आजादी के बाद से राजसी ठाठ-बाट में जीते आए गांधी परिवार ने देश के संसाधानों और गरीबों के खून-पसीने के पैसे को जिस तरह लूटा है उसका फल अब मिलने जा रहा है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी को सरकारी बंगला खाली करने का नोटिस मिला है। लोकसभा की हाउस कमेटी ने ये नोटिस जारी किया है। उन्हें 30 दिन में यानी 22 अप्रैल तक अपना सरकारी बंगला खाली करना होगा। हाल में ही सूरत की एक कोर्ट ने ‘मोदी सरनेम’ से जुड़ी एक टिप्पणी के मामले में उन्हें दोषी पाया था। जिसके बाद उन्हें दो साल की जेल की सजा भी सुनाई गई थी। उसके बाद राहुल गांधी को लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया गया था। वर्तमान में राहुल गांधी 12 तुगलक लेन वाले सरकारी बंगले में रह रहे हैं। दिलचस्प बात यह है कि राहुल टाइप-7 बंगले में रहते हैं जो कि आमतौर पर केंद्रीय मंत्रियों को आवंटित किए जाते हैं।
राहुल गांधी को मिला है टाइप 7 बंगला
टाइप 6 से टाइप 8 तक के सरकारी बंगले सांसदों, केंद्रीय मंत्रियों, राज्य मंत्रियों को अलॉट किए जाते हैं। राहुल गांधी का बंगाल टाइप 7 है। टाइप 7 बंगले विशेष तौर पर राज्य मंत्रियों, दिल्ली हाईकोर्ट के जज, कम से कम पांच बार सांसद रहे व्यक्तियों को अलॉट होता है। पहली बार अगर कोई जीतकर सांसद बनता है तो उसे सरकार की तरफ से पहले 5 टाइप का बंगला दिया जाता था लेकिन अब उसे टाइप 6 का बंगला भी दिया जाता है।
कांग्रेस सरकार ने राहुल को टाइप-7 बंगले कैसे आवंटित कर दिए
कांग्रेस सरकार ने सारे कानूनों को धता बताकर एक सांसद को टाइप-7 बंगले कैसे आवंटित कर दिए, यह अपने आप में बड़ा सवाल है। जबकि इस कैटेगरी के बंगले देश के सर्वोच्च पद पर आसीन लोगों को ही आवंटित करने का प्रावधान है। टाइप-7 एवं टाइप-8 बंगले आमतौर पर कैबिनेट मिनिस्टर, सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस, पूर्व प्रधानमंत्री, पूर्व राष्ट्रपति, पूर्व उपराष्ट्रपति को अलॉट किए जाते हैं। राहुल गांधी का आवास 12, तुगलक लेन 5,022.58 स्क्वायर मीटर तक फैला हुआ है।
मोदी सरकार पहले कार्रवाई करती तो पूर्वाग्रह का आरोप लगता
राहुल को कोर्ट ने सजा दी, नियम के तहत उनकी सांसदी गई और अब नियम के तहत बंगला खाली करने को कहा गया है लेकिन कांग्रेस पार्टी अपनी आदत के अनुरूप इन सबका विरोध करने में जुट गई है। और राजनीतिक लाभ के लिए यह नैरेटिव गढ़ने में जुटी है कि ये फैसले पीएम मोदी के इशारों पर किया जा रहा है। अब सोचिए अगर मोदी सरकार चाहती तो पिछले नौ साल में किसी भी समय उन्हें टाइप-7 बंगला खाली करने के लिए कह सकती थी क्यों वे इसमें रहने के योग्य ही नहीं थे। लेकिन मोदी सरकार ने ऐसा नहीं किया। और अगर सरकार पहले कार्रवाई करती तो सरकार पर पूर्वाग्रह से काम करने का आरोप लगता। लेकिन राहुल को अब कर्म का फल मिल गया। कांग्रेस सरकार ने तो मेहरबान होकर अपने युवराज को टाइप-7 बंगला आवंटित किया था।
राहुल कमर्शियल रेंट देकर 6 महीने तक बंगले में रह सकते
अगर राहुल 30 दिनों में सरकारी बंगला खाली नहीं करना चाहते हैं, तो वो हाउसिंग कमिटी को लेटर लिखकर समय सीमा बढ़ाए जाने की मांग कर सकते हैं। राहुल को अगर 30 दिनों के बाद भी बंगले में रहना है तो उन्हें कमर्शियल रेंट देकर अधिकतम 6 महीने तक बंगला में रह सकते हैं।
राहुल ने कहा था- 52 साल हो गए, मेरे पास घर नहीं है
फरवरी 2023 में कांग्रेस के तीन दिवसीय महाधिवेशन के दौरान राहुल गांधी बचपन का एक किस्सा साझा करते हुए कहा, ‘मैं 1977 में 6 साल का था। मुझे चुनाव के बारे में नहीं पता था। मैंने मां से पूछा कि क्या हुआ? मां ने कहा कि हम घर छोड़ रहे। तब तक मुझे लगता था कि वह हमारा घर है… मैं इस बात पर हैरान था। 52 साल हो गए, मेरे पास घर नहीं है।’ अब यह देखना दिलचस्प होगा कि राहुल किस घर में जाते हैं।
बिना किसी पद के प्रियंका गांधी वाड्रा 23 साल तक सरकारी बंगले में रही
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने अपना सरकारी बंगला जुलाई 2020 में खाली किया। प्रियंका न तो सांसद थी और न ही किसी पद पर थी। इसके बावजूद वह 23 सालों तक सरकारी संसाधनों को उपयोग करती रही। उन्हें एसपीजी सुरक्षा मिलने की वजह से दिल्ली के लुटियन जोन स्थित लोदी एस्टेट का सरकारी बंगला 21 फरवरी 1997 में आवंटित किया गया था। केंद्र सरकार ने नवंबर 2019 में प्रियंका गांधी की एसपीजी सुरक्षा वापस लेते हुए उन्हें जेड प्लस सुरक्षा दे दी थी। इसके बाद 1 जुलाई को आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय ने प्रियंका को बंगला खाली करने का नोटिस दिया था।
प्रियंका को मिला था टाइप-6 कैटेगरी का बंगला
प्रियंका गांधी वाड्रा को यहां टाइप-6 कैटेगरी का बंगला मिला हुआ था। प्रियंका गांधी इस बंगले के लिए 37 हजार रुपये प्रति महीने का किराया दे रही थी। टाइप-6 कैटेगरी के बंगले एक बार या उससे अधिक जीतकर आने वाले सांसदों और पहली बार जीतकर आने वाले सांसदों को मिल सकते हैं। जबकि प्रियंका सांसद भी नहीं थी। प्रियंका गांधी वाड्रा का बंगला 35 लोधी स्टेट 2,765.18 स्क्वायर मीटर तक फैला हुआ था।
पूर्व मुख्यमंत्री, पूर्व राज्यपाल को मिलते हैं इस तरह के बंगले
प्रियंका गांधी वाड्रा का बंगला लोधी एस्टेट इलाके में है। यहां पर टाइप 6-7 कैटेगरी के बंगले होते हैं। ये बंगले सिर्फ उन लोगों के लिए अलॉट होते हैं जो पांच बार सांसद रहे हों या फिर सांसद बनने से पहले किसी भी राज्य में मुख्यमंत्री या राज्यपाल का पद संभाला हो। हालांकि प्रियंका इनमें से किसी कैटेगरी में नहीं आती हैं, लेकिन उन्हें स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप यानी SPG सुरक्षा प्रदान की गई थी। इसलिए वो यहां पर रह रही थीं। 2019 में केंद्र सरकार ने गांधी परिवार को मिलने वाली SPG सुरक्षा को हटाकर उन्हें Z+ सुरक्षा दी। जो सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स के जिम्मे है। लेकिन Z प्लस सुरक्षा में बंगला नहीं मिलता है।
This is sensational!!!!! Sharing with you, text messages sent by @milinddeora to Rana Kapoor "uncle"!!
It is amply clear that the Italian Gandhis were forcing a deal with him & Sonia Gandhi knew all about it!!
Is this extortion or is this extortion??!!!#PriyankaGets2Crore pic.twitter.com/pTC7kIep48
— Priti Gandhi – प्रीति गांधी (@MrsGandhi) March 9, 2020
फ्लैट खरीदने के लिए प्रियंका ने बेच दी पिता की तस्वीर
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने फ्लैट खरीदने के लिए उस पेंटिंग को बेच दी जिससे पिता राजीव गांधी और देश के एक प्रधानमंत्री की यादें जुड़ी हुई थीं। इस पेंटिंग खरीद मामले में हुए खुलासे के अनुसार मुंबई कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मिलिंद देवड़ा ने पत्र लिखकर और कई मैसेज भेजकर यस बैंक के प्रमोटर राणा कपूर पर पेंटिंग खरीदने के लिए दबाव डाला था। बताया जाता है कि राणा कपूर ने ईडी से कहा कि मिलिंद देवड़ा ने पेंटिंग को खरीदने के लिए उन पर दबाव बनाया था। कांग्रेस नेता देवड़ा ने अपने मैसेज में कई बार 2 करोड़ रुपये के चेक के बारे में पूछताछ की। साथ ही उसे जल्दी भेजने की गुजारिश की। राणा कपूर को ‘अंकल’ बताने वाले मिलिंद देवड़ा के ये पत्र और एसएमएस सोशल मीडिया वायरल हो गए। बीजेपी महिला मोर्चा की सोशल मीडिया प्रभारी प्रीति गांधी ने ट्वीट किया कि यह सनसनीखेज है। आप सबके साथ मिलिंद देवड़ा के राणा कपूर अंकल को लिखे मैसेज को शेयर कर रही हूं। यह साफ है कि इतालवी गांधी परिवार उनके साथ डील के लिए दबाव डाल रहा था और सोनिया गांधी को सब पता था। क्या यह जबरन वसूली है?’
PM के सरकारी आवास से भी बड़ा है सोनिया गांधी का बंगला
कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी का बंगला यानि 10 जनपथ देश के बाकी नेताओं के घरों से काफी बड़ा है। एक आरटीआई के जरिए यह बात भी सामने आई। सोनिया गांधी का 10 जनपथ पीएम के सरकारी आवास 7 कल्याण मार्ग से भी बड़ा है। केवल राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और उप- राष्ट्रपति हामिद अंसारी का निवास 10 जनपथ से बड़ा है। देश के राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति को सरकारी आवास मिला हुआ है जबकि सोनिया गांधी को बतौर सांसद।
सोनिया को स्टेटस के हिसाब से कहीं बड़ा बंगला मिला हुआ है
सोनिया जिस आवास में रहती हैं वह उनके स्टेटस के हिसाब से कहीं ज्यादा बड़ा है। आकार के लिहाज से सोनिया गांधी का आवास दस जनपथ 15,181 वर्ग मीटर में फैला है जबकि पीएम मोदी का सरकारी आवास 14,101 वर्गमीटर में है।
Sonia Gandhi made a big deal about paying for tickets of migrant workers.
Turns out she has not paid her own house rent for one and a half year! pic.twitter.com/w5iKoTy7TH
— Amit Malviya (@amitmalviya) February 10, 2022
सोनिया गांधी ने डेढ़ साल से नहीं दिया था घर का किराया
गुजरात के सुजीत पटेल के 7 फरवरी, 2022 को दिए गए आरटीआई के जवाब में आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय ने बकाया किराए के बारे में हैरान करने वाली जानकारी दी। इसके मुताबिक 10 जनपथ, 26 अकबर रोड और चाणक्यपुरी स्थित बंगालो का किराया कई सालों से बकाया है। गौरतलब है कि 10 जनपथ सोनिया गांधी का घर है। वहीं 26 अकबर रोड और चाणक्यपुरी वाले बंगले में गांधी परिवार ने अपना ऑफिस बना रखा है। आरटीआई के अनुसार सोनिया गांधी के आधिकारिक निवास 10 जनपथ का सितंबर 2020 के बाद से किराया नहीं दिया गया था। सोनिया गांधी को आवंटित यह घर देश के अन्य नेताओं के मुकाबले सबसे बड़ा है। यहां तक कि प्रधानमंत्री निवास 7 रेस कोर्स से भी बड़ा है।
सरकारी खर्च पर राजसी ठाठ में रहता आया है गांधी परिवार
राहुल गांधी का आवास 12, तुगलक लेन 5,022.58 स्क्वायर मीटर तक फैला हुआ है।
प्रियंका गांधी वाड्रा का बंगला 35 लोधी स्टेट 2,765.18 स्क्वायर मीटर तक फैला हुआ था।
सोनिया गांधी का बंगला दस जनपथ 15,181 वर्ग मीटर में फैला है।
पीएम मोदी का सरकारी आवास 7 कल्याण मार्ग 14,101 वर्गमीटर में है।
संवैधानिक पदों पर सबसे शीर्ष राष्ट्रपति का आवास 320 एकड़ में बना हुआ है। जो कि विश्व में भी किसी देश के मुखिया के आवास से सबसे बड़ा है।
उपराष्ट्रपति का आवास 26,333.49 स्क्वायर मीटर में बना हुआ है।
टाइप-8 बंगले: यह सबसे बड़े बंगले माने जाते है। ये एक 3 एकड़ में फैले हुए है। इन बंगलों में 8 कमरे हैं। इनमें 5 बेडरूम एक बड़ा हॉल, 1 डाइनिंग रूम और एक स्टडी रूम है। कैंपस में बैठने के लिए अलग से हॉल और लॉन हैं। ये बंगले कैबिनेट मिनिस्टर, सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस, पूर्व प्रधानमंत्री, पूर्व राष्ट्रपति, पूर्व उपराष्ट्रपति या उनकी जीवित पत्नियों को अलॉट किए जाते हैं। ये बंगले नई दिल्ली के जनपथ रोड, मोतीलाल नेहरू मार्ग, तुगलक रोड, सफदरजंग रोड, अकबर रोड, कृष्णमेनन मार्ग और त्यागराज मार्ग पर हैं।
टाइप-7 बंगले: ये बंगले एक एकड़ से लेकर सवा एकड़ तक में फैले हैं। इनमें 4 बेडरूम होते हैं। ये बंगले राज्य मंत्रियों, हाई कोर्ट के जस्टिस, कम से कम पांच बार के सांसदों को अलॉट किया जाता है। ऐसे बंगले अशोका रोड, लोदी स्टेट, कुशक रोड, तुगलक रोड और कैर्निंग लेन में है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी तुगलक लेन के टाइप 7 बंगले में ही रहते हैं।
टाइप-6 और 5 बंगले: ये बंगले एक बार या उससे अधिक जीतकर आने वाले सांसदों और पहली बार जीतकर आने वाले सांसदों को मिल सकते हैं। ये 1 एकड़ से कम के बंगले हैं। टाइप-5 बंगले चार कैटगरी में होते हैं। पहली कैटेगरी में ए में एक बेडरूम और एक ड्राइिंग रूम होते हैं। जबकि दूसरी कैटगरी यानी बी में दो बेडरूम और एक ड्राइिंग रूम, सी में 3 बेडरूम और एक ड्राइिंग रूम और डी कैटेगरी में 4 बेडरूम और 1 ड्राइिंग रूम होता है।
हालिया कुछ वर्षों में इनसे खाली कराया गया आवास
चिराग पासवान: लोजपा सांसद चिराग पासवान से दिल्ली स्थित 12 जनपथ वाले घर को खाली कराया गया। चिराग ने कहा कि 29 तारीख को सपरिवार खुद घर से निकल कर जाने को तैयार था, पर जबरदस्ती फोर्स भिजवा कर सामान फेंका गया। रामविलास पासवान के निधन के बाद दिल्ली का 12 जनपथ बंगला खाली करने का आदेश जारी हुआ था।
प्रियंका गांधी वाड्रा: 2020 में कांग्रेस महासचिव को 35, लोधी एस्टेट हाउस में आवंटित आवास को एक महीने के भीतर खाली करने के लिए नोटिस भेजा गया था। एसपीजी सुरक्षा वापस लिए जाने के बाद वह आवासीय सुविधा पाने की हकदार नहीं हैं। उन्हें 21 फरवरी 1997 को एसपीजी सुरक्षा प्राप्त बंगला आवंटित किया गया था। लेकिन Z प्लस सुरक्षा में बंगला नहीं मिलता है।
अधीर रंजन चौधरी: पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद से चौथी बार सांसद बने चौधरी, यूपीए सरकार के दौरान वर्ष 2012 में रेलवे राज्यमंत्री बनने के बाद चाणक्यपुरी के मोतीबाग हाउसिंग काम्पलेक्स स्थित बंगले में शिफ्ट हुए थे। लेकिन मंत्री पद से हटने के बाद सांसद होने के नाते उन्हें छोटा यानी टाइप 6 का ही बंगला दिया गया तो चौधरी ने उसे लेने से मना कर दिया। नौबत तो यहां तक आ गई थी कि बंगला ख़ाली कराने पहुंच अधिकारियों को उनका सामान बाहर निकाल कर रखना पड़ा। उनकी बिजली पहले ही काट दी गई। मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया था और कोर्ट को चौधरी को कहना पड़ा था कि ‘आपको गरिमा का परिचय देना चाहिए’।
अंबिका सोनी और कुमारी शैलजा: 2015 में दिल्ली उच्च न्यायालय ने कांग्रेस के दो राज्यसभा सांसदों को अपने मंत्री प्रकार के आठवें बंगले को खाली करने का आदेश दिया, जिस पर वे मंत्रियों के रूप में पद छोड़ने के बाद भी उस पर कब्जा जमा रखा था। राज्यसभा सचिवालय ने अदालत को बताया कि उन्हें अब टाइप VII बंगले आवंटित किए गए हैं। इसके साथ ही प्रत्येक पर 25-25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया था।
शरद यादव: पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व केंद्रीय मंत्री को 31 मई, 2022 तक एक सांसद के रूप में उन्हें आवंटित दिल्ली बंगला खाली करने का निर्देश दिया। यादव ने दिसंबर 2017 में राज्यसभा की सदस्यता से अयोग्य होने के बाद अदालत का दरवाजा खटखटाया था। दिल्ली उच्च न्यायालय के 15 दिनों में बंगला खाली करने के आदेश को चुनौती देते हुए शरद यादव ने सुप्रीम कोर्ट का रूख किया था।
प्रकाश जावड़ेकर और हर्षवर्धनः प्रकाश जावड़ेकर और हर्षवर्धन को भी मंत्री पद से हटने के बाद बंगला खाली करने के आदेश भेजे गए थे। यह कहते हुए अब टाइप VIII बंगले के लिए पात्र नहीं हैं।
सुषमा स्वराज ने सरकारी बंगला खुद खाली कर उदाहरण पेश किया
मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में विदेश मंत्री रही सुषमा स्वराज ने दिल्ली स्थित अपना सरकारी आवास खुद ही खाली कर दिया था। उन्होंने अपना सरकारी आवास खुद खाली कर एक नया उदाहरण पेश किया, जिसकी उस समय काफी प्रशंसा हुई थी। पूर्व विदेश मंत्री ने खुद ट्वीट कर इसकी जानकारी दी थी। सुषमा स्वराज ने ट्वीट किया कि मैंने नई दिल्ली के 8 सफदरजंग लेन स्थित अपने सरकारी आवास को खाली कर दिया है। कृपया ध्यान दें कि पहले वाले पते और फोन नंबर पर मुझसे संपर्क नहीं हो पाएगा। दरअसल सुषमा स्वराज ने लोकसभा चुनाव 2019 में चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया था और मोदी सरकार में मंत्री न बनने का भी आग्रह किया था। 6 अगस्त 2019 को दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया।
अरुण जेटली ने सरकारी बंगला खाली कर पेश की मिसाल
2019 में भारी बहुमत पाने के बाद एनडीए-2 नरेंद्र मोदी की अगुवाई में दूसरी बार सरकार बनाने जा रही थी तो अरुण जेटली ने एक ऐसा उदाहरण पेश किया, जो शायद कम ही लोग कर पाते हैं। उन्होंने स्वास्थ्य कारणों से मंत्रीपद लेने में अनिच्छा जाहिर की। यही नहीं उन्होंने ना केवल सरकारी बंगला छोड़ दिया बल्कि एक पूर्व मंत्री और राज्यसभा सदस्य होने के नाते मिलने वाली सुविधाएं भी छोड़ दीं।
जेटली सरकारी बंगले में जब तक चाहते रह सकते थे लेकिन उन्होंने एनडीए-2 की नई सरकार बनते ही लंबा चौड़ा सरकारी बंगला छोड़ने का फैसला कर लिया। वो अपने निजी घर में शिफ्ट हो गए। उन्होंने कर्मचारियों की संख्या में तो कटौती की ही, साथ ही अपनी सुरक्षा में लगे लोगों को भी कम कर दिया। इसके अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्री ने सरकारी गाड़ियां भी संबंधित विभाग को वापस लौटा दीं।
अटल बिहारी वाजपेयी के परिवार ने सरकारी सुविधाएं लेने से किया इंकार
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का 16 अगस्त 2018 को निधन हो गया। इसके बाद उनके परिवार ने नवंबर 2018 में सरकार की ओर से मिलने वाली सरकारी सुविधाओं को लेने से इंकार कर दिया। परिवार ने कहा था कि वह अपना खर्च उठाने में सक्षम हैं। इसलिए उसे सरकारी सुविधाओं की जरूरत नहीं है। साथ ही कहा कि वह सुविधाएं लेकर सरकारी खजाने पर भार नहीं डालना चाहते हैं। वाजपेयी के परिवार में उनकी दत्तक पुत्री नमिता, दामाद रंजन भट्टाचार्य और पौत्री निहारिका व अन्य सदस्य शामिल हैं। यह परिवार वाजपेयी के साथ ही दिल्ली के लुटियंस जोन में कृष्ण मेनन मार्ग पर सरकारी आवास में ही रहता था।
रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ को बंगला खाली करने दो बार दिया गया नोटिस
पूर्व शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ को जनवरी 2022 में एक महीने से भी कम समय में केंद्रीय आवास मंत्रालय द्वारा उन्हें आवंटित बंगला खाली करने के लिए दूसरा नोटिस जारी किया गया था। लुटियंस दिल्ली में सफदरजंग मकबरे के पास 27, सफदरजंग रोड सरकारी बंगला कैबिनेट विस्तार में ज्योतिरादित्य सिंधिया के केंद्रीय उड्डयन मंत्री बनाए जाने के बाद उनको आवंटित किया गया। रमेश पोखरियाल को 2019 में केंद्रीय शिक्षा मंत्री बनाए जाने के बाद ये सरकारी बंगला आवंटित किया गया था। मंत्रिमंडल विस्तार में उनको मंत्रिपद से हटा दिया गया था। अब वो सिर्फ सांसद हैं, ऐसे में उनको बंगला खाली करने का नोटिस दिया गया था।
मोदी सरकार ने चलाया बंगला खाली कराने का अभियान, भाजपा नेताओं पर भी लागू हुआ नियम
2014 में मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से इन विशेष बंगलों से पूर्व मंत्रियों और सांसदों को नियमति रूप से बेदखल करने का एक अभियान चलाया हुआ है। जो कि इन बंगलों में रहने के लिए वैध नहीं हैं। इसकी जद में भाजपा के सांसद और पूर्व मंत्री भी आए। मोदी सरकार ने अपने पहले कार्याकल के साल में ही करीब 460 लोगों को लुटियंस बंगला क्षेत्र से बेदखल किया है। ये अपने आप में एक अनोखा रिकॉर्ड है। बेदखली की बड़ी वजह है कि घर सीमित हैं और नए मंत्रियों और अधिकारियों के लिए घर खोजना काफी मशक्कत का काम होता है। इसलिए ज्यादातर पुराने सांसदों, मंत्रियों से आवास खाली कराया गया। 2019 में संसद में सार्वजनिक परिसर (अनधिकृत रहने वालों की बेदखली) संशोधन विधेयक 2019 पारित किया गया। जिसके तहत सरकारी आवासीय आवासों से अनिधिकृत रहने वालों को आसानी से और तीव्र गति से बेदखल करने की सुविधा है। कानून के अनुसार अधिक समय बिताने वालों को कठोर जुर्माना भरना पड़ेगा। यदि वे पांच महीने से अधिक समय तक रूकते हैं तो उन्हें 10 लाख रुपये तक का जुर्माना भरना पड़ेगा।