प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार भ्रष्टाचार के समूल नाश की मुहिम में लगी है। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में ही इस मुहिम की शुरुआत कर दी गई थी। मोदी सरकार की सख्ती के चलते हीं आज हर कंपनी, संस्था और एनजीओ को अपनी इनकम के ब्योरा और पैसा आने का स्रोत बताना पड़ रहा है। अगर कोई इसमें कोताई बरतता है तो मोदी सरकार डंडा चलाने में देर नहीं करती है।
विदेश चंदे के बल पर देश में चलने वाले गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) पर मोदी सरकार का शिकंजा कसता जा रहा है। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने मंगलवार को लोकसभा में बताया कि मोदी सरकार ने बीते पांच साल में विदेशी चंदे से चल रहे 14,800 गैर सरकारी संगठनों का पंजीकरण रद्द कर दिया है। ये एनजीओ विदेशी चंदा नियामक अधिनियम के तहत रजिस्टर्ड किए गए थे और इन्होंने विदेशों से काफी चंदे हासिल किए थे। उन्होंने बताया कि एनजीओ के रजिस्ट्रेशन इसलिए रद्द किए गए क्योंकि ये कानून का उल्लंघन कर रहे थे। राय ने यह भी कहा कि कई एनजीओ ने 2017-18 में 16,894.37 करोड़, 2016-17 में 15343.15 करोड़ और 2015-16 में 17803.21 करोड़ रुपए विदेशी चंदा हासिल किया था।
मोदी सरकार सरकारी विभागों को पारदर्शी और भ्रष्टाचार मुक्त बनाने में लगातार जुटी है। यही वजह है कि जहां लोगों का भरोसा सरकार पर बढ़ा है, डालते हैं एक नजर-
भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रधानमंत्री मोदी का कठोर कदम, आयकर विभाग के 12 भ्रष्ट अफसरों को नौकरी से निकाला
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की पॉलिसी रही है। पहले कार्यकाल में प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भ्रष्टाचार पर जबरदस्त वार किया गया था। दूसरे कार्यकाल में मोदी सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ और अधिक सख्ती से पेश आ रही है। सरकार बनाने के दो हफ्ते के भीतर ही प्रधानमंत्री मोदी ने आयकर विभाग के करप्ट अफसरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करते हुए 12 बड़े अधिकारियों को नौकरी से निकाल दिया है।
In exercise of the powers conferred by clause(j)of rule 56 of the Fundamental Rules, the President of India has retired 12 Officers of Indian Revenue Service (Income Tax) in public interest with immediate effect from the afternoon of 11th June, 2019 on completing 50 years of age.
— Ministry of Finance (@FinMinIndia) 10 June 2019
आयकर विभाग के इन अधिकारियों पर अपने पद का दुरुपयोग करते हुए जबरन वसूली, रिश्वत और यौन उत्पीड़न के आरोप हैं। आयकर विभाग के जिन अफसरों पर कार्रवाई की गई है, उनमें कमिश्नर और ज्वाइंट कमिश्नर रैंक के अफसर भी शामिल हैं। नौकरी से निकाले गए अफसरों की सूची में शामिल एक ज्वाइंट कमिश्नर के खिलाफ स्वयंभू धर्मगुरु चंद्रास्वामी की मदद करने के आरोपी एक व्यवसायी से जबरन वसूली तथा भ्रष्टाचार की गंभीर शिकायतें मिली थीं। ऐसे ही एक अन्य अधिकारी के खिलाफ दो महिला आईआरएस अधिकारियों के यौन उत्पीड़न का आरोप है। एक अन्य अधिकारी भ्रष्टाचार और जबरन वसूली में लिप्त था और उसने कई गलत आदेश पारित किए थे। उसे भी नौकरी से बर्खास्त किया गया है।
प्रत्यक्ष कर संग्रह में लगातार बढ़ोतरी
नोटबंदी के बाद प्रत्यक्ष कर संग्रह में लगातार बढ़ोतरी दर्ज की गई है। जहां वित्तीय वर्ष 2017-18 में प्रत्यक्ष कर संग्रह 18 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ 10 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गया। वहीं यह 2016-17 में 8.5 लाख करोड़, 2015-16 में 7.4 लाख करोड़ और 2014-15 में 6.9 लाख करोड़ रुपये था।
कॉर्पोरेट और पर्सनल इनकम टैक्स में बढ़ोतरी
राजस्व में बढ़ोतरी का ट्रेंड नोटबंदी के दो साल बाद वित्त वर्ष 2018-19 में भी जारी रहा, कॉर्पोरेट इनकम टैक्स 14 फीसदी और पर्सनल इनकम टैक्स 13 फीसदी की दर से बढ़ा। सूत्रों के मुताबिक अडवांस टैक्स के तहत वॉलंटरी टैक्स पेमेंट भी 14 फीसदी की गति से बढ़ रहा है, यदि इसे बढ़ते डिजिटलाइजेशन के साथ देखें, तो साफ-सुथरे इकनॉमिक सिस्टम की ओर इशारा करता है।
आयकर रिटर्न भरने वाले लोगों की संख्या में वृद्धि
इनकम टैक्स रिटर्न फाइलिंग की संख्या में वृद्धि का ट्रेंड मंद नहीं हुआ है। इस साल फरवरी तक 1 करोड़ से अधिक नए फाइलर्स जुड़ चुके हैं। नोटबंदी वाले साल 2016-17 में नए इनकम टैक्स फाइलर्स की संख्या में 29 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। एक सूत्र ने कहा, ‘नए टैक्स फाइलर्स में स्पष्ट इजाफे का श्रेय फॉर्मल चैनल्स में कैश ट्रांसफर होने की वजह से उच्च अनुपालन को दिया जा सकता है, जोकि नोटबंदी की वजह से हुआ।’
900 करोड़ रुपये का कालाधन जब्त
नोटबंदी ने कालेधन पर सर्जिकल स्ट्राइक किया। नवंबर 2016 से मार्च 2017 के बीच 900 करोड़ रुपये का कालाधन जब्त किया गया। इस दौरान प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने सतर्कता दिखाते हुए कालाधन जब्त करने में बड़ी कामयाबी हासिल की। नोटबंदी के बाद ईडी ने 1,000 फर्जी कंपनियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की। साथ ही FEMA और PMLA के तहत 3,700 मामले दर्ज किए।
व्यक्तिगत और कारोबारी पारदर्शिता में बढ़ोतरी
नोटबंदी के बाद व्यक्तिगत रूप से और कारोबार में पारदर्शी साधनों को अपनाने के लिए प्रोत्साहन मिला। सूत्र के मुताबिक 18 लाख ऐसे केसों की पहचान हुई थी, जिसमें कैश डिपॉजिट रिटर्न फाइलिंग से मेल नहीं खा रहा था या उन्होंने रिटर्न फाइल नहीं की थी। ऐसे लोगों को ईमेल और एसएमएस भेजे गए, परिणाम यह है कि टैक्स कलेक्शन बेहतर हो गया।
बड़ी मात्रा में कैश जमा होने से अर्थव्यवस्था हुई मजबूत
नोटबंदी के बाद बड़ी मात्रा में कैश डिपॉजिट हुए। इसके अलावा, घरेलू सहायकों और श्रमिकों आदि के द्वारा संचालित खातों में अभूतपूर्व वृद्धि हुई। उन्होंने पुरानी करंसी को बैंकों में जमा किया और इससे उनका टीन के बक्सों और बिस्तर के नीचे रखे जाने वाला धन सुरक्षित हो गया।
नोटबंदी के बाद से डिजिटल ट्रांजेक्शन को बढ़ावा देने पर जोर है। आइए एक नजर डालते हैं डिजिटल ट्रांजेक्शन को बढ़ावे के लिए मोदी सरकार के प्रयासों और उनके असर पर…
डिजिटल लेनदेन में ऐतिहासिक बढ़ोतरी
मोदी सरकार के नोटबंदी के फैसले के बाद पहली बार देश में डिजिटल ट्रांजेक्शन में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। नोटबंदी से पहले अगस्त, 2016 में यूपीआई के जरिए लेनदेन की संख्या 90 हजार थी, जो 18 अप्रैल, 2019 को बढ़कर 6 अरब 28 करोड़ से अधिक हो गई।
भीम एप के जरिए ट्रांजैक्शन में बढ़ोतरी
नोटबंदी के बाद देश में भीम एप लगभग 5 करोड़ बार डाउनलोड हो चुका है। अक्टूबर, 2016 में भीम एप के जरिए 20 करोड़ रुपये का ट्रांजैक्शन हुआ था, वहीं सितंबर, 2018 में यह आंकड़ा 7,060 करोड़ पहुंच गया। यानि दो वर्षों में 14 हजार प्रतिशत की रिकॉर्ड वृद्धि हुई।
रुपे कार्ड से लेनदेन में 700% की वृद्धि
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नीतियों से विदेशी कंपनियां थर-थर कांपने लगी है। अब इंडियन पेमेंट मार्केट में वीजा और मास्टर कार्ड का दबदबा खत्म हो रहा है। पीएम मोदी के आग्रह के बाद देश-विदेश में रुपे कार्ड का इस्तेमाल बढ़ा है। नोटबंदी से पहले रुपे कार्ड से 8 अरब लेनदेन हुए थे, जो सितंबर, 2018 में 57 अरब से ज्यादा हो गए, यानि 700 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी हुई है।
16,000 करोड़ रुपये की अघोषित आय का पता चला
मोदी सरकार में घपला-घोटाला करने वालों की शामत आ गई है। नोटबंदी के बाद देश के इतिहास में पहली बार आयकर विभाग ने क्लीन मनी ऑपरेशन चलाया और इसके तहत 17 लाख से अधिक नागरिकों के खातों की जांच और 3.68 लाख करोड़ रुपये की पड़ताल की गई। इतना ही नहीं 16 हजार करोड़ से अधिक अघोषित आय का पता लगाया गया।
कार्ड स्वाइप भुगतान में बढ़ोतरी
08 नवंबर, 2016 को नोटबंदी के बाद कार्ड स्वाइप कर भुगतान करने में भी वृद्धि हुई है। वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक नवंबर 2016 में जहां 20.5 करोड़ कार्ड स्वाइप हुए थे, वहीं जनवरी 2018 में कार्ड स्वाइप की संख्या 27.1 करोड़ पहुंच गई। 2.26 लाख फर्जी कंपनियों का रजिस्ट्रेशन रद्द
देश में पहली बार प्रधानमंत्री मोदी ने भ्रष्टाचार के समूल नाश का जो बीड़ा उठाया है, उसी के तहत नोटबंदी के बाद फर्जी कंपनियों और बेनामी संपत्ति के खिलाफ सख्त कार्रवाई की गई। अब तक 2 लाख 26 हजार फर्जी कंपनियों का रजिस्ट्रेशन रद्द किया जा चुका है और 4 लाख 25 हजार से अधिक निदेशकों पर कार्रवाई की गई है।