मोदी सरकार भारत की एकता और अखंडता के क्षेत्र में योगदान के लिए लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल के नाम पर राष्ट्रीय एकता पुरस्कार देगी। इस पुरस्कार की घोषणा 31 अक्टूबर को सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती के मौके पर की जाएगी।
राष्ट्रीय एकता पुरस्कार का उद्देश्य राष्ट्रीय एकता और अखंडता को बढ़ावा देने और एक मजबूत और अखंड भारत के मूल्य को सुदृढ़ करने में उल्लेखनीय और प्रेरक योगदान के लिए सम्मानित करना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल दिसंबर में गुजरात के केवाडिया में डीजीपी और आईजीपी की वार्षिक बैठक में इस पुरस्कार देने वाले संस्थान की घोषणा की थी। केवाडिया में ही सरदार वल्लभभाई पटेल की विशालकाय प्रतिमा है।
कौन होंगे पुरस्कार के पात्र
अधिसूचना के अनुसार, जाति, पेशा, पद और लिंग का भेद किए बिना उत्कृष्ट कार्य करने वाला यह पुरस्कार पाने का हकदार होगा। पुरस्कार मरणोपरांत भी दिया जा सकता है। पुरस्कार पाने वालों के नाम भारत सरकार के गजट में प्रकाशित किए जाएंगे। राष्ट्रपति के आदेश पर इससे संबंधित एक रजिस्टर भी रखा जाएगा।
कैसे होगा पुरस्कार
राष्ट्रीय एकता पुरस्कार की बनावट कमल की पत्ती की तरह होगी। इसकी लंबाई 6 सेंटीमीटर, चौड़ाई 2 से लेकर 6 सेंटीमीटर और मोटाई चार मिलीमीटर होगी। इसको चांदी और सोने से तैयार किया जाएगा। इसमें हिंदी में सरदार पटेल राष्ट्रीय एकता पुरस्कार लिखा होगा।
योग के क्षेत्र में पुरस्कार
इससे पहले पीएम मोदी 30 अगस्त को योग के क्षेत्र में बेहतरीन काम करने वालों को पुरस्कृत कर चुके हैं। इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा कि हमारे देश में परंपरा ऐसी बनी है कि बड़े-बड़े नाम जो टीवी पर चमकते हों या जो नेता कहे जाते हों, उन्हीं पर डाक टिकट बनते हैं लेकिन पिछले पांच सालों में भारत में यह बदलाव हुआ है।
अब असल हकदारों को मिलते हैं पुरस्कार
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कार्यकाल में पद्म और दूसरे सम्मानों की गरिमा लौटी है। पहले यह पुरस्कार सिफारिश और जुगाड़ से मिलते थे, लेकिन अब उन लोगों को मिल रहे हैं जो वास्तव में इसके हकदार हैं। सत्ता में आने के बाद मोदी सरकार ने छोटे शहरों में गुमनाम रहकर समाज के लिए जीने वाले कई चेहरों को पद्म सम्मान से नवाजने की परंपरा शुरु की है।