Home नरेंद्र मोदी विशेष बच्चों के लिए देवदूत बने पीएम मोदी, देखिए 11 कहानियां

बच्चों के लिए देवदूत बने पीएम मोदी, देखिए 11 कहानियां

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प्रधानमंत्री वो पारस हैं, जिनके नाम मात्र के संसर्ग से पत्थर सोना बन जाता है। असंभव काम भी संभव होने लगते हैं। हम आपको ऐसी कई कहानियां बताएंगे, जिससे आपको यकीन होने लगेगा कि प्रधानमंत्री मोदी बच्चों के लिए किसी देवदूत से कम नहीं है।

देवदूत बने पीएम मोदी – कहानी नंबर – 1

जम्मू-कश्मीर की छह साल की मासूम बच्ची मैरू इरफान ने 1 जून को प्रधानमंत्री मोदी से एक अपील की। अपील ऑनलाइन पढ़ाई और होमवर्क के बोझ को कम करने की। फिर क्या था जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने इस दर्द को समझा और 48 घंटे के भीतर नीति बनाने का निर्देश दे दिया

देवदूत बने पीएम मोदी – कहानी नंबर – 2

ऐसी ही एक कहानी मुंबई की पांच महीने की तीरा कामत की है। तीरा कामत को स्‍पाइनल मस्‍कुलर एट्रोफी नाम की दुर्लभ अनुवांशिक बीमारी थी और इलाज के लिए जिस इंजेक्शन की जरूरत थी, वो 16 करोड़ रुपये का था और उसे भारत लाने पर 6 करोड़ रुपये का टैक्स भी था। फरवरी 2021 में प्रधानमंत्री मोदी को जैसे ही इसका पता चला उन्होंने तत्काल 6 करोड़ का टैक्स माफ कर दिया

देवदूत बने पीएम मोदी – कहानी नंबर – 3

इसी प्रकार प्रधानमंत्री मोदी महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले की बेटी के लिए संकटमोचक बने। स्वप्नाली सुतार नाम की लड़की को लॉकडाउन के दौरान गांव में पढ़ाई के लिए इंटरनेट की जरूरत थी। और इंटरनेट का सिग्नल पाने के लिए उसे गांव से दूर एक पहाड़ी पर जाना पड़ता था। सोशल मीडिया के जरिए पीएम मोदी को इसका पता चला। उनके निर्देश पर तत्काल स्वप्नाली के गांव में भारत नेट योजना के तहत हाई स्पीड इंटरनेट की सुविधा शुरू की गई।

देवदूत बने पीएम मोदी – कहानी नंबर – 4

आगरा की बेटी ललिता को अप्लास्टिक एनीमिया नाम की गंभीर बीमारी थी। इसका इलाज बहुत महंगा था और पिता का जमीन-मकान सब बच्ची के इलाज में बिक गया था, लेकिन फिर भी दस लाख रुपये की जरूरत थी। पीएम मोदी ने उसकी गुहार सुनी और तत्काल ललिता के इलाज के लिए 30 लाख रुपये मंजूर किए।

देवदूत बने पीएम मोदी – कहानी नंबर – 5

केरल के कोझीकोड़ के दिव्यांग मोहम्मद असीम ने शिक्षा जारी रखने के लिए अपने स्कूल को अपग्रेड करने की अपील की थी। पीएम ने उसकी अपील को सुना और केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय को निर्देश दिया कि वह राज्य के शिक्षा विभाग से परामर्श करके कोझिकोड जिले के ओमसेरी पंचायत के स्कूल को हाई स्कूल में अपग्रेड करने के लिए कदम उठाए।

देवदूत बने पीएम मोदी – कहानी नंबर – 6

हरियाणा में फतेहाबाद जिले के रत्ताटिब्बा गांव की तीसरी कक्षा की ‘खुशी’ ने अपने गांव की कच्ची सड़क को पक्का करने के लिए देश के प्रधानमंत्री को एक पत्र लिखा था। प्रधानमंत्री मोदी ने उस पत्र का संज्ञान लिया और गांव में सड़क बनाने का निर्देश दिया।

देवदूत बने पीएम मोदी – कहानी नंबर – 7

पंजाब में पटियाला के सनौर की रहने वाली हश्मिता ने दिल्ली में महात्मा गांधी की समाधि पर जाने से पहले जूते रखने के लिए शुल्क लिए जाने को लेकर प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखा था। विदेशी पर्यटकों से अधिक शुल्क लिए जाने को लेकर हश्मिता नाराज थीं। हश्मिता की शिकायत के बाद राजघाट पर तैनात सभी स्टाफ को बदल दिया गया।

देवदूत बने पीएम मोदी – कहानी नंबर – 8

नोटबंदी के दौरान पुराने नोट बदलने की समयसीमा खत्म होने के बाद कोटा के दो अनाथ बच्चों सूरज और सलोनी बंजारा को अपने घर से 96,500 रुपये के पुराने नोट मिले थे। रिजर्व बैंक ने इन नोटों को बदलने से इनकार कर दिया। बच्चों ने पीएमओ को पत्र लिखकर परेशानी बताई। जवाब में पीएम मोदी ने प्रधानमंत्री विवेकाधीन कोष से 50 हजार की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की। इसके साथ ही पीएम सुरक्षा बीमा योजना और प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना के तहत दोनों बच्चों का बीमा भी किया गया।

देवदूत बने पीएम मोदी – कहानी नंबर – 9

असम की आठ दिन की बच्ची की हालत काफी गंभीर थी। वह लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर थी और उसे इलाज के लिए जल्द से जल्द दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में शिफ्ट करना था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उस समय वाराणसी में थे। बच्ची के परिजन ने मदद के लिए प्रधानमंत्री को ट्वीट किया। ट्वीटर पर इस बारे में जानकारी मिलने पर पीएमओ ने दिल्ली पुलिस के साथ मिलकर बच्ची के एंबुलेंस के लिए फ्री पैसेज तैयार किया, जिससे बच्ची समय से पहले अस्पताल पहुंच सकी।

देवदूत बने पीएम मोदी – कहानी नंबर – 10

आगरा की तैयबा का परिवार परेशान था, महज 12 साल की उम्र में तैयबा के दिल का एक वॉल्व खराब हो गया। इलाज बेहद खर्चीला था। ऐसे में तैयबा ने पीएम को चिट्ठी लिखी और बताया कि उसके मजदूर पिता के पास इलाज के लिए 20 लाख रुपये नहीं हैं। पीएम ने उसकी चिट्ठी का जवाब दिया और दिल्ली सरकार को निर्देश भी दिया गया था कि खर्च की परवाह किए बिना तैयबा का उचित इलाज करवाया जाए।

देवदूत बने पीएम मोदी – कहानी नंबर – 11

पुणे की 6 साल की वैशाली यादव ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर अपनी बीमारी के इलाज में मदद मांगी थी। वैशाली के दिल में छेद था। पीएम मोदी ने तत्काल कार्रवाई करते हुए जिला प्रशासन को मदद करने के लिए कहा। पीएम के दखल के बाद वैशाली की ओपन हार्ट सर्जरी हुई। बाद में प्रधानमंत्री मोदी ने उस बच्ची से मुलाकात भी की थी।

इस सभी उदाहरणों से स्पष्ट है कि प्रधानमंत्री मोदी चाहे कितने भी व्यस्त क्यों न हों, बच्चों की गुहार को सबसे पहले सुनते हैं। यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बच्चों के लिए देवदूत बने हुए हैं।

 

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