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शराब घोटाले का मास्टरमाइंड हैं दिल्ली के सीएम केजरीवाल, ईडी की चार्जशीट में पहली बार आया नाम, गोवा चुनाव में इस्तेमाल किया घोटाले का पैसा

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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनकी आम आदमी पार्टी के नेता खुद को कट्टर ईमानदार होने का दावा करते हैं, लेकिन शराब घोटाले में एक के बाद एक हो रहे खुलासे ने उनकी ईमानदारी की धज्जियां उड़ा दी हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शराब घोटाले से जुड़े मामले में चार्जशीट दाखिल की है, जिसमें डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के साथ पहली बार अरविंद केजरीवाल का भी नाम शामिल किया गया है। चार्जशीट के मुताबिक शराब घोटाले का मास्टरमाइंड अरविंद केजरीवाल है और उनकी मिलीभगत से यह घोटाला हुआ है। इस घोटाले से मिले पैसे का इस्तेमाल गोवा चुनाव में किया गया था। वहीं मनीष सिसोदिया और उनके सहयोगियों पर बड़े पैमाने पर सबूत नष्ट करने के गंभीर आरोप लगे हैं।

दानिक्स अधिकारी सी अरविंद ने खोली केजरीवाल की पोल

दरअसल गुरुवार (03 फरवरी, 2023) को पीएमएलए कोर्ट ने ईडी की चार्जशीट का संज्ञान लिया और सभी आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने की अनुमति दी। चार्जशीट में सीएम केजरीवाल, डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के साथ-साथ उनके करीबी विजय नायर, इंडोस्पिरिट्स के प्रमुख समीर महेंद्रू समेत अन्य लोगों को आरोपी बनाया गया हैं। ईडी ने डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के सचिव के रूप में तैनात रहे दानिक्स अधिकारी सी अरविंद के बयान के आधार पर केजरीवाल को इस घोटाले में आरोपी बनाया है। ईडी के मुताबिक दानिक्स अधिकारी अरविंद ने कहा कि उन्हें उनके बॉस सिसोदिया द्वारा केजरीवाल के आवास पर बुलाया गया था, जहां एक बैठक में उन्हें आबकारी नीति पर मंत्रियों की रिपोर्ट का एक मसौदा सौंपा गया था।

आरोपी विजय नायर सीएम केजरीवाल का काफी करीबी

ईडी की चार्जशीट के मुताबिक शराब घोटाले को अंजाम देने वाला विजय नायर सीएम केजरीवाल का काफी करीबी है। ईडी ने यह भी दावा किया कि दिल्ली के मुख्यमंत्री के एक करीबी सहयोगी विजय नायर ने “फेसटाइम (आईफोन पर एक वीडियो कॉलिंग सुविधा) के माध्यम से समीर (महेंद्रू) और अरविंद केजरीवाल के लिए एक वीडियो कॉल की व्यवस्था की, जहां केजरीवाल ने समीर से कहा कि सहयोगी ‘उनका लड़का’ है और समीर को उस पर भरोसा करना चाहिए और उसके साथ आगे बढ़ना चाहिए।’

सिसोदिया पर बड़े पैमाने पर सबूत नष्ट करने का आरोप

शराब घोटाले में डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया पर गंभीर आरोप लगते रहे हैं। इस कड़ी में अब सिसोदिया पर सबूतों को नष्ट करने के आरोप लगे हैं। ईडी ने स्पेशल कोर्ट में आरोपियों और उनके सहयोगियों द्वारा बड़े पैमाने पर सबूतों को नष्ट करने का भी आरोप लगाया है। इसमें कहा गया है कि सिसोदिया ने दर्जनों बार अपने फोन बदले और दूसरों के नाम से लिए गए सिम कार्ड का इस्तेमाल किया। दिल्ली के व्यवसायी अमित अरोड़ा और आबकारी मंत्री मनीष सिसोदिया ने 11 फोन इस्तेमाल किए और बदले। ईडी ने अदालत को बताया कि ये फोन कथित शराब घोटाले की अवधि के दौरान इस्तेमाल किए गए थे। आरोपियों ने जिन फोन-उपकरणों का उपयोग करने के नष्ट किया, उनकी अनुमानित कीमत करीब 1.38 करोड़ रुपये है।

घोटाले का 100 करोड़ रुपये गोवा चुनाव में इस्तेमाल

आम आमदी पार्टी के तेजी से विस्तार के पीछे ये घोटाले के पैसे हैं। दरअसल जनता को मुफ्त में सौ और हजार रुपये का रेवड़ी थमाकर सरकार के खजाने को लूटा जा रहा है। इसका खुलासा ईडी की चार्जशीट से हुआ है। ईडी ने चार्जशीट में दावा किया है कि शराब घोटाले में 100 करोड़ रुपये की कथित रिश्वत के बारे में पता चला है। रिश्वत के पैसों का इस्तेमाल आम आदमी पार्टी के नेताओं द्वारा पिछले साल मार्च में हुए गोवा चुनाव में किया गया था। ‘आप’ के सर्वे दल में शामिल वालेंटियर्स को करीब 70 लाख रुपये का नकद भुगतान किया गया था। जांच एजेंसी ने कहा कि ‘आप’ के कम्यूनिकेशन इंचार्ज विजय नायर ने कैंपेन से जुड़े कुछ लोगों को कैश पेमेंट लेने को कहा था।

तेलंगाना के सीएम की बेटी के ग्रुप से ली गई थी रिश्वत

ईडी की चार्जशीट में कहा गया है कि अरविंद केजरीवाल के करीबी विजय नायर ने आम आदमी पार्टी की ओर से YSRCP के सांसद मगुंटा श्रीनिवासुलु रेड्डी, उनके बेटे राघव मगुन्टा, अरबिंदो फार्मा के डायरेक्टर पी सरथ चंद्र रेड्डी, तेलंगाना के सीएम केसीआर की बेटी कविता कलवकुंतला के एक ग्रुप से 100 करोड़ रुपये की रिश्वत ली थी। हैदराबाद के बिजनेसमैन अभिषेक बोइनपल्ली ने दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के सहयोगी दिनेश अरोड़ा के साथ मिलकर पैसे ट्रांसफर कराए। दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने ईडी की दूसरी चार्जशीट भी देखी थी और मामले में आगे बढ़ने पर सहमति जताई थी।

शराब घोटाले में ईडी और सीबीआई का कसता शिकंजा

गौरतलब है कि दिल्ली के शराब घोटाले में ईडी और सीबीआई द्वारा आरोपियों के खिलाफ लगातार चार्जशीट दाखिल की जा रही है। दोनों एजेंसियों की जांच में घोटाले से जुड़े नए-नए तथ्य सामने आ रहे हैं। इससे सीएम केजरीवाल और डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया पर शिकंजा कसता जा रहा है। सीबीआई के अधिकारियों ने 19 अगस्त, 2022 की सुबह 8.30 बजे सिसोदिया के घर पर छापेमारी की थी। इसके अलावा 7 राज्यों की 21 जगहों पर छापेमारी की गई थी। छापेमारी करीब 12 घंटे तक चली। इसके पहले ईडी ने 25 जगहों पर छापेमारी की थी। इस दौरान एजेंसी ने राजधानी के कई शराब कारोबारियों के आवासों सहित कई ठिकानों पर तलाशी ली थी। दोनों जांच एजेंसियां ईडी और सीबीआई ने इस केस में 100 से अधिक ठिकानों पर छापेमारी की है और नेताओं, पूर्व नौकरशाहों, कारोबारियों से पूछताछ कर चुकी है।

आइए देखते हैं, केजरीवाल सरकार ने किस तरह दिल्ली आबकारी नीति में बदलाव कर शराब माफिया को सरकारी खजाने और दिल्ली की जनता को लूटने की खुली छूट दी…

वकीलों की फीस के रूप में कुल 28.10 करोड़ रुपये लूटाया

सीएम अरविंद केजरीवाल और डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया पर शराब घोटालों से बचने के लिए जनता के पैसे पर महंगे वकीलों की सेवाएं लेने और केस लड़ने के लिए करोड़ों रुपये खर्च करने के आरोप लगे हैं। इसी कड़ी में दिल्ली राजभवन ने एक हैरान करने वाला खुलासा किया। राजभवन के सूत्रों के मुताबिक दिल्ली सरकार पिछले 18 महीने में वकीलों की फीस के रूप में कुल 28.10 करोड़ रुपये लूटा चुकी है। दिल्ली आबकारी नीति घोटाला मामले में केजरीवाल सरकार की ओर से कोर्ट में पैरवी करने वाले वकीलों को 25.25 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया। 2021-2022 के दौरान 16.09 करोड़ रुपये और 2022-2023 के आठ महीनों के दौरान 5.24 करोड़ रुपये खर्च किए गए। इनमें कांग्रेस के राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ वकील डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी को 18.97 करोड़ रुपये मिले। दिल्ली सरकार की ओर से सिंघवी को 2021-22 में 14.85 करोड़ रुपये और इसके बाद 4.1 करोड़ रुपये दिए गए।

आबकारी नीति में बदलाव कर शराब माफिया को दी लूटने की खुली छूट

दिल्ली के सबसे बड़े शराब घोटाले से जुड़े पुख्ता सुबूत सीबीआई के हाथ लगते जा रहे हैं। इससे न सिर्फ सिसोदिया का बचना मुश्किल है, बल्कि उसके बेहद करीबी भी एक के बाद एक्सपोज हो रहे हैं। आबकारी नीति 2021-22 को तैयार करने और इसके क्रियान्वयन में भ्रष्टाचार पर अपनी प्राथमिकी में सीबीआई ने कहा था कि इंडोस्पिरिट्स के एमडी समीर महेंद्रू ने नई दिल्ली के राजेंद्र प्लेस में स्थित यूको बैंक की शाखा में राधा इंडस्ट्रीज के खाते में 1 करोड़ रुपये की रकम भेजी थी। राधा इंडस्ट्रीज का प्रबंधन दिनेश अरोड़ा कर रहे हैं, जो दिल्ली के डिप्टी सीएम सिसोदिया के करीबी सहयोगी हैं। इसके अलावा मुख्य सचिव नरेश कुमार की एलजी को सौंपी गोपनीय रिपोर्ट से यह खुलासा हुआ कि दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने कोरोना की आड़ में शराब ठेकेदारों की 144.36 करोड़ रुपये की लाइसेंस फीस ही माफ कर दी। 

सिसोदिया के करीबी शराब लाइसेंसधारियों से एकत्रित करते थे अनुचित आर्थिक लाभ
सीबीआई के मुताबिक मनोरंजन और इवेंट मैनेजमेंट कंपनी ‘ओनली मच लाउडर’ के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) विजय नायर, पर्नोड रिकार्ड के पूर्व कर्मचारी मनोज राय, ब्रिंडको स्पिरिट्स के मालिक अमनदीप ढल तथा इंडोस्पिरिट्स के मालिक समीर महेंद्रू सक्रिय रूप से नवंबर 2021 में लाई गई आबकारी नीति का निर्धारण और क्रियान्वयन में अनियमितताओं में शामिल थे। एजेंसी ने आरोप लगाया कि गुरुग्राम में बडी रिटेल प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक अमित अरोड़ा, दिनेश अरोड़ा और अर्जुन पांडे, सिसोदिया के ‘करीबी सहयोगी’ हैं और आरोपी लोक सेवकों के लिए ‘शराब लाइसेंसधारियों से एकत्र किए गए अनुचित आर्थिक लाभ के प्रबंधन और स्थानांतरण करने में सक्रिय रूप से शामिल थे।दिल्ली सरकार ने नई एक्साइज पॉलिसी में 100 प्रतिशत दुकानें निजी हाथों में सौंप दीं
दरअसल, दिल्ली सरकार के शराब घोटाले का खेल 2021 में ही शुरू हो गया था। सरकार ने 17 नवंबर 2021 को दिल्ली में नई एक्साइज पॉलिसी लागू की। इसके तहत राजधानी में 32 जोन बनाए गए। हर जोन में 27 दुकानें खुलनी थीं। इस तरह कुल मिलाकर 849 दुकानें खोलने की नीति थी। नई नीति लागू होने से पहले तक दिल्ली में शराब की 60% दुकानें सरकारी और 40% प्राइवेट थीं, लेकिन नई नीति लागू होने के बाद 100% दुकानें निजी हाथों को सौंप दी गई। आरोप लगे तो दिल्ली सरकार ने खोखला तर्क गढ़ा कि इससे रेवेन्यू 3,500 करोड़ रुपये बढ़ने की उम्मीद है। हालांकि घोटाला उजागर होने और नई एक्साइज पॉलिसी पर विवाद बढ़ने के बाद केजरीवाल सरकार ने 1 सितंबर,2022 से फिर से पुरानी एक्साइज पॉलिसी लागू कर दिया। मुख्य सचिव कुमार की गोपनीय रिपोर्ट पर एलजी ने की थी सीबीआई जांच की सिफारिश
आपको बता दें कि दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया और अन्य के खिलाफ ये पूरी कार्रवाई मुख्य सचिव नरेश कुमार की उस रिपोर्ट पर हो रही है, जिसमें एक्साइज पॉलिसी में गड़बड़ी होने का आरोप लगाया गया था। ये रिपोर्ट लेफ्टिनेंट गवर्नर वीके सक्‍सेना को सौंपी गई थी। मुख्य सचिव कुमार की रिपोर्ट पर एलजी ने सीबीआई जांच की सिफारिश की थी। इस रिपोर्ट में GNCTD एक्ट 1991, ट्रांजेक्शन ऑफ बिजनेस रूल्स 1993, दिल्ली एक्साइज एक्ट 2009 और दिल्ली एक्साइज रूल्स 2010 के नियमों का उल्लंघन पाया गया था। सीबीआई ने अब 8 आरोपियों के खिलाफ लुकआउट नोटिस भी जारी किया। यानी, ये लोग अब देश छोड़कर नहीं जा सकते।

 

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