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प्रधानमंत्री ने किया कल्कि धाम मंदिर का शिलान्यास, कहा- उत्तरप्रदेश की धरती से भक्ति की एक और धारा प्रवाहित हुई है

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज 19 फरवरी 2024 को उत्तर प्रदेश के संभल में श्री कल्कि धाम मंदिर का शिलान्यास किया। प्रधानमंत्री मोदी ने श्री कल्कि मंदिर के गर्भगृह में पूजा- अर्चना की।

इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी के अलावा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और आचार्य प्रमोद कृष्णम भी मौजूद रहे। इस शिलान्यास कार्यक्रम में स्वामी अवधेशानंद गिरि जी महाराज के साथ देशभर से हजारों साधु-संत और धार्मिक नेता पहुंचे।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि सारे अच्छे काम मेरे लिए ही बचे रहे हैं। आज उत्तर प्रदेश की धरती से भक्ति और अध्यात्म की एक और धारा प्रवाहित होने को लालायित है। आज एक और पवित्र धाम की नींव रखी जा रही है। मुझे भव्य कल्कि धाम के शिलान्यास को सौभाग्य मिला है। मुझे विश्वास है कि कल्कि धाम भारतीय आस्था का एक और बड़ा केंद्र बनकर उभरकर सामने आएगा।

कल्कि धाम के शिलान्यास समारोह में प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले दिनों, जब प्रमोद कृष्णम् जी मुझे निमंत्रण देने के लिए आए थे। जो बातें उन्होंने बताई उसके आधार पर मैं कह रहा हूं कि आज जितना आनंद उनको हो रहा है, उससे अनेक गुना आनंद उनकी पूज्य माताजी की आत्मा जहां भी होगी, उनको होता होगा। और मां के वचन के पालन के लिए एक बेटा कैसे जीवन खपा सकता है, ये प्रमोद जी ने दिखा दिया है। प्रमोद कृष्णम् जी बता रहे थे कि कई एकड़ में फैला ये विशाल धाम कई मायनों में विशिष्ट होने वाला है। ये एक ऐसा मंदिर होगा, जैसा मुझे उन्होंने पूरा समझाया अभी, जिसमें 10 गर्भगृह होंगे, और भगवान् के सभी 10 अवतारों को विराजमान किया जाएगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज संभल में हम जिस अवसर के साक्षी बन रहे हैं, ये भारत के सांस्कृतिक नव जागरण का एक और अद्भुत क्षण है। अभी पिछले महीने ही, 22 जनवरी को देश ने अयोध्या में 500 साल के इंतज़ार को पूरा होते देखा है। रामलला के विराजमान होने का वो अलौकिक अनुभव, वो दिव्य अनुभूति अब भी हमें भावुक कर जाती है। इसी बीच हम देश से सैकड़ों किलोमीटर दूर अरब की धरती पर, अबू धाबी में पहले विराट मंदिर के लोकार्पण के साक्षी भी बने हैं। पहले जो कल्पना से भी परे था, अब वो हकीकत बन चुका है। और अब हम यहां संभल में भव्य कल्कि धाम के शिलान्यास के गवाह बन रहे हैं। एक के बाद एक ऐसे आध्यात्मिक अनुभव, सांस्कृतिक गौरव के ये पल हमारी पीढ़ी के जीवनकाल में इसका आना, इससे बड़ा सौभाग्य क्या हो सकता है।

उन्होंने कहा कि आज एक ओर हमारे तीर्थों का विकास हो रहा है, तो दूसरी ओर शहरों में हाइटेक इनफ्रास्ट्रक्चर भी तैयार हो रहा है। आज अगर मंदिर बन रहे हैं, तो देशभर में नए मेडिकल कॉलेज भी बन रहे हैं। आज विदेशों से हमारी प्राचीन मूर्तियां भी वापस लाई जा रही हैं, और रिकॉर्ड संख्या में विदेशी निवेश भी आ रहा है। ये परिवर्तन, प्रमाण है साथियों, और प्रमाण इस बात का है समय का चक्र घूम चुका है। एक नया दौर आज हमारे दरवाजे पर दस्तक दे रहा है। ये समय है, हम उस आगमन का दिल खोलकर स्वागत करें। इसीलिए, मैंने लालकिले से देश को ये विश्वास दिलाया था- यही समय है, सही समय है।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि मैं तो प्रमोद कृष्णम् जी को एक राजनैतिक व्यक्ति के रूप में दूर से जानता था, मेरा परिचय नहीं था। लेकिन अभी जब कुछ दिनों पहले मेरी उनसे पहली बार मुलाकात हुई, तो ये भी पता चला कि वो ऐसे धार्मिक-आध्यात्मिक कार्यों में कितनी मेहनत से लगे रहते हैं। कल्कि मंदिर के लिए इन्हें पिछली सरकारों से लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी। कोर्ट के चक्कर भी लगाने पड़े! वो मुझे बता रहे थे कि एक समय उन्हें कहा जा रहा था कि मंदिर बनाने से शांति व्यवस्था बिगड़ जाएगी। आज हमारी सरकार में प्रमोद कृष्णम् जी निश्चिंत होकर इस काम को शुरू कर पाये हैं। मुझे भरोसा है कि, ये मंदिर इस बात का प्रमाण होगा कि हम बेहतर भविष्य को लेकर कितने सकारात्मक रहने वाले लोग हैं।

उन्होंने कहा कि भारत पराभव से भी विजय को खींचकर के लाने वाला राष्ट्र है। हम पर सैकड़ों वर्षों तक इतने आक्रमण हुये। कोई और देश होता, कोई और समाज होता तो लगातार इतने आक्रमणों की चोट से पूरी तरह नष्ट हो गया होता। फिर भी, हम न केवल डटे रहे, बल्कि और भी ज्यादा मजबूत होकर सामने आए। आज सदियों के वो बलिदान फलीभूत हो रहे हैं। जैसे कोई बीज वर्षों के अकाल में पड़ा रहा हो, लेकिन जब वर्षाकाल आता है तो वो बीज अंकुरित हो उठता है। वैसे ही, आज भारत के अमृतकाल में भारत के गौरव, भारत के उत्कर्ष और भारत के सामर्थ्य का बीज अंकुरित हो रहा है। एक के बाद एक, हर क्षेत्र में कितना कुछ नया हो रहा है। जैसे देश के संत और आचार्य नए मंदिर बनवा रहे हैं, वैसे ही मुझे ईश्वर ने राष्ट्र रूपी मंदिर के नव निर्माण का दायित्व सौंपा है। मैं दिन रात राष्ट्र रूपी मंदिर को भव्यता देने में लगा हूं, उसके गौरव का विस्तार कर रहा हूं। इस निष्ठा के परिणाम भी हमें उसी तेजी से मिल रहे हैं। आज पहली बार भारत उस मुकाम पर है, जहां हम अनुसरण नहीं कर रहे हैं, उदाहरण पेश कर रहे हैं।

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