कांग्रेस पार्टी महात्मा गांधी के बताये सत्य और अहिंसा के रास्ते पर चलने का दावा करती है। जब भी मौका मिलता है, गांधी जी का सच्चा अनुयायी साबित करने का मौका नहीं चुकती है। यहां तक कि दूसरों को भी गांधी जी के रास्ते पर चलने की नसीहत देती है। मानो गांधी जी के सिद्धांतों पर उसका पेटेंट हो। लेकिन सवाल उठता है कि क्या कांग्रेस खुद गांधी जी के सत्य और अहिंसा के सिद्धांत का पालन करती है? इसका सीधा और सरल जवाब यह है कि भले गोडसे ने गांधी जी के शरीर की हत्या की हो, लेकिन कांग्रेस गांधी जी के सिद्धांतों, मूल्योंं और आदर्शों की लगातार हत्या कर रही है। कांग्रेस ने एक बार फिर हमास का समर्थन कर गांधी जी के विचारों की हत्या की है। उस हमास का समर्थन किया है, जिसने अपने तथाकथित अधिकार के लिए अहिंसा की जगह हिंसा का मार्ग चुना और इजरायल पर रॉकेटों की बारिश कर हजारों बेगुनाह लोगों को मौत के घाट उतार दिया। ऐसे आतंकियों का समर्थन कर कांग्रेस ने गांधी जी को बड़ा धोखा दिया है।
कॉंग्रेस की असलियत देश के सामने!
हमास और फलीस्तीन के समर्थन का प्रस्ताव पास किया… कांग्रेस ने..
कॉंग्रेस को भारत सरकार के साथ इजराइल का साथ देना चाहिए था… YES/NO
पर कांग्रेस कार्यसमिति ने फिलीस्तीन के लोगों के लिए जमीन, स्वशासन, आत्म सम्मान और जीवन के अधिकारों के लिए अपना… pic.twitter.com/4DYM42tFVc
— Sudhanshu Trivedi 🇮🇳 Parody (@Sudanshutrivedi) October 9, 2023
हजारों इजरायलियों की मौतों के लिए जिम्मेदार हमास पर चुप्पी
दरअसल सोमवार (09 अक्टूबर, 2023) को कांग्रेस आतंकवादियों के सियासी चेहरे के रूप में नजर आई। जैसे ही इजरायल ने हमास के खिलाफ जवाबी कार्रवाई शुरू की और फिलिस्तीन में जान-माल का नुकसान होने लगा, कांग्रेस भी परेशान हो उठी। फिलिस्तीन के मुस्लिम कट्टरपंथियों के आतंकवादी संगठन हमास के बचाव में उतर आई। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की अध्यक्षता में हुई कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में एक प्रस्ताव पास किया गया, जिसमें फिलिस्तीन पर इजरायल के हमलों का जिक्र था। लेकिन इजरायल में एक हजार से अधिक लोगों के मौत के लिए जिम्मेदार आतंकी संगठन हमास का जिक्र नहीं था। यहां तक कि इजरायल पर हमास के हमले का मौन समर्थन किया गया। फिलिस्तीनी लोगों की जमीन, स्वशासन और आत्मसम्मान एवं गरिमा के साथ जीवन के अधिकारों के लिए दीर्घकालिक समर्थन की बात कही गई। इजरायल के प्रकोप से हमास और फिलिस्तीन को बचाने के लिए कांग्रेस कार्यसमिति ने तुरंत युद्धविराम और वर्तमान संघर्ष को जन्म देने वाले अपरिहार्य मुद्दों सहित सभी लंबित मुद्दों पर बातचीत का राग अलापने लगी।
नई दिल्ली में हुई बैठक में कांग्रेस कार्य समिति (CWC) का प्रस्ताव: pic.twitter.com/NjiSkUN4B7
— Congress (@INCIndia) October 9, 2023
कांग्रेस ने आतंकी संगठन हमास की हिंसा का किया समर्थन
कांग्रेस ने ऐसे समय में हमास का समर्थन किया है, जब भारत सरकार ने आधिकारिक तौर पर इजरायल का समर्थऩ किया है और आतंकी हमले पर अपना विरोध दर्ज कराया है। फिलिस्तीन की मांग और आतंकवाद दो अगल-अलग चीजें हैं। भारत की मोदी सरकार किसी भी देश की उचित मांग के साथ खड़ी है, लेकिन आतंकवाद को लेकर उसकी ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति है। मोदी सरकार विवादों के समाधान के लिए बातचीत का रास्ता अपनाने की वकालत करती है। आतंकी हमलों के जारिए अपनी बात मनवाने वालों का पूरजोर विरोध करती है। वहीं कांग्रेस जीवन और जमीन के अधिकार के लिए बातचीत और गांधीवादी सिद्धांतों की आड़ में हिंसा और आतंकवाद को बढ़ावा देती है। अपने राजनीतिक स्वार्थों और मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए गांधी जी के सिद्धांतों को भी तिलांजलि दे देती है। हमास जैसे आतंकवादी संगठन के साथ खड़ा होना इसका प्रमाण है। यही कांग्रेस का दोहरा चरित्र, नीति और पाखंड है। कांग्रेस जहां गांधी जी का मुखौटा लगाकर मोहब्बत की बात करती है, वहीं आतंकियों और आतंकी संगठनों की हिंसक गतिविधियों की निंदा की जगह उसका समर्थन करती है। जब आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई होती है, तो उनका सियासी ढाल बनकर बचाव में उतर आती है।
Congress with PFI
Congress with Naxals
Congress with Chinese
Congress with Pakistan
Congress with Kuki Terrorists
Congress with corrupts
Congress with Khalistani
Congress with Stone Pelters
Congress with Tukde Tukde Gang
Congress with Hamas Terrorists— Rishi Bagree (@rishibagree) October 9, 2023
आइए देखते हैं कांग्रेस किस तरह आतंकियों और आतंकी संगठनों का पक्ष लेती रही है…
आतंकवाद को भी धर्म के चश्मे से देखती है कांग्रेस
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि जब तक आतंकवाद को जड़ से उखाड़ कर फेंक नहीं दिया जाता, तब तक भारत चैन से नहीं बैठेगा। वहीं कांग्रेस भारत में आतंकवाद की जड़ें मजबूत करने में लगी है। कांग्रेस के नेता आतंकियों का रहनुमा बनकर उनके आतंकी करतूतों पर पर्दा डालने और उनका बचाव करने में लगे रहते हैं। कांग्रेस अपने राजनीति लाभ के लिए आतंकवाद को भी धर्म के चश्मे से देखती रही है। इस क्रम में वह कभी आतंकियों की फांसी का विरोध करती है तो कभी पत्थरबाजों का समर्थन करती है। अलगाववादियों और सिमी जैसे संगठनों से रिश्ते में गुरेज नहीं करती है। कांग्रेस को ISIS जैसा खूंखार आतंकवादी संगठन भी भाने लगता है। यहां तक कि कांग्रेस आतंकियों के खिलाफ की गई सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल खड़े करने और पाकिस्तान का बचाव करने से पीछे नहीं रहती है। मुसलमानों को खुश करने के लिए भगवा आतंकवाद का थ्योरी देती है। हिन्दुओं की बदनामी की कीमत पर अपना वोट बैंक बढ़ाना चाहती है।
कुकी-मैतेई संघर्ष में कुकी आतंकियों का किया था बचाव
इसी तरह मणिपुर में भी कांग्रेस का रवैया देखने को मिला। हाईकोर्ट ने मैतेई समुदाय को जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग को स्वीकार किया। हाईकोर्ट के इसी फैसले के बाद मैतेई समुदाय कुकी आतंकियों के निशाने पर आ गया और चुराचंदपुर जिले में हिंसा भड़क उठी। कुकी बहुल चुराचंदपुर में 28 अप्रैल को द इंडिजेनस ट्राइबल लीडर्स फोरम ने आठ घंटे बंद का ऐलान किया था। देखते ही देखते इस बंद ने हिंसक रूप ले लिया। चार मई को चुराचंदपुर में मुख्यमंत्री बीरेन सिंह की रैली नहीं होने दी गई। कुकी आतंकियों के मौत के तांडव के बाद जब मैतेई समुदाय के लोगों ने जवाबी कार्रवाई की, तो कुकी समुदाय को भी जान-माल का भारी नुकसान हुआ। जब तक हिन्दू मैतेई मर रहे थे, तब तक कांग्रेस के नेता मौन थे। जैसे ही ईसाई कुकी समुदाय पर हमले की खबर आई कांग्रेस के तमाम नेता सक्रिय हो गए। राहुल गांधी मणिपुर पहुंच गए। इसके बाद सुनियोजित तरीके से भीड़ द्वारा दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने का वीडियो वायरल किया गया, ताकि सरकार पर दबाव बनाकर मैतेई के हमलों को रोका जा सके। कांग्रेस ने कुकी-मैतेई संघर्ष को ईसाई-हिन्दू संघर्ष के रूप में देखा और कुकी आतंकियों को संरक्षण देने का काम किया।
आतंकी का बचाव, सरकार और पुलिस पर सवाल
वर्तमान में कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने दिसंबर 2022 में ब्लास्ट के आरोपी को आतंकवादी कहे जाने पर भड़क गए थे। उन्होंंने कहा था कि मोहम्मद शरीक को बिना जांच के ही आतंकी करार दिया गया। सरकार बिना जांच के ऐसा कैसे कह सकती है। उन्होंने कहा था कि मंगलुरु में ऑटोरिक्शा में हुआ कुकर बम विस्फोट एक ‘गलती’ भी हो सकती है। उन्होंने विस्फोट के आरोपी के बचाव करते हुए कर्नाटक पुलिस और सरकार पर ही सवाल खड़ा कर दिया था। उन्होंने कहा था कि बोम्मई सरकार इतनी छोटी सी घटना को आतंकी साजिश करार दिया है। गौरतलब है कि 19 नवंबर 2022 को कर्नाटक के मंगलुरु में एक ऑटरिक्शा में कुकर बम विस्फोट हुआ था। इस विस्फोट में आरोपी खुद घायल हो गया था और बाद में उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया था। पुलिस ने घायल 29 वर्षीय आरोपी शरीक को गिरफ्तार किया था। ऑटो में सवार यात्री शरीक के पास से बैटरी, तार और सर्किट वाला कुकर बरामद हुए थे।
PFI से रहे हैं कांग्रेस के गहरे संबंध
पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) पर केंद्र सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया है। इसकों लेकर कांग्रेस नेताओं की परेशानी बढ़ गई थी। उन्होंने पीएफआई के साथ ही बजरंग दल पर पाबंदी लगाने की मांग की। इसके बाद पीएफआई समर्थकों को खुश करने के लिए कांग्रेस ने कर्नाटक चुनाव के दौरान बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की। इससे पता चलता है कि कांग्रेस पीएफआई से कितनी सहानुभूति रखती है। पूर्व उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी ने 23-24 सितंबर, 2017 को केरल में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के एक कार्यक्रम में ये जानते हुए भी शिरकत की थी। एक शीर्ष संवैधानिक पद पर रहे व्यक्ति का PFI जैसे संगठन के कार्यक्रम में शामिल होना ही एक बड़ी साजिश का हिस्सा हो सकती है क्योंकि इस संगठन पर आतंकियों के समर्थन का आरोप है। 23 सितंबर को कोझिकोड में महिलाओं से संबंधित विषय पर इस सम्मेलन को नई दिल्ली स्थित इंस्टिट्यूट ऑफ ऑब्जेक्टिव स्टडीज ने नेशनल वूमेन फ्रंट (NWF) के साथ मिलकर आयोजित किया था। NWF, PFI की महिला शाखा है।
कांग्रेस पर PFI के कृत्यों को बचाने का आरोप
गौरतलब है कि 2010 में केरल पुलिस ने PFI की गतिविधियों पर केंद्रीय गृह मंत्रालय को जानकारियां मुहैया करवाई थी, लेकिन तब कांग्रेस नेतृत्व की सरकार ने इस पर कार्रवाई की जरूरत तक नहीं समझी थी। 2010 में केरल के कन्नूर जिले में एक दलित युवक की तालिबानी अंदाज में हुई हत्या के मामले की जांच में इसी ग्रुप का हाथ सामने आया था। ऐसे में कार्रवाई की उदासीनता कांग्रेस को सीधा कटघरे में खड़ा करती है। बताया जा रहा है कि PFI के नेताओं को बचाने के लिए तब की मनमोहन सरकार ने आतंक में इस संगठन की भूमिका को नजरअंदाज कर दिया था। postcard.news की एक रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि 2009 में लव जिहाद के एक मामले की सुनवाई करते हुए कैसे केरल हाईकोर्ट की टिप्पणी से PFI की खतरनाक गतिविधियों का संदेह पुख्ता हो रहा था। तब केरल के तत्कालीन मुख्यमंत्री वीएस अच्युतानंदन ने भी इसको लेकर अपनी चिंता को उजागर किया था।
बालाकोट एयर स्ट्राइल पर सवाल, पाकिस्तान का बचाव
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और सोनिया गांधी के करीबी सैम पित्रोदा ने कहा है कि पुलवामा हमले के लिए पूरे पाकिस्तान को दोषी ठहराना ठीक नहीं है। बालाकोट एयर स्ट्राइल पर सवाल उठाते हुए इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष पित्रोदा ने कहा कि हमले के लिए पूरा पाकिस्तान जिम्मेदार नहीं है। सैम पित्रोदा ने पुलवामा हमले के बारे में कहा, ‘हमले के बारे में मैं ज्यादा कुछ नहीं जानता। यह हर तरह के हमले की तरह है। मुंबई में भी ऐसा हुआ था। हमने इस बार रिएक्ट किया और कुछ जहाज भेज दिए, लेकिन यह सही तरीका नहीं है। मुंबई में (26/11 आतंकी हमला) 8 लोग आते हैं और हमला कर देते हैं। इसके लिए पूरे देश (पाकिस्तान) पर आरोप नहीं लगा सकते है।
Sam Pitroda,Indian Overseas Congress Chief on #PulwamaAttack:Don’t know much about attacks,it happens all the time,attack happened in Mumbai also,we could have then reacted and just sent our planes but that is not right approach.According to me that’s not how you deal with world. pic.twitter.com/QZ6yXSZXb2
— ANI (@ANI) March 22, 2019
राहुल गांधी ने सर्जिकल स्ट्राइक पर खड़े किए सवाल
28-29 सितंबर, 2016 की रात पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में सेना द्वारा किया गया सर्जिकल स्ट्राइक देश के लिए गौरव का विषय था, लेकिन देशद्रोह पर उतर आई कांग्रेसी नेताओं ने इस पर भी सवाल खड़े कर दिए।कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने सवाल खड़े करते हुए प्रधानमंत्री मोदी पर ‘खून की दलाली’ करने का आरोप लगाया। राहुल गांधी ने सर्जिकल स्ट्राइक पर प्रधानमंत्री मोदी को निशाने पर लेते हुए कहा कि हमारे जिन जवानों ने जम्मू-कश्मीर में अपनी जान दी, सर्जिकल स्ट्राइक की। आप उनके खून की दलाली कर रहे हो, ये बिल्कुल गलत है।
बेरोजगारी के कारण ISIS जैसे संगठन का जन्म- राहुल
जर्मनी के हैम्बर्ग में 22 अगस्त को राहुल गांधी ने यह बयान दिया था कि बेरोजगारी के कारण ISIS जैसे संगठन का जन्म होता है। यानि वे एक तरह से ISIS जैसे संगठन के अस्तित्व को भी जायज ठहरा रहे थे। सवाल उठता है नफरत की बुनियाद और नस्लों के नरसंहार की नीति पर खड़ी होने वाले ISIS को लेकर राहुल गांधी इतने सॉफ्ट क्यों हैं? सवाल यह भी कि क्या कांग्रेस का ISIS जैसे संगठनों से कोई रिश्ता है? दरअसल वोट बैंक के लिए कांग्रेस ने हमेशा ही ऐसी ही अराजकता को हमेशा बढ़ावा दिया है। आजादी के बाद से ULFA, UNLF, सिमी और JKLF जैसे आतंकवादी और अलगाववादी संगठनों के आगे बढ़ने में कांग्रेस की बड़ी भूमिका रही है।
लश्कर-ए-तैयबा का कांग्रेस कनेक्शन
लश्कर के प्रवक्ता ने कांग्रेस पार्टी के उस बयान का समर्थन किया था, जिसमें पार्टी ने सेना की कार्रवाई पर सवाल उठाए थे। लश्कर के प्रवक्ता अब्दुल्ला गजनवी ने प्रेस रीलीज कर कहा था, ”भारतीय सेना कश्मीर में मासूम लोगों को मार रही है और गुलाम नबी आजाद ने भी इस बात को स्वीकार किया है। कांग्रेस पार्टी ने इसका विरोध किया है, हम कांग्रेस पार्टी का समर्थन करते हैं कि भारतीय सेना अपने ऑपरेशन कश्मीर में बंद करे।”
जाकिर नाइक से कांग्रेस को है ‘मोहब्बत’
इस्लामी कट्टरपंथी धर्म प्रचारक जाकिर नाइक से कांग्रेसी नेताओं के ताल्लुकात रहे हैं। जाकिर नाइक ने कई देशविरोधी कार्य किए, कई देशविरोधी भाषण दिए, लेकिन कांग्रेसी सरकारें उस पर कार्रवाई से कतराती रही। एक बार दिग्विजय सिंह ने जाकिर नाइक को ‘मैसेंजर ऑफ पीस’ बताया था। वाकया साल 2012 का है, जब एक इवेंट के दौरान उन्होंने नाइक के साथ मंच साझा किया था। जाकिर नाइक की संस्था इस्लामिक रिसर्च फाउडेंशन ने 2011 में राजीव गांधी चैरिटेबुल ट्रस्ट को 50 लाख रुपये चंदे के रूप में दिया था।
आतंकी इशरत जहां पर कांग्रेस ने की राजनीति
15 जून 2004 को अहमदाबाद में एक मुठभेड़ में आतंकी इशरत जहां और उसके तीन साथी जावेद शेख, अमजद अली और जीशान जौहर मारे गए थे। गुजरात पुलिस के मुताबिक उनके निशाने पर गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी थे, लेकिन केंद्र की सत्ताधारी कांग्रेस सरकार को इसमें भी सियासत दिखी। सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की जाने लगी। लेकिन गृह मंत्रालय के पूर्व अंडर सेक्रेटरी आरवीएस मणि ने कांग्रेस की साजिशों की परतें खोल दीं। उन्होंने साफ कहा कि इशरत और उसके साथियों को आतंकी ना बताने का उन पर दबाव डाला गया था।
इससे पहले मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर और कुछ दिनों के लिए इशरत जहां एनकाउंटर पर बनी एसआइटी की टीम मुखिया सत्यपाल सिंह ने भी कहा था कि उन्हें इशरत जहां के एनकाउंटर झूठा साबित करने के लिए ही एसआइटी की कमान सौंपी गई थी। इतना ही नहीं उन्हें इस एनकाउंटर के तार नरेन्द्र मोदी तक पहुंचने को कहा गया था।
खालिस्तान समर्थकों का हौसला कांग्रेस ने बढ़ाया
आतंकवादी भिंडरावाले ने कांग्रेसी सिख नेताओं, खास तौर से ज्ञानी जैल सिंह की शह पर स्वर्णमन्दिर परिसर में स्थित अकाल तख्त पर कब्जा कर लिया था और वहां सैकड़ों हथियारबन्द आतंकियों ने अपना अड्डा बना लिया था। यह 1982-83 का समय था, जब पंजाब में कांग्रेस के दरबारा सिंह की ही सरकार थी। बात जब देश के टुकड़े करने तक बढ़ गई तो ऑपरेशन ब्लू स्टार करना पड़ा, जिसमें 492 आतंकवादी ढेर किए गए थे, जबकि देश के 83 सैनिक भी शहीद कर दिए गए थे।
पत्थरबाजों का समर्थन करती है कांग्रेस
जब सेना के मेजर गोगोई ने पत्थरबाज को जीप पर बांधकर सेना के दर्जनों जवानों की जान बचाई तो कांग्रेस ने इस पर भी राजनीति की। जिस आतंकी बुरहान वानी को भारतीय सेना ने एनकाउंटर कर ढेर कर दिया उसे कांग्रेस पार्टी जिंदा रखने की बात कहती है। कश्मीर में पार्टी के नेता सैफुद्दीन सोज ने कहा कि उनका बस चलता तो वह आतंकी बुरहान वानी को जिंदा रखते।
अफजल-याकूब का समर्थन करती है कांग्रेस
संसद पर हमले के दोषी आतंकी अफजल गुरु की फांसी पर भी कांग्रेस ने पॉलटिक्स की थी। कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा था कि संसद हमले के दोषी अफजल गुरु को फांसी देना गलत था और उसे गलत तरीके से दिया गया। कांग्रेस के नेता दिग्विजय सिंह ने अफजल गुरु को अफजल गुरुजी कहकर पुकारा था। इतना ही नहीं यही कांग्रेस है जिनके नेताओं ने याकूब मेनन की फांसी पर भी आपत्ति जताई थी। काग्रेस नेताओं के समर्थन पर ही प्रशांत भूषण ने रात में भी सुप्रीम कोर्ट खुलवा दिया था।
कश्मीर के अलगावादियों से कांग्रेस के हैं रिश्ते
कश्मीर में लगातार बिगड़ते माहौल के पीछे काफी हद तक अलगाववादी नेताओं का ही हाथ है। अलगाववादी नेताओं को लगातार उनके पाकिस्तानी आकाओं से मदद मिलती है और वह यहां कश्मीरी लड़कों को भड़काते हैं। NIA की की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2005 से लेकर 2011 के बीच अलगाववादियों को ISI की ओर से लगातार मदद मिल रही थी। 2011 में NIA की दायर चार्जशीट के अनुसार हिज्बुल के फंड मैनेजर इस्लाबाद निवासी मोहम्मद मकबूल पंडित लगातार अलगाववादियों को पैसा पहुंचा रहा था, लेकिन कांग्रेस सरकार ने इस पर कोई कठोर निर्णय नहीं लिया था।
आतंकवादियों के लिए सोनिया गांधी के निकले आंसू
सितंबर 19, 2008 को दिल्ली के जामिया नगर इलाके में मुठभेड़ हुई। इंडियन मुजाहिदीन के दो आतंकवादी मारे गए। दो अन्य भाग गए, जबकि जीशान को गिरफ्तार कर लिया गया। इस मुठभेड़ में दिल्ली पुलिस निरीक्षक मोहन चंद शर्मा शहीद हो गए। हालांकि कांग्रेस ने इसे फर्जी बताने की पूरी कोशिश की। 2012 में यूपी चुनाव के दौरान सलमान खुर्शीद ने मुसलमानों से कहा, “आपके दर्द से वाकिफ हूं। जब बाटला हाउस कांड की तस्वीर सोनिया गांधी को दिखाई थी। तस्वीरें देखकर उनकी आंखों में आंसू आ गए थे।”
नक्सली पर अक्सर नरम दिखी है कांग्रेस
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की हत्या की साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तारी के बाद नजरबंद किए गए ‘एक्टिविस्ट्स’ और ‘एकेडमिशियन्स’ से कांग्रेस की सहानुभूति जगजाहिर हो चुकी है। इसके साथ ही कांग्रेस की इस सहानुभूति का राज भी पूरी तरह से खुल गए। नक्सलियों पर कांग्रेस के बड़े नेताओं के बयान और ‘कॉमरेडों’ के बीच हुए पत्रों के आदान-प्रदान में कांग्रेस नेताओं को लेकर जिस प्रकार का जिक्र हुआ, उसने नक्सल-कांग्रेस साठगांठ को सामने ला दिया। जहां कॉमरेडों ने एक-दूसरे को लिखे पत्रों में कांग्रेस नेताओं के समर्थन और मदद का दावा किया, वहीं कांग्रेस के सांसद राहुल गांधी, पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी से लेकर दिग्विजय सिंह सरीखे नेता नक्सलियों पर हमेशा नरम दिखते रहे हैं।
दिग्विजय सिंह की मानें तो भाजपा को हराने के लिए नक्सलियों की मदद से भी कांग्रेस को गुरेज नहीं। दरअसल दिग्विजय सिंह वही नेता हैं जो आतंकी सरगनाओं के लिए भी सम्मान का भाव रखते हैं। पूरे देश को पता है कि उन्होंने ओसामा बिन लादेन को ‘ओसामा जी’ और हाफिज सईद को ‘हाफिज सईद साहब’ कहकर संबोधित किया था। सवाल अब ये उठ रहा है कि पत्रों के संदर्भ से जो कांग्रेसी नक्सलियों के लिए ‘दोस्त’ हैं, उनमें दिग्विजय सिंह भी शामिल तो नहीं हैं? नीचे कुछ ऐसे तथ्य और बयान हैं जो कांग्रेस-नक्सल प्रेम को स्थापित करने वाले हैं।
कांग्रेस का नक्सल प्रेम!
28 अगस्त, 2018
कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष राहुल गांधी ने नक्सली लिंक के आरोप में हुई गिरफ्तारियों पर सवाल उठाया था। मामले की गंभीरता को समझे बिना राहुल ने अपने ही स्तर पर आरोपियों को क्लीन चिट दे दी थी।
2 जनवरी, 2018
भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में जून में गिरफ्तार रोना विल्सन के लैपटॉप से एक कॉमरेड के मिले ई-मेल में देश में अराजकता फैलाने के लिए कांग्रेस का साथ मिलने का दावा किया गया था।
25 सितंबर, 2017
कॉमरेड प्रकाश द्वारा कॉमरेड सुरेन्द्र को भेजे एक पत्र में लिखा गया था कि कांग्रेस नेता आंदोलन को उग्र करने की उनकी योजना में फंड करने को तैयार हैं। पत्र में ‘दोस्त’ बताते हुए जिस फोन नंबर का उल्लेख किया गया था, वह कांग्रेस पार्टी की वेबसाइट पर दिग्विजय सिंह का था।
दिसंबर, 2014
झारखंड विधानसभा चुनाव में पार्टी उम्मीदवारों के लिए प्रचार करते हुए दिग्विजय सिंह ने कहा था कि भाजपा को हराने के लिए नक्सली कांग्रेस का साथ दें। उन्होंने नक्सलियों को हिंसा छोड़ कांग्रेस में शामिल होने का न्योता भी दिया था।
मई, 2013
दिग्विजय सिंह ने कहा था कि नक्सली आतंकी नहीं, भ्रमित हैं।
मई, 2010
तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी नेताओं को पत्र लिखकर कहा था कि नक्सली हिंसा की जड़ को समझने की जरूरत है।