदेश 8,80,209 के साथ अन्य उच्च प्रदर्शन वाले राज्य थे और 8,08,278 घर पूरे हुए। तमिलनाडु के लिए यह संख्या 5,30,350 थी। मंत्री ने कहा कि पीएमएवाई-यू के तहत, केंद्र ने राज्य सरकारों को ₹1.48 लाख करोड़ की सहायता जारी की है। प्रधानमंत्री आवास योजना सरकार का एक प्रमुख मिशन है, जिसे आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित किया जाता है। 2015 में लॉन्च किए गए इस मिशन का लक्ष्य सभी पात्र शहरी गरीब परिवारों के लिए ‘पक्का’ घर सुनिश्चित कराना है।गोवा: पीएम आवास योजना में 100 प्रतिशत लक्ष्य हासिल करने वाला राज्य
क्र. राज्य            प्रतिशत उपलब्धि
1. गोवा             100 प्रतिशत
2. तेलंगाना         89 प्रतिशत
3. गुजरात          83 प्रतिशत
4. तमिलनाडु       78 प्रतिशत
5. उत्तर प्रदेश      76 प्रतिशत
6. हिमाचल प्रदेश  73 प्रतिशत
7. मध्य प्रदेश      72 प्रतिशत
8. ओडिशा         69 प्रतिशत
9. केरल            69 प्रतिशत
10. छत्तीसगढ़      63 प्रतिशत

पीएम ने बदली गरीबों की ज‍िंदगी, नौ साल में बने 3.04 करोड़ पक्के मकान
आवास को दुनियाभर में मूलभूत मानवीय आवश्यकताओं में से एक माना जाता है। विशेष रूप से गरीबों के लिए आवास की गुणवत्ता में सुधार करना सरकार की गरीबी उन्मूलन रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। केंद्र सरकार पिछले नौ साल में गरीबों के लिए 3.04 करोड़ से अधिक पक्के घर बना चुकी है। ज‍िससे ग्रामीणों के जीवन स्तर में सुधार हुआ है। प्रधानमंत्री आवास योजना– शहरी और ग्रामीण के तहत बने घरों में से 75 फीसदी एससी, एसटी और अल्पसंख्यक समुदायों के हैं। इसके अलावा, 10 में से 7 घर या तो अकेले या संयुक्त रूप से महिलाओं के नाम पर हैं। जिसने महिलाओं के पक्के घर की उम्मीदों को को पूरा किया है और इन ‘लखपति दीदीयों’ को घर के वित्तीय निर्णय लेने में मजबूत किया है। प्रधानमंत्री मोदी ने गरीबों के जीवन स्तर को बेहतर करने के लिए पक्के घर बनाने और उपलब्ध कराने के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना की शुरुआत की थी। इन घरों में शौचालय, बिजली, पीने का पानी, स्वच्छ ईंधन (एलपीजी) आदि जैसी बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराने का प्रावधान है।

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