वायु प्रदूषण दिल्ली-एनसीआर में परेशानी का सबब बना हुआ है। दिल्ली में प्रदूषण की वजह से सांस लेना दूभर है। दिल्ली में प्रदूषण की प्रमुख वजह पंजाब में पराली को जलाया जाना है। पराली जलाने के मुद्दे पर पंजाब सरकार चौतरफा दबाव में है लेकिन फिर भी कोई कारगर कदम नहीं उठा रही। दिल्ली में वायु प्रदूषण बढ़ने के कारण पराली जलाने पर चिंता व्यक्त करते हुए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने पंजाब की भगवंत मान सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि पराली जलने से रोकने के मामले में सरकार फेल रही है। नई दिल्ली में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने पराली जलाने की घटनाओं को रोकने में विफल रहने के लिए पंजाब सरकार की खिंचाई की है। एनजीटी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद पंजाब में पराली जलाने के 33 हजार से ज्यादा मामले सामने आए हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल कभी दिल्ली में प्रदूषण के लिए पंजाब को जिम्मेदार ठहराते थे वहीं अब पंजाब में AAP की सरकार बन जाने के बाद उनके मुंह में दही जम गई है।
पंजाब सरकार पराली जलाने को रोकने में पूरी तरह फेल
एनजीटी की बेंच ने 20 नवंबर 2023 को कहा कि यह पूरी तरह से प्रशासनिक असफलता का मामला है, क्योंकि यह मामला जब चर्चा का विषय बना, तब तक पंजाब में पराली जलाने के 600 केस ही सामने आए थे लेकिन अब यह आंकड़ा 33 हजार को पार कर गया है। एनजीटी की तरफ से कहा गया कि ऐसे हालात उस समय हैं जब इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी दोनों कर रहे थे। इसके बावजूद पंजाब सरकार की तरफ से ठोस प्रयास नहीं किए जा रहे। बेंच ने कहा कि पंजाब सरकार का पूरा प्रशासन काम पर लगा है और फिर भी सरकार इस मामले में फेल है।
एनजीटी ने पंजाब सरकार से कहा- आप सिर्फ नारे ही लगाते रहे
एनजीटी बेंच ने सवाल किया कि जब पराली जलाने पर रोक लगाने का आदेश दे दिया गया था, तब भी ऐसा क्यों हुआ? गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि पराली जलाने के मामलों पर तुरंत रोक लगनी चाहिए और अगर ऐसा नहीं होता है तो स्थानीय थानाध्यक्ष की जिम्मेदारी होगी। एनजीटी ने पंजाब सरकार पर ऐसे मामलों में कार्रवाई में भी भेदभाव करने का आरोप लगाया। बेंच ने कहा कि कुछ चुनिंदा लोगों पर ही कार्रवाई की जा रही है। यही कारण है कि पराली जलाने के 1500 मामलों की जानकारी तो दी गई लेकिन केस सिर्फ 829 ही दर्ज किए गए। बेंच ने पंजाब से सवाल किया कि आखिर नियमों का उल्लंघन करने वाले सभी लोगों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की गई? एनजीटी ने पंजाब सरकार को तल्ख लहजे में कहा कि आप सिर्फ नारे ही लगाते रहे हैं। आपके राज्य ने मामले की गंभीरता को समझा ही नहीं है।
The National Green Tribunal (NGT) on Monday pulled up the Punjab government over pollution and rising cases of stubble burning. The NGT criticised the state government for failing to comply with the Supreme Court order to put an immediate ban on stubble burning.
The Green… pic.twitter.com/OG6q3JEZ4z
— IndiaToday (@IndiaToday) November 20, 2023
पंजाब सरकार के किसी जवाब से हम संतुष्ट नहींः एनजीटी
इससे पहले एनजीटी ने 8 नवंबर को पंजाब सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि ऐसा लग रहा है आप अपने द्वारा उठाए गए कदम से खुश हैं। क्या आपके पास किसानों का नंबर है ताकि आप मालिकों के खिलाफ एक्शन ले सकें। जैसे ही सैटलाइट इमेज दिखती हैं कि पराली जलाई जा रही है तो क्या फौरन आप किसानों को चेतावनी देते हैं कि उनके खिलाफ एक्शन लिया जाएगा। पंजाब सरकार के किसी जवाब से हम संतुष्ट नहीं हैं। आपका पूरा तंत्र पूरी तरह से फेल हो चुका है, इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने इतना सख्त फैसला दिया है। पंजाब ने कहा कि नोडल अधिकारी, क्लस्टर अधिकारी नियुक्त किए गए हैं, जो पराली जलाने पर एक्शन लेते हैं।
केजरीवाल और भगवंत मान को लगा ‘सुप्रीम’ तमाचा
दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण और पराली जलाने के मामले पर सुनवाई के दौरान दिल्ली और पंजाब सरकार की दलीलों से नाराज सुप्रीम कोर्ट ने 7 नवंबर को जमकर फटकार लगाई। इस दौरान कोर्ट ने पंजाब की भगवंत मान सरकार को पराली जलाने पर रोक लगाने के लिए सख्त निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा कि पराली पर सिर्फ दोषारोपण हो रहा है। राजनीति छोड़कर प्रदूषण को रोकने पर ध्यान देने की जरूरत है।
दिल्ली और पंजाब सरकार पराली पर सिर्फ राजनीति कर रही है: कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट को भी पता चल गया है कि दिल्ली और पंजाब सरकार प्रदूषण और पराली पर सिर्फ राजनीति कर रही है। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान जस्टिस संजय किशन कौल ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि दिल्ली में साल दर साल ये नहीं हो सकता। सब कुछ पेपर पर ही चल रहा है। खुद मैंने देखा है कि पंजाब में सड़क के दोनों तरफ पराली जलाई जा रही है। उन्होंने कहा कि राज्यों को प्रदूषण को कम करने के लिए एक साथ आने की जरूरत है। जनता को स्वस्थ हवा में सांस लेने का हक है और स्वस्थ हवा प्रदान करना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। जस्टिस कौल ने कहा कि प्रदूषण पर राजनीतिक लड़ाई नहीं हो सकती। राजनीतिक ब्लेम गेम को रोकें। ये लोगों के स्वास्थ्य की हत्या के समान है।
अगर मैं बुलडोजर चलाऊंगा तो 15 दिनों तक नहीं रुकूंगा: कोर्ट
पंजाब सरकार के वकील ने दलील दी थी कि हम पराली जलाने पर रोक लगाने के लिए कदम उठा रहे हैं। इसके साथ ही दिल्ली सरकार ने भी ऐसा ही जवाब दिया कि वह प्रदूषण कम करने पर काम कर रही है। इस दलील से नाराज होकर जस्टिस कौल ने कहा कि अगर मैं बुलडोजर चलाऊंगा तो 15 दिनों तक नहीं रुकूंगा। जस्टिस कौल ने कहा कि हम नहीं जानते हैं कि आप कैसे रोक लगाएंगे। लेकिन इस पर तत्काल रोक लगाने की जरूरत है। पराली जलाने की घटना बंद होनी चाहिए। यहां हर कोई एक्सपर्ट हैं, लेकिन समाधान किसी के पास नहीं है। सबसे ज्यादा जरूरी है कि राज्य सरकार द्वारा प्रदूषण को रोकने के लिए बनाए गए नियमों को सख्ती से लागू करना और उसका पालन होते हुए दिखना चाहिए।
पहले दिल्ली में प्रदूषण के लिए पंजाब के पराली जिम्मेदार थे और अब दिल्ली के सिक्योरिटी गार्ड! दिल्ली में प्रदूषण को लेकर केजरीवाल के बयानों पर एक नजर –
केजरीवाल का नया लॉजिक- सर्दियों में हाथ सेंकने से बढ़ रहा है दिल्ली में प्रदूषण!
सर्दियों का मौसम आते ही दिल्ली लगातार प्रदूषण से कराहने लगती है लेकिन IIT पास दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पिछले आठ सालों में बयानबाजी के अलावा कुछ नहीं किया। बयानबाजी के जरिये वे नया कुतर्क गढ़ते रहे और दिल्ली की भोली-भाली जनता को ठगते रहे। जनवरी 2023 में वह दिल्ली में प्रदूषण को लेकर नया लॉजिक लेकर आए। उन्होंने कहा कि सिक्योरिटी गार्ड्स और ड्राइवर हाथ सेंकने के लिए अलाव जलाते हैं जिससे दिल्ली में प्रदूषण बढ़ रहा है। इस तरह के बयान से यही लगता है कि वे दिल्ली की जनता को बेवकूफ समझते हैं। अगर आईआईटी पास मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि दिल्ली के प्रदूषण के लिए गरीब सिक्योरिटी गार्ड्स, ड्राइवर जिम्मेदार हैं तो क्या कहेंगे आप! गरीब तो गरीब है, उसकी मुख्यमंत्री के सामने औकात ही क्या है।
पंजाब में AAP सरकार बनने से पहले दिल्ली में प्रदूषण के लिए पंजाब जिम्मेदार था
अब दिल्ली वाले और यहाँ के सिक्योरिटी गार्ड जिम्मेदार हैवाह @ArvindKejriwal जी वाह pic.twitter.com/t0u7FvWDJk
— Social Tamasha (@SocialTamasha) January 30, 2023
पहले केजरीवाल को पराली से सोना बनाना आता था!
दिल्ली में प्रदूषण को लेकर पिछले आठ सालों में केजरीवाल ने कितने झूठ बोले हैं इससे जनता भलीभांति परिचित है। जब पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार नहीं थी तब वह साल दर साल दिल्ली में प्रदूषण के लिए पंजाब को जिम्मेदार ठहराते थे। पंजाब में AAP की सरकार बनने के पहले दिल्ली में प्रदूषण के लिए पंजाब की पराली जिम्मेदार थी, तब केजरीवाल को पराली से सोना, कोयला, बिजली, गत्ता फैक्टरी सब बनाने आता था। जब पंजाब में उनकी सरकार नहीं थी तब उन्होंने पराली के निपटारे के लिए कई समाधान पेश किए थे। लेकिन जैसे ही सरकार बनी वह सारे समाधान भूल गए। अब उन्होंने प्रदूषण के लिए नया बहाना ढूंढ़ लिया है- हाथ सेंकने से बढ़ रहा प्रदूषण।
आईआईटी पास मुख्यमंत्री हैं, अगर कह रहे हैं कि दिल्ली के प्रदूषण के लिए गरीब सिक्योरिटी गार्ड्स, ड्राइवर जिम्मेदार हैं तो सही ही होगा। गरीब तो गरीब है, उसकी क्या औकात मुरखमंत्री जी के सामने।@ArvindKejriwal pic.twitter.com/6ncrHaRSx3
— Ravi Bhadoria (@ravibhadoria) January 30, 2023
केजरीवाल का बेतुका बयान, ‘सर्दियों में हाथ सेंकने से बढ़ रहा है दिल्ली में प्रदूषण’
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रदूषण को लेकर 30 जनवरी 2023 को बेतुका बयान दिया। उन्होंने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि दिल्ली में प्रदूषण सर्दियों में हाथ सेंकने से बढ़ रहा है। उन्होंने दिल्ली में प्रदूषण की वजहों का जिक्र करते हुए कहा कि सर्दियों में रात के समय सिक्योरिटी गार्ड और ड्राइवर आदि आग जलाकर हाथ सेंकते हैं, इससे हवा खराब होती है। दिल्ली के प्रदूषण में हाथ सेंकने के लिए जलने वाले मटेरियल से चौथाई हिस्सा प्रदूषण फैलता है और इससे सारा धुआं गैस चेंबर बन जाता है। उन्होंने कहा कि दिल्ली का एक तिहाई वायु प्रदूषण बाहर के स्रोतों से है और वाहनों से 17%-18% प्रदूषण होता है।
आग जलाकर हाथ सेंकने से होता है दिल्ली में वायु प्रदूषण : केजरीवाल
कल को ये अगरबत्ती और धूपबत्ती को भी प्रदूषण मुख्य कारण बताएगा 😠 pic.twitter.com/aRGf4KjP3x— *ममता*🚩सत्यमेव जयते🚩 (@brave_mam) January 31, 2023
केजरीवाल कल अगरबत्ती और धूपबत्ती को प्रदूषण का मुख्य कारण बताएंगे!
केजरीवाल के बयान को लेकर सोशल मीडिया पर लोग तमाम तरह प्रतिक्रिया जता रहे हैं। कुछ कह रहे हैं केजरीवाल अब गरीब सिक्योरिटी गार्ड और ड्राइवर को निशाना बना रहा है तो कोई कह रहा है इस बेतुके लॉजिक का क्या मतलब। कुछ लोगों ने यहां तक कह दिया कि अब कुछ समय बाद केजरीवाल अगरबत्ती और धूपबत्ती को प्रदूषण मुख्य कारण बताएंगे!
काम जीरो, लेकिन प्रचार करोड़ों का?
8 वर्षों से प्रदूषण कम करने के नाम पर लोगों को धोखा देते आ रहे हैं केजरीवाल! बेशर्मी में इन्होंने विशेषज्ञता हासिल कर रखी है। क्या केवल एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग के लिए मोबाइल स्टेशन की शुरुआत ही दिल्ली का प्रदूषण कम कर देगी? pic.twitter.com/2oBzhpMvM9
— Desh Ki Beti – Meenakshi Lekhi (@mlekhi_bjp) January 30, 2023
प्रदूषण के नाम पर केजरीवाल की एक और शिगूफेबाजी- अब रीयल-टाइम मिलेगी प्रदूषण की जानकारी
केजरीवाल को अगर दिल्ली के प्रदूषण की चिंता होती तो पिछले आठ साल में वह कोई ठोस कदम उठा चुके होते। लेकिन उन्हें काम तो करना नहीं है, हां, प्रचार और शिगूफेबाजी में वह पीछे नहीं रहते। अब दिल्ली में प्रदूषण को लेकर जनता आंख में धूल झोंकने के लिए दिल्ली सरकार ‘रीयल-टाइम स्रोत विभाजन अध्ययन’ लेकर आई है जो प्रदूषण के बारे में जानकारी देगी। केजरीवाल ने राउज एवेन्यू में ‘रीयल-टाइम स्रोत विभाजन सुपरसाइट’ और एक मोबाइल वैन का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा, ‘‘वास्तविक समय स्रोत विभाजन सुपरसाइट अध्ययन एक घंटे के आधार पर प्रदूषण के स्रोतों का विवरण साझा करेगा। लेकिन एक बड़ा सवाल यह है कि जानकारी लेकर ही क्या होगा, अगर उसका समाधन न निकले। जानकारी तो पहले से ही है कि दिल्ली में प्रदूषण है, उसका समाधान करने की जगह केजरीवाल ने नया शिगूफा दे दिया।
पंजाब में पराली का समाधान क्यों नहीं निकालते केजरीवाल
पंजाब में पराली जलाने के कारण दिल्ली में प्रदूषण बढ़ जाता है और हवा की गुणवत्ता एकदम खराब स्तर पर पहुंच जाती है। अब APP की सरकार दोनों जगह पर है ऐसे में APP के संयोजक और दिल्ली के सीएम होने के नाते केजरीवाल को प्रदूषण के सबसे बड़े कारक पराली का समाधान निकालना चाहिए।
केजरीवाल ने प्रदूषण से पैसा बनाने का तरीका ढूंढ लिया
लगता है शराब के जरिये पैसे कमाने का जरिया फेल होने के बाद केजरीवाल ने प्रदूषण के जरिये पैसे बनाने का नया तरीका ढूंढ़ लिया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि अभी हम एक मोबाइल वैन लॉन्च कर रहे हैं लेकिन जल्द ही हम और अधिक मोबाइल वैन लॉन्च करेंगे। उन्होंने कहा कि वास्तविक समय के प्रदूषण स्रोतों के बारे में जानकारी प्राप्त करने से सरकार अधिक सटीक तरीके से समस्या से निपटने में सक्षम होगी। यानी प्रदूषण के बारे में जानकारी जुटाने के लिए कई मोबाइल वैन लॉन्च किए जाएंगे। उसके ठेके दिए जाएंगे, उसमें सैकड़ों लोग काम करेंगे और कमाई का एक नया तरीका होगा।
प्रदूषण से राजनीति मत करो। प्रदूषण केवल दिल्ली और पंजाब में नहीं है, पूरे उत्तर भारत में है। किसान को गालियाँ मत दो। उस पर FIR मत करो। पंजाब और दिल्ली के लोग अपने स्तर पर सभी कदम उठा रहे हैं। केंद्र को आगे आकर सभी राज्य सरकारों के साथ मिलकर समाधान निकालना होगा। pic.twitter.com/3vedpdkMZf
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) November 2, 2022
केजरीवाल ने कहा था- प्रदूषण से राजनीति मत करो
प्रदूषण पर केजरीवाल ने 2 नवंबर 2022 को ट्वीट किया। उसमें लिखा है- प्रदूषण से राजनीति मत करो। प्रदूषण केवल दिल्ली और पंजाब में नहीं है, पूरे उत्तर भारत में है। किसान को गालियां मत दो। उस पर FIR मत करो। पंजाब और दिल्ली के लोग अपने स्तर पर सभी कदम उठा रहे हैं। केंद्र को आगे आकर सभी राज्य सरकारों के साथ मिलकर समाधान निकालना होगा।
केजरीवाल का नया साइंटिस्ट वर्जन आपकी खिदमत में पेश है….
दिल्ली में प्रदूषण के लिए चौकीदारों और ड्राइवरों को दोषी ठहराया जा रहा है..बेचारे pic.twitter.com/Wt3Ddp0SAW— Rahul Kothari (@RahulKothariBJP) January 31, 2023
2018ः केजरीवाल ने कहा था- पंजाब में पराली जलाने से दिल्ली में प्रदूषण
2018 में केजरीवाल ने कहा था कि पंजाब में जलाई जा रही पराली ही दिल्ली में प्रदूषण बढ़ने का इकलौता कारण है। सेटेलाइट की तस्वीरें दिखाते हुए उन्होंने दावा किया कि हरियाणा के कुछ हिस्से में भी पराली जलाई जा रही है, लेकिन ऐसी घटनाएं पंजाब में ज्यादा हो रही हैं। केजरीवाल ने कहा कि पंजाब में पराली जलाने से जो धुआं उठता है, अगर वो दिल्ली में नहीं जा रहा तो कहां जा रहा है।
पंजाब में पराली यूपी की बसों हरियाणा के शहरों से प्रदूषण दिल्ली में प्रदूषण फैलता था।@AAPPunjab की सरकार बनने के बाद एक बार फिर @ArvindKejriwal की
धमाकेदार पलटी।
अब सिक्योरिटी गार्ड ड्राइवर अलाव से प्रदूषण फैलता है।@Saurabh_MLAgk
बताए दिल्ली की जनता का मजाक कोन उड़ा रहा है। pic.twitter.com/HBarcWZQLo— Kishanlal Bagri (@BagriKishanlal) January 31, 2023
2020ः केजरीवाल ने कहा था- पूसा द्वारा इजाद किया गया समाधान बहुत ही सस्ता
केजरीवाल ने 2020 में कहा था कि पूसा रिसर्च इंस्टीट्यूट ने पराली को निस्तारित करने का समाधान निकाला है। पूसा द्वारा इजाद किया गया समाधान बहुत ही सस्ता और सरल है। पूसा रिसर्च इंस्टीट्यूट ने कुछ कैप्सूल बनाए हैं। इस कैप्सूल के जरिए घोल बनाया जाता है। इस घोल को अगर खेतों में खड़े पराली के डंठल पर छिड़क दिया जाए तो वह डंठल गल जाता है और वह गल करके खाद में बदल जाता है। डंठल से बनी खाद से उस जमीन की उर्वरक क्षमता में वृद्धि होती है, जिसके बाद किसान को अपने खेत में खाद कम देना पड़ता है। इस तकनीक के प्रयोग के बाद किसान को फसल उगाने में लागत कम लगेगी। किसान की फसल की पैदावार अधिक होगी और किसान को खेतों में खड़ी फसल जलानी नहीं पड़ेगी।
दिल्ली को प्रदूषण नगरी बनाने वाले केजरीवाल को जनता माफ नहीं करेगी! pic.twitter.com/X6SLawirhJ
— संजीव कुमार सिंह,। (@SanjivK24337560) January 31, 2023
केजरीवाल ने कहा था- दिल्ली सरकार अपने खर्चे पर करेगी छिड़काव
अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि हमें पूरी उम्मीद है कि पूसा द्वारा इजाद किया गया समाधान सफल होगा और अगर यह प्रयोग सफल होता है तो आसपास के राज्यों के किसानों को भी पराली का एक समाधान देगा। यह इतना सस्ता है कि दिल्ली के अंदर 700 हेक्टेयर जमीन पर घोल बनाना, छिड़काव करना, इसका ट्रांसपोर्टेशन आदि मिला कर इस पर केवल 20 लाख रुपए का खर्च आ रहा है। यदि यह प्रयोग सफल रहा तो हम किसानों के खेत में घोल का छिड़काव हर साल करेंगे।
विज्ञापन दिया 23 करोड़ का और काम किया 68 लाख का
दिल्ली और आस-पास के राज्यों में पराली से होने वाली समस्या से निजात दिलाने के लिए साल 2020 में पूसा इंस्टीट्यूट ने बायो डी-कंपोजर ईजाद किया था। एक आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक केजरीवाल की दिल्ली की सरकार ने दिल्ली के किसानों के खेतों में इसके छिड़काव पर दो सालों में 68 लाख रुपए खर्च किए वहीं इस दौरान विज्ञापन पर कुल 23 करोड़ रुपए खर्च हुए। दिल्ली में इस योजना से अब तक 955 किसानों को लाभ पहुंचाने का दावा किया गया।
माल 3 लाख का विज्ञापन 7 करोड़ का
दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता राम सिंह बिधूड़ी ने इसको लेकर सवाल किया था। उन्होंने पूछा था कि पराली से खाद बनाने हेतु दिल्ली सरकार द्वारा वित्तीय वर्ष 2021-22 में बायो डी-कंपोजर सॉल्यूशन खरीदने के लिए कितनी धनराशि खर्च की गई। इस सवाल का जवाब देते हुए सरकार ने कहा, “दिल्ली सरकार द्वारा बायो डी-कंपोजर सॉल्यूशन खरीदने में 3 लाख 4 हजार 55 रुपए खर्च हुए हैं।’’ जवाब के मुताबिक, गुड़ और बेसन की खरीदारी पर 1 लाख 4 हजार 55 रुपए और बायो डी-कंपोजर कैप्सूल की खरीद पर 2 लाख रुपए खर्च हुए। इस तरह कुल 3 लाख 4 हजार 55 रुपए खर्च हुए। सरकार ने बताया कि वर्ष 2021-22 के दौरान इससे दिल्ली के 645 किसानों को लाभ हुआ है। दिल्ली विधानसभा में पूछे गए सवाल के जवाब में दिल्ली सरकार ने बताया है कि वित्तीय वर्ष 2021-22 में बायो डी-कंपोजर खरदीने के अलावा उसका छिड़काव करने के लिए किराए पर लिए गए ट्रैक्टर पर 24 लाख 62 हजार रुपए और टेंट पर 18 लाख रुपए खर्च हुए हैं। इस तरह से वित्त वर्ष 2021-22 में दिल्ली सरकार ने बायो डी-कंपोजर के छिड़काव पर लगभग 46 लाख रुपए खर्च किए है। बिधूड़ी ने इस योजना के विज्ञापन पर खर्च को लेकर अगला सवाल किया है। जिसका जवाब देते हुए कहा गया है कि दिल्ली सरकार ने 7 करोड़ 47 लाख, 26 हजार 88 रुपए इसके विज्ञापन पर खर्च किया है।
2021ः केजरीवाल ने कहा- दिल्ली सरकार ने पराली का समाधान निकाल लिया है
वर्ष 2021 में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पराली जलाने के बजाये बायो डिकम्पोजर के इस्तेमाल पर जोर दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि अब अक्टूबर-नवम्बर आने वाला है। 10 अक्टूबर के आस पास से दिल्ली की हवा फिर से खराब होने लगेगी। इसका बड़ा कारण है आस-पास के राज्यों में पराली जलाने से आने वाला धुआं। अभी तक सभी राज्य सरकारें एक-दूसरे पर छींटाकशी करती रही हैं, लेकिन दिल्ली सरकार ने समाधान निकाल लिया है। पिछले साल दिल्ली सरकार ने एक समाधान निकाला। पूसा इंस्टीट्यूट ने एक बायो डिकम्पोज़र घोल बनाया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि किसान धान की फसल अक्टूबर के महीने में काटता है, जो डंठल ज़मीन पर रह जाता है उसे पराली कहते हैं। किसान को गेहूं की फसल की बुआई करनी होती है इसलिए किसान पराली जला देता है। अभी तक हमने किसानों को जिम्मेदार ठहराया। सरकारों ने क्या किया… सरकारों ने समाधान नहीं दिया। सरकारें दोषी हैं। पूसा का बायो डी कम्पोज़र, जो बहुत सस्ता है, उसका हमने दिल्ली के 39 गांवों में 1935 एकड़ जमीन पर छिड़काव किया। जिससे डंठल गल जाता है और ज़मीन बुआई के लिए तैयार हो जाती है।
दिल्ली के सारे किसानों के खेतों में बायो डिकम्पोजर का मुफ्त छिड़काव करवाया
केजरीवाल ने कहा कि जैसे हमने दिल्ली के सारे किसानों के खेतों में बायो डिकम्पोजर का मुफ्त छिड़काव करवाया है वैसे ही बाकी राज्य सरकारों को भी निर्देश दिया जाए। आस-पड़ोस के राज्यों के किसान भी खुश हो सकते हैं अगर वहां की सरकारें बायो डिकंपोजर घोल का इस्तेमाल करें। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार ने केंद्र सरकार की एजेंसी वेबकॉस से ऑडिट कराया। वेबकॉस की रिपोर्ट आई है। उन्होंने 4 जिलों के 15 गांव में जाकर 79 किसानों से बात की। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि डिकंपोजर का इस्तेमाल करने से दिल्ली के किसान बड़े खुश हैं। 90 प्रतिशत किसानों ने कहा कि 15 से 20 दिनों के अंदर उनकी पराली गल गई और उनकी जमीन गेहूं की फसल बोने के लिए तैयार हो गई। किसानों ने बताया कि गेहूं बोने से पहले 6 से 7 बार खेतों की जुताई करनी पड़ती थी। बायो डिकंपोजर को इस्तेमाल करने से एक से दो बार जुताई करने से ही काम चल गया। इसके इस्तेमाल से खेतों में जो ऑर्गेनिक कार्बन थी, उसकी मात्रा पहले से 40% तक ज्यादा बढ़ गई। नाइट्रोजन की मात्रा 24 परसेंट तक बढ़ गई। उपजाऊ बैक्टीरिया 7 गुना बढ़ गया। कार्बन जो फसल को फायदा पहुंचाती है 3 गुना बढ़ गई। मिट्टी की गुणवत्ता में इतना सुधार हुआ कि गेहूं का अंकुरण 17 से 20% तक बढ़ गया। गेहूं की फसल के उत्पादन में 8% की वृद्धि हुई है।
2018ः दिल्ली के प्रदूषण के लिए केजरीवाल ने पंजाब को बताया जिम्मेदार
चार साल पहले यानी 2018 में दिल्ली में बढ़े प्रदूषण के स्तर पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पंजाब को जिम्मेदार बताया। सैटेलाइट की तस्वीर दिखाते हुए केजरीवाल ने कहा कि इसमें साफ दिखाई दे रहा है कि सबसे ज्यादा पराली पंजाब में जलाई गई। हरियाणा के अम्बाला व उससे लगते कुछ इलाकों में पराली जलाई गई। केजरीवाल ने दिल्ली के प्रदूषण के लिए पूरी तरह पराली को जिम्मेदार बताया है। केजरीवाल ने कहा कि 25 अक्टूबर से पहले दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स 200 से नीचे था। अचानक से न तो दिल्ली में वाहन बढ़े, न उद्योग धंधे लग गए और न ही एकदम कंस्ट्रक्शन शुरू हो गई, फिर कैसे प्रदूषण का स्तर 400 के पास पहुंच गया। इसके लिए उन्होंने पराली को जिम्मेदार बताया है। उनका कहना था कि यह समस्या हर साल 25 अक्टूबर से 20 नवंबर तक आती है। जिससे दिल्ली में एयर क्वालिटी इंडेक्स बढ़ जाता है।
दिल्लीवालों की 10 साल उम्र छीन रहा प्रदूषण
प्रदूषण लोगों से जीने का हक छीन रहा है। वायु प्रदूषण की वजह से भारतीयों की जिंदगी पांच साल कम हो रही है। दिल्ली के लोग भी प्रदूषण की वजह से दस साल कम जी रहे हैं। एनर्जी पॉलिसी इंस्टिट्यूट एट द यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो (एपिक) ने हाल ही में अपना एयर क्वॉलिटी लाइफ इंडेक्स (एक्यूएलआई) जारी किया। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि कुपोषण और धूम्रपान से बड़ी समस्या अब गंदी हवा है। कुपोषण की वजह से औसत 1.8 साल और धूम्रपान की वजह से 1.5 साल जिंदगी कम हो रही है। WHO के प्रदूषण के संशोधित मानकों के आधार पर इस बार यह एक्यूएलआई जारी किया गया है। एक्यूएलआई के अनुसार दिल्ली के बाद उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा और त्रिपुरा टॉप लिस्ट में हैं। अगर यहां हवा मानकों के अनुरूप रहे तो लोग कई साल अधिक जी सकते हैं।