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नेहरू और इंदिरा ने खुद को ‘भारत रत्न’ से नवाजा था, राहुल गांधी को हंसना तो इस पर चाहिए!

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भारत को विकास की रेस में आगे ले जाने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को दुनिया भर के एक पर एक प्रतिष्ठित अवॉर्ड से सम्मानित किया जा रहा है। इसी कड़ी में सोमवार को उन्हें प्रथम फिलिप कोटलर प्रेसिडेंशियल अवॉर्ड से नवाजा गया। देशवासी जहां इसको लेकर गौरव महसूस कर रहे हैं, वहीं कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की टिप्पणी से यह जाहिर हुआ है कि प्रधानमंत्री मोदी को मिलने वाला वैश्विक सम्मान राहुल के दिल को चुभने वाला होता है।

परिवार के गिरेबां में झांका होता!
राहुल गांधी ने एक ट्वीट के जरिए प्रधानमंत्री के साथ-साथ पुरस्कार देने वालों पर भी तंज कसते हुए ये बताने की कोशिश की कि इस अवॉर्ड की कोई अहमियत नहीं। लेकिन ऐसा करते हुए राहुल गांधी को अपने परिवार के गिरेबां में झांकना चाहिए था। ये देखना चाहिए था कि कैसे कांग्रेस राज में देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ को भी कांग्रेसी प्रधानमंत्री हड़प लिया करते थे।

नेहरू ने खुद को नवाजा था
नेहरू को 15 जुलाई 1955 को तब भारत रत्न से नवाजा गया था जब वे प्रधानमंत्री थे। यानि 1954 में देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न शुरू होने के अगले ही साल नेहरू ने अपने लिए इस अवॉर्ड को सुनिश्चित कर लिया।

इंदिरा भी चली थीं नेहरू की राह
राहुल की दादी इंदिरा गांधी को भी 1971 में तब भारत रत्न से नवाजा गया था, जब वो प्रधानमंत्री थीं। यानि उन्होंने भी अपने लिए सर्वोच्च नागरिक सम्मान लेना खुद ही सुनिश्चित कर लिया।

राजीव गांधी को निधन के ठीक बाद 
राहुल के पिता राजीव गांधी प्रधानमंत्री रहते हुए तो अपने लिए भारत रत्न सुनिश्चित नहीं कर पाए थे। लेकिन गौर करने वाली बात है कि 1991 में उनके निधन के ठीक बाद कांग्रेस सरकार ने उन्हें भारत रत्न देने का निर्णय लिया था।

साफ है, राहुल गांधी का खानदान शुरू से ‘भारत रत्न’ को भी अपनी जागीर समझता रहा है। वहीं प्रधानमंत्री मोदी के लिए हर अवॉर्ड उनकी अथक मेहनत, अद्भुत नेतृत्व और देश के लिए उनकी प्रतिबद्धता से आता है। कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में भी राहुल गांधी के पास इसे समझने की काबिलियत नहीं।

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