देश में कुछ मीडिया संस्थान ऐसे हैं, जो पत्रकारिता की आड़ में देशविरोधी ताकतों को प्रोत्साहित करने में शामिल रहते हैं, और उसमें अपनी शान भी समझते हैं। ऐसी ही एक न्यूज वेबसाइट है ‘The Quint’। हिंदी और अंग्रेजी में खबरें प्रकाशित करने वाली इस वेबसाइट के संचालकों को देश की अस्मिता से खिलवाड़ करने में मजा आता है। इसके लिए वेबसाइट फेक न्यूज का सहारा लेने के साथ ही अपने पाठकों को भड़काने तक की कोशिश करती है। यह वेबासाइट अश्वेत नागरिक जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद पूरे अमेरिका में हो रहे विरोध प्रदर्शन की तरह भारत में भी दंगे कराना चाहती है।
बीजेपी नेता कपिल मिश्रा ने ‘The Quint’ की एक ऐसी ही अपील के स्क्रीनशॉट ट्विटर पर पोस्ट करते हुए लिखा है कि किस प्रकार ‘The Quint’ भारत के लोगों को उकसाकर उन्हें सड़कों पर उतर आने की अपील कर रहा है। एक ट्वीट में कपिल मिश्रा ने लिखा है – “The Quint ने देश भर में हजारों ईमेल भेजी हैं। अपील की हैं – अमेरिका की तरह भारत में सड़कों पर लोग उतरें और दंगे करें। ये सीधे सीधे देश में दंगे भड़काने की तैयारी हैं। इस तरह की ईमेल भेजने वालों की जगह जेल हैं। #DeshdrohiQuint”
Quint ने देश भर में हजारों ईमेल भेजी हैं
अपील की हैं – अमेरिका की तरह भारत में सड़कों पर लोग उतरें और दंगे करें
ये सीधे सीधे देश में दंगे भड़काने की तैयारी हैं
इस तरह की ईमेल भेजने वालो की जगह जेल हैं #DeshdrohiQuint pic.twitter.com/8Ip51BpOaP
— Kapil Mishra (@KapilMishra_IND) June 4, 2020
कपिल मिश्रा द्वारा जो स्क्रीनशॉट शेयर किए गए हैं उनमें ‘The Quint’ की पोडाकास्ट प्रोडूसर शोरबोरी पुरकायस्था ने अपने पाठकों से अपील की है कि भारतीयों ने भी अमेरिका में जॉर्ज फ्लोएड की मौत की तर्ज पर ही भारी मात्रा में देशव्यापी विरोध प्रदर्शन क्यों नहीं किए? साथ ही उकसाने वाली भाषा में लिखा गया है कि आखिर हमें घर-घर न्याय पहुँचाने के लिए किस चीज का इन्तजार है?
इसके अलावा ‘The Quint’ की वेबाइट पर कई ऐसी खबरें प्रकाशित की गई हैं, जो देश और हिन्दू विरोधी है। इसको लेकर लोगों में काफी आक्रोश देखा जा रहा है। ट्विटर पर #DeshdrohiQuint का ट्रेंड देखने को मिला, जिसमें लोगों ने ‘The Quint’ को देशविरोधी वेबसाइट करार देते हुए तीखा हमला किया है।
Email by @TheQuint‘s Shorbori to readers instigates them to start violence against the nation as happening in the US. These anti-national forces want to destabilize the nation.#DeshdrohiQuint
— Rahul Kaushik (@kaushkrahul) June 4, 2020
Quint is not only anti-national but is also Hinduphobic and promotes civil unrest. Check out their post on fasting during Ramzan and Navratri, it clearly shows their hypocrisy.
This organization should be banned. #DeshdrohiQuint pic.twitter.com/GuD8X6GRGV— Akshay Kumar ?️ (@The_AK_Rathee) June 4, 2020
Quint is Anti-Hindu. Now they want riots against Hindus and sending email to instigate riots in India. #DeshdrohiQuint pic.twitter.com/1ORId5LmvG
— Farrago Abdullah (@abdullah_0mar) June 4, 2020
Quint Articles
Holi is against Islam.
Navratras-9 day festival is against health.
Roza-1 month is good for health.Now @Thequint came up the strategy of hitting riots in India like USA. They have sent email with full proof strategy.#DeshdrohiQuint pic.twitter.com/q9P4QbQDML
— Chetan Rajhans © (@1chetanrajhans) June 4, 2020
– @TheQuint which deserves 2 be banned is still posting anti human & anti national news
•Misleading youth and create war like situation in India
•Kulbhushan Jadhav A RAW Agent
•Kids Playing Holi Are Terrorists
•Osama Bin Laden Was A Good Father & Husband #DeshdrohiQuint pic.twitter.com/0agmEBzjOR— Dhruv (@AwakeHinduu) June 4, 2020
If you condemned the one in the left and remained silent for the right ones,
You are a part of the problem!#DeshdrohiQuint #AllLivesMatters pic.twitter.com/pQyZUotkyt— धैर्या (@LuthraDhairya) June 4, 2020
ऐसा पहली बार नहीं है, जब ‘The Quint’ ने देश के हित के खिलाफ पत्रकारिता की हो। आइए एक नजर डालते हैं ‘The Quint’ की देशविरोधी पत्रकारिता पर…
कई बार ऐसा देखने को मिला है, जब इस वेबसाइट पर विदेशी नीति और अंतर्राष्ट्रीय मामलों में सरकार की लाइन से अलग हटकर खबरें पोस्ट की जाती हैं।
‘The Quint’ ने छापी कुलभूषण के बारे में झूठी खबर
‘The Quint’ ने अपने एक राष्ट्रविरोधी लेख में पाकिस्तान की जेल में बंद भारतीय नेवी के अफसर कुलभूषण जाधव को रॉ का जासूस बताने वाली मनगढ़ंत स्टोरी प्रकाशित की थी। इस स्टोरी में वेबसाइट की रिपोर्टर ने रॉ के दो पूर्व प्रमुखों के हवाले से पाकिस्तान द्वारा बंधक बनाए गए कुलभूषण जाधव को जासूस बताया था। इस लेख को पढ़कर किसी भी लिहाज से यह नहीं लगेगा कि इसे किसी हिन्दुस्तानी पत्रकार ने लिखा है, बल्कि लगेगा कि किसी पाकिस्तानी पत्रकार ने इस लेख को लिखा है। ‘The Quint’ की इस खबर ने पाकिस्तान को इस मामले में संजीवनी दे दी, पाकिस्तान के सरकारी और प्राइवेट मीडिया संस्थानों ने इसी लेख का हवाला देकर भारत के खिलाफ स्टोरी प्लांट करना शुरू कर दिया। ‘The Quint’ में जानबूझकर लिखी गई इस स्टोरी में देश हित को ताक पर रख दिया गया। पाकिस्तान के पास कुलभूषण जाधव के खिलाफ कोई पुख्ता सुबूत नहीं थे, लेकिन इस लेख के बाद पाकिस्तान को मदद मिल सकती है और ऐसे में कुलभूषण जाधव की रिहाई और जिंदगी बचने की उम्मीदें भी खत्म हो सकती हैं।
हालांकि बाद में ट्विटर और फेसबुक पर ‘The Quint’ को ब्लॉक करने की मुहिम शुरू हो गई, बड़ी संख्या में भारतीय नागरिकों ने ‘The Quint’ को ट्रोल करना शुरू कर दिया। आखिर में बगैर किसी सबूत के छापी गई झूठी स्टोरी को वेबसाइट से हटा दिया गया।
आतंकी सरगना ओसामा बिन लादेन का महिमामंडन किया
यह कोई पहला वाकया नहीं था, इससे पहले भी ‘The Quint’ एक खास एजेंडे के तहत खबरों को प्रकाशित करता रहा है। पिछले वर्ष मई में ‘The Quint’ ने आतंकी सरगना ओसामा बिन लादेन का महिमामंडन करते हुए खबर प्रकाशित की थी। इस खबर में दुनियाभर में हजारों लोगों को अपनी आतंकी गतिविधियों से मौत के घाट उतारने वाले ओसामा बिन लादेन का दुर्दांत आतंकी की जगह एक पति और पिता के रूप में बखान किया गया था। ‘The Quint’ की पत्रकार तरुणी कुमार ने तमाम संदर्भों का हवाला देकर ओसामा को अच्छा इंसान साबित करने की पूरी कोशिश की।
‘The Quint’ की वजह से सेना के जवान ने की खुदकुशी
‘The Quint’ की इससे भी ज्यादा खतरनाक खबर तो वह थी, जिसकी वजह से सेना के एक जवान को कथित तौर पर खुदकुशी करनी पड़ी। पुलिस ने इस मामले में ‘The Quint’ की पत्रकार पूनम अग्रवाल के खिलाफ केस भी दर्ज किया था। दरअसल ‘The Quint’ की रिपोर्टर पूनम अग्रवाल गैरकानूनी तरीके से खुफिया कैमरे के साथ नासिक छावनी एरिया में घुस गईं थी, और वहां सेना के जवान का सेवक के तौर पर काम करते हुए वीडियो बना लिया था। ‘The Quint’ ने पत्रकारिता पेशे के सभी आदर्शों को धता बताते हुए सेना के उस जवान की पहचान भी सार्वजनिक कर दी थी। ‘The Quint’ की इसी हरकत से आहत जवान ने खुदकुशी कर ली। इसके बाद सेना की तरफ से एक बयान भी जारी किया गया था।
आतंकी बुरहान वानी को बताया था कश्मीर की आवाज
प्रेस की आजादी के नाम पर ‘The Quint’ को राष्ट्रविरोधी खबरें प्रकाशित करने की आदत सी पड़ गई है। जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तानी आकाओं की शह पर आम नागरिकों के निशाना बनाने वाले आतंकवादी बुरहान वानी को ‘The Quint’ ने ‘करिश्माई’ बताया था। इस वेबसाइट पर बुरहान वानी की तारीफ करने वाले कई लेख प्रकाशित किए गए, जिनमें उस आतंकवादी को घाटी के युवाओं का हीरो बताया गया। आपको बता दें कि जिस बुरहान वानी को ‘The Quint’ कश्मीरी युवाओं का प्रतिनिधि बता रही थी, उसे सेना के जवानों ने एक मुठभेड़ में मौत के घाट उतार दिया था।
डोकलाम विवाद पर चीन के साथ खड़ा दिखा ‘The Quint’
इस वेबसाइट ने तो जैसे विदेशी मामलों में देश की पॉलिसी का विरोध करने की ठान ली है। जब डोकलाम में चीनी सैनिकों ने भारतीय सीमा में घुसने की कोशिश की थी, तो प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारतीय सेना ने उन्हें पीछे जाने पर मजबूर कर दिया था। देशभर की मीडिया इसके लिए भारत सरकार और प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ कर रही थी, लेकिन ‘The Quint’ ने चाइना के हितों की तरफदारी करते हुए लेख छापा और देश की सुरक्षा एवं अखंडता के खिलाफ जाकर राष्ट्रविरोधी काम किया।
‘The Quint’ का राष्ट्रविरोधी लेखकों का समर्थन
‘The Quint’ वेबसाइट राष्ट्रविरोधी लेख लिखने वाले लेखकों को भी प्रमोट करने में संलिप्त रही है। इस वेबासइट पर सुप्रतीक चटर्जी जैसे लेखकों को भी जगह मिली, जिन्होंने सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री मोदी को मारने का ऐलान करने वाले लश्कर-ए-तैय्यबा जैसे आतंकी संगठनों का समर्थन किया था। हालांकि बाद में सोशल मीडिया पर चटर्जी के खिलाफ आम लोगों के गुस्से के बाद ‘The Quint’ ने इस लेखक को अपनी साइट पर प्रतिबंधित किया।
.@TheQuint condemns any kind of hate mongering. pic.twitter.com/CvdTNnY901
— The Quint (@TheQuint) 18 September 2017
पूरे विश्लेषण से साफ है कि किस हद तक ‘The Quint’ नाम की यह वेबसाइट भारत विरोधी ताकतों के साथ खड़ी दिखती है। पत्रकारिता के आदर्शों के उलट ‘The Quint’ हमेशा ही सरकार विरोध तत्वों को हवा देने में संलग्न रहती है। आपको यह भी बता देते हैं कि इस वेबसाइट के मालिक हैं राघव बहल, जिन्होंने टीवी18 कंपनी, रिलायंस को बेचने के बाद नई मीडिया कंपनी की नींव डाली और उसका नाम दिया दि क्विंट, अभी यह टीवी पर नहीं है और सिर्फ डिजिटल मीडिया में ही हिंदी और अंग्रेजी में वेबसाइट चलाती है, जिनकी कमान सीएनबीसी आवाज के पूर्व संपादक संजय पुगलिया के पास है।