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प्रधानमंत्री मोदी ने जारी किए श्रीराम जन्मभूमि मंदिर पर 6 विशेष डाक टिकट, एक डाक पुस्तिका का भी किया लोकार्पण

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 18 जनवरी को अयोध्या के श्री राम जन्मभूमि मंदिर पर छह विशेष स्मारक डाक टिकट जारी किए। इसके साथ ही उन्होंने दुनिया भर से जारी भगवान राम को समर्पित टिकटों वाली एक पुस्तिका का भी लोकार्पण किया। छह विशेष स्मारक डाक टिकटों में राम मंदिर, भगवान गणेश, भगवान हनुमान, जटायु, केवटराज और मां शबरी के टिकट शामिल हैं। डाक टिकट के डिजाइन में राम मंदिर, चौपाई- मंगल भवन अमंगल हारी द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी, सूर्य, सरयू नदी और मंदिर के आसपास की प्रतिमाओं के चित्र शामिल हैं।

विशेष टिकट के साथ जारी पुस्तिका- स्टाम्प बुक अलग-अलग समाज, देशों पर भगवान श्रीराम की अंतरराष्ट्रीय अपील को प्रदर्शित करने का एक प्रयास है। 48 पेज की इस बुकलेट में अमेरिका, न्यूजीलैंड, सिंगापुर, कनाडा, कंबोडिया और संयुक्त राष्ट्र जैसे संगठनों सहित 20 से अधिक देशों द्वारा जारी किए गए डाक टिकट शामिल हैं।

इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने अपने वीडियो संदेश में कहा, ‘आज श्रीराम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा अभियान से जुड़े एक और अद्भुत कार्यक्रम से जुड़ने का मुझे सौभाग्य मिला है। आज श्रीराम जन्मभूमि मंदिर को समर्पित 6 विशेष स्मारक डाक टिकट जारी किए गए हैं। विश्व के अलग-अलग देशों में प्रभु श्रीराम से जुड़े जो डाक टिकट पहले जारी हुए हैं, आज उनका एक एल्बम भी रिलीज हुआ है।’

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘पोस्टल स्टैम्प एक और महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। पोस्टल स्टैम्प विचारों, इतिहास और ऐतिहासिक अवसरों को अगली पीढ़ी तक पहुंचाने का एक माध्यम भी होते हैं। ये इतिहास की किताबों, कलाकृतियों के रूपों और ऐतिहासिक स्थलों का सबसे छोटा रूप भी होते हैं।’

उन्होंने कहा, ‘इन टिकटों में राम मंदिर का भव्य चित्र है, कलात्मक अभिव्यक्ति के जरिए रामभक्ति की भावना है, और ‘मंगल भवन अमंगल हारी’, इस लोकप्रिय चौपाई के माध्यम से राष्ट्र के मंगल की कामना है। इनमें सूर्यवंशी राम के प्रतीक सूर्य की छवि है, जो देश में नए प्रकाश का संदेश भी देता है। इनमें पुण्य नदी सरयू का चित्र भी है, जो राम के आशीर्वाद से देश को सदैव गतिमान रहने का संकेत करती है।’

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘भगवान श्रीराम, माता सीता और रामायण की बातें, समय, समाज, जाति, धर्म और क्षेत्र की सीमाओं से परे, हर एक व्यक्ति से जुड़ी हैं। सबसे मुश्किल कालखंड में भी त्याग, एकता और साहस दिखाने वाली रामायण, अनेक मुश्किलों में भी प्रेम की जीत सिखाने वाली रामायण पूरी मानवता को खुद से जोड़ती है। यही कारण है, कि रामायण पूरे विश्व में आकर्षण का केंद्र रही है। दुनिया के विभिन्न देशों, विभिन्न संस्कृतियों में रामायण को लेकर एक उत्साह रहा है।’

प्रधानमंत्री ने कहा कि महर्षि वाल्मिकी का वह आह्वान आज भी अमर है जिसमें उन्होंने कहा था: यावत् स्थास्यन्ति गिरयः, सरितश्च महीतले। तावत् रामायणकथा, लोकेषु प्रचरिष्यति॥ अर्थात्, जब तक पृथ्वी पर पर्वत हैं, नदियां हैं, तब तक रामायण की कथा, श्रीराम का व्यक्तित्व लोक समूह में प्रचारित होता रहेगा।

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