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कोरोना के खिलाफ लड़ाई में भारत सबसे आगे, मिले 100 में से 100 अंक

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फाइल फोटो

कोरोना महामारी के खिलाफ लड़ाई मे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रयासों की पूरी दुनिया तारीफ कर रही है। WHO से लेकर अमेरिका, ब्राजील, इजरायल, नेपाल, बांग्लादेश, मालदीव समेत विश्व के कई देश भारत के अब तक के प्रयासों की प्रशंसा कर चुके हैं। भारत कई देशों को हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा निर्यात कर संकटमोटक बना है। 

अब ब्रिटेन की प्रतिष्ठित ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने वैश्विक महामारी से निपटने में भारत के लॉकडाउन को सबसे कारगर बताया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने रिसर्च में कहा है कि भारत ने इस बीमारी पर नियंत्रण पाने के लिए समय रहते सही कदम उठाए। शोध में भारत की कोरोना के खिलाफ मुहिम को परफेक्ट 100 का स्कोर मिला है। यानि भारत की रणनीति की सराहना करते हुए इस रिसर्च के मुताबिक जिन 11 पैमानों पर सरकार की सख्ती के साथ कोरोना से लड़ने का प्लान बनाया गया उसमें वो खरा उतरता है। 

शोध में कहा गया है कि भारत में जिस तरह से समय रहते लॉकडाउन लगाया गया और अन्य कदम उठाए गए उनका 100 फीसदी सकारात्मक परिणाम रहा है, वहीं अमेरिका द्वारा कोरोना पर नियंत्रण पाने के लिए किए गए प्रयासों के 67 फीसदी परिणाम आए हैं। यानि कोरोना के खिलाफ लड़ाई में यूनिवर्सिटी के शोध में 100 में 100 जबकि अमेरिका को 100 में से 67 अंक मिले हैं।

कोरोना का देश में प्रसार रोकने के लिए प्रधानमंत्री ने 21 दिनों के लॉकडाउन की घोषणा की थी। देश में अभी तक कोरोना के 6412 मामले सामने आए हैं वहीं, इस खतरनाक बीमारी की वजह से 199 लोगों की मौत हो चुकी है। उधर, अमेरिका में इस खतरनाक वायरस की वजह से 16 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। इटली में 18 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। 

आइए, आपको बताते हैं कि इस संकट में कैसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पूरे विश्व के लिए संकटमोचक बनकर उभरे हैं।

संकट के समय हाइड्रोक्सीक्लोक्वीन देना का फैसला

कोरोना महामारी से भारत खुद पीड़ित है, इसके बावजूद कोरोना मरीजों की मदद के लिए विश्व के कई देशों को हाइड्रोक्सीक्लोक्वीन दवा देने का फैसला किया है। संकट के समय भारत ने अमेरिका, ब्राजील, इजरायल, स्पेन, श्रीलंका, नेपाल समेत कई देशों के आग्रह पर हाइड्रोक्सीक्लोक्वीन दवा देने का फैसला किया है। हालांकि, इसके पहले घरेलु जरूरतों को देखते हुए हाइड्रोक्सीक्लोक्वीन दवा के निर्यात पर बैन लगा दिया था लेकिन संकट को देखते हुए भारत ने मानवीय आधार पर इन देशों को हाइड्रोक्सीक्लोक्वीन देने का फैसला किया है।

अमेरिकी राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री मोदी को थैंक्स कहा

कोरोना वायरस संकट पर भारत से हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा मिलने पर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने थैंक्यू इंडिया कहा। इसपर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ट्वीट कर कहा है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप मैं आपकी बात से पूरी तरह सहमत हूं कि इस तरह के समय में दोस्त और करीब आते हैं। भारत और अमेरिका की साझेदारी पहले से ज्यादा मजबूत है। भारत कोरोना महामारी के खिलाफ मानवता की लड़ाई में हरसंभव मदद करेगा। हम लोग मिलकर इस लड़ाई को जीतेंगे। इससे पहले राष्ट्रपति ट्रंप ने अपने ट्वीट संदेश में भारत और प्रधानमंत्री मोदी को धन्यवाद कहा था।

‘प्रभु हनुमान की तरह पहुंचाई संजीवनी बूटी’

ब्राजील के राष्‍ट्रपति जायर एम बोल्‍सोनारो ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तुलना भगवान हनुमान से की करते हुए हाइड्रोक्‍सीक्‍लोरोक्‍वीन दवा को संजीवनी बूटी बताया है। उन्होंने कहा कि भारत की ओर से दी गई इस हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा से लोगों के प्राण बचेंगे और इस संकट की घड़ी में भारत और ब्राजील मिलकर कामयाब होंगे। प्रधानमंत्री मोदी को भेजे पत्र में राष्‍ट्रपति बोल्‍सोनारो ने लिखा है कि जिस तरह हनुमान जी ने हिमालय से पवित्र दवा (संजीवनी बूटी) लाकर भगवान श्रीराम के भाई लक्ष्मण की जान बचाई थी, उसी तरह भारत और ब्राजील एक साथ मिलकर इस वैश्विक संकट का सामना कर लोगों के प्राण को बचा सकते हैं।

इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने जताया भारत का आभार

कोरोना वायरस महामारी को खत्म करने के लिए फिलहाल सबसे अहम दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन है। भारत ने इस दवा की खेप इजरायल को भिजवाई है। दवा मिलने के बाद इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का शुक्रिया अदा किया। इसके जवाब प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हमें साथ मिलकर इस महामारी से लड़ना होगा। भारत अपने मित्रों के लिए जो संभव है, वह करने को तैयार है। इजरायल के लोगों के अच्छे स्वास्थ्य की कामना करता हूं।

अमेरिका इजरायल और ब्राजील के अलावा भारत ने स्पेन, श्रीलंका, नेपाल, मालदीव समेत कई देशों को हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा समेत दूसरी सहायता देने का फैसला किया है।

पीएम मोदी की पहल पर वर्चुअल जी-20 शिखर सम्मेलन का आयोजन

वैश्विक महामारी कोरोना के खिलाफ के लिए 26 मार्च को वर्चुअल जी20 शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस वर्चुअल मीटिंग के आयोजन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बड़ी भूमिका रही है। इस वीडियो संवाद में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि वैश्विक समृद्धि, सहयोग के लिए हमारे दृष्टिकोण के केंद्र बिंदु में आर्थिक लक्ष्यों के स्थान पर मानवता को रखा जाना चाहिए। प्रधानमंत्री मोदी ने इसके साथ ही दुनिया भर में कहीं अधिक अनुकूल, प्रतिक्रियात्मक और सस्ती मानव स्वास्थ्य सुविधा प्रणाली का विकास करने की वकालत की। सऊदी अरब की अध्यक्षता में हुए इस सम्मेलन में कोरोना वायरस महामारी को रोकने और लोगों की सुरक्षा के लिए G-20 नेताओं ने सभी आवश्यक उपाय करने पर सहमति व्यक्त की। बैठक के दौरान, जी20 के नेताओं ने महामारी को रोकने और लोगों की सुरक्षा के लिए सभी आवश्यक उपाय करने पर सहमति जताई। उन्होंने चिकित्सा आपूर्तियों की पहुंच, डायग्नोस्टिक उपकरण, इलाज, दवाएं और टीके समेत महामारी के खिलाफ लड़ाई में डब्लूएचओ को और मजबूत करने का समर्थन किया।

कोविड महामारी के मद्देजनर सार्क देशों की वर्चुअल मीटिंग

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर कोरोना वायरस को लेकर सार्क देशों के नेताओं की वर्चुअल मीटिंग बुलाई गई। इस बैठक में श्रीलंका, मालदीव, नेपाल और भूटान के अलावा पाकिस्तान ने भी भाग लिया और कोरोना से लड़ने के लिए विचार विमर्श और मिलकर लड़ने का फैसला किया। कोरोना वायरस की महामारी से निपटने के लिए साउथ एशियन एसोसिएशन फॉर रीजनल को-ऑपरेशन (SAARC) ने आपातकालीन फंड बनाने के घोषणा की है। इस बैठक में पीएम मोदी ने कहा कि हम इस चुनौती का सामना करने के लिए तैयार हैं, मैं इस वायरस के प्रसार से निपटने के भारत के अनुभव को संक्षेप में साझा करना चाहूंगा। हमारा मार्गदर्शक मंत्र है- ‘तैयार रहें, मगर घबराएं नहीं।’

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