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एक जन आंदोलन बन गया है वोकल फॉर लोकल जिसने देश में कपड़ा क्षेत्र को दी है नई गति- प्रधानमंत्री मोदी

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कहा है कि वोकल फॉर लोकल एक जन आंदोलन बन गया है जिसने देश में कपड़ा क्षेत्र को नई गति दी है। 7 अगस्त को दिल्ली के प्रगति मैदान स्थित भारत मंडपम में 9वें राष्ट्रीय हथकरघा दिवस समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि कपड़ा क्षेत्र में जो योजनाएं शुरू की गई हैं, वे बुनकरों और कारीगरों को न्याय दिलाती हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने आज राष्ट्रीय फैशन प्रौद्योगिकी संस्थान- NIFT द्वारा विकसित ई-पोर्टल ‘भारतीय वस्त्र एवं शिल्प कोष-कपड़ा और शिल्प का भंडार’ का भी शुभारंभ किया।

सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि पुराने और नए का संगम आज के नए भारत को परिभाषित करता है। उन्होंने कहा, ” आज का भारत सिर्फ ‘वोकल फ़ॉर लोकल’ ही नहीं, बल्कि इसे दुनिया भर में ले जाने के लिए वैश्विक मंच भी प्रदान कर रहा है।” प्रधानमंत्री ने कहा, “अगस्त ‘क्रांति’ का महीना है।” स्वदेशी आंदोलन पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह केवल विदेश में बने कपड़ों के बहिष्कार तक ही सीमित नहीं था, बल्कि भारत की स्वतंत्र अर्थव्यवस्था के लिए प्रेरणास्रोत भी रहा। उन्होंने कहा कि यह भारत के बुनकरों को लोगों से जोड़ने का आंदोलन था और सरकार द्वारा इस दिन का चयन राष्ट्रीय हथकरघा दिवस के रूप में करने के पीछे यही प्रेरणा थी। प्रधानमंत्री ने कहा, “देश में स्वदेशी को लेकर नई क्रांति का सूत्रपात हुआ है।”

प्रधानमंत्री ने बताया कि नौ साल पहले खादी और ग्रामोद्योग का कारोबार सिर्फ 25-30 हजार करोड़ रुपये था, लेकिन आज यह एक लाख तीस हजार करोड़ रुपए से भी ज्यादा का हो गया है। उन्होंने कहा कि गांवों और जनजातीय इलाकों में हथकरघा क्षेत्र से जुड़े लोगों तक अतिरिक्त 1 लाख करोड़ रुपये पहुंचे हैं। प्रधानमंत्री ने नीति आयोग की उस रिपोर्ट का हवाला दिया जिसमें पिछले 5 वर्षों में 13.5 करोड़ लोगों के गरीबी के चंगुल से बाहर निकलने की बात कही गई है और उन्होंने इसमें बढ़ते कारोबार का योगदान होने की बात स्वीकार की। श्री मोदी ने कहा, ” वोकल फॉर लोकल की भावना के साथ देशवासी स्वदेशी उत्पादों को हाथों हाथ खरीद रहे हैं और यह एक जन आंदोलन बन गया है।” उन्होंने रक्षाबंधन, गणेश उत्सव, दशहरा और दीपावली के आगामी त्योहारों में एक बार फिर से बुनकरों और हस्तशिल्पियों की सहायता करने के लिए स्वदेशी के संकल्प को दोहराने की आवश्यकता पर बल दिया।

प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर परिधानों की विविधता पर कहा कि व्यक्ति की पहचान उसके द्वारा धारण किए गए कपड़ों से होती है। उन्होंने कहा कि यह विभिन्न क्षेत्रों के परिधानों के माध्यम से भारत की विविधता का जश्न मनाने का भी अवसर है। दूर-दराज के इलाकों के जनजातीय समुदायों से लेकर बर्फ से ढके पहाड़ों में रहने वाले लोगों, तटीय क्षेत्रों में रहने वाले लोगों से लेकर रेगिस्तान में रहने वाले लोगों के साथ ही साथ भारतीय बाजारों में उपलब्ध कपड़ों की विविधता की ओर इंगित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, “भारत के पास कपड़ों का सुंदर इंद्रधनुष विद्यमान है।” उन्होंने भारत के विविध परिधानों को सूचीबद्ध और संकलित करने की आवश्यकता के आग्रह को याद करते हुए इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि आज ‘भारतीय वस्त्र एवं शिल्प कोष’ के शुभारंभ के साथ यह फलीभूत हो गया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि 2014 के बाद सरकार लोगों की सोच को बदलने का प्रयास कर रही है। प्रधानमंत्री ने मन की बात कार्यक्रम के शुरुआती चरण के दौरान देशवासियों से खादी उत्पाद खरीदने के अपने आग्रह को याद किया। इसके परिणामस्वरूप पिछले 9 वर्षों में खादी के उत्पादन में 3 गुना से अधिक की वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि खादी कपड़ों की बिक्री में 5 गुना वृद्धि हुई है और विदेशों में भी इसकी मांग बढ़ रही है। श्री मोदी ने अपनी पेरिस यात्रा के दौरान एक बड़े फैशन ब्रांड के सीईओ से मुलाकात को भी याद किया, जिन्होंने उन्हें खादी और भारतीय हथकरघा के प्रति बढ़ते आकर्षण के बारे में जानकारी दी थी।

जैम पोर्टल या सरकारी ई-मार्केटप्लेस के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा कि सबसे छोटा कारीगर, शिल्पकार या बुनकर भी अपना उत्पाद सीधे सरकार को बेच सकता है। उन्होंने बताया कि हथकरघा और हस्तशिल्प से संबंधित लगभग 1.75 लाख संगठन जैम से जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहा, “यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया जा रहा है कि हथकरघा क्षेत्र के हमारे भाइयों और बहनों को डिजिटल इंडिया का लाभ मिले।” प्रधानमंत्री ने कहा, “सरकार अपने बुनकरों को दुनिया का सबसे बड़ा बाजार उपलब्ध कराने के लिए एक स्पष्ट रणनीति के साथ काम कर रही है।” उन्होंने कहा कि दुनिया की बड़ी-बड़ी कंपनियां भारत के एमएसएमई, बुनकरों, कारीगरों और किसानों के उत्पादों को दुनिया भर के बाजारों तक पहुंचाने के लिए आगे आ रही हैं। उन्होंने ऐसी विभिन्न कंपनियों के प्रमुख व्यक्तियों के साथ हुई सीधी चर्चा पर प्रकाश डाला, जिनके पास दुनिया भर में बड़े स्टोर, खुदरा आपूर्ति श्रृंखला, ऑनलाइन प्लेटफार्म और दुकानें हैं।

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