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सच साबित हुई पीएम मोदी की चेतावनी, प्रधानमंत्री, अर्थव्यवस्था और आस्था पर हुआ हमला, 2024 के आम चुनाव तक होते रहेंगे हमले

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देश जैसे-जैसे आम चुनाव की तरफ आगे बढ़ रहा है, वैसे-वैसे मोदी सरकार के खिलाफ साजिशें भी तेज होती जा रही हैं। इस साजिश में देश के विपक्षी दलों के साथ ही विश्व के पुराने दिग्गज उद्योगपति, मीडिया और एनजीओ शामिल है, जो किसी भी तरह मोदी सरकार को केंद्र की सत्ता से बेदखल करना चाहते हैं। इसके लिए वे उस बुनियाद पर प्रहार कर रहे है, जो प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार को मजबूती प्रदान करने वाले हैं। इसमें प्रधानमंत्री मोदी की छवि, मजबूत अर्थव्यवस्था और हिन्दू आस्था को निशाना बनाया जा रहा है। इस हमले की चेतावनी प्रधानमंत्री मोदी ने गुजरात चुनाव में बीजेपी की रिकॉर्ड जीत के बाद ही दे दी थी। बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री, हिंडनबर्ग की रिपोर्ट, विपक्ष की सक्रियता और रामचरितमानस को निशाना बनाने की टाइमिंग एक बड़ी साजिश की ओर इशारा कर रही है।

अब जुल्म बढ़ने वाला है, आप मान के चलिए- पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुजरात में मिली ऐतिहासिक जीत के बाद दिल्ली में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि मैं मानता हूं कि 2002 के बाद जीवन का कोई कदम ऐसा नहीं गया, कोई कदम ऐसा नहीं रहा। जिसकी धज्जियां नहीं उड़ाई गईं हों। बाल न नोचें गए हों। लेकिन मुझे इसका फायदा हुआ। उन्होंने कहा कि आलोचनाओं ने हमें बहुत सिखाया है। आलोचनाओं में से हमारे काम की चीज खोजते रहना है। हमें अपनी शक्ति को बढ़ाते रहना है। कठोर से कठोर से झूठे आरोपों को सहने की क्षमता बढ़ानी होगी। क्योंकि अब जुल्म बढ़ने वाला है। आप मान के चलिए, मुझ पर भी बढ़ने वाला है। आप पर भी बढ़ने वाला है। ये पचा नहीं पाएंगे। ये सहन नहीं कर पाएंगे। उसका जवाब यही है कि हमें अपनी सहनशक्ति बढ़ाना है। हमें समझदारी का विस्तार करना है। अधिक से अधिक लोगों से जुड़ना है।

बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री से प्रधानमंत्री की छवि पर हमला

प्रधानमंत्री मोदी की ये चेतावनी सच सबाति हुई। पिछले डेढ़ महीन में एक के बाद एक कई मामले सामने आए हैं। ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन (बीबीसी) ने दो एपिसोड की एक डॉक्यूमेंट्री बनाई है जिसका नाम है – इंडिया: द मोदी क्वेश्चन। बीबीसी ने साल 2002 के गुजरात दंगों के दौरान गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में नरेन्द्र मोदी के कार्यकाल पर ​निशाना साधते हुए दो पार्ट्स में एक सीरीज बनाई है। भारत सरकार और ब्रिटेन में भारतवंशियों के विरोध के बावजूद इस विवादित डॉक्यूमेंट्री को जारी किया गया। देश में प्रतिबंध के बावजूद इसे कई विश्वविद्यालयों में देखा गया। डॉक्यूमेंट्री पर लगे प्रतिबंध को हटाने की मांग की जा रही है। इसी बीच इस डॉक्यूमेंट्री को बनाने के पीछे अंतरराष्ट्रीय साजिश का खुलासा हुआ है, जिससे पता चलता है कि डॉक्यूमेंट्री पीएम मोदी की छवि को खराब करने के मकसद से बनाया गया है। इसमें नरेन्द्र मोदी के मुख्यमंत्री रहते हुए गुजरात में साल 2002 में हुई हिंसा में लोगों की मौत पर सवाल उठाए गए हैं। 

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट से अर्थव्यवस्था पर हमला

जिस तरह से पिछले तीन चार दिनों से अडानी ग्रुप के शेयर में अचानक गिरावट आ रही है,उससे सब कोई हैरान है। सवाल उठ रहे हैं कि क्या ये सब कुछ अमेरिकी फाइनेंशियल कंपनी हिंडनबर्ग की रिपोर्ट का ही असर है। या फिर इसके पीछे कोई बहुत बड़ी सोची समझी साजिश है। जिसने पूरे बाजार में उथल-पुथल मचा रखा है। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट 24 जनवरी को आई थी। और उसके बाद से ही अडानी ग्रुप की तमाम कंपनियों के शेयर धड़ाम हो गए। इतना ही नहीं देखते ही देखते गौतम अडानी भी दुनिया के अमीर लोगों की सूची में तीसरे स्थान से खिसक कर बाइसवें स्थान पर पहुंच गए। अडानी ग्रुप की तरफ से पूरे 413 पन्नों में जवाब लिखा गया और पलटवार करते हुए हिंडनबर्ग को चेतावनी दी गई कि वो किसी गहरी साज़िश के तहत ऐसा कर रहे हैं।

हिंडनबर्ग रिपोर्ट की टाइमिंग पर उठे सवाल

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट की टाइमिंग और भारत में विपक्ष की सक्रिया से सवाल उठाने शुरू हो गए हैं। कहीं इस उथल पुथल के पीछे कोई सोचा समझा खेल तो नहीं जिसका मकसद मोटा मुनाफा कमाने के साथ ही मोदी सरकार को मुसीबत में डालकर विपक्ष को राजनीतिक फायदा पहुंचाना है? दरअसल अमेरिकी मीडिया में छपी खबरों पर यकीन किया जाए तो खुद हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट के साथ साथ ये भी खुलासा किया था कि उसने अडानी समूह के शेयरों में शॉर्ट पोजीशन ले रखी है। एक अमेरिकी इनवेस्टमेंट कंपनी की घोषणा के मुताबिक हिंडनबर्ग कंपनी असल में मंदड़िया यानी बियरर है। जिसका धंधा है शॉर्ट सेलिंग का। यानी ये कंपनी बाजार की गिरावट में अपना फायदा ढूंढ़ लेती है। यानी वो शेयर को बेच पहले देता है और जब दाम गिर जाते हैं तो खरीदता है। इससे अब रिपोर्ट के पीछे गहरी साजिश की आशंका जतायी जा रही है। 

विपक्ष की सक्रियता से साजिश की आशंका

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद विपक्ष को भी मोदी सरकार को घेरने का एक मुद्दा मिल गया है। इस मुद्दे पर चर्चा को लेकर शुक्रवार (3 फरवरी) को भी विपक्षी दलों ने संसद में खूब हंगामा किया। जिसके बाद लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही 6 फरवरी तक के लिए स्थगित कर दी गई। विपक्षी दलों ने अडानी ग्रुप के खिलाफ अमेरिका की कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोपों पर सदन में चर्चा और संयुक्त संसदीय समिति से जांच की मांग की।हालांकि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों का सच अब तक साबित होना बाकी है। लेकिन जो काम राहुल गांधी की कई महीनों की यात्रा नहीं कर पाई, अडानी संकट उसे पूरा करता दिख रहा है। तमाम विरोधी दल लामबंद हो गए हैं।

हिन्दू धर्म ग्रंथों को जलाकर आस्था पर हमला

बिहार और उत्तर प्रदेश में जातियों को आपस में लड़ाने की बड़ी साजिश की गई है। इसके लिए लालू प्रसाद यादव की आरजेडी और अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी ने बड़े स्तर पर तैयारी की है। इसमें नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जेडयू का भी मौन समर्थन मिल रहा है। इन तीनों दलोंं के बड़े नेता दलितों और पिछड़ों को अपने पक्ष में गोलबंद करने और उनका वोट हासिल करने के लिए रामचरितमानस को निशाना बना रहे हैं। हिन्दू धर्म के पवित्र धार्मिक ग्रंथ रामचरितमानस के खिलाफ नफरत पैदा करने के लिए सुनियोजित तरीके से अपमानजनक और भड़काऊ बयान दिए जा रहे हैं। यह सब तीनों पार्टियों के शीर्ष नेतृत्व के निर्देश पर हो रहा है। अब एक फोन कॉल ने उनके गुप्त एजेंडे का राज खोल दिया है। 

आस्था पर हमले के सूत्रधार बने बिहार के शिक्षा मंत्री

सोशल मीडिया पर आरजेडी नेता उदय नारायण चौधरी और शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर की बातचीत का एक ऑडियो वायरल हो रहा है, जिसमें एक फोन कॉल पर चंद्रशेखर को कहते सुना जा सकता है, “रामचरितमानस को लेकर इस तरह से बोलना है कि हिंदू लोग नाराज न हों। भगवान को बचाकर चलना होगा। हार्ड लाइन लेंगे तो लोग गुस्सा हो जाएंगे।” चंद्रशेखर ने फोन पर आगे कहा, “आप लोग इस तरह से बातों को रखें कि शबरी का बेर राम ने खाया, लेकिन शबरी का बेटा जीतन राम मांझी जब मंदिर में गए तो उसे गंगाजल से धोया गया। उस समय धर्माचार्यों ने पुरोहितों का जीभ क्यों नहीं काटा? रामनाथ कोविंद को पुरी के मंदिर में क्यों नहीं घुसने दिया गया? यानी आप हमें अछूत बनाकर रखना चाहते हो और हम से वोट लेना चाहते हो। इस तरह से बोलने से हिंदू लोग नाराज नहीं होंगे।”

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