भारत में डिजिटल पेमेंट के लिए मोबाइल वॉलेट का उपयोग तेजी से बढ़ता जा रहा है। नवंबर 2016 में नोटबंदी के फैसले के बाद मोबाइल वॉलेट के इस्तेमाल में खासी बढ़ोतरी हुई है। आजकल सुपरमार्केट, परचून की दुकान, चाय के स्टॉल, पेट्रोलपंप और यहां तक कि ऑटो और टैक्सी के किराए के भुगतान में भी मोबाइल वॉलेट का उपयोग किया जा रहा है। ग्लोबल डाटा के सर्वेक्षण के अनुसार मोबालइट वॉलेट के उपयोग के मामले में भारत ने अमेरिका, चीन, ब्रिटेन जैसे देशों को पीछे छोड़ दिया है।
आंकड़ों के अनुसार पिछले पांच वर्षों में मोबाइल वॉलेट का उपयोग कई गुना बढ़ गया है। 2013 में जहां मोबाइल वॉलेट के माध्यम से 24 अरब रुपये का लेनदेन हुआ, वहीं 2017 में यह बढ़ कर 955 अरब हो गया। 2018 की शुरुआत में इसके एक ट्रिलियन से ज्यादा होने की उम्मीद है। ग्लोबल डाटा की रिपोर्ट के अनुसार भारत में कैश की जगह डिजिटल माध्यम से पैसों के लेनदेन में खासी वृद्धि दर्ज की गई है। सर्वेक्षण के मुताबिक भारत में 55.4 प्रतिशत लोग किसी न किसी तरीके से मोबाइल के जरिए पेमेंट करते हैं, जो विश्व में सबसे ज्यादा है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 2016 के अंत में नोटबंदी का फैसला लेने के बाद डिजिटल पेमेंट में बढ़ोतरी हुई। हालांकि भारत में लोग बड़े लेनदेन के लिए डिजिटल बैंकिंग का उपयोग करते हैं, लेकिन दैनिक जीवन में छोटे-मोटे भुगतान के लिए मोबाइल वॉलेट का उपयोग किया जा रहा है, और यह दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है। 2013 में जहां 7 प्रतिशत लोग मोबाइल वॉलेट का इस्तेमाल करते थे वहीं 2017 में यह आंकड़ा बढ़ कर 29 प्रतिशत हो गया।
नोटबंदी के फैसले के बाद से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जोर पैसों के डिजिटल ट्रांजेक्शन को बढ़ाने पर रहा है। देशभर में उनकी इस मुहिम को जनता का समर्थन भी मिल रहा है। आइए एक नजर डालते हैं डिजिटल ट्रांजेक्शन को बढ़ावे के लिए मोदी सरकार के प्रयासों पर।
UPI लेनदेन का आंकड़ा 15.17 करोड़ के पार
डिजिटल पेमेंट को बढ़ाने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह कोशिशें वर्ष 2017 में परवान चढ़ीं और यूनीफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI) के जरिए डिजिटल पेमेंट का आंकड़ा हर महीने बढ़ता चला गया। जनवरी, 2018 में इन ऑकड़ों में रिकॉर्ड बढ़ोतरी हुई और यह 15.17 करोड़ ट्रांजेक्शन तक पहुंच गया, जबकि जनवरी 2017 में यह आंकड़ा सिर्फ 42 लाख था।
हर महीने बढ़ रहा है डिजिटल पेमेंट का आंकड़ा
यूपीआई, नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) की मोबाइल के जरिए डिजिटल पेमेंट का एक तरीका है। भारत इंटरफेस फॉर मनी यानी BHIM एप के ताजा आंकड़ों के मुताबिक जनवरी 2018 महीने में यूपीआई प्लेटफॉर्म पर 15.17 करोड़ ट्रांजेक्शन के जरिए लगभग 15,540 करोड़ का लेनदेन हुआ। जबकि दिसंबर 2017 में 14.5 करोड़ ट्रांजेक्शन हुए ते और लगभग 13,174 करोड़ रुपये का लेनदेन हुआ था। यह पहली बार है कि एक महीने में यूपीआई के जरिए ट्रांजेक्शन का आंकड़ा 15 करोड़ के पार पहुंच गया है। नवंबर, 2017 मे इसके जरिए 10.5 करोड़ ट्रांजेक्शन हुए थे, और लगभग 9,669 करोड़ रुपये का लेनदेन हुआ था। इसी प्रकार अक्टूबर, 2017 में कुल 7.69 करोड़ ट्रांजेक्शन हुए थे और लगभग 7,075 करोड़ रुपये का लेनदेन हुआ था। यानी आंकड़ों से साफ है कि हर महीने यूपीआई के जरिए डिजिटल पेमेंट की संख्या में अच्छी-खासी बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। आपको बता दें कि वैसे तो यूपीआई को अगस्त, 2016 में ही लांच किया गया था, लेकिन इसके जरिए लेनदेन की संख्या में बढ़ोतरी 8,नवंबर 2016 को नोटबंदी के बाद हुई।
महीना | डिजिटल ट्रांजेक्शन की संख्या | UPI के जरिए लेनदेन रुपयों में |
अक्टूबर,2017 | 7.69 करोड़ | 7,075 करोड़ |
नवंबर, 2017 | 10.5 करोड़ | 9,669 करोड़ |
दिसंबर, 2017 | 14.5 करोड़ | 13,174 करोड़ |
जनवरी, 2018 | 15.17 करोड़ | 15,540 करोड़ |
डिजिटल पेमेंट एप BHIM निभा रहा है अहम भूमिका
आंकड़ों से साफ है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिजिटल पेमेंट बढ़ाने की मुहिम तेजी से आगे बढ़ रही है। भारतीय रिजर्व बैंक की ‘Trend and Progress of Banking in India’ (2016-17) की रिपोर्ट के अनुसार वित्त वर्ष 2016-17 में यूपीआई प्लेटफार्म के जरिए कुल 6,950 करोड़ रुपये के 1.79 करोड़ ट्रांजेक्शन किए गए थे। जैसा की हमने बताया कि नोटबंदी के फैसले के बाद डिजिटल पेमेंट बढ़े और जून, 2016 में एक करोड़ ट्रांजेक्शन का आंकड़ा पार हो गया। आपको बता दें कि नवंबर, 2016 में नोटबंदी के बाद ही 30 दिसंबर को नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने अपना डिजिटल पेमेंट एप BHIM लांच किया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उस मौके पर कहा था कि भीम एप डिजिटल पेमेंट के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन लाएगा और इसके जरिए बगैर किसी गलती के सिर्फ मोबाइल नंबर और VPAs के इस्तेमाल से पैसों का ट्रांसफर किया जा सकेगा। हुआ भी यही, दिसंबर में भीम एप लांच होने के बाद ही डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा मिला, और आज इसका नतीजा सभी के सामने हैं।
सुरक्षित है यूपीआई के जरिए डिजिटल पेमेंट
यूपीआई के जरिए पैसों के लेनदेन में कहीं भी कोई दिक्कत नहीं होती है, साथ ही इसके जरिए ट्रांजेक्शन काफी सुरक्षित भी है। इसमें स्मार्ट फोन पर पहले एप लांच किया जाता है और फिर उसी के द्वारा जिसे पैसा भेजना है उसके मोबाइल नंबर को जोड़कर रकम ट्रांसफर कर दी जाती है। इसमें गलती की गुंजाइश न के बराबर है, साथ ही पैसा ट्रांसफर होने के बाद तत्काल पता भी चल जाता है। सरकार की तरफ से लांच किए गए BHIM एप के अलावा निजी कंपनियों की तरफ से संचालित ‘PhonePe’ और ‘Tez’ एप भी यूपीआई प्लेटफार्म के जरिए डिजिटल पेमेंट को बढ़ाने में भूमिका निभा रहे हैं।
Happy Digital 2018. Dec Qtr BHIM txn rise 86% to 145.6 M with value of 13174 Cr. Further impetus to Digital Payments, Govt 2 reimburse charges for txns upto Rs 2000 on debit cards/ BHIM. Zero charges on merchants. Go Digital, Embrace Transparency @PMOIndia @FinminIndia @PIB_India pic.twitter.com/5ai3G0IoTD
— Rajeev kumar (@rajeevkumr) 1 January 2018
डेबिट कार्ड, भीम ऐप से 2,000 रुपये तक के लेन-देन पर अब कोई चार्ज नहीं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ज्यादा से ज्यादा लोगों को डिजिटल पेमेंट के लेकर प्रोत्साहित करना चाहते हैं। लोगों को कैशलेस पेमेंट के लिए प्रेरित करने के लिए मोदी सरकार ने डेबिट कार्ड, भीम ऐप और अन्य पेमेंट गेटवे से 2000 रुपये तक के लेन-देन पर सभी चार्जेस हटा दिए हैं। यह सुविधा एक जनवरी, 2018 से लागू हो गई है। केंद्रीय कैबिनेट ने पिछले महीने ही डिजिटल लेन-देन को प्रोत्साहन देने के लिए डेबिट कार्ड, भीम यूपीआई या आधार आधारित अन्य भुगतान प्रणालियों के जरिए 2,000 रुपये तक के लेन-देन पर मर्चेंट डिस्काउंट दर (एमडीआर) चार्जेस का बोझ सरकार द्वारा उठाने के प्रस्ताव को सहमति दी थी। वित्तीय सेवा सचिव राजीव कुमार के मुताबित दिसंबर तिमाही में भीम ऐप के जरिए लेन-देन 86 प्रतिशत बढ़ा है। इस दौरान भीम ऐप के जरिए 13,174 करोड़ रुपये के 14.56 करोड़ लेन-देन हुए। राजीव कुमार ने कहा, डिजिटल भुगतान को और प्रोत्साहन देने के लिए सरकार डेबिट कार्ड-भीम से 2,000 रुपये तक के लेन-देन पर चार्जेस की भरपाई करेगी। दुकानदारों पर कोई शुल्क नहीं लगेगा। केंद्र सरकार 1 जनवरी, 2018 से दो साल तक एमडीआर का बोझ उठाएगी ।बैंकों को इसका भुगतान सरकार करेगी। इससे सरकार पर 2,512 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हमेशा से मानना रहा है कि भ्रष्टाचार को डिजिटल पेमेंट के जरिए ही काबू में पाया जा सकता है। यही वजह है उन्होंने इस ओर लगातार प्रयास किए हैं। एक नजर डालते हैं रुपयों के लेनदेन में पारदर्शिता लाने के लिए केंद्र सरकार ने क्या क्या किया है।
डिजिटल भुगतान में भारत ने यूके, चीन और जापान को भी पछाड़ा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए हर तरह की कोशिशें की हैं। उनके प्रयासों से हुई सफलता का लोहा दुनिया भी मानने लगी है। एक सर्वे में पता चला है कि डिजिटल पेमेंट्स के मामले में भारत ने यूनाइटेड किंगडम, चीन और जापान जैसे देशों को भी काफी पीछे छोड़ दिया है। लाइव मिंट की खबरों के अनुसार एफआईएस के सर्वे में डिजिटल भुगतान प्रणाली में भारत को 25 देशों में सबसे विकसित माना गया है। एफआईएस अमेरिका स्थित एक बैंकिंग टेक्नोलॉजी प्रोवाइडर है जिसने हर वक्त उपलब्धता, स्वीकार किए जाने लायक और तत्काल भुगतान के मापदंडों के आधार पर यह सर्वे किया है। इस सर्वे से यह भी साफ हो गया है कि यूनाइटेड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) ने भी लोकप्रियता के नए शिखर को छू लिया है। यानी लोग कैश की जगह प्वॉइंट ऑफ सेल मशीन और ई-वॉलेट का इस्तेमाल धड़ल्ले से कर रहे हैं।
डिजिटल पेमेंट प्रणाली में भारत सबसे सक्षम
गौरतलब है कि फ्लेवर्स ऑफ फास्ट के नाम से तैयार एफआईएस सर्वे के लिए फास्टर पेमेंट्स इनोवेशन इंडेक्स (FPII) का इस्तेमाल किया गया। इसके तहत 1 से 5 तक के स्केल का उपयोग हुआ, जिसमें लेवल- 1 तेज पेमेंट, लेवल- 3 लोगों तक पहुंच और 24 घंटे उपलब्धता और लेवल- 5 उपभोक्ता को आकर्षित करने वाले अतिरिक्त क्षमता शामिल हैं। भारत की IMPS विश्व की एकमात्र प्रणाली पायी गई है जो तेज भुगतान संवर्द्धन सूचकांक रैंक में लेवल 5 पर है।
डिजिटल पेमेंट से पारदर्शी शासन को मिल रही ‘शक्ति’
भ्रष्टाचार से निपटने, पारदर्शी और प्रभावी शासन उपलब्ध कराने और गरीब-अमीर के बीच खाई को पाटने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डिजिटल इंडिया का कंसेप्ट सामने रखा है। डिजिटल पेमेंट को प्रचलन में लाना भी इसी व्यवस्था का हिस्सा है। इन्वेस्टमेंट बैंकिंग फर्म जेफरीज ने एक रिपोर्ट में कहा है कि बैंक उपभोक्ताओं द्वारा डिजिटल पेमेंट बढ़ा है।
40 प्रतिशत बढ़े NEFT
नोटबंदी के बाद बैंक उपभोक्ताओं द्वारा डिजिटल पेमेंट बढ़ा है। नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड्स ट्रांसफर (NEFT) में भी खासी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। नवंबर 2016 में जहां 12.3 करोड़ NEFT के माध्यम से 88,078 करोड़ रुपये का लेनदेन हुआ था, वहीं जनवरी 2018 में 17 करोड़ NEFT के साथ 1,53,741 करोड़ रुपये का लेनदेन हुआ। इस तरह कुल मिलाकर NEFT में लगभग 40 प्रतिशत की बढ़त हुई है।
IMPS में 200 प्रतिशत की वृद्धि
IMPS की संख्या में भी बढ़त देखने को मिली है। इसके तहत 24X7 के लेनेदेन की उपलब्धता और आकर्षक पेमेंट्स सिस्टम की वजह से इसमें भी करीब 200 प्रतिशत की बढ़त देखने को मिल रही है। नवंबर 2016 में जहां 3.6 करोड़ IMPS हुए थे वहीं जनवरी 2018 में यह बढ़ कर 9.9 करोड़ हो गए हैं। नोटबंदी के बाद प्वाइंट ऑफ सेल (POS) मशीनों पर भुगतान तीन गुना बढ़ा है।
कार्ड स्वाइप भुगतान में बढ़ोतरी
08 नवंबर, 2016 को डिमोनिटाइजेशन के बाद कार्ड स्वाइप कर भुगतान करने में भी वृद्धि हुई है। वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक नवंबर 2016 में जहां 20.5 करोड़ कार्ड स्वाइप हुए थे, वहीं जनवरी 2018 में कार्ड स्वाइप की संख्या 27.1 करोड़ पहुंच गई।
Rupay का इस्तेमाल बढ़ा
जेफरीज के अनुसार ई-कॉमर्स के लिए Rupay का इस्तेमाल बढ़ा है। इसके साथ ही ई-कॉमर्स पर किए जाने वाला खर्च भी दोगुना से अधिक बढ़ा है। गौरतलब है कि Rupay वीजा और मास्टरकार्ड की ही तरह घरेलू कार्ड पेमेंट सिस्टम है। प्रधानमंत्री द्वारा डिजिटल सोसाइटी बनाने के आह्वान का देश के लोगों पर असर हो रहा है अब इसके प्रत्यक्ष उदाहरण सामने आ रहे हैं।
लेस कैश व्यवस्था बनाना उद्देश्य
रिजर्व बैंक के अनुसार 4 अगस्त तक लोगों के पास 14,75,400 करोड़ रुपये की करेंसी सर्कुलेशन में थे। जो वार्षिक आधार पर 1,89,200 करोड़ रुपये की कमी दिखाती है। जबकि वार्षिक आधार पर पिछले साल 2,37,850 करोड़ रुपये की वृद्धि दर्ज की गई थी। इस प्रकार, बिना किसी प्रतिबंध के, नोटबंदी के बाद कैश का प्रचलन कम हो रहा है।