प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन से जम्मू-कश्मीर में पर्यटन को पंख लगे। पर्यटन बढ़ने से लोगों के लिए रोजगार और स्वरोजगार के अवसर बढ़े। इसके साथ ही प्रदेश में निवेश बढ़ा है और विकास के अनेक काम किए जा रहे हैं। इससे वहां के लोगों में समृद्धि आ रही है। वहीं पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर यानि POK और गिलगित-बाल्टिस्तान भी पाकिस्तान की तरह भीषण आर्थिक संकट से गुजर रहा है। POK और गिलगित-बाल्टिस्तान में एक तरफ जहां आटा और दाल के लिए मारामारी चल रही है, वहीं गिलगित बाल्टिस्तान में हजारों प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतर आए हैं और भारत में मिलने की मांग कर रहे हैं। लिहाजा, पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके), गिलगित-बाल्टिस्तान (जीबी) फिर से सुर्खियां बटोर रहा है और यहां के निवासी पाकिस्तान सरकार की भेदभावपूर्ण नीतियों के खिलाफ भारी प्रदर्शन कर रहे हैं। पाकिस्तान की सरकार ने इन क्षेत्रों के लोगों के साथ भारी भेदभाव और शोषण किया है, लिहाजा अब यहां के निवासियों के सब्र ने जवाब दे दिया है और आए दिन प्रदर्शन होते रहते हैं।
गिलगित-बाल्टिस्तान में रैली में फहराया तिरंगा
भारत में जम्मू-कश्मीर में समृद्धि और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में बदहाली को देखते हुए वहां के लोगों में गुस्सा चरम पर पहुंच गया है। पाकिस्तान के कब्जे वाले गिलगित-बाल्टिस्तान में इन दिनों घमासान मचा है। कट्टरपंथी सुन्नी संगठनों और पाकिस्तानी सेना के दमन के खिलाफ अल्पसंख्यक शियाओं ने विद्रोह कर दिया है। उनका कहना है कि वे अब पाकिस्तानी फौज की हुकूमत वाले गिलगित-बाल्टिस्तान में नहीं रहना चाहते हैं, वे भारत में मिलना चाहते हैं। अब तो आलम यह है कि वहां रैलियों में तिरंगा भी फहराया जाने लगा है।
The people of Khaplu, #GilgitBaltistan, bravely raised the Indian flag, symbolizing their wish to be united with India. This act reflects the genuine aspirations of the local populace. #GilgitBaltistanWantsBharat pic.twitter.com/D9xF4DHwKV
— PakMinorityVoice (@MinorityVoice_) October 7, 2023
पाकिस्तान को कुत्ता कहना कुत्ते की तौहीन है!
गिलगित-बाल्टिस्तान में अब शिया संगठन फौज के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। पाकिस्तान के खिलाफ वहां रैलियों अब तो ये नारे सुनाई देने लगे हैं- पाकिस्तान को कुत्ता कहना कुत्ते की तौहीन है। वह भी पुलिस की मौजूदगी में में हिरासत में लिए जाने के बाद भी लोग ये नारे लगा रहे हैं। भारत से लगभग 90 किलोमीटर दूर स्कर्दू में शिया समुदाय के लोग भारत की ओर जाने वाले कारगिल हाइवे को खोलने की मांग पर अड़ गए हैं। उनका कहना है कि वे अब पाकिस्तानी फौज की हुकूमत वाले गिलगित-बाल्टिस्तान में नहीं रहना चाहते हैं, वे भारत में मिलना चाहते हैं। गिलगित-बाल्टिस्तान की लगभग बीस लाख की आबादी में से आठ लाख शियाओं के बगावती तेवरों को देखते हुए पाकिस्तानी फौज के 20 हजार अतिरिक्त जवानों को तैनात किया गया है।
The brave voices of Kashmiris in PoJK ring out loud and clear, rejecting the illegal Pakistani occupation. Their powerful slogans reflect years of frustration & a burning desire for freedom.
📢 “Pakistan ko kutta kehna kutte ki tauheen hai.”#GilgitBaltistanWantsBharat #FreePoK pic.twitter.com/BR4nOTCMY5
— Hinna Nazir (@HinnaNazir) October 7, 2023
भारत में मिलने के लिए लगातार हो रहे प्रदर्शन, लग रहे नारे
गिलगित बाल्टिस्तान से जो वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं, उन वीडियो में गिलगित बाल्टिस्तान के लोग लद्दाख में भारत के साथ पुनर्मिलन की मांग कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में यहां के निवासियों में भारी असंतोष और गुस्सा देखा जा रहा है। सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में गिलगित-बाल्टिस्तान में एक विशाल रैली दिखाई गई है, जिसमें कारगिल सड़क को फिर से खोलने और भारत के केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के कारगिल जिले में मिलने की मांग की जा रही है। लोगों का कहना है, कि वो भारत में मिलना चाहते हैं, क्योंकि पाकिस्तान में उनके साथ भीषण शोषण किया जा रहा है।
Large no of crowd thronged tk streets of #POK over rising inflation & lack of electricity & wheat..
The years of anger & frustration forcing them to protest against the oppressive regime & want freedom from its illegal occupation.#GilgitBaltistanWantsBharat#FreePOJK pic.twitter.com/S7ZcLwibqi
— Ashmita Mehta (@AshmitaMehta__) October 9, 2023
आर्थिक संकट से जूझ रहे लोग कर रहे पाक विरोधी प्रदर्शन
पाकिस्तान एक बड़े आर्थिक संकट से जूझ रहा है और देश भर के लोग गुज़ारे के लिए संघर्ष कर रहे हैं। देश में बुनियादी जरूरतों के लिए लोगों को परेशान होना पड़ता है और आटा खरीदना भी पाकिस्तान के लोगों के लिए एक विलासिता बन गई हैं, क्योंकि देश में आटा की कमी है इसके दाम इतने बढ़ गए हैं कि आम आदमी की पहुंच से बाहर हो गए हैं। रोजमर्रा की वस्तुओं की कीमतें आसमान छू रही हैं। लिहाजा, गिलगित बाल्टिस्तान के लोग हजारों-हजार की संख्या में सड़कों पर आ गए हैं और कश्मीर घाटी में जाने वाले एक पारंपरिक मार्ग को व्यापार के लिए खोलने की मांग कर रहे हैं।
#POJK on burn, residents are standing strong against occupier Pak regime and are in streets for their fight for rights.
Its a big blow to #Pakistan, soon it is going to loose the occupied territory.#GilgitBaltistanWantsBharat pic.twitter.com/LXxj7y7jCq— ShalijaDhar (@ShalijaDhar) October 10, 2023
पाकिस्तानी फौज को दहशतगर्द बताया
पाकिस्तान की फौज के खिलाफ शियाओं मे नारा लगाया- ये जो दहशतगर्दी हैं, उसके पीछे ‘वर्दी’ है। गिलगित-बाल्टिस्तान में शियाओं का आरोप है कि पाक सेना 1947 के बाद से यहां से शियाओं को भगा रही है। सेना ने यहां सुन्नी आबादी को बसाया। कभी शिया बहुल रहे क्षेत्र में अब शिया अल्पसंख्यक हो गए हैं। हालात इतने बिगड़ गए हैं कि सेना भी यहां शिया बहुल क्षेत्रों में जाने से कतरा रही है। धारा 144 लगाने के बावजूद स्कर्दू, हुंजा, दियामीर और चिलास में शिया संगठनों का प्रदर्शन जारी है। मोबाइल इंटरनेट पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। जनरल जिया उल हक से लेकर पाकिस्तान की सत्ता में बैठे हर एक नेता ने इस इलाके की डेमोग्राफी बदलने की कोशिश की है।
People protested against the Pakistan Army in Gilgit-Baltistan.#GilgitBaltistanWantsBharat #FreeBalochistan #StopBalochGenocide #ReleaseBalochMissingPersons#JusticeForKarimaBaloch pic.twitter.com/AQocOZeQGs
— Mithun Sharma (@MithunS03710565) October 10, 2023
People of #POJK no more wants any interference of Pak Army in region, they are kicking out Oak military from region while saying that this is India,get out of our region!!#PakArmy_AtrocitiesInPok #GilgitBaltistanWantsBharat pic.twitter.com/eO63Y8zHqL
— Divya Manhas (@manhas_divyaa) October 9, 2023
बेरोजगारी और महंगाई से तंग लोगों में बेचैनी
पाकिस्तान सरकार की दमनकारी तथा भेदभावपूर्ण नीतियां, बेरोजगारी तथा महंगाई से तंग लोगों के अंदर बेचैनी तथा खौफ है। उल्लेखनीय है कि गिलगित-बाल्टिस्तान के स्थानीय लोगों ने उनकी जमीनों पर नाजायज कब्जों, खाद्य सामग्री पर सब्सिडी की बहाली, पावरकट तथा प्राकृतिक स्रोतों के शोषण तथा जन आंकड़ों में तब्दीली जैसे मुद्दों को लेकर कई दिनों से पाकिस्तान सरकार के खिलाफ जबरदस्त प्रदर्शन जारी रखा हुआ है। इससे साफ है कि अब गिलगित-बाल्टिस्तान के नागरिक भारत के साथ मिलना चाहते हैं।
गिलगित-बाल्टिस्तान दिल्ली सल्तनत का हिस्सा था
गिलगित-बाल्टिस्तान दिल्ली सल्तनत का हिस्सा था। सोलहवीं सदी में यह मुगल साम्राज्य में चला गया। वर्ष 1757 में एक इकरारनामे के तहत इस उत्तरी क्षेत्र का अधिकार पद मुगलों से अहमद शाह दुरानी ने ले लिया तथा यह अफगानिस्तान का हिस्सा बन गया। वर्ष 1819 में महाराजा रणजीत सिंह ने अफगानियों के ऊपर हमला कर इस क्षेत्र को अपने अधीन ले लिया। जब वर्ष 1935 में रूस ने कश्मीर से लगते क्षेत्र शिनजियांग के ऊपर जीत प्राप्त की तथा फिर यह इलाका ब्रिटेन के लिए विशेष महत्वपूर्ण हो गया। वास्तव में 1846 के आसपास इस हिस्से ने भी जम्मू-कश्मीर शहंशाही रियासत का दर्जा हासिल किया।
1947 में जम्मू-कश्मीर गिलगित-बाल्टिस्तान सहित भारत का अभिन्न अंग बना
ब्रिटेन सरकार ने गिलगित के क्षेत्र को जम्मू-कश्मीर के राजा के पास से 60 सालों के लिए पट्टे पर ले लिया जो वर्ष 1995 में समाप्त होना था। इस सीमा क्षेत्र की देख-रेख के लिए ब्रिटेन ने गिलगित स्काऊट का निर्माण किया जिसमें केवल अंग्रेज अधिकारी ही थे तथा इसका प्रबंधकीय नियंत्रण कर्नल बिकन के सुपुर्द किया गया था। जुलाई 1947 में ब्रिटेन-भारत सरकार के समय से पहले अनुबंध को रद्द कर यह इलाका वापस जम्मू-कश्मीर के महाराजा हरि सिंह के सुपुर्द कर दिया गया। एक अगस्त 1947 को डोगरा शासन की रियासत की सेना में ब्रिगेडियर घनसारा सिंह को गिलगित -बाल्टिस्तान में गवर्नर नियुक्त किया गया। बाकी की रियासतों के जैसे ही जम्मू-कश्मीर के महाराजा हरि सिंह ने भी भारत में शामिल होने के लिए समझौता किया। जिसकी पुष्टि गवर्नर जनरल ऑफ इंडिया लार्ड माऊंटबैटन ने 27 अक्तूबर को की। इस तरह जम्मू-कश्मीर गिलगित-बाल्टिस्तान सहित भारत का अभिन्न अंग बन गया।
पाकिस्तान ने कैसे किया कब्जा?
26 अक्टूबर 1947 को जम्मू और कश्मीर के महाराजा हरि सिंह ने 1947 के जम्मू नरसंहार के साथ-साथ 1947 में कबीलों के भेष में घुसे पाकिस्तानी सैनिकों के आक्रमण के बाद भारत में शामिल होने के एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किए थे। उस वक्त गिलगित, जो एक स्वतंत्र देश था, उसकी बड़ी आबादी, भारत में विलय के पक्ष में नहीं थी। जबकि क्षेत्र के निवासियों ने स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद पाकिस्तान में शामिल होने की इच्छा व्यक्त की थी, वहीं पड़ोसी देश ने जम्मू और कश्मीर के साथ अपने क्षेत्रीय लिंक का हवाला देते हुए इस क्षेत्र में विलय नहीं किया। अब पाकिस्तान की मौजूदा स्थिति को देखते हुए यहां के निवासी भारत के साथ पुनर्मिलन की मांग कर रहे हैं।
भारत के लिए क्यों अहम है गिलगित-बाल्टिस्तान
भारत के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने पिछले साल अक्टूबर में कहा था, “भारत की उत्तर दिशा में विकास की यात्रा गिलगित और बाल्टिस्तान पहुंचने के बाद पूरी होगी।” जब रक्षा मंत्री ने यह बयान दिया, तो वह 1994 के एक प्रस्ताव का जिक्र कर रहे थे, जो संसद में पारित किया गया था और जिसमें कहा गया था कि भारत इन क्षेत्रों को वापस हासिल करेगा। गिलगित बाल्टिस्तान को अक्सर जीबी के रूप में संदर्भित किया जाता है, जो अपने शानदार ग्लेशियरों के लिए प्रसिद्ध है। इस क्षेत्र में ही इंडस नदी बहती है, जिससे पाकिस्तान को करीब 75 प्रतिशत जल की आपूर्ति होती है।
चीन, पाकिस्तान, अफगानिस्तान से लगती है गिलगित बाल्टिस्तान की सीमा
पाकिस्तान के उत्तर में पड़ते नाजायज कब्जे वाले 72,791 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र के भीतर गिलगित एजेंसी, लद्दाख प्रशासन का जिला बाल्टिस्तान तथा पहाड़ी रियासतें हुंजा और नगर को मिलाकर इसका नाम गिलगित-बाल्टिस्तान रखा गया है। इसको 14 जिलों में बांटा हुआ है तथा इसकी कुल आबादी पिछली जनगणना के अनुसार 12.5 लाख के करीब है। उत्तर की ओर इसकी सीमा अफगानिस्तान तथा उत्तर-पूर्व की ओर इसकी सीमा चीन के मत के अनुसार स्वायत: राज्य शिनजियांग के साथ लगती है। पश्चिम की ओर पाकिस्तान का अशांत उत्तर-पश्चिमी फ्रंटियर क्षेत्र पड़ता है। इसके दक्षिण में पाक अधिकृत कश्मीर तथा दक्षिण पूर्व की ओर जम्मू-कश्मीर की सरहद लगती है।
पाकिस्तान पांचवें राज्य के रूप में हड़पना चाहता है
अपनी अलग पहचान रखने वाला उच्च पर्वतीय क्षेत्र गिलगित-बाल्टिस्तान पाक अधिकृत कश्मीर सहित भारत का अभिन्न अंग है। इस समय पाकिस्तान में 4 राज्य पंजाब, सिंध, खैबर पख्तूनखवा तथा बलूचिस्तान हैं। पाकिस्तान सभी संवैधानिक और प्रशासनिक कमियों को दूर कर इस क्षेत्र को अपने पांचवें राज्य के तौर पर हड़पना चाहता है। इस क्षेत्र में खनिज पदार्थों का एक बहुत बड़ा भंडार है मगर उसका फायदा उत्तरी क्षेत्र के नागरिक नहीं ले सकते क्योंकि यहां की सरकार को प्राकृतिक स्रोतों, जल तथा खनिज पदार्थ इत्यादि बारे किसी किस्म का कोई कानून बनाने का अधिकार नहीं है। मगर चीन पाकिस्तान की रजामंदी से इस क्षेत्र में लाखों डालरों की लागत से खोज, आर्थिक कोरिडोर तथा ‘वन बैल्ट-वन रोड’ स्कीम के द्वारा जल शक्ति से बिजली पैदा करने वाले मैगा प्लांट, सड़कें, रेल, हवाई अड्डों तथा मिसाइल ठिकानों का जाल बिछाकर सैन्य रणनीति वाले अड्डे कायम कर रहा है। इससे पहले कि पाकिस्तान कश्मीर का कोई अन्य टुकड़ा चीन के सुपुर्द कर दे, भारत सरकार को चाहिए कि वहां के नागरिकों की भावनाओं के बारे में गौर करे। भारत इसके लिए ‘मुक्ति वाहिनी’ जैसी फोर्स का निर्माण कर सकता है। इसे युद्ध करने के लिए दो भागों में बांटा जा सकता है। एक एल.ओ.सी. के सामने पी.ओ.के. में तथा दूसरी गिलगित-बाल्टिस्तान में।